बुंदेलखंड की 4 लोकसभा सीटों में से सिर्फ झांसी ही एक ऐसी सीट है, जहां भाजपा ने हेट्रिक लगाकर तीसरी बार परचम फहराया है। यहां गठबंधन को ओवर कॉन्फिडेंस ले डूबा। शुरुआत से ही कांग्रेस ललितपुर और महरौनी विधानसभा को अपना सेफ क्षेत्र मानकर चल रही थी। इन दोनों विधानसभा में पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह को छोड़कर कांग्रेस या सपा का कोई भी दिग्गज नेता मैदान में नहीं उतरा। जबकि, भाजपा ने मंत्री प्रहलाद पटेल, साक्षी महाराज, स्वतंत्रदेव सिंह और एसपी सिंह बघेल आदि मंत्रियों को उतारा। साथ ही चुनाव का प्रचार-प्रसार थमने से चंद घंटों पहले गृहमंत्री अमित शाह ने ललितपुर में रैली कर माहौल को भाजपा की तरफ मोड़ दिया। अमित की रैली इतनी असरदार रही कि, जिस ललितपुर विधानसभा को कांग्रेस सबसे सेफ मानकर चल रही थी, वहां प्रत्याशी प्रदीप जैन आदित्य को सबसे बुरी हार का सामना करना पड़ा। यहां से भाजपा प्रत्याशी अनुराग शर्मा को 50,641 वोटों से जीत मिली। झांसी में भी सिर्फ एक बड़ी रैली वरिष्ठ पत्रकार शंशाक त्रिपाठी बताते हैं कि “प्रदीप जैन के नामांकन जुलूस के बाद गंठबंधन ने माहौल बना लिया था। लेकिन कांग्रेस-सपा के बड़े नेताओं को झांसी को नजरअंदाज करना भारी पड़ा। झांसी की बात करें तो यहां गठबंधन की सिर्फ एक बड़ी रैली हुई। राहुल गांधी और अखिलेश यादव ने मंच साझा कर वोटों को साधने की कोशिश की। मगर, एक रैली से गठबंधन अपनी बात लोगों तक ठीक तरह से नहीं पहुंचा पाया। प्रियंका गांधी का रोड-शो और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिका अर्जुन खड़गे की रैली सिर्फ बातों में ही रह गई। वहीं, दूसरी तरफ भाजपा ने दोनों उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और बृजेश पाठक के साथ कई मंत्रियों को भेजा। राहुल गांधी और अखिलेश यादव की रैली के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने रोड शो कर महानगर के वोटरों को साधा। ललितपुर के बाद झांसी सदर विधानसभा से भाजपा को 31215 वोटों की बढ़त मिली।” कार्यकर्ताओं की कमी, सपा के भरोसे झांसी-ललितपुर सीट से चेहरा भले ही कांग्रेस का हो, लेकिन ज्यादा जोर सपा ने लगाया। कांग्रेस के पास अपने खुद के कार्यकर्ता कम और सपा के ज्यादा थे। यानी अधिकतर दामोदार सपा वर्करों के ऊपर था। फिर भी मिलनसार और साफ छवि की वजह से प्रदीप जैन आदित्य ने भाजपा को कड़ी टक्कर दी। मतदान से 3 दिन पहले तक दोनों प्रत्याशियों में कड़ी टक्कर थी। राहुल गांधी और अखिलेश यादव की रैली के बाद कांग्रेस-सपा ने लगाम ढीली छोड़ दी। जबकि भाजपा ने अंतिम दिनों में चुनाव में जान झोंक दी। वहां से भी माहौल बदला। मऊरानीपुर में कांग्रेस का दबदबा रहा जिस तरह ललितपुर और महरौनी में कांग्रेस का हाल रहा, वैसे ही मऊरानीपुर विधानसभा में भाजपा को शिकस्त मिली। झांसी-ललितपुर सीट क्षेत्र में 5 विधानसभा आती हैं। 