दिल्ली के चुनावी दंगल में इन 10 हॉट सीट पर दिलचस्प है मुकाबला, किसके सिर सजेगा ताज?

दिल्ली के चुनावी दंगल में इन 10 हॉट सीट पर दिलचस्प है मुकाबला, किसके सिर सजेगा ताज?

<p style=”text-align: justify;”><strong>Delhi Assembly Election 2025:</strong> दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार का दौर खत्म हो चुका है और अब सभी को कल यानी 5 फरवरी का इंतजार है. जब पूरी दिल्ली में 70 विधानसभा सीटों के लिए एक ही चरण में मतदान होगा. वैसे तो इस बार सभी सीटों पर चुनाव काफी रोमांचक और दिलचस्प होने की संभावना नजर आ रही है, लेकिन कुछ सीटें ऐसी हैं जो विशेष कारणों से खास होने के साथ हॉट सीट भी बन गई हैं. जहां के नतीजे चौंकाने वाले होने के साथ पूरे चुनावी समीकरण को प्रभावित करने वाले बन सकते हैं.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>यह बातें एबीपी लाइव की ग्राउंड रिपोर्टिंग में सामने आई, जहां स्थानीय लोगों से बात कर एबीपी की टीम ने वहां के चुनावी समीकरण का जायजा लिया. इस पूरी खबर में उनमें से 10 ऐसे ही सीटों के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं, जहां के चुनावी परिणाम दिल्ली की सियासत में लिए काफी अहम हो सकते हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>बादली: कांग्रेस के देवेंद्र यादव कर सकते हैं खेल</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>सबसे पहले हम बात करते हैं हरियाणा से सटे बादली विधानसभा क्षेत्र की जो चुनाव से ठीक पहले एक हॉट सीट के रूप में उभर कर सामने आयी है. यहां का चुनाव इस बार काफी दिलचस्प होने जा रहा है. हालांकि, बीते दो चुनावों से इस सीट पर आम आदमी पार्टी के अजेश यादव का कब्जा है और इस बार भी आप ने अपने वर्तमान विधायक पर भरोसा बनाये रखा है. लेकिन इस सीट से कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र यादव के चुनाव लड़ने से यहां का मुकाबला रोचक हो गया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>देवेंद्र यादव ने ही दो बार कांग्रेस को जीत दिलाई थी, वो भी लगातार. जबकि वर्ष 2015 में कांग्रेस यहां दूसरे नम्बर पर रही. खास बात यह है कि राजनीति में आम आदमी पार्टी के उदय वर्ष 2013 में भी यादव ने यहां से जीत दर्ज की थी. हालांकि, उसके बाद से यह सीट आम आदमी पार्टी के नाम है और इस बार आप और अजेश यादव यहां से हैट्रिक लगाने के लिए पूरी जोर-आजमाइश कर चुके हैं. वहीं वर्ष 1993 से 2003 के बीच तीन बार इस सीट से जीती बीजेपी ने भी अपने प्रत्याशी दीपक चौधरी के दम पर मजबूती से वापसी करने के लिए पूरा दम-खम लगा दिया है. लेकिन दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र यादव के नेतृत्व में नई ऊर्जा से चुनाव लड़ रही कांग्रेस ने यहां का मुकाबला काफी दिलचस्प बना दिया है. यह सीट दिल्ली के उन सीटों में से एक है, जहां कांग्रेस का मजबूत जनाधार है और बीते हर चुनाव में कांग्रेस ने अच्छा-खासा वोट प्रतिशत अपने नाम किया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>चांदनी चौक: दो दिग्गजों के बेटे के बीच कड़ा मुकाब</strong>ला</p>
