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यमुना की सफाई के लिए दिल्ली सरकार का बड़ा ऐलान, 32 जगह लगेंगे वाटर मॉनिटरिंग स्टेशन, कितना आएगा खर्च?
यमुना की सफाई के लिए दिल्ली सरकार का बड़ा ऐलान, 32 जगह लगेंगे वाटर मॉनिटरिंग स्टेशन, कितना आएगा खर्च? <p style=”text-align: justify;”><strong>Delhi Yamuna Cleaning:</strong> दिल्ली की यमुना नदी को साफ करने की दिशा में सीएम रेखा गुप्ता सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है. इस पहल के तहत यमुना और उसमें गिरने वाले गंदे नालों की निगरानी के लिए राजधानी में 32 रियल टाइम वॉटर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन लगाए जाएंगे. ताकि यमुना में गंदे पानी को गिरने से रोका जा सके. </p>
<p style=”text-align: justify;”>राष्ट्रीय राजधानी के लिए प्रस्तावित 32 रियल टाइम वॉटर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन में 10 स्टेशन यमुना नदी पर और 22 स्टेशन दिल्ली के बड़े नालों पर लगाए जाएंगे. यह सभी स्टेशन पानी की गुणवत्ता की लगातार निगरानी करेंगे और उसका डाटा सीधे दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) के सर्वर पर भेजा जाएगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”>दिल्ली सरकार इस प्रोजेक्ट पर करीब 22 करोड़ रुपये खर्च करेगी. इस तकनीक से यह पता लगाया जाएगा कि पानी में कौन-कौन से प्रदूषणकारी तत्व हैं और उनकी मात्रा कितनी है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>रियल टाइम वॉटर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन से इन तत्वों की होगी जांच</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>दिल्ली में रियल टाइम वॉटर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन लगाने से BOD (बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड), COD (केमिकल ऑक्सीजन डिमांड), TSS (टोटल सस्पेंडेड सॉलिड्स), नाइट्रोजन,फॉस्फोरस और अमोनिया की मात्रा का पता लगाने में मदद मिलेगी. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>कहां-कहां लगेंगे स्टेशन?</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>यमुना नदी पर पल्ला, आईएसबीटी ब्रिज, आईटीओ ब्रिज, निजामुद्दीन ब्रिज, ओखला बैराज व अन्य स्थानों पर. इसके अलावा, अन्य प्रमुख नालों में नजफगढ़, मेटकॉफ हाउस, खैबर पास, स्वीपर कॉलोनी आदि. सीमावर्ती नालों में सिंघु बॉर्डर (सोनीपत), बहादुरगढ़, शाहदरा, साहिबाबाद और बनठिया शामिल हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>दिल्ली सरकार का कहना है कि यह सभी स्टेशन साल 2025 के अंत तक काम करना शुरू कर देंगे. टेंडर प्रक्रिया पहले ही शुरू कर दी गई है. इस फैसले से यमुना की सफाई में काफी मदद मिलने की उम्मीद है. दिल्लीवासियों को एक साफ और प्रदूषण मुक्त यमुना देखने को मिलेगी. </p>
<p style=”text-align: justify;”>दिल्ली सरकार के लिए यमुना की सफाई दशकों से अहम चुनौती बनी हुई है. दिल्ली एनसीआर के गंदे नालों के जरिए गंदा पानी यमुना तक पहुंचने से इसे साफ करना अभी तक संभव नहीं हो पाया है. इस बात को ध्यान में रखते हुए दिल्ली सरकार ने 32 स्थानों पर रियल टाइम वॉटर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन लगाने का फैसला लिया है. </p>

