दलित चेहरे को फिर मिलेगी हरियाणा कांग्रेस की कमान:सांसद वरुण चौधरी हाईकमान की पहली पसंद; उदयभान की तरह ये भी हुड्‌डा खेमे के

दलित चेहरे को फिर मिलेगी हरियाणा कांग्रेस की कमान:सांसद वरुण चौधरी हाईकमान की पहली पसंद; उदयभान की तरह ये भी हुड्‌डा खेमे के

हरियाणा विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद अब कांग्रेस हाईकमान ने हरियाणा के प्रदेश संगठन में बड़े बदलाव करने का मन बना लिया है। इसकी शुरुआत प्रदेश अध्यक्ष उदयभान को बदलने के फैसले के साथ की जा सकती है। इन दिनों कांग्रेस राज्य में हार की समीक्षा कर रही है। सूत्रों की मानें तो कांग्रेस हाईकमान ने सवाल खड़े किए हैं कि उदयभान ने चुनाव में संगठन को संभालने की जगह खुद चुनाव लड़ा और उसमें भी वो जीत हासिल नहीं कर पाए। इसके साथ ही उदयभान पर पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा के गुट का टैग भी लगता रहा है जिसके कारण वो सैलजा और सुरजेवाला गुट के नेताओं को एक साथ लेकर नहीं चल सके। लेकिन अगर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बदलने का औपचारिक फैसला ले ही लेती है तो नया प्रदेशाध्यक्ष कौन होगा ये सबसे बड़ा सवाल है। देखा जाए तो जातीय समीकरणों को साधने के लिए और इस चुनाव में दलित वोटरों के प्रभाव को देखते हुए कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व फिर से दलित चेहरे पर ही दांव खेल सकता है। पार्टी में बड़े दलित चेहरों की बात करें तो इस समय कांग्रेस के पास हरियाणा में कुमारी सैलजा के बाद सबसे बड़ा अगर कोई दलित चेहरा है तो वह हैं अंबाला लोकसभा सांसद वरुण चौधरी। अध्यक्ष पद के लिए वरुण चौधरी ही क्यों? 1. दलित चेहरा वरुण चौधरी कांग्रेस पार्टी का हरियाणा में बड़ा दलित चेहरा हैं। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 5 सीटें दिलाने वाला दलित और मुस्लिम गठजोड़ ही था। हालांकि वह इसको विधानसभा चुनाव में एकजुट नहीं कर पाई, लेकिन प्रदेश के चुनावों में दलितों की भूमिका को देखते हुए उदयभान की तरह संगठन की जिम्मेदारी कांग्रेस हाईकमान किसी दलित को ही देना चाहता है। हरियाणा में करीब 21% दलित वोट बैक हैं। 2. कांग्रेसी बैकग्राउंड
वरुण चौधरी हरियाणा में विरासत की राजनीति कर रहे हैं। उनके पिता फूलचंद मुलाना वकील के साथ राजनीतिज्ञ थे। वह 1972 से लेकर 2005 तक तीन बार कांग्रेस और एक बार निर्दलीय विधायक बने। वह कांग्रेस सरकार में शिक्षा मंत्री भी रह चुके हैं। इसके साथ ही उन्होंने संगठन की भी कमान संभाली। अपने पिता को देखते हुए वरुण ने भी कांग्रेस से अपना राजनीतिक सफर शुरू किया। 3. कंट्रोवर्सी से दूर रहे वरुण चौधरी हरियाणा कांग्रेस की कंट्रोवर्सी से हमेशा दूर रहे। संगठन में विवादों के बाद भी वरुण ने कभी कोई भी विवादित बयान नहीं दिया। यहीं वजह रही कि उन्हें अपने विधानसभा कार्यकाल के दौरान बेस्ट MLA का खिताब भी मिला। वरुण वैसे पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खेमे से आते हैं, लेकिन उन्होंने कभी विरोधी गुट कुमारी सैलजा को लेकर कोई विवादित बयान नहीं दिया। इस वजह से हो रही उदयभान की छुट्टी