4 विधानसभा में कमल खिला तो मऊरानीपुर में पंजा ने बढ़त बनाई। यहां से कांग्रेस को 127517 और भाजपा को 112423 वोट मिले। इस हिसाब से कांग्रेस ने इस विधानसभा में 15094 वोटों की बढ़त बनाई। पहला- नाराज कार्यकर्ताओं को मनाया अनुराग शर्मा को दूसरी बार टिकट मिला तो भाजपा के अंदरखाने विरोध हो रहा था। कार्यकर्ता उनसे नाराज थे। जब बात संगठन तक पहुंची तो नेताओं को कार्यकर्ताओं के पास भेजा गया और अधिकतर कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर की गई। एक-एक करके कार्यकर्ता जी-जान से चुनाव में जुट गया। दूसरा- विकास का एजेंडा 10 साल के कार्यकाल में मोदी सरकार ने बुंदेलखंड समेत झांसी को दो प्रमुख सौगात दी। पहली डिफेंस कोरिडोर। जमीन अधिग्रहण के बाद यहां बीडीएल ने यूनिट लगाने के लिए बिल्डिंग बनाने का काम शुरू कर दिया है। दूसरी पानी की समस्या को दूर करने के लिए हर घर जल योजना लेकर आए। इसके तहत कई गांवों में पानी पहुंचाया जा चुका है। इसके अलावा योगी सरकार ने बीडा की सौगात भी देकर रोजगार के द्वार खोले हैं। तीसरा 11 जनप्रतिनिधि और प्रत्याशी की साफ छवि झांसी में भाजपा को बड़ा और मजबूत संगठन है। यहां भाजपा के 4 विधायक, 2 एमएलसी समेत 11 जनप्रतिनिधि हैं। सभी ने चुनाव में ताकत झोंकी। इसके अलावा प्रत्याशी अनुराग शर्मा पर लोगों से सहज मुलाकात न करने के अरोप भले ही लगे हो, लेकिन उन्होंने किसी के साथ गलत नहीं किया। साफ छवि होने का लाभ उनको मिला है। अब जानते हैं विधानसभा वार वोटों का गणित प्रत्याशियों को मिले कुल वोट अनुराग शर्मा (भाजपा)- 6,90,316 प्रदीप जैन ‘आदित्य’ (कांग्रेस)- 5,87,702 रवि प्रकाश कुशवाहा (बसपा)- 63,192 चंदन सिंह (अपना दल, कमेरावादी)- 2,491 दीपक कुमार वर्मा (अल हिन्द पार्टी)- 1,377 इन्द्रसिंह (निर्दलीय)- 2,078 गनेशराम (निर्दलीय)- 2,575 धर्मेंद्र प्रताप (निर्दलीय)- 2,303 रमेश (निर्दलीय)- 6,338 लखन लाल (निर्दलीय)- 6,832 नोटा- 15,302 बुंदेलखंड की 4 लोकसभा सीटों में से सिर्फ झांसी ही एक ऐसी सीट है, जहां भाजपा ने हेट्रिक लगाकर तीसरी बार परचम फहराया है। यहां गठबंधन को ओवर कॉन्फिडेंस ले डूबा। शुरुआत से ही कांग्रेस ललितपुर और महरौनी विधानसभा को अपना सेफ क्षेत्र मानकर चल रही थी। इन दोनों विधानसभा में पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह को छोड़कर कांग्रेस या सपा का कोई भी दिग्गज नेता मैदान में नहीं उतरा। जबकि, भाजपा ने मंत्री प्रहलाद पटेल, साक्षी महाराज, स्वतंत्रदेव सिंह और एसपी सिंह बघेल आदि मंत्रियों को उतारा। साथ ही चुनाव का प्रचार-प्रसार थमने से चंद घंटों पहले गृहमंत्री अमित शाह ने ललितपुर में रैली कर माहौल को भाजपा की तरफ मोड़ दिया। अमित की रैली इतनी असरदार रही कि, जिस ललितपुर विधानसभा को कांग्रेस सबसे सेफ मानकर चल रही थी, वहां प्रत्याशी प्रदीप जैन आदित्य को सबसे बुरी हार का सामना करना पड़ा। यहां से भाजपा प्रत्याशी अनुराग शर्मा को 50,641 वोटों से जीत मिली। झांसी में भी सिर्फ एक बड़ी रैली वरिष्ठ पत्रकार शंशाक त्रिपाठी बताते हैं कि “प्रदीप जैन के नामांकन जुलूस के बाद गंठबंधन ने माहौल बना लिया था। लेकिन कांग्रेस-सपा के बड़े नेताओं को झांसी को नजरअंदाज करना भारी पड़ा। झांसी की बात करें तो यहां गठबंधन की सिर्फ एक बड़ी रैली हुई। राहुल गांधी और अखिलेश यादव ने मंच साझा कर वोटों को साधने की कोशिश की। मगर, एक रैली से गठबंधन अपनी बात लोगों तक ठीक तरह से नहीं पहुंचा पाया। प्रियंका गांधी का रोड-शो और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिका अर्जुन खड़गे की रैली सिर्फ बातों में ही रह गई। वहीं, दूसरी तरफ भाजपा ने दोनों उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और बृजेश पाठक के साथ कई मंत्रियों को भेजा। राहुल गांधी और अखिलेश यादव की रैली के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने रोड शो कर महानगर के वोटरों को साधा। ललितपुर के बाद झांसी सदर विधानसभा से भाजपा को 31215 वोटों की बढ़त मिली।” कार्यकर्ताओं की कमी, सपा के भरोसे झांसी-ललितपुर सीट से चेहरा भले ही कांग्रेस का हो, लेकिन ज्यादा जोर सपा ने लगाया। कांग्रेस के पास अपने खुद के कार्यकर्ता कम और सपा के ज्यादा थे। यानी अधिकतर दामोदार सपा वर्करों के ऊपर था। फिर भी मिलनसार और साफ छवि की वजह से प्रदीप जैन आदित्य ने भाजपा को कड़ी टक्कर दी। मतदान से 3 दिन पहले तक दोनों प्रत्याशियों में कड़ी टक्कर थी। राहुल गांधी और अखिलेश यादव की रैली के बाद कांग्रेस-सपा ने लगाम ढीली छोड़ दी। जबकि भाजपा ने अंतिम दिनों में चुनाव में जान झोंक दी। वहां से भी माहौल बदला। मऊरानीपुर में कांग्रेस का दबदबा रहा जिस तरह ललितपुर और महरौनी में कांग्रेस का हाल रहा, वैसे ही मऊरानीपुर विधानसभा में भाजपा को शिकस्त मिली। झांसी-ललितपुर सीट क्षेत्र में 5 विधानसभा आती हैं। 4 विधानसभा में कमल खिला तो मऊरानीपुर में पंजा ने बढ़त बनाई। यहां से कांग्रेस को 127517 और भाजपा को 112423 वोट मिले। इस हिसाब से कांग्रेस ने इस विधानसभा में 15094 वोटों की बढ़त बनाई। पहला- नाराज कार्यकर्ताओं को मनाया अनुराग शर्मा को दूसरी बार टिकट मिला तो भाजपा के अंदरखाने विरोध हो रहा था। कार्यकर्ता उनसे नाराज थे। जब बात संगठन तक पहुंची तो नेताओं को कार्यकर्ताओं के पास भेजा गया और अधिकतर कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर की गई। एक-एक करके कार्यकर्ता जी-जान से चुनाव में जुट गया। दूसरा- विकास का एजेंडा 10 साल के कार्यकाल में मोदी सरकार ने बुंदेलखंड समेत झांसी को दो प्रमुख सौगात दी। पहली डिफेंस कोरिडोर। जमीन अधिग्रहण के बाद यहां बीडीएल ने यूनिट लगाने के लिए बिल्डिंग बनाने का काम शुरू कर दिया है। दूसरी पानी की समस्या को दूर करने के लिए हर घर जल योजना लेकर आए। इसके तहत कई गांवों में पानी पहुंचाया जा चुका है। इसके अलावा योगी सरकार ने बीडा की सौगात भी देकर रोजगार के द्वार खोले हैं। तीसरा 11 जनप्रतिनिधि और प्रत्याशी की साफ छवि झांसी में भाजपा को बड़ा और मजबूत संगठन है। यहां भाजपा के 4 विधायक, 2 एमएलसी समेत 11 जनप्रतिनिधि हैं। सभी ने चुनाव में ताकत झोंकी। इसके अलावा प्रत्याशी अनुराग शर्मा पर लोगों से सहज मुलाकात न करने के अरोप भले ही लगे हो, लेकिन उन्होंने किसी के साथ गलत नहीं किया। साफ छवि होने का लाभ उनको मिला है। अब जानते हैं विधानसभा वार वोटों का गणित प्रत्याशियों को मिले कुल वोट अनुराग शर्मा (भाजपा)- 6,90,316 प्रदीप जैन ‘आदित्य’ (कांग्रेस)- 5,87,702 रवि प्रकाश कुशवाहा (बसपा)- 63,192 चंदन सिंह (अपना दल, कमेरावादी)- 2,491 दीपक कुमार वर्मा (अल हिन्द पार्टी)- 1,377 इन्द्रसिंह (निर्दलीय)- 2,078 गनेशराम (निर्दलीय)- 2,575 धर्मेंद्र प्रताप (निर्दलीय)- 2,303 रमेश (निर्दलीय)- 6,338 लखन लाल (निर्दलीय)- 6,832 नोटा- 15,302 उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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