हिमाचल मस्जिद विवाद में बोले AIMIM नेता:हाईकोर्ट में करेंगे PIL; कानून सबके लिए एक समान, बोले-मस्जिद वैध या अवैध कोर्ट तय करेगा, लोग नहीं
हिमाचल मस्जिद विवाद में बोले AIMIM नेता:हाईकोर्ट में करेंगे PIL; कानून सबके लिए एक समान, बोले-मस्जिद वैध या अवैध कोर्ट तय करेगा, लोग नहीं हिमाचल प्रदेश की राजधानी संजौली से उठा मस्जिद विवाद शांत होने नहीं दिख रहा। बेशक, संजौली मस्जिद कमेटी ने लिखित में अंडरटेकिंग देकर कोर्ट का फैसला आने पर मस्जिद का अवैध निर्माण तोड़ने की सहमति जताई है। मगर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) दिल्ली के अध्यक्ष शोएब जामाई ने संजौली मस्जिद पहुंचकर एक वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट किया, जिसमें जामाई कह रहे हैं कि मस्जिद के वैध है या अवैध, यह कोर्ट तय करेगा। वह कोर्ट में जनहित याचिका (PIL) डालेंगे। शोएब जामाई वीडियो में कह रहे हैं कि संजौली मस्जिद के साथ बनी दूसरी बिल्डिंग की ऊंचाई दिखाकर कह कर रहे हैं कि जितनी ऊंचाई मस्जिद की है, उससे ज्यादा की ऊंचाई आसपास बने घरों की है। वह कह रहे हैं कि अगर मस्जिद अवैध है तो यहां बने घर कैसे वैध हो सकते हैं। कानून सबके लिए होना चाहिए। उन्होंने कहा, वह संविधान से हटकर बात नहीं कर रहे। मोहब्बत की दुकान यहां भी खुलनी चाहिए। शोएब जामाई कह रहे हैं कि मस्जिद के मौलाना ने अच्छे से हैंडल किया है। इतनी कम आबादी होने के बावजूद अच्छा फैसला लिया है। इतना सप्रोर्ट नहीं है। सरपरस्त ताकतें आवाज उठा रही है हर जगह। इंसाफ सभी के लिए होना चाहिए। प्रदेश में मस्जिद विवाद संजौली की इसी मस्जिद के कारण उपजा है। संजौली मस्जिद कमेटी द्वारा बीते 12 सितंबर को लिखित में नगर निगम आयुक्त को मस्जिद के अवैध निर्माण तोड़ने की पेशकश की गई। कमिश्नर ने बताया कि कोर्ट अगर ऑर्डर देगा तो मस्जिद का अवैध खुद तोड़ेंगे। फैसला आने तक मस्जिद की 3 मंजिल को सील कर दिया जाए। मस्जिद कमेटी इसके लिए तैयार है। इसके बाद शिमला में मस्जिद विवाद शांत हुआ। हालांकि प्रदेश के अन्य शहरों में संजौली मस्जिद के बाद प्रदर्शन जारी है। वहीं संजौली मस्जिद मामले में आगामी 5 अक्टूबर को नगर निगम आयुक्त कोर्ट में सुनवाई होनी है। विवादित संजौली मस्जिद 1947 में बनी थी, 3 मंजिल पर आपत्ति संजौली में मस्जिद 1947 से पहले बनी थी। तब यहां 2 मंजिला कच्ची मस्जिद होती थी। संजौली में नगर एवं ग्राम नियोजन एक्ट (TCP) लागू है। इसके तहत बिना मंजूरी और नक्शा पास कराए बगैर यहां निर्माण नहीं किया जा सकता है। मस्जिद कमेटी पर आरोप है कि इन्होंने बिना नक्शा पास कराए यहां 5 मंजिला मस्जिद खड़ी कर दी। साल 2010 में इसकी पक्की इमारत बनाने का काम शुरू हुआ। तब से लेकर नगर निगम 35 बार अवैध निर्माण तोड़ने का नोटिस दे चुका है। इस मामले में 45 बार नगर निगम कोर्ट में सुनवाई हो चुकी है। मस्जिद कमेटी के अनुसार, लोग मस्जिद के बाहर नमाज पढ़ते थे, जिससे नमाज पढ़ने में दिक्कत आती थी। इसे देखते हुए लोगों ने चंदा इकट्ठा किया और मस्जिद निर्माण किया। जमीन वक्फ बोर्ड की थी। मस्जिद की 2 मंजिल को लेकर मामला कोर्ट में चल रहा है। वक्फ बोर्ड इसकी लड़ाई लड़ रहा है। 