जुमे की तकरीर में मीरवाइज उमर फारूक का बड़ा बयान, ‘कश्मीरी सोचने पर मजबूर हैं कि क्या भारत-पाकिस्तान…’

जुमे की तकरीर में मीरवाइज उमर फारूक का बड़ा बयान, ‘कश्मीरी सोचने पर मजबूर हैं कि क्या भारत-पाकिस्तान…’

<p style=”text-align: justify;”><strong>Jammu Kashmir News:</strong> हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक ने श्रीनगर में जुमे की नमाज के बाद तकरीर में कहा कि दुनिया दूर से देखकर तमाशायी की तरह देख रही है और ये कहा जा रहा है कि जम्मू कश्मीर एक एटमी फ्लैश प्वाइंट बन गया है. कभी भी जंग हो सकती है. कभी भी मामला हाथ से निकल जा सकता है. हिंदुस्तान या पाकिस्तान के लिए ये शायद एक जमीनी मसला होगा लेकिन जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए ये एक ऐसा नासूर है जो खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>मीरवाइज उमर फारूक ने आगे कहा, ”आखिर कब तक हम इस स्थिति में रहेंगे. हर कोई कश्मीर के बारे में बातें कर रहा है लेकिन कश्मीरियों की कोई बात नहीं कर रहा है. जम्मू कश्मीर के लोगों से ही नहीं पूछा जा रहा, जो यहां रहते हैं कि वो क्या चाहते हैं? उनके सपने क्या हैं? उनकी पीढ़ियों के लिए उम्मीदें क्या हैं?&nbsp;</p>
<blockquote class=”twitter-tweet”>
<p dir=”ltr” lang=”en”>Escalating Conflict, Call for Peace and Dialogue<br /><br />Recent Escalation a Human Tragedy, Not Just a Political Crisis<br /><br />Appeal for Ceasefire to Become Permanent; Seek Relief for LoC Victims<br /><br />While everyone is talking ABOUT Kashmir, no one is talking TO Kashmir<br /><br />Today, while addressing&hellip; <a href=”https://t.co/fAQ03cdET9″>pic.twitter.com/fAQ03cdET9</a></p>
&mdash; Mirwaiz Umar Farooq (@MirwaizKashmir) <a href=”https://twitter.com/MirwaizKashmir/status/1923315517374296171?ref_src=twsrc%5Etfw”>May 16, 2025</a></blockquote>
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</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>क्या हम कभी अमन देख पाएंगे- मीरवाइज</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने सवाल करते हुए कहा, ”क्या हम कभी सुकून देख पाएंगे? क्या हम कभी अमन देख पाएंगे? क्या हमारे जख्म कभी भरेंगे? क्या इस समस्या का कभी समाधान निकलेगा? ये बहुत बड़ा सवाल पैदा हो गया है. मसला और पेचीदा हो गया है. फौजी कार्रवाई दिखाने की जो पॉलिसी है, वो सिर्फ और सिर्फ तबाही ला सकती है. इससे हमें क्या हासिल होगा? जैसा कि हमने देखा कि इसका फायदा कौन उठा रहा है? इसका फायदा वो एजेंसियां उठा रही हैं, वो संस्थान उठा रहे हैं, जो हथियार बनाते हैं, जो जहाज बनाते हैं. जो तबाही का सामान बनाते हैं.”&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>कश्मीरियों की मुसीबत की किसी को नहीं पड़ी- मीरवाइज</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>मीरवाइज उमर फारूक आगे कहा, ”आज हम देख रहे हैं कि दुनिया में कश्मीरियों की मुसीबत की किसी को नहीं पड़ी है, लेकिन ये बहस छिड़ गई है कि किस कंपनियों के शेयर बढ़ गए हैं और किसके उतर गए हैं. इंसानों की जान की किसी को फिक्र नहीं है. कश्मीरी सोचने पर मजबूर हैं कि क्या भारत और पाकिस्तान वाकई अमन चाहते हैं? दोनों देश मिलिट्री कार्रवाई की दौड़ में शामिल हो चुके हैं. जहां तक जम्मू कश्मीर और यहां के आवाम का ताल्लुक है, यहां के लोग जंग नहीं चाहते हैं.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>सीजफायर को परमानेंट किया जाए- उमर फारूक</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने ये भी कहा, ”जम्मू कश्मीर के लोग अमन चाहते हैं. हम समस्या का हल चाहते हैं. जिस तरह से कहा गया कि सीजफायर को 18 मई तक बढ़ाया जाए. जम्मू कश्मीर के लोग चाहते हैं कि ये 18 मई तक नहीं बल्कि इसे परमानेंट किया जाए, ताकि अमन और शांति हो. अगर डीजीएमओ आपस में फोन उठाकर बात कर सकते हैं तो ये कितने अफसोस की बात है कि हिंदुस्तान और पाकिस्तान के लोग आपस में बात नहीं कर सकते. क्या हम इंगेज नहीं रह सकते? इसके अलावा कोई और चारा नहीं है, लेकिन अफसोस कि ये ऐसा सच है कि अगर आज हम इस सच को बोलेंगे तो हमें मुल्क दुश्मन होने का लेबल लगाया जाता है. ये कितनी हैरत की बात है कि जो लोग तबाही की बात करते हैं वो आज के दौर में राष्ट्रवादी हैं, लेकिन जो लोग अमन की बात करते हैं वो एंटी नेशनल हैं.”