<p>समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत में भारतीय जनता पार्टी की उत्तर प्रदेश यूनिट में कलह के दावों पर बड़ा दावा किया है. </p>
<p><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/abp-news-shikhar-sammelan-2024-samajwadi-party-chief-akhilesh-yadav-reaction-on-budget-2024-2744875″><strong>ABP Shikhar Sammelan में अखिलेश यादव बोले- यूपी में सबसे कम FDI, ये केवल नाम की डबल इंजन सरकार</strong></a></p> <p>समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत में भारतीय जनता पार्टी की उत्तर प्रदेश यूनिट में कलह के दावों पर बड़ा दावा किया है. </p>
<p><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/abp-news-shikhar-sammelan-2024-samajwadi-party-chief-akhilesh-yadav-reaction-on-budget-2024-2744875″><strong>ABP Shikhar Sammelan में अखिलेश यादव बोले- यूपी में सबसे कम FDI, ये केवल नाम की डबल इंजन सरकार</strong></a></p> उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड Kanwar Yatra 2024: गंगा में डूब रहे कांवड़िया मोनू सिंह के लिए देवदूत बनकर आए आशिक अली, उफनती लहरो में कूदकर बचाई जान
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मेदांता के टेक्नीशियन, 2 मेडिकल छात्राओं की मौत:लखनऊ से अयोध्या जा रहे थे, कार ट्रैवलर से टकराई; गाड़ी काटकर निकाले शव
मेदांता के टेक्नीशियन, 2 मेडिकल छात्राओं की मौत:लखनऊ से अयोध्या जा रहे थे, कार ट्रैवलर से टकराई; गाड़ी काटकर निकाले शव अयोध्या में सड़क हादसे में मेदांता के लैब टेक्नीशियन और मेडिकल की दो छात्राओं की मौत हो गई। यह सभी कार से लखनऊ से जा रहे थे। शुक्रवार सुबह 5 बजे रुदौली में तेज रफ्तार कार की ट्रैवलर से टक्कर हो गई। कार सवार दो अन्य छात्राएं गंभीर घायल हैं। उनको अस्पताल में भर्ती कराया गया है। सभी कार सवार अयोध्या दर्शन के लिए जा रहे थे। सुबह जल्दी लखनऊ से निकले थे। पुलिस ने बताया कि रुदौली कोतवाली के कूड़ा सादात कट पर एक ट्रक मुड़ रहा था। तभी एक ट्रैवलर ट्रक से टकरा गया। पीछे से तेज स्पीड में कार आ रही थी, जो ट्रैवलर में घुस गई। टक्कर इतनी भीषण थी कि कार का अगला हिस्सा बुरी तरह पिचक गया। ट्रैवलर सवार 13 यात्री भी जख्मी हुए हैं। उनको नजदीकी सीएचसी में एडमिट कराया गया है। कार में लैब टेक्नीशियन और दो छात्राओं की मौके पर मौत हो गई। जबकि दो अन्य छात्राओं को गैस कटर से कार का दरवाजा काटकर बाहर निकाला गया है। उनकी हालत गंभीर है। रुदौली थाना प्रभारी ने बताया- कार में 5 लोग थे, 3 की मौत हो गई। मृतकों की शिनाख्त मोहम्मद हुसैन, रचना और उपासना के तौर पर हुई है। मोहम्मद हुसैन देवरिया के सेमरी गांव के रहने वाले थे। मेदांता की लैब में तैनात थे। जबकि रचना और उपासना कन्नौज की रहने वाली थी। यह मेदांता में ही काम करने की सूचना है। हमीरपुर निवासी स्नेहा और नीतू हादसे में घायल हैं। परिजनों से बात हो गई है। उन्हें घटना की जानकारी दे दी गई है। कोहरे की वजह से हादसे की आशंका
