<p style=”text-align: justify;”><strong>Mathura News: </strong>उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने मथुरा के वृंदावन में स्थित प्रेमानंद जी महाराज के आश्रम में पहुंचे. यहां पहुंचकर डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने प्रेमानंद जी महाराज से आशीर्वाद लिया. इसके साथ ही प्रेमानंद जी महाराज ने डिप्टी सीएम को भगवत प्राप्ति कैसे होगी इस बारे में बताया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>प्रेमानंद जी महाराज ने डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक से कहा कि हमारा मनुष्य जन्म केवल भगवत प्राप्ति के लिए हुआ है, दुर्लभो मानुषो देहो शास्त्रों में जो दुर्लभता कही गई है वह इसलिए कही गई साधन धाम मोक्ष कर द्वारा पाए न जे परलोक समारा सो परत्र दुख पावई सिर धुन धुन पछताए कालह कर्म ईश्वर मिथ्या दोष लगाए. अब भगवत प्राप्ति कैसे होगी मनुष्य जन्म भगवत प्राप्ति के लिए हुआ अब भगवत प्राप्ति कैसे होगी तो हमारे दिमाग में ऐसा आता है कि भगवत प्राप्ति का मतलब है कोई साधु महात्मा बन जाना या एकांत में बैठकर माला चलाना ऐसा नहीं है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने कहा कि भगवत प्राप्ति के लिए हम जो कर्तव्य कर्म कर रहे हैं उसे ईमानदारी से करें और नाम जप करें. दो बातें भगवान ने आदेश की माम मुनिश्मर युद्ध च. युद्ध माने अपने कर्तव्य कर्म को करना और मास्मर भगवान का स्मरण करते हुए तो जो आपको पद मिला है जो आपको समाज सेवा मिली है उसको सच्चाई से ईमानदारी से यदि हम राष्ट्र सेवा की भावना से समाज सेवा की भावना से करें और नाम जप करें तो इसी से भगवत प्राप्ति हो जाएगी. जब युद्ध से भगवत प्राप्ति हो सकती है, गला काटना है, युद्ध में सीधे तो फिर और तो सब कार्य सहज ही है, सरल ही है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>प्रेमानंद जी महाराज ने कहा जब युद्ध करते भगवत स्मरण हो सकता है, तो फिर समाज सेवा करते भी भगवत स्मरण हो सकता है. हम जहां प्रलोभन और भय ये दो शब्द ऐसे हैं जो हमको नीचे गिरा देते हैं. किसी का भय नहीं मानना और कोई प्रलोभन नहीं रखना है और जो विधान मेरे प्रभु ने रच दिया है. वह वही विधान भगवान जो करते हैं, उसके विपरीत किसी की ताकत नहीं कि एक रोम भी उखाड़ सके. जो विधना ने लिख दिया छठे राव के अंक राई घटे न तिल बड़े रह निशंक बिल्कुल निर्भय रहना चाहिए। भय तो किसी का मानना नहीं चाहिए, अब रह गया प्रलोभन, इससे बच जाना चाहिए.</p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने कहा कि अगर हम प्रलोभन से प्रभावित हो गए तो हम अपने धर्म से चित हो सकते हैं. अगर हम प्रलोभन से प्रभावित नहीं हुए तो क्रम बाय क्रम हमारा विकास संसार में भी होगा और परलोक में भी होगा. जो पद है उस पद से आगे भी भगवान सेवा देंगे क्योंकि ये ये अंतिम पद तो नहीं है ना. इसके आगे भी पद है और जो सबसे बड़ा पद है वह है परम पद भगवान की प्राप्ति, तो दोनों काम हमारे हो जाए. संसार की सेवा भी हो जाए और भगवान की भी प्राप्ति हो जाए और आपको भगवान ने वो दिया है बहुत बड़ी समाज की सेवा का एक पद दिया एक अधिकार दिया है. </p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Mathura News: </strong>उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने मथुरा के वृंदावन में स्थित प्रेमानंद जी महाराज के आश्रम में पहुंचे. यहां पहुंचकर डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने प्रेमानंद जी महाराज से आशीर्वाद लिया. इसके साथ ही प्रेमानंद जी महाराज ने डिप्टी सीएम को भगवत प्राप्ति कैसे होगी इस बारे में बताया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>प्रेमानंद जी महाराज ने डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक से कहा कि हमारा मनुष्य जन्म केवल भगवत प्राप्ति के लिए हुआ है, दुर्लभो मानुषो देहो शास्त्रों में जो दुर्लभता कही गई है वह इसलिए कही गई साधन धाम मोक्ष कर द्वारा पाए न जे परलोक समारा सो परत्र दुख पावई सिर धुन धुन पछताए कालह कर्म ईश्वर मिथ्या दोष लगाए. अब भगवत प्राप्ति कैसे होगी मनुष्य जन्म भगवत प्राप्ति के लिए हुआ अब भगवत प्राप्ति कैसे होगी तो हमारे दिमाग में ऐसा आता है कि भगवत प्राप्ति का मतलब है कोई साधु महात्मा बन जाना या एकांत में बैठकर माला चलाना ऐसा नहीं है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने कहा कि भगवत प्राप्ति के लिए हम जो कर्तव्य कर्म कर रहे हैं उसे ईमानदारी से करें और नाम जप करें. दो बातें भगवान ने आदेश की माम मुनिश्मर युद्ध च. युद्ध माने अपने कर्तव्य कर्म को करना और मास्मर भगवान का स्मरण करते हुए तो जो आपको पद मिला है जो आपको समाज सेवा मिली है उसको सच्चाई से ईमानदारी से यदि हम राष्ट्र सेवा की भावना से समाज सेवा की भावना से करें और नाम जप करें तो इसी से भगवत प्राप्ति हो जाएगी. जब युद्ध से भगवत प्राप्ति हो सकती है, गला काटना है, युद्ध में सीधे तो फिर और तो सब कार्य सहज ही है, सरल ही है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>प्रेमानंद जी महाराज ने कहा जब युद्ध करते भगवत स्मरण हो सकता है, तो फिर समाज सेवा करते भी भगवत स्मरण हो सकता है. हम जहां प्रलोभन और भय ये दो शब्द ऐसे हैं जो हमको नीचे गिरा देते हैं. किसी का भय नहीं मानना और कोई प्रलोभन नहीं रखना है और जो विधान मेरे प्रभु ने रच दिया है. वह वही विधान भगवान जो करते हैं, उसके विपरीत किसी की ताकत नहीं कि एक रोम भी उखाड़ सके. जो विधना ने लिख दिया छठे राव के अंक राई घटे न तिल बड़े रह निशंक बिल्कुल निर्भय रहना चाहिए। भय तो किसी का मानना नहीं चाहिए, अब रह गया प्रलोभन, इससे बच जाना चाहिए.</p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने कहा कि अगर हम प्रलोभन से प्रभावित हो गए तो हम अपने धर्म से चित हो सकते हैं. अगर हम प्रलोभन से प्रभावित नहीं हुए तो क्रम बाय क्रम हमारा विकास संसार में भी होगा और परलोक में भी होगा. जो पद है उस पद से आगे भी भगवान सेवा देंगे क्योंकि ये ये अंतिम पद तो नहीं है ना. इसके आगे भी पद है और जो सबसे बड़ा पद है वह है परम पद भगवान की प्राप्ति, तो दोनों काम हमारे हो जाए. संसार की सेवा भी हो जाए और भगवान की भी प्राप्ति हो जाए और आपको भगवान ने वो दिया है बहुत बड़ी समाज की सेवा का एक पद दिया एक अधिकार दिया है. </p> उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड रेखा गुप्ता सरकार पर भड़कीं पूर्व सीएम आतिशी, कहा- ‘सैंकड़ों परिवारों के सर से…’
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