‘तेजस्वी को बनाना है मुख्यमंत्री’, दही-चूड़ा भोज में पहुंचे कार्यकर्ताओं से लालू यादव ने कहा- क्षेत्र में मेहनत करिए

‘तेजस्वी को बनाना है मुख्यमंत्री’, दही-चूड़ा भोज में पहुंचे कार्यकर्ताओं से लालू यादव ने कहा- क्षेत्र में मेहनत करिए

<p style=”text-align: justify;”><strong>Makar Sankranti 2025:</strong> मकर संक्रांति के अवसर पर बिहार में सियासी दिग्गजों के यहां दही-चूड़ा भोज का आयोजन शुरू हो चुका है. राबड़ी आवास पर भी लालू ने चूड़ा दही भोज का आयोजन किया है, लेकिन राबड़ी आवास पर सिर्फ आरजेडी नेताओं, कार्यकर्ताओं को आमंत्रित किया गया है. महागठबंधन के सहयोगी दलों को नहीं बुलाया गया है. जेडीयू इसी पर सवाल खड़े कर रही है कि महागठबंधन में सब कुछ ठीक नहीं है.&nbsp;&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>वैसे यह तो तय है कि अगर मकर संक्रांति का भोज लालू प्रसाद यादव के आवास पर हो, तो उसके सियासी मायने तो जरूर निकलते हैं.&nbsp; राबड़ी आवास पर भोज के दौरान मेहमानों को दही-चूड़ा, भूरा, तिलकुट, तिलवा समेत अन्य व्यंजनों का स्वाद चखने का मौका मिलेगा.&nbsp;राबड़ी आवास से बाहर निकल रहे कार्यकर्ताओं ने कहा कि चूड़ा दही हम लोग खाए. लालू यादव ने आदेश दिया है कि क्षेत्र में जाकर जमकर मेहनत करिए. इस बार अपनी सरकार आ रही है. तेजस्वी को मुख्यमंत्री बनाना है. वहीं कई ऐसे भी कार्यकर्ता हैं, जो तिलकुट और लाई लेकर अंदर जा रहे हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>बता दें बिहार में सियासी दही-चूड़ा भोज के आयोजन की शुरुआत एक तरह से लालू यादव ने ही 90 के दशक में की थी. तब से उनके यहां कई बार दही-चूड़ा भोज का आयोजन किया जा चुका है. लालू यादव के यहां दही-चूड़ा भोज के दौरान कई बार ऐसी तस्वीरें देखने को मिली हैं, जिसे बिहार की सियासत में काफी अहम माना गया. अब इसी साल बिहार विधानसभा चुनाव भी है. ऐसे में सियासी दलों के जरिए चूड़ा दही भोज के दौरान सियासी समीकरणों को सेट करने की कोशिश की जाएगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>बिहार की सियासत में मकर संक्रांति के अवसर पर होने वाले राजनीतिक दही-चूड़ा भोज के बहाने कई बार सियासी खेल हो चुका है. चुनावी साल है. क्या इस बार कोई नया समीकरण बनेगा? इस पर सबकी निगाहें टिकी हैं. हालांकि राबड़ी आवास के अंदर मीडिया की एंट्री नहीं है.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ेंः <a href=”https://www.abplive.com/states/bihar/bihar-cm-nitish-kumar-left-ljpr-office-without-eating-dahi-chuda-in-absence-of-chirag-paswan-makar-sankranti-ann-2862519″>ये क्या हुआ? चिराग पासवान के पहुंचने से पहले शो खत्म, दही-चूड़ा खाए बिना LJPR कार्यालय से निकले सीएम नीतीश</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Makar Sankranti 2025:</strong> मकर संक्रांति के अवसर पर बिहार में सियासी दिग्गजों के यहां दही-चूड़ा भोज का आयोजन शुरू हो चुका है. राबड़ी आवास पर भी लालू ने चूड़ा दही भोज का आयोजन किया है, लेकिन राबड़ी आवास पर सिर्फ आरजेडी नेताओं, कार्यकर्ताओं को आमंत्रित किया गया है. महागठबंधन के सहयोगी दलों को नहीं बुलाया गया है. जेडीयू इसी पर सवाल खड़े कर रही है कि महागठबंधन में सब कुछ ठीक नहीं है.&nbsp;&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>वैसे यह तो तय है कि अगर मकर संक्रांति का भोज लालू प्रसाद यादव के आवास पर हो, तो उसके सियासी मायने तो जरूर निकलते हैं.&nbsp; राबड़ी आवास पर भोज के दौरान मेहमानों को दही-चूड़ा, भूरा, तिलकुट, तिलवा समेत अन्य व्यंजनों का स्वाद चखने का मौका मिलेगा.&nbsp;राबड़ी आवास से बाहर निकल रहे कार्यकर्ताओं ने कहा कि चूड़ा दही हम लोग खाए. लालू यादव ने आदेश दिया है कि क्षेत्र में जाकर जमकर मेहनत करिए. इस बार अपनी सरकार आ रही है. तेजस्वी को मुख्यमंत्री बनाना है. वहीं कई ऐसे भी कार्यकर्ता हैं, जो तिलकुट और लाई लेकर अंदर जा रहे हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>बता दें बिहार में सियासी दही-चूड़ा भोज के आयोजन की शुरुआत एक तरह से लालू यादव ने ही 90 के दशक में की थी. तब से उनके यहां कई बार दही-चूड़ा भोज का आयोजन किया जा चुका है. लालू यादव के यहां दही-चूड़ा भोज के दौरान कई बार ऐसी तस्वीरें देखने को मिली हैं, जिसे बिहार की सियासत में काफी अहम माना गया. अब इसी साल बिहार विधानसभा चुनाव भी है. ऐसे में सियासी दलों के जरिए चूड़ा दही भोज के दौरान सियासी समीकरणों को सेट करने की कोशिश की जाएगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>बिहार की सियासत में मकर संक्रांति के अवसर पर होने वाले राजनीतिक दही-चूड़ा भोज के बहाने कई बार सियासी खेल हो चुका है. चुनावी साल है. क्या इस बार कोई नया समीकरण बनेगा? इस पर सबकी निगाहें टिकी हैं. हालांकि राबड़ी आवास के अंदर मीडिया की एंट्री नहीं है.&nbsp;</p>
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