31 अगस्त से शुरू हुआ विवाद ताजा विवाद 31 अगस्त से शुरू हुआ, जब 2 गुटों के बीच मारपीट हुई और 6 मुस्लिम लड़कों ने यशपाल नाम के स्थानीय कारोबारी की पिटाई कर दी। इसके बाद हिंदू संगठनों ने मस्जिद का अवैध निर्माण गिराने की मांग की। इसके बाद हिंदू संगठन भड़क उठे और मस्जिद तोड़ने की मांग को लेकर बुधवार को तीसरी बार प्रदर्शन किया। क्या बोले SP शिमला इसे लेकर जब पुलिस अधीक्षक शिमला संजीव गांधी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि मस्जिद सील नहीं है। नमाज पढ़ने मुस्लिम यहां आ रहे हैं। शोएब जामाई कब आया और वीडियो कब बनाया, यह चेक किया जाएगा। हालांकि उन्होंने माना कि इससे माहौल खराब होगा।

MP: डब्ल्यूआईआई का बड़ा ऐलान, सागर होगा देश का पहला टाइगर रिजर्व जहां बाघ, तेंदुआ और चीते रहेंगे एक साथ
MP: डब्ल्यूआईआई का बड़ा ऐलान, सागर होगा देश का पहला टाइगर रिजर्व जहां बाघ, तेंदुआ और चीते रहेंगे एक साथ <p style=”text-align: justify;”><strong>MP Latest News:</strong> मध्य प्रदेश के सागर जिले में स्थित वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व में बहुत जल्द चीते की बसाहट की 15 साल पुरानी संकल्पना साकार होने वाली है. दरअसल, भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) देहरादून ने चीते की बसाहट के लिए दो नए स्थान चिन्हित किए हैं. उनमें गुजरात के बन्नी ग्रासलैंड रिजर्व के अलावा सागर के टाइगर रिजर्व को शामिल किया गया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>डब्ल्यूआईआई भारत में चीता प्रोजेक्ट की नोडल एजेंसी भी है. माना जा रहा है कि अगले वर्ष तक यहां चीतों की शिफ्टिंग हो जाएगी. अगर ऐसा होता है तो वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व देश का पहला ऐसा वाइल्डलाइफ एरिया होगा, जहां बिग केट फैमिली के तीन सदस्य एक साथ देखने मिलेंगे. अभी रिजर्व में टाइगर और तेंदुए की बसाहट है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>सागर टाइगर रिजर्व में चीतों के आने से इस परिवार की तीन प्रजातियां हो जाएंगी. बता दें कि देश में चीतों की बसाहट के लिए डब्ल्यूआईआई ने देश में सबसे पहले सागर के इस टाइगर रिजर्व को चिन्हित किया था. वर्ष 2010 में यहां सर्वे किया गया था, जिसमें रिजर्व की तीन रेंज मुहली, सिंहपुर और झापन को चीता की बसाहट के अनुकूल माना गया था.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>चीते के लिए सागर रिजर्व सबसे बेहतर स्थान </strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के डीआईजी डॉ. वीबी माथुर और डब्ल्यूआईआई के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने डिप्टी डायरेक्टर डॉ. एए अंसारी के साथ वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व की उक्त तीनों रेंज मुहली, झापन और सिंहपुर का दो दिन तक मैदानी मुआयना किया. जानकारों के अनुसार यह तीनों रेंज चीता की बसाहट के लिए आदर्श स्थान हैं. यहां लंबे-लंबे मैदान हैं. जिनमें यह जीव