<p style=”text-align: justify;”>चांदनी चौक सीट पर इस बार दिलचस्प मुकाबला होने वाला है. 1993 चुनाव के बाद इस सीट से महरूम हुई बीजेपी ने यहां पर वापसी के लिए व्यवसायी सतीश जैन को टिकट दिया है. जबकि आम आदमी पार्टी ने यहां से 1998 से लेकर 2013 तक सबसे अधिक बार कांग्रेस और 2020 में आप के टिकट पर चुनाव जीत कर विधायक बने प्रह्लाद साहनी के बेटे पुनरदीप सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया है. वहीं कांग्रेस ने पूर्व विधायक रहे प्रह्लाद साहनी के बेटे पुनरदीप साहनी को टक्कर देने के लिए यहां से कई बार लोकसभा चुनाव जीत चुके जयप्रकाश अग्रवाल के बेटे मुदित अग्रवाल को चुनावी मैदान में उतारा है. जिससे यहां का मुकाबला काफी रोचक हो गया है. अब देखना दिलचस्प होगा कि किस दिग्गज का बेटा यहां से जीत दर्ज कर अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाता है या फिर दिग्गजों के बेटों के बीच मुकाबले में बीजेपी बाजी मारने में कामयाब होती है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>नई दिल्ली: छह बार मुख्यमंत्री देने वाली नई दिल्ली सीट पर इस बार त्रिकोणीय मुकाबला</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>दिल्ली को छह बार मुख्यमंत्री देने वाले नई दिल्ली विधानसभा सीट का अपना अलग ही महत्व है और हर बार यहां का चुनाव विशेष रहा है. बीते छह चुनावों में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी तीन-तीन चुनावों में जीत दर्ज किया है. जहां पहले तीन चुनाव कांग्रेस और शीला दीक्षित के नाम रहे तो उसके बाद के तीन चुनावों में आप के अरविंद केजरीवाल ने झाड़ू के दम पर विरोधियों का सफाया कर दिया. लेकिन इस बार इस सीट पर मुकाबला काफी दिलचस्प और कड़ा होने जा रहा है. जहां केजरीवाल की दिल्ली की गद्दी पर वापसी का रास्ता इस सीट से होकर जाता है तो वहीं कांग्रेस और बीजेपी ने भी इस बार इस सीट को अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया है. केजरीवाल को टक्कर देने के लिए जहां बीजेपी ने पूर्व सांसद प्रवेश वर्मा को उतारा है, वहीं कांग्रेस ने भी पूर्व सांसद और शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित को टिकट दिया है. यहां तीनों ही प्रत्याशियों और पार्टियों ने जमकर प्रचार किया है. यही वजह है कि इस बार यहां का चुनाव त्रिकोणीय बनता नजर आ रहा है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>कस्तूरबा नगर: दो गुर्जर प्रत्याशियों के बीच है कड़ा मुकाबला</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>लगातार तीन विधानसभा चुनाव जीत चुकी बीजेपी को पिछले चार चुनावों में यहां से हार का सामना करना पड़ रहा है. आप के वर्तमान विधायक मदनलाल ने अपना टिकट कटने के बाद बीजेपी का दामन थाम लिया और आप के गुर्जर समाज से आने वाले प्रत्याशी रमेश पहलवान के खिलाफ बीजेपी के नीरज बसोया के समर्थन में प्रचार करते नजर आए. बसोया भी गुर्जर समाज से आते हैं और 2008 में कांग्रेस के टिकट पर यहां से विधायक रह चुके हैं, लेकिन इस बार वे बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. जबकि बीजेपी के नीरज बसोया और आप के रमेश पहलवान को टक्कर देने और अपनी वापसी के लिए कांग्रेस ने पंजाबी ब्राह्मण प्रत्याशी अभिषेक दत्त को चुनावी मैदान में उतारा है. वर्तमान आप विधायक के पार्टी छोड़ने से यहां का चुनाव दिलचस्प हो गया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>बाबरपुर: ब्राह्मण और मुस्लिम वोटरों की बहुलता वाली सीट बनी प्रतिष्ठा का सवाल</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>यहां हुए अब तक के सात विधानसभा चुनावों में चार बार यह सीट बीजेपी के नाम रही. जबकि तीन में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा है. 