ट्रैवलर से टकराने के बाद कार के आगे का हिस्सा पूरा खत्म हो गया। कार लैब टेक्नीशियन मोहम्मद हुसैन चला रहे थे। कार को काटकर शवों को बाहर निकाला गया। शुरुआती जांच में ऐसा लग रहा है कि कोहरा और ओवर स्पीड के चलते हुआ है। कोहरे के कारण पिकअप नजर नहीं आई और कार उसमें घुस गई। हादसे में ट्रैवलर सवार 13 लोग घायल हुए हैं। इनमें सुनील जायसवाल, संदीप जयसवाल, वंदना जायसवाल, आशीष जायसवाल, गौरी जायसवाल, सुति जयसवाल, गरिमा जायसवाल, रीना जायसवाल, रणधीर सिंह, तृप्ति जायसवाल, पूजा जायसवाल, मीना देवी, पीहू है। यह सभी एक ही परिवार के हैं। ——————————————————————————— कोहरे से जुड़ी ये खबर भी पढ़िए… यूपी में सीजन का पहला घना कोहरा:धुंध की चादर में लिपटा राम मंदिर-ताजमहल; दिन में लाइट जलाकर चले वाहन यूपी में शुक्रवार को सीजन का पहला घना कोहरा छाया। आगरा में 20 कदम की दूरी ताजमहल नहीं दिख रहा था। लखनऊ में विजिबिलिटी सिर्फ 20 मीटर रही। अयोध्या का राम मंदिर कोहरे में छिप गया। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है- अभी 2 दिन पारा लुढ़केगा। न्यूनतम तापमान में 3-4 °C गिरावट दर्ज की जाएगी। पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव और पछुआ हवाओं के जोर पकड़ने के कारण मौसम में अचानक बदलाव हुआ है। पूरी खबर पढ़िए
‘CM केजरीवाल की गिरफ्तारी इमरजेंसी नहीं तो क्या है’, सदन में BJP पर AAP सांसद संदीप पाठक का निशाना
‘CM केजरीवाल की गिरफ्तारी इमरजेंसी नहीं तो क्या है’, सदन में BJP पर AAP सांसद संदीप पाठक का निशाना <p style=”text-align: justify;”><strong>Sandeep Pathak Attack on BJP: </strong> आम आदमी पार्टी (AAP) के राज्यसभा सांसद संदीप पाठक ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी समेत दिल्ली और पंजाब के कई मुद्दे संसद में उठाए. राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान संदीप पाठक ने केंद्र सरकार और बीजेपी पर कई गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि आचार संहिता लगने के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार किया गया, यह इमरजेंसी नहीं है तो फिर क्या है?</p>
<p style=”text-align: justify;”>संदीप पाठक ने आगे कहा, ”मोदी सरकार का पिछले 10 सालों का कार्यकाल सिर्फ क्रोध, घृणा और अहंकार से भरा हुआ है. इतना ज्यादा अहंकार किसी के लिए भी अच्छा नहीं होता. अहंकार के वृक्ष पर सिर्फ विनाश का फल लगता है. इसी अहंकार के कारण ही इनको 300 से ज्यादा सीटों से 240 सीटों पर आने में समय नहीं लगा. ईश्वर साक्षी है कि अगली बार आपको इतनी हाय और बद्दुआएं लगेंगी कि आपको 40 सीटों पर आते-आते देर नहीं लगेगी.”</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>सरकार के पास कोई विजन नहीं- संदीप पाठक</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>आप सांसद ने ये भी कहा, ”किसी भी सरकार के कार्यकाल को देखकर यह कहा जाता है कि उस सरकार का लक्ष्य क्या है और वह सरकार क्या करना चाहती है? इस सरकार के एक भी विषय में कोई विजन नहीं दिखाई देता है. इनके पिछले 10 सालों में सिर्फ गुड़, गोबर, मंगलसूत्र, भैंस, मुजरा जैसी बातें सुनाई देती हैं. देश के प्रधानमंत्री के मुख से इस तरह की बातें शोभा नहीं देती.”