दौड़-दौड़कर शिकार कर सकेगा. इन तीनों रेंज का क्षेत्रफल करीब 600 वर्ग किलोमीटर है. जबकि सागर रिजर्व का संपूर्ण क्षेत्रफल 2339 किलोमीटर है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>देश-दुनिया के लिए पहला प्रयोग होगा, जिसके तहत चीता-टाइगर और तेंदुए एक साथ रहेंगे. टाइगर रिजर्व सागर मुख्य रूप से बालों का बसेरा बन चुका है. ऐसे में वन्य जीव विशेषज्ञों द्वारा अक्सर यह सवाल उठाया जाता रहा है कि टाइगर की बसाहट के बाद क्या यहां चीता को लाया जा सकता है. क्या वे यहां जीवित रह पाएंगे. इसके जवाब में दूसरे वन्य जीव शास्त्रियों का कहना है कि यह संभव है. क्योंकि चीता, तेंदुआ और बाघ के शिकार का तरीका और उनके टारगेट जीव-जंतु अलग-अलग होते हैं. </p>
<p style=”text-align: justify;”>बाघ नीलगाय, भैंसा और हिरण प्रजाति के छोटे-बड़े जानवर का शिकार करता है. वहीं तेंदुए मध्यम श्रेणी के जानवर जैसे जंगली सुअर, हिरण, नीलगाय, भैंसा के बच्चों का शिकार करता है. जबकि चीता छोटी साइज के हिरण जैसे चीतल, काला हिरण और खरगोश सरीखे जानवरों का शिकार करता है. अब रही इन तीनों जानवरों के आमने-सामने आने की बात तो चीता, सदैव बाघ व तेंदुए से दूरी बनाए रखता है. यह ठीक उसी तरह से संभव है, जिस तरह से बाघ के साथ तेंदुए भी सर्वाइव कर लेते हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>गांवों के विस्थापन के लिए 200 करोड़ का बजट </strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>चीतों की बसाहट देश के प्रधानमंत्री <a title=”नरेंद्र मोदी” href=”https://www.abplive.com/topic/narendra-modi” data-type=”interlinkingkeywords”>नरेंद्र मोदी</a> के प्रोजेक्ट्स में से एक है. ऐसे में इन जीवों की बसाहट से ज्यादा आवश्यक उनकी सुरक्षा व संरक्षण होगा. इस लिहाज से वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व में एक कमी यहां कई गांवों का विस्थापन का न होना है. इनमें सबसे बड़ा गांव मुहली है. जहां की आबादी करीब 1500 लोग हैं. इसके अलावा, बाकी दो रेंज झापन और सिंहपुर में भी कुछ गांव हैं. जहां से लोगों को विस्थापित करने के लिए शासन को करीब 200 करोड़ रुपए खर्च करने होंगे. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>अफ्रीकी देशों के चीतों को यहां लाकर बसाने की तैयारी </strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>आजादी के पहले तक भारत में चीतों की बसाहट मध्य प्रदेश से दिल्ली होते हुए पंजाब तक रही है. लगातार शिकार के चलते यह जानवर आखिर में मध्य प्रदेश तक सिमट गया, लेकिन यहां भी ज्यादा समय तक नहीं बच पाया. आजादी के चंद वर्ष बाद सन् 1952 में अविभाजित मध्य प्रदेश आदिवासी क्षेत्र कोरिया के राजा ने आखिरी चीता भी मार दिया. इसके बाद करीब 75 साल बाद देश में चीता की वापसी हुई. एक जानकारी के अनुसार चीता के संरक्षण के लिए काम कर रहे दक्षिण अफ्रीका के पापुलेशन इनीशिएटिव चीता मेटा पापुलेशन प्रोजेक्ट के माध्यम से नामीबिया, बोत्सवाना और दक्षिण अफ्रीका से कुछ और चीते भारत लाए जाएंगे.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>(विनोद आर्य की रिपोर्ट)</strong></p>