58 प्रतिशत के साथ हिंदुओं की बहुलता वाली इस सीट पर तकरीबन 50 हजार वोटर ब्राह्मण हैं जबकि 42 प्रतिशत वोटर यहां मुस्लिम हैं. जिन्हें साधने के लिए कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी से सीलमपुर के विधायक रहे मोहम्मद इशराक अहमद को मैदान में उतारा है, जबकि बीजेपी ने ब्राह्मण प्रत्याशी अनिल वशिष्ठ पर दांव लगाया है. जिनका सीधा मुकाबला आप के गोपाल राय से है. राय न केवल लंबे समय से दिल्ली सरकार में मंत्री हैं बल्कि आम आदमी पार्टी के दिल्ली संयोजक भी हैं. ऐसे में यह सीट आम आदमी पार्टी के गोपाल राय के लिए प्रतिष्ठा का भी सवाल बन गयी है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ओखला: AIMIM की एंट्री से ओखला का चुनाव हुआ दिलचस्प</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>पिछले तीन चुनाव से ओखला में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर रही है, जिसमें हर बार आप ने बाजी मारी है. लेकिन इस बार असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने यहां से दिल्ली दंगों के आरोपी शिफा उर रहमान खान को मैदान में उतारकर मुकाबले को बेहद रोचक बना दिया है. आम आदमी पार्टी ने वक्फ बोर्ड में आर्थिक अनियमितताओं के आरोप में जमानत पर बाहर आये वर्तमान विधायक अमानतुल्लाह खान पर भरोसा बनाये रखा है, जबकि कांग्रेस ने अपने पूर्व विधायक आसिफ मोहम्मद खान की बेटी और मौजूदा कांग्रेस पार्षद अरिबा खान को यहां से मैदान में उतारा है. अब यहां AIMIM की एंट्री से मुस्लिम वोटों का बंटवारा होता नजर आ रहा है. जिस तरह से कांग्रेस और AIMIM भ्र्ष्टाचार के मुद्दे को लेकर आप पर हमलावर बनी हुई थी अगर उसका थोड़ा भी प्रभाव पड़ा तो निश्चित ही यहां मुस्लिम वोट बटेंगे जिसका सबसे ज्यादा और सीधा फायदा कांग्रेस को मिल सकता है. वहीं बीजेपी भी मुस्लिम वोट बंटने को अपने फायदे के रूप में देख रही है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>जंगपुरा: कांटे की टक्कर के बीच दांव पर लगी सिसोदिया की प्रतिष्ठा</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>जंगपुरा सीट इस बार आम आदमी पार्टी के पटपड़गंज से विधायक और दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के चुनाव लड़ने की वजह से हॉट सीट बन गयी है. आप में मौजूदा विधायक प्रवीण कुमार का टिकट काट कर शराब घोटाला मामले में जमानत ओर चल रहे सिसोदिया को जंगपुरा सीट से चुनावी मैदान में उतारा है. जिनका सामना बीजेपी के तरविंदर सिंह मारवाह और कांग्रेस के फरहाद सूरी से है. मारवाह यहां से लगातार तीन बार विधायक रह चुके हैं लेकिन उस समय वे कांग्रेस के साथ थे. ऐसे में यहां का मुकाबला काफी दिलचस्प बन गया है, क्योंकि एक तरफ कांग्रेस सूरी के दम ओर मजबूती से चुनाव लड़ती नजर आ रही है, तो वहीं कांग्रेस के दिग्गज रहे मारवाह यहां कमल की वापसी की कोशिश कर रहे हैं, जबकि सिसोदिया के लिए यह प्रतिष्ठा का सवाल बन गयी है क्योंकि सिसोदिया पिछली बार बड़ी ही मुश्किल से चुनाव जीत पाये थे.