<p style=”text-align: justify;”><strong>Jharkhand News:</strong> झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और ओडिशा के पूर्व राज्यपाल रघुवर दास (Raghubar Das) ने शनिवार (7 जून) को एक प्रेसवार्ता में बड़ा बयान देते हुए कहा कि अगर राज्य में आदिवासी संस्कृति को लेकर वर्तमान स्थिति जारी रही, तो आने वाले 5 सालों में आदिवासी समाज पूरी तरह विलुप्त हो सकता है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार आदिवासी संस्कृति और उनकी पहचान को कमजोर करने का प्रयास कर रही है, जिससे पूरे समाज का अस्तित्व संकट में आ गया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>हमने PFI पर लगाई थी रोक, अब फिर हुआ सक्रिय- रघुवर दास</strong><br />रघुवर दास ने कहा कि उनके मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान झारखंड पहला राज्य था जिसने कट्टरपंथी संगठन PFI पर प्रतिबंध लगाया था, लेकिन मौजूदा सरकार के शासन में यह संगठन एक बार फिर सक्रिय हो गया है. उन्होंने कहा कि यह बेहद चिंताजनक है कि सरकार की लापरवाही और इच्छाशक्ति की कमी के कारण असामाजिक ताकतें राज्य में मजबूत हो रही हैं, जिससे आदिवासी समाज पर सीधा असर पड़ रहा है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>अनुसूचित क्षेत्रों के विकास के लिए लागू हो PESA- रघुवर दास</strong><br />उन्होंने केंद्र सरकार के हालिया निर्देश का हवाला देते हुए कहा कि लगभग पखवाड़े भर पहले केंद्र ने झारखंड सरकार से पीईएसए (पंचायत अधिनियम अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) कानून को अविलंब लागू करने को कहा था, ताकि अनुसूचित क्षेत्रों के विकास के लिए 1,400 करोड़ रुपये वितरित किए जा सकें. लेकिन, उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार किसी दबाव में इस कानून को लागू नहीं करना चाहती. उन्होंने सवाल किया, “किसके दबाव में पीईएसए को रोक कर रखा गया है?”</p>
<p style=”text-align: justify;”>रघुवर दास ने स्पष्ट कहा कि पीईएसए कानून आदिवासियों के लिए एक सुरक्षा कवच की तरह है, और इसके लागू होने से पारंपरिक स्वशासन को कानूनी मान्यता मिलेगी. उन्होंने कहा कि यह न केवल आदिवासी समाज की धार्मिक और सांस्कृतिक व्यवस्था की रक्षा करेगा, बल्कि उनके सर्वांगीण विकास की राह भी खोलेगा. उन्होंने यह चेतावनी भी दी कि यदि मौजूदा दिशा में परिवर्तन नहीं हुआ, तो झारखंड भी मिजोरम और नगालैंड जैसे राज्यों में बदल सकता है, जहां स्थानीय समुदायों की पहचान और अधिकार लगातार संघर्ष में हैं.</p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Jharkhand News:</strong> झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और ओडिशा के पूर्व राज्यपाल रघुवर दास (Raghubar Das) ने शनिवार (7 जून) को एक प्रेसवार्ता में बड़ा बयान देते हुए कहा कि अगर राज्य में आदिवासी संस्कृति को लेकर वर्तमान स्थिति जारी रही, तो आने वाले 5 सालों में आदिवासी समाज पूरी तरह विलुप्त हो सकता है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार आदिवासी संस्कृति और उनकी पहचान को कमजोर करने का प्रयास कर रही है, जिससे पूरे समाज का अस्तित्व संकट में आ गया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>हमने PFI पर लगाई थी रोक, अब फिर हुआ सक्रिय- रघुवर दास</strong><br />रघुवर दास ने कहा कि उनके मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान झारखंड पहला राज्य था जिसने कट्टरपंथी संगठन PFI पर प्रतिबंध लगाया था, लेकिन मौजूदा सरकार के शासन में यह संगठन एक बार फिर सक्रिय हो गया है. उन्होंने कहा कि यह बेहद चिंताजनक है कि सरकार की लापरवाही और इच्छाशक्ति की कमी के कारण असामाजिक ताकतें राज्य में मजबूत हो रही हैं, जिससे आदिवासी समाज पर सीधा असर पड़ रहा है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>अनुसूचित क्षेत्रों के विकास के लिए लागू हो PESA- रघुवर दास</strong><br />उन्होंने केंद्र सरकार के हालिया निर्देश का हवाला देते हुए कहा कि लगभग पखवाड़े भर पहले केंद्र ने झारखंड सरकार से पीईएसए (पंचायत अधिनियम अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) कानून को अविलंब लागू करने को कहा था, ताकि अनुसूचित क्षेत्रों के विकास के लिए 1,400 करोड़ रुपये वितरित किए जा सकें. लेकिन, उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार किसी दबाव में इस कानून को लागू नहीं करना चाहती. उन्होंने सवाल किया, “किसके दबाव में पीईएसए को रोक कर रखा गया है?”</p>
<p style=”text-align: justify;”>रघुवर दास ने स्पष्ट कहा कि पीईएसए कानून आदिवासियों के लिए एक सुरक्षा कवच की तरह है, और इसके लागू होने से पारंपरिक स्वशासन को कानूनी मान्यता मिलेगी. उन्होंने कहा कि यह न केवल आदिवासी समाज की धार्मिक और सांस्कृतिक व्यवस्था की रक्षा करेगा, बल्कि उनके सर्वांगीण विकास की राह भी खोलेगा. उन्होंने यह चेतावनी भी दी कि यदि मौजूदा दिशा में परिवर्तन नहीं हुआ, तो झारखंड भी मिजोरम और नगालैंड जैसे राज्यों में बदल सकता है, जहां स्थानीय समुदायों की पहचान और अधिकार लगातार संघर्ष में हैं.</p> झारखंड सीएम मोहन यादव ने लाड़ली बहना योजना पर दिया बड़ा अपडेट, विकास कार्यों से जुड़े किए कई ऐलान
‘झारखंड में विलुप्त हो जाएंगे आदिवासी!’ पूर्व सीएम रघुवर दास ने दी चेतावनी, क्यों जताई यह चिंता?