</p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Jammu Kashmir News:</strong> हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक ने श्रीनगर में जुमे की नमाज के बाद तकरीर में कहा कि दुनिया दूर से देखकर तमाशायी की तरह देख रही है और ये कहा जा रहा है कि जम्मू कश्मीर एक एटमी फ्लैश प्वाइंट बन गया है. कभी भी जंग हो सकती है. कभी भी मामला हाथ से निकल जा सकता है. हिंदुस्तान या पाकिस्तान के लिए ये शायद एक जमीनी मसला होगा लेकिन जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए ये एक ऐसा नासूर है जो खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>मीरवाइज उमर फारूक ने आगे कहा, ”आखिर कब तक हम इस स्थिति में रहेंगे. हर कोई कश्मीर के बारे में बातें कर रहा है लेकिन कश्मीरियों की कोई बात नहीं कर रहा है. जम्मू कश्मीर के लोगों से ही नहीं पूछा जा रहा, जो यहां रहते हैं कि वो क्या चाहते हैं? उनके सपने क्या हैं? उनकी पीढ़ियों के लिए उम्मीदें क्या हैं?&nbsp;</p>
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<p dir=”ltr” lang=”en”>Escalating Conflict, Call for Peace and Dialogue<br /><br />Recent Escalation a Human Tragedy, Not Just a Political Crisis<br /><br />Appeal for Ceasefire to Become Permanent; Seek Relief for LoC Victims<br /><br />While everyone is talking ABOUT Kashmir, no one is talking TO Kashmir<br /><br />Today, while addressing&hellip; <a href=”https://t.co/fAQ03cdET9″>pic.twitter.com/fAQ03cdET9</a></p>
&mdash; Mirwaiz Umar Farooq (@MirwaizKashmir) <a href=”https://twitter.com/MirwaizKashmir/status/1923315517374296171?ref_src=twsrc%5Etfw”>May 16, 2025</a></blockquote>
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<p style=”text-align: justify;”><strong>क्या हम कभी अमन देख पाएंगे- मीरवाइज</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने सवाल करते हुए कहा, ”क्या हम कभी सुकून देख पाएंगे? क्या हम कभी अमन देख पाएंगे? क्या हमारे जख्म कभी भरेंगे? क्या इस समस्या का कभी समाधान निकलेगा? ये बहुत बड़ा सवाल पैदा हो गया है. मसला और पेचीदा हो गया है. फौजी कार्रवाई दिखाने की जो पॉलिसी है, वो सिर्फ और सिर्फ तबाही ला सकती है. इससे हमें क्या हासिल होगा? जैसा कि हमने देखा कि इसका फायदा कौन उठा रहा है? इसका फायदा वो एजेंसियां उठा रही हैं, वो संस्थान उठा रहे हैं, जो हथियार बनाते हैं, जो जहाज बनाते हैं. जो तबाही का सामान बनाते हैं.”&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>कश्मीरियों की मुसीबत की किसी को नहीं पड़ी- मीरवाइज</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>मीरवाइज उमर फारूक आगे कहा, ”आज हम देख रहे हैं कि दुनिया में कश्मीरियों की मुसीबत की किसी को नहीं पड़ी है, लेकिन ये बहस छिड़ गई है कि किस कंपनियों के शेयर बढ़ गए हैं और किसके उतर गए हैं. इंसानों की जान की किसी को फिक्र नहीं है. कश्मीरी सोचने पर मजबूर हैं कि क्या भारत और पाकिस्तान वाकई अमन चाहते हैं? दोनों देश मिलिट्री कार्रवाई की दौड़ में शामिल हो चुके हैं. जहां तक जम्मू कश्मीर और यहां के आवाम का ताल्लुक है, यहां के लोग जंग नहीं चाहते हैं.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>सीजफायर को परमानेंट किया जाए- उमर फारूक</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने ये भी कहा, ”जम्मू कश्मीर के लोग अमन चाहते हैं. हम समस्या का हल चाहते हैं. जिस तरह से कहा गया कि सीजफायर को 18 मई तक बढ़ाया जाए. जम्मू कश्मीर के लोग चाहते हैं कि ये 18 मई तक नहीं बल्कि इसे परमानेंट किया जाए, ताकि अमन और शांति हो. अगर डीजीएमओ आपस में फोन उठाकर बात कर सकते हैं तो ये कितने अफसोस की बात है कि हिंदुस्तान और पाकिस्तान के लोग आपस में बात नहीं कर सकते. क्या हम इंगेज नहीं रह सकते? इसके अलावा कोई और चारा नहीं है, लेकिन अफसोस कि ये ऐसा सच है कि अगर आज हम इस सच को बोलेंगे तो हमें मुल्क दुश्मन होने का लेबल लगाया जाता है. ये कितनी हैरत की बात है कि जो लोग तबाही की बात करते हैं वो आज के दौर में राष्ट्रवादी हैं, लेकिन जो लोग अमन की बात करते हैं वो एंटी नेशनल हैं.”</p>  जम्मू और कश्मीर बरेली में पति की क्रूरता, पत्नी को 5 मिनट तक छत से लटका दिया उल्टा, मोहल्ले वालों ने बचाई जान