</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>चुनाव की प्रक्रिया को ही नष्ट करने की कोशिश-संदीप पाठक</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने कहा, ”प्रजातंत्र का सबसे बड़ा आधार चुनाव होता है लेकिन आज चुनाव की प्रक्रिया को ही नष्ट करने की कोशिश की जा रही है. अगर आप भारत के चुनाव आयोग के अंदर ही निष्पक्षता नहीं रखेंगे तो आप निष्पक्ष चुनाव कैसे करा पाएंगे? अगर चुनाव में लगने वाले पैसों पर कोई रोक नहीं रहेगी तो देश का एक आम आदमी कैसे चुनाव लड़ेगा? </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>इलेक्टोरल बॉन्ड पर क्या बोले संदीप पाठक?</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>इलेक्टोरल बॉन्ड पर बोलते हुए संदीप पाठक ने कहा, ”ये लोग इलेक्टोरल बॉन्ड लेकर आए. इलेक्टोरल बॉन्ड में 55 फ़ीसदी चंदा बीजेपी को दिया जाता है. घाटे में चल रहीं 33 कंपनी ऐसी हैं, जिन्होंने अपने कुल इलेक्टोरल बॉन्ड में से 75 फीसदी पैसा बीजेपी को दिया. यह चंदा जो बीजेपी को गया उसके लिए कौन जिम्मेदार है? </p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने कहा, ”सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इलेक्टोरल बॉन्ड असंवैधानिक है. इसपर सरकार ने कहा कि हम इसको रिवाइव करेंगे. सुप्रीम कोर्ट के हर ऑर्डर को आप रिवाइव करते हो और हर आदेश को कानून बनाकर पलट देते हो. इसमें प्रजातंत्र कहां है? आज देश में सिलेक्टिव इमरजेंसी लगी हुई है.”</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>दिल्ली में पानी का भी उठाया मुद्दा</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>दिल्ली में पानी का मुद्दा उठाते हुए संदीप पाठक ने कहा, ”इन्होंने दिल्ली का 100 एमजीडी पानी कम कर दिया. 28 लाख लोगों को बीजेपी ने पानी के लिए तरसा दिया. क्या हमारे देश की हालत यह हो गई है कि हम अपनी राजनीति के लिए लोगों का पानी रोकेंगे? पंजाब के हिस्से के 8000 करोड रुपए आप रखकर बैठे हुए हैं. 26 जनवरी के दिन आप पंजाब की झांकी को उसमें शामिल करने से मना कर देते हो.”</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें:</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong><a title=”दिल्ली HC में चिराग पासवान के बतौर सांसद चुनाव को चुनौती, कोर्ट ने क्या कहा?” href=”https://www.abplive.com/states/delhi-ncr/delhi-high-court-said-challenge-to-election-of-ljp-ram-vilas-mp-chirag-paswan-from-hajipur-lok-sabha-seat-in-bihar-2728543″ target=”_self”>दिल्ली HC में चिराग पासवान के बतौर सांसद चुनाव को चुनौती, कोर्ट ने क्या कहा?</a></strong></p>
बाहुबली मुख्तार-उमाकांत से मोर्चा लेने वाले IPS बालेंदु भूषण:PCS अफसर की नौकरी छोड़ पहनी खाकी वर्दी, 127 सिखों के हत्यारों को भिजवाया जेल