हरियाणा चुनाव में हार के बाद राहुल गांधी काफी नाराज हैं। उन्होंने हार के कारणों के जानने के लिए रिव्यू मीटिंग में भी नाराजगी जाहिर की है। साथ ही हार के कारणों को जानने के लिए पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने फैक्ट फाइंडिंग कमेटी बनाने के भी निर्देश हैं। यह कमेटी हरियाणा में जाकर हार के कारणों पर मंथन करेगी। साथ ही इनपुट लेकर रिपोर्ट पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को देगी। राहुल की नाराजगी के कारण ही हरियाणा कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष चौधरी उदयभान की छुट्टी की तैयारी की जा रही है। बावरिया-हुड्‌डा से जवाब मांगा
पार्टी सूत्रों के मुताबिक हाईकमान ने इसके संकेत दे दिए हैं। इसके अलावा पार्टी की हार पर प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया और नेता विपक्ष रह चुके भूपेंद्र हुड्डा से भी जवाबतलबी की गई है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक प्रदेश में अच्छे माहौल के बावजूद हुए उलटफेर को कांग्रेस हाईकमान ने बड़ी गंभीरता से लिया है। जिसके बाद यहां संगठन को लेकर बड़े फेरबदल किए जा रहे हैं। नेता विपक्ष के पद को लेकर भी हो सकता है घमासान
हरियाणा में अब कांग्रेस के भीतर नेता विपक्ष के पद को लेकर भी लड़ाई छिड़ सकती है। पिछली विधानसभा में नेता विपक्ष के पद पर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा थे। हुड्डा इस बार भी अपनी परंपरागत सीट गढ़ी-सांपला किलोई से विधानसभा का चुनाव जीते हैं और निश्चित रूप से वह नेता विपक्ष जैसा महत्वपूर्ण पद अपने पास ही रखना चाहेंगे, लेकिन चुनाव नतीजों के बाद जिस तरह का सख्त रुख पार्टी नेतृत्व ने दिखाया है उसके बाद ऐसा होना मुश्किल दिखाई देता है। हरियाणा विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद अब कांग्रेस हाईकमान ने हरियाणा के प्रदेश संगठन में बड़े बदलाव करने का मन बना लिया है। इसकी शुरुआत प्रदेश अध्यक्ष उदयभान को बदलने के फैसले के साथ की जा सकती है। इन दिनों कांग्रेस राज्य में हार की समीक्षा कर रही है। सूत्रों की मानें तो कांग्रेस हाईकमान ने सवाल खड़े किए हैं कि उदयभान ने चुनाव में संगठन को संभालने की जगह खुद चुनाव लड़ा और उसमें भी वो जीत हासिल नहीं कर पाए। इसके साथ ही उदयभान पर पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा के गुट का टैग भी लगता रहा है जिसके कारण वो सैलजा और सुरजेवाला गुट के नेताओं को एक साथ लेकर नहीं चल सके। लेकिन अगर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बदलने का औपचारिक फैसला ले ही लेती है तो नया प्रदेशाध्यक्ष कौन होगा ये सबसे बड़ा सवाल है। देखा जाए तो जातीय समीकरणों को साधने के लिए और इस चुनाव में दलित वोटरों के प्रभाव को देखते हुए कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व फिर से दलित चेहरे पर ही दांव खेल सकता है। पार्टी में बड़े दलित चेहरों की बात करें तो इस समय कांग्रेस के पास हरियाणा में कुमारी सैलजा के बाद सबसे बड़ा अगर कोई दलित चेहरा है तो वह हैं अंबाला लोकसभा सांसद वरुण चौधरी। अध्यक्ष पद के लिए वरुण चौधरी ही क्यों? 1. दलित चेहरा वरुण चौधरी कांग्रेस पार्टी का हरियाणा में बड़ा दलित चेहरा हैं। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 5 सीटें दिलाने वाला दलित और मुस्लिम गठजोड़ ही था। हालांकि वह इसको विधानसभा चुनाव में एकजुट नहीं कर पाई, लेकिन प्रदेश के चुनावों में दलितों की भूमिका को देखते हुए उदयभान की तरह संगठन की जिम्मेदारी कांग्रेस हाईकमान किसी दलित को ही देना चाहता है। हरियाणा में करीब 21% दलित वोट बैक हैं। 2. कांग्रेसी बैकग्राउंड
