जीवन में श्रेष्ठ और सुंदर कर्म करने चाहिए : सुधीर मुनि

जीवन में श्रेष्ठ और सुंदर कर्म करने चाहिए : सुधीर मुनि

लुधियाना| जो पुण्य व धर्म विहीन है वे लोग मृत्यु के आने पर पश्चाताप करते है। उन्हें मृत्यु के मुख से बचाने में कोई समर्थ नहीं होता। जैसे हिरणों के झुंड में से शेर एक हिरण को पकड़ कर ले जाता है। वैसे ही अंत काल में मृत्यु मनुष्य को ले जाती है। मृत्यु के समय परिवार, कुटुंब, माता-पित, भाई -बंधु कोई भी उसे बचाने में समर्थ नहीं होता। वह जीवात्मा स्वयं ही कर्म फल को भोगता है। इसलिए प्राप्त जीवन में श्रेष्ठ व सुंदर कर्म करना चाहिए। धर्म व आध्यात्म में व्यतीत जीवन अंतिम समय में मृत्यु से भयभीत नहीं होता वह मृत्यु का हंसते हुए स्वागत करता हुआ ज्ञान व विवेक पूर्वक प्राणों का विसर्जन करता है। विशुद्ध आध्यात्मिक चेतना के बल पर ही कर्म विमुक्ति हो सकती है। ये विचार प्रवचन दिवाकर सुधीर मुनि महाराज ने प्रवचन के दौरान व्यक्त किए। साध्वी अर्चना महाराज व साध्वी माधवी महाराज ने भगवान महावीर की अंतिम देशना उत्तराध्ययन सूत्र की विवेचना के दौरान 13 व 14 अध्ययनों को परिसमाप्ति दी। लुधियाना| जो पुण्य व धर्म विहीन है वे लोग मृत्यु के आने पर पश्चाताप करते है। उन्हें मृत्यु के मुख से बचाने में कोई समर्थ नहीं होता। जैसे हिरणों के झुंड में से शेर एक हिरण को पकड़ कर ले जाता है। वैसे ही अंत काल में मृत्यु मनुष्य को ले जाती है। मृत्यु के समय परिवार, कुटुंब, माता-पित, भाई -बंधु कोई भी उसे बचाने में समर्थ नहीं होता। वह जीवात्मा स्वयं ही कर्म फल को भोगता है। इसलिए प्राप्त जीवन में श्रेष्ठ व सुंदर कर्म करना चाहिए। धर्म व आध्यात्म में व्यतीत जीवन अंतिम समय में मृत्यु से भयभीत नहीं होता वह मृत्यु का हंसते हुए स्वागत करता हुआ ज्ञान व विवेक पूर्वक प्राणों का विसर्जन करता है। विशुद्ध आध्यात्मिक चेतना के बल पर ही कर्म विमुक्ति हो सकती है। ये विचार प्रवचन दिवाकर सुधीर मुनि महाराज ने प्रवचन के दौरान व्यक्त किए। साध्वी अर्चना महाराज व साध्वी माधवी महाराज ने भगवान महावीर की अंतिम देशना उत्तराध्ययन सूत्र की विवेचना के दौरान 13 व 14 अध्ययनों को परिसमाप्ति दी।   पंजाब | दैनिक भास्कर