बाहुबली मुख्तार-उमाकांत से मोर्चा लेने वाले IPS बालेंदु भूषण:PCS अफसर की नौकरी छोड़ पहनी खाकी वर्दी, 127 सिखों के हत्यारों को भिजवाया जेल “मैं जब आजमगढ़ में पोस्टेड था तब माफिया उमाकांत यादव का जलवा कायम था। वह गेस्ट हाउस कांड का आरोपी था। उसी समय मायावती यूपी की सीएम बनीं और उमाकांत पर एक्शन की प्लानिंग शुरू हो गई। मैं जब पहली बार उसके घर पर रेड मारने गया तो उसके गुर्गों की भीड़ ऐसी थी जैसे किसी किले की रक्षा के लिए लगे हों। आधुनिक हथियारों के साथ वो पुलिस को दरवाजे पर रोकते थे। हम जबरन अंदर घुसे, लेकिन उमाकांत फरार हो चुका था। हमने नोटिस चस्पा किया और आठ दिन में ही करीब 20 अलग-अलग जगहों पर रेड मारी। उसके लोगों ने धमकाने की भी कोशिश की। लेकिन मैंने ऐसे हालात पैदा कर दिए कि बाहुबली उमाकांत को सरेंडर ही करना पड़ गया।” माफियाओं के खिलाफ एक्शन की ये कहानी बता रहे हैं IPS बालेंदु भूषण। खाकी वर्दी में आज कहानी IPS बालेंदु भूषण सिंह की। अपने 32 साल के कॅरियर में बालेंदु ने जहां मुख्तार से मोर्चा लिया, वहीं सिख दंगों के आरोपियों पर भी बड़ी कार्रवाई की। ये कहानी आप 4 चैप्टर में पढ़ेंगे… वर्ष 1963 में प्रतापगढ़ जिले के बऊचरा गांव में जन्मे बालेंदु अपने शुरुआती दिनों को याद करते हुए बताते हैं, मेरे पिता राजघराने से ताल्लुक रखते थे। वे बहुत ही सख्त लहजे वाले और पारिवारिक संस्कारों का ध्यान रखने वाले व्यक्ति थे। मेरी पढ़ाई हिंदी मीडियम से शुरू हुई, उन दिनों ज्यादातर ऐसे ही स्कूल हुआ करते थे। प्राथमिक कक्षाओं से लेकर 12वीं तक की पढ़ाई मैंने कस्बे के महात्मा गांधी इंटर कॉलेज से पूरी की। इसके बाद पिता जी ने पढ़ने के लिए इलाहाबाद भेज दिया। यहां मैंने युनिवर्सिटी में दाखिला लिया और 7 साल तक पढ़ाई की। 1986 में MA करने के बाद PHD शुरू कर दी। इसी दौरान मेरा सिलेक्शन CSIR में हो गया। लेकिन मैं वहां ज्वाइन करने ही नहीं गया। अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई के दौरान ही मैंने सिविल सर्विस की तैयारी भी शुरू कर दी थी। दो साल की तैयारी में मेरा सिलेक्शन UPPCS में हो गया। 1988 में मुझे पहली ज्वाॅइनिंग समाज कल्याण विभाग में मिली। यहां पर जब मैंने वर्किंग शुरू की तो पहले ठीक लगा। लेकिन धीरे-धीरे बहुत रुटीन लगने लगा। ऐसा लगा जैसे किसी क्लर्क की तरह वर्किंग कर रहा हूं। सिर्फ फाइलों पर काम करना था। फील्ड वर्क कुछ ज्यादा नहीं था। इसलिए इस जॉब में मैं बंदिश महसूस करने लगा। मेरे बड़े भाई भी PCS अफसर थे। उनकी दिनचर्या भी मैं इसी तरह देखता रहता था। मैंने तय किया कि ये क्लर्क की तरह नौकरी मुझसे बहुत दिन तक नहीं हो पाएगी। मुझे पुलिस महकमा काफी पसंद था। ऐसा लगता था कि वहां आप अपराधियों के खिलाफ कुछ कर सकते हैं। किसी जरूरत मंद की तत्काल मदद कर सकते हैं। इसलिए मैंने PPS की तैयारी शुरू कर दी। 1989 में फर्स्ट अटेम्प्ट में ही मेरा पीपीएस में सेलेक्शन हो गया। मेरी दसवीं रैंक आई, उस समय सेशन थोड़ा डिले चल रहा था। इसलिए वर्ष 1992 में मुझे ट्रेनिंग के लिए भेजा गया। छह महीने ट्रेनिंग के बाद मुझे पहली ज्वाइनिंग फूलपुर में मिली। इसके साथ ही यूपी पुलिस के साथ वर्किंग शुरू हो गई। सफर इतना शानदार रहा कि मुझे 2014 में प्रमोट करके IPS बनाया गया। इस दौरान कई उतार-चढ़ाव भी देखने को मिले। माफिया उमाकांत पर शिकंजा कसने के सवाल पर बालेंदु बताते हैं कि, इसके लिए पहले आपको यूपी का गेस्ट हाउस कांड जानना जरूरी है। ये बात 1995 की है, उन दिनों उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह और मायावती गठबंधन की सरकार थी। ये सरकार 1993 से चल रही थी। जून 1995 में अचानक मायावती ने समर्थन वापस ले लिया और मुलायम सरकार अल्पमत में आ गई। इसके बाद मुलायम सिंह सरकार बचाने के लिए सियासी गुणा-गणित लगा रहे थे। 