वरुण चौधरी हरियाणा में विरासत की राजनीति कर रहे हैं। उनके पिता फूलचंद मुलाना वकील के साथ राजनीतिज्ञ थे। वह 1972 से लेकर 2005 तक तीन बार कांग्रेस और एक बार निर्दलीय विधायक बने। वह कांग्रेस सरकार में शिक्षा मंत्री भी रह चुके हैं। इसके साथ ही उन्होंने संगठन की भी कमान संभाली। अपने पिता को देखते हुए वरुण ने भी कांग्रेस से अपना राजनीतिक सफर शुरू किया। 3. कंट्रोवर्सी से दूर रहे वरुण चौधरी हरियाणा कांग्रेस की कंट्रोवर्सी से हमेशा दूर रहे। संगठन में विवादों के बाद भी वरुण ने कभी कोई भी विवादित बयान नहीं दिया। यहीं वजह रही कि उन्हें अपने विधानसभा कार्यकाल के दौरान बेस्ट MLA का खिताब भी मिला। वरुण वैसे पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खेमे से आते हैं, लेकिन उन्होंने कभी विरोधी गुट कुमारी सैलजा को लेकर कोई विवादित बयान नहीं दिया। इस वजह से हो रही उदयभान की छुट्टी
हरियाणा चुनाव में हार के बाद राहुल गांधी काफी नाराज हैं। उन्होंने हार के कारणों के जानने के लिए रिव्यू मीटिंग में भी नाराजगी जाहिर की है। साथ ही हार के कारणों को जानने के लिए पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने फैक्ट फाइंडिंग कमेटी बनाने के भी निर्देश हैं। यह कमेटी हरियाणा में जाकर हार के कारणों पर मंथन करेगी। साथ ही इनपुट लेकर रिपोर्ट पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को देगी। राहुल की नाराजगी के कारण ही हरियाणा कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष चौधरी उदयभान की छुट्टी की तैयारी की जा रही है। बावरिया-हुड्‌डा से जवाब मांगा
पार्टी सूत्रों के मुताबिक हाईकमान ने इसके संकेत दे दिए हैं। इसके अलावा पार्टी की हार पर प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया और नेता विपक्ष रह चुके भूपेंद्र हुड्डा से भी जवाबतलबी की गई है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक प्रदेश में अच्छे माहौल के बावजूद हुए उलटफेर को कांग्रेस हाईकमान ने बड़ी गंभीरता से लिया है। जिसके बाद यहां संगठन को लेकर बड़े फेरबदल किए जा रहे हैं। नेता विपक्ष के पद को लेकर भी हो सकता है घमासान
हरियाणा में अब कांग्रेस के भीतर नेता विपक्ष के पद को लेकर भी लड़ाई छिड़ सकती है। पिछली विधानसभा में नेता विपक्ष के पद पर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा थे। हुड्डा इस बार भी अपनी परंपरागत सीट गढ़ी-सांपला किलोई से विधानसभा का चुनाव जीते हैं और निश्चित रूप से वह नेता विपक्ष जैसा महत्वपूर्ण पद अपने पास ही रखना चाहेंगे, लेकिन चुनाव नतीजों के बाद जिस तरह का सख्त रुख पार्टी नेतृत्व ने दिखाया है उसके बाद ऐसा होना मुश्किल दिखाई देता है।   हरियाणा | दैनिक भास्कर