हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में टांडा मेडिकल कॉलेज का 40 करोड़ रुपए की लागत से बना जीएस बाली मातृ एवं शिशु अस्पताल तीन वर्षों से बेकार पड़ा है। फायर विभाग से एनओसी नहीं मिलने की वजह से मेडिकल कॉलेज प्रशासन को भवन का ट्रांसफर नहीं हो पाया है। यह भवन 2017 में भाजपा सरकार के समय बनना शुरू हुआ। दिसंबर 2022 तक इसका निर्माण पूरा हुआ। टांडा मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. मिलाप शर्मा के अनुसार, भवन में रैंप नहीं है। फायर सेफ्टी के लिए आवश्यक डेढ़-डेढ़ लाख लीटर के दो ओवरहेड वाटर टैंक भी नहीं बनाए गए हैं। बिल्डिंग डिजाइन में इन कमियों के लिए कंसल्टेंसी कंपनियों को जिम्मेदार माना जा रहा है। रैंप निर्माण के लिए सीपीडब्ल्यूडी ने 5 करोड़ रुपए का एस्टीमेट भेजा है। इसे एनएचएम हिमाचल प्रदेश को मंजूरी के लिए भेजा गया है। इसके मंजूर होने के बाद ही इनका निर्माण हो पाएगा। तब जाकर फायर विभाग की एनओसी मिलेगी। शिशु अस्पताल में बच्चों के लिए 62 बिस्तरों की व्यवस्था टांडा अस्पताल में 62 बिस्तर बच्चों के तैयार किए गे हैं। इसमें आईसीयू और नवजात शिशुओं के लिए अलग बिस्तर भी हैं। केंद्र सरकार के अनुदान से सीपीडब्ल्यूडी ने इस भवन का निर्माण किया था। वर्तमान कांग्रेस सरकार ने इस भवन का नाम पूर्व मंत्री और कांगड़ा के वरिष्ठ कांग्रेस नेता जीएस बाली के नाम पर रखा है। हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में टांडा मेडिकल कॉलेज का 40 करोड़ रुपए की लागत से बना जीएस बाली मातृ एवं शिशु अस्पताल तीन वर्षों से बेकार पड़ा है। फायर विभाग से एनओसी नहीं मिलने की वजह से मेडिकल कॉलेज प्रशासन को भवन का ट्रांसफर नहीं हो पाया है। यह भवन 2017 में भाजपा सरकार के समय बनना शुरू हुआ। दिसंबर 2022 तक इसका निर्माण पूरा हुआ। टांडा मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. मिलाप शर्मा के अनुसार, भवन में रैंप नहीं है। फायर सेफ्टी के लिए आवश्यक डेढ़-डेढ़ लाख लीटर के दो ओवरहेड वाटर टैंक भी नहीं बनाए गए हैं। बिल्डिंग डिजाइन में इन कमियों के लिए कंसल्टेंसी कंपनियों को जिम्मेदार माना जा रहा है। रैंप निर्माण के लिए सीपीडब्ल्यूडी ने 5 करोड़ रुपए का एस्टीमेट भेजा है। इसे एनएचएम हिमाचल प्रदेश को मंजूरी के लिए भेजा गया है। इसके मंजूर होने के बाद ही इनका निर्माण हो पाएगा। तब जाकर फायर विभाग की एनओसी मिलेगी। शिशु अस्पताल में बच्चों के लिए 62 बिस्तरों की व्यवस्था टांडा अस्पताल में 62 बिस्तर बच्चों के तैयार किए गे हैं। इसमें आईसीयू और नवजात शिशुओं के लिए अलग बिस्तर भी हैं। केंद्र सरकार के अनुदान से सीपीडब्ल्यूडी ने इस भवन का निर्माण किया था। वर्तमान कांग्रेस सरकार ने इस भवन का नाम पूर्व मंत्री और कांगड़ा के वरिष्ठ कांग्रेस नेता जीएस बाली के नाम पर रखा है। हिमाचल | दैनिक भास्कर