2 जून, 1995 का दिन था। मायावती लखनऊ के स्टेट गेस्ट हाउस में अपने विधायकों के साथ मीटिंग कर रही थीं। वो अपनी सरकार बनाने की सियासी कसरत कर रही थीं। बताया जा रहा था कि वह बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाने की योजना बना रही हैं। इसी बीच सपा के समर्थकों और कुछ विधायकों ने गेस्ट हाउस पर हमला बोल दिया। मायावती पर जानलेवा हमला हुआ और उनके विधायकों को दौड़ाकर पीटा गया। मायावती को सबक सिखाने के लिए ये भीड़ कुछ भी करने को आमादा थी। मायावती की जीवनी पर आधारित अजय बोस की पुस्तक ‘बहनजी’ में उस दिन की घटना का पूरा जिक्र मिलता है। उन्होंने लिखा है कि सपा के लठैत विधायक बसपा के विधायकों को इस तरह पीट रहे थे, जैसे कोई गली का झगड़ा हो रहा हो। मायावाती ने खुद को जिस कमरे में बंद किया था, हमलावर दरवाजा तोड़कर उसमें प्रवेश कर गए। इसी बीच बीजेपी विधायक ब्रह्म दत्त द्विवेदी ने अपनी जान पर खेलकर मायावती की रक्षा की। उन्होंने सपा विधायकों को पीछे धकेला। वे खुद भी काफी दबंग विधायक के रूप में जाने जाते थे। इस कारण सपा के विधायक उनसे सीधा भिड़ना नहीं चाहते थे। ब्रम्ह दत्त ने मायावती की जान बचाई। उत्तर प्रदेश के इतिहास में इस कांड को गेस्ट हाउस कांड के नाम से जाना जाता है। इस कांड में मुलायम सिंह समेत पांच लोगों पर आरोप लगा था। गेस्ट हाउस कांड में पूरी साजिश रचने का आरोप मुलायम सिंह यादव और शिवपाल यादव पर लगा। गेस्ट हाउस कांड में तीसरा सबसे बड़ा नाम था पूर्व सांसद व बाहुबली अतीक अहमद का। मायावती ने कई बार मंचों से ऐलान किया कि अतीक ने उन्हें गेस्ट हाउस में मारने की साजिश रची थी। साजिशकर्ताओं में चौथा बड़ा नाम था उमाकांत यादव का और पांचवां चर्चित माफिया अन्ना शुक्ला का। इसके बाद मुकदमे दर्ज हुए। अब बीजेपी के साथ गठबंधन में मायावती की सरकार आ गई। मैं उन दिनों आजमगढ़ में तैनात था, मेरे सामने उमाकांत यादव को गिरफ्तार करने की चुनौती थी। मैं जब पहली बार उसके घर पर रेड करने गया तो लगा कि किले में घुस रहा हूं। चारों तरफ हथियारबंद लोग ऐसे निगहबानी कर रहे थे, जैसे कोई जिंदा बाहर आएगा ही नहीं। नोटिस चस्पा करने के बाद हमने लगभग 15 बार उसके ठिकानों पर रेड की। अंत में उमाकांत ने सरेंडर कर दिया, हालांकि उस दौरान उसके कई चाहने वाले सिस्टम में थे जो उसे पहले ही आगाह कर देते थे। मुख्तार के खिलाफ एक्शन पर बालेंदु बताते हैं, आजमगढ़ में उमाकांत के सरेंडर के बाद मेरा तबादला मऊ कर दिया गया। यहां मुख्तार का जलवा कायम था। आम आदमी के साथ-साथ पुलिस के लोग भी मुख्तार से खौफ खाते थे। संयोग से ऐसा हुआ कि अक्टूबर, 2005 में जब मैं मऊ पहुंचा तो वहां दंगा भड़क गया। 14 अक्टूबर, 2005 का दिन था, अचानक बहुत बड़ा बवाल हो गया। 4-5 घंटे में ही करीब 15 मर्डर हुए। किसी बॉडी पर चाकू घोंपने के तो किसी पर गोली लगने के घाव थे। इस दंगे में राम प्रताप नाम के एक व्यक्ति की सलाहाबाद में हत्या कर दी गई थी। सलाहाबाद रोड के एक तरफ हिंदू और दूसरी तरफ मुस्लिम समुदाय के लोग खड़े थे। बीच में मुख्तार की गाड़ी चल रही थी, तभी एक गोली चलती है और रामप्रताप यादव को जाकर लगती है, जिससे उसकी मौत हो जाती है। इसका इल्जाम मुख्तार अंसारी पर लगा। राम प्रताप मऊ रेलवे स्टेशन से करीब 25 किमी दूर अछारा गांव का रहने वाला था। मऊ में दंगे फैलाने को लेकर मुख्तार के खिलाफ केस दर्ज हुआ। मऊ दंगे की अफवाह देखते-देखते पूरे प्रदेश में फैल गई। प्रदेश सरकार पूरी तरह सजग हो गई और मुख्तार की गिरफ्तारी का दबाव आने लगा। मैं उन दिनों एडिशनल एसपी हुआ करता था। जब हमारी पुलिस टीम मुख्तार की गिरफ्तारी के लिए दबिश डालने जाती थी तो उसके गुर्गे सामने आ जाया करते थे। यहां तक कि विभाग में भी लोग उसकी सरपरस्ती करते दिखाई देते थे। लेकिन हमने लगातार उस दबाव बनाया और 25 अक्टूबर, 2005 को मुख्तार ने गाजीपुर में सरेंडर कर दिया। तब से लेकर अपनी मौत तक वह जेल में ही रहा। अब तक के कॅरियर के सबसे सैटिस्फैक्ट्री काम पर बालेंदु कानपुर का नाम लेते हैं। वे बताते हैं कि साल 2019 में मुझे कानपुर में हुए सिख दंगों के लिए बनाई गई SIT की जिम्मेदारी दी गई। 38 साल पुराना यह ऐसा केस था, जिसमें 127 सिखों की हत्या की गई थी। यह कानपुर का सबसे चर्चित सिख दंगा था, जिसकी जांच लंबे समय से चल रही थी। उस दौरान हत्या, लूट और डकैती के 40 मुकदमे दर्ज हुए थे। पुलिस ने इनमें से 29 मामलों में फाइनल रिपोर्ट लगा दी थी। इस बात को लेकर कानपुर के सिख संगठन विरोध प्रदर्शन पर उतर आए थे। भारी विरोध के चलते प्रशासन ने सिखों की मांग पर 27 मई, 2019 को विशेष जांच दल यानी SIT बनाई। जब मुझे यह जिम्मेदारी मिली तो मैंने परत दर परत इसकी जांच पड़ताल शुरू की। जिसमें सामने आया कि कुछ आरोपी तो जिंदा थे, जबकि कुछ की मौत हो चुकी थी। सिर्फ यही नहीं, जांच के दौरान एक पूर्व मंत्री शिवनाथ कुशवाहा के भतीजे राघवेंद्र कुशवाहा का नाम भी सामने आया। पूर्व मंत्री के भतीजे समेत 15 से ज्यादा रसूखदार आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की। नाम सामने आने के बाद से सभी फरार हो गए। आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए लगातार दबिश दी जाने लगी। इस दौरान मैंने 28 लोगों की गिरफ्तारी करवाई और उनको जेल भिजवाया। 11 मामलों में चार्जशीट दाखिल की। जब मेरा तबादला हुआ तो तमाम सिख संगठनों ने निराशा जाहिर की। मुझे ऐसा लगा कि वाकई मैं उन लोगों को न्याय दिलाने में कुछ प्रयास कर पाया। इसलिए मैं कानपुर की वर्किंग को अपनी सबसे सैटिस्फाइड वर्किंग मानता हूं। युवाओं को संदेश…अपना गोल सेट कर तैयारी में जुटें
सिविल सर्विसेज की तैयारी करने वाले युवाओं से मैं यही कहना चाहता हूं कि इस क्षेत्र में उतरने से पहले अपने आत्मविश्वास को मजबूत करें। डिसाइड करें कि मुझे टारगेट अचीव करना ही है। इस राह में कुछ कठिनाइयां जरूर आएंगी। लेकिन अपना गोल सेट करें और तैयारी में जुट जाएं। अपने विषयों पर नियमित समय दें और आसपास हो रही घटनाओं पर नजर रखें। सिविल सर्विस में विषय विशेषज्ञ बनने की जरूरत नहीं है। लेकिन जानकारी हर विषय की होनी चाहिए। IPS में आना चाहते हैं तो सिर्फ वर्दी का ग्लैमर देखकर न आएं। यहां बहुत चुनौतियां हैं। अगर लोगों के लिए कुछ करने का माद्दा रखते हैं तो ही इस फील्ड में आएं।