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>हरि नगर: आप की बागी विधायक ढिल्लो ने हरि नगर में फंसाया मामला</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>हरि नगर में बीते चुनावों से आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच सीधा मुकाबला रहा है. लेकिन इस बार के चुनाव के लिए नामांकन के दौरान चर्चा में आया हरि नगर सीट एक हॉट सीट बन गया है, जिस पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं. जहां आम आदमी पार्टी की बागी विधायक राजकुमारी ढिल्लो के निर्दलीय चुनाव लड़ने के निर्णय से यहां का मुकाबला चतुष्कोणीय हो गया है. दरअसल, नामांकन से ठीक पहले आप के शीर्ष नेतृत्व ने नाटकीय अंदाज में ढिल्लो का टिकट काट कर सुरेंद्र सेतिया को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया, जिससे नाराज हुई ढिल्लो ने पार्टी से बगावत करते हुए निर्दलीय ही चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया था. जिनका मुकाबला अपनी पूर्व पार्टी के प्रत्याशी के अलावा बीजेपी के प्रत्याशी पूर्व महापौर रहे श्याम शर्मा और कांग्रेस के प्रेम बल्लभ से होग़ा. आप की बागी नेता के इस कदम को बीजेपी के साथ कांग्रेस भी एक मौके के रूप में देख रही है, क्योंकि ढिल्लो आप के प्रत्याशी सेतिया के वोट को काटेंगी, जिसका सीधा फायदा बीजेपी और कांग्रेस को मिल सकता है. ऐसे में यहां का चुनाव और भी ज्यादा रोचक बन गया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>करावल नगर: कपिल मिश्रा पर दांव बीजेपी को सकता है भारी</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>करावल नगर विधानसभा क्षेत्र को बीजेपी का मजबूत गढ़ माना जाता है. जहां बीजेपी ने पूर्व आप विधायक कपिल मिश्रा पर दांव लगाया है तो आम आदमी पार्टी ने मनोज त्यागी और कांग्रेस ने पीके मिश्र को चुनावी मैदान में उतारा है. यहां हुए अब तक के 7 में से छह चुनावों में बीजेपी ने जीत दर्ज की है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इन छह जीत में पांच बार मोहन बिष्ट ने बीजेपी को जीत दिलाई थी. 2015 में आम आदमी पार्टी की टिकट पर लड़े कपिल मिश्रा के हाथों इस सीट को गंवाने के बाद बिष्ट ने ही बीजेपी की 2020 में यहां वापसी करवाई थी. उस चुनाव में बिष्ट ने आप के दुर्गेश पाठक को हराया था. लेकिन इस बार बीजेपी ने यहां से बिष्ट का टिकट काट कर आप छोड़ कर 2020 में बीजेपी में शामिल हुए मिश्रा पर दांव लगाया है. जिससे यहां पर मामला थोड़ा फंसता नजर आ रहा है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>जनकपुरी: मौजूदा विधायक का टिकट काटना आप को पड़ सकता है महंगा</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>जनकपुरी सीट भी बीजेपी के मजबूत कइके की तरह रही है. 2015 और 2020 के चुनावों को छोड़ दें तो यहां पर हमेशा से ही बीजेपी का दबदबा रहा है. लेकिन पिछले दो चुनाव में यहां से आप ने बाजी मारी है. लेकिन इस बार इस सीट पर वापसी की चाह में बीजेपी ने पूरा दम-खम लगा दिया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>बीजेपी ने यहां से आशीष सूद को टिकट दिया है, जबकि कांग्रेस ने युवा हरबानी कौर को मौका दिया है. वहीं आप ने मौजूदा विधायक राजेश ऋषि का टिकट काट कर निगम पार्षद प्रवीण कुमार को अपना उम्मीदवार बनाया है. जिससे नाराज राजेश ऋषि ने बीजेपी का दामन थाम लिया. अब बीजेपी इसे यहां वापसी के एक बड़े मौके के रुप में देख रही है. क्योंकि अगर राजेश ऋषि की नाराजगी की वजह से आप का वोट बंटा तो इसका सीधा फायदा बीजेपी को मिलेगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”>राजधानी का यह चुनाव न केवल दिल्ली बल्कि देश की राजनीति को भी नई दिशा देने वाला साबित हो सकता है. यह चुनाव न केवल पार्टी और उसके प्रत्याशियों के लिए कसौटी है बल्कि यह सियासी दलों के गठजोड़ और जनता की भी परीक्षा है, जो स्पष्ट करेगा कि जनता ने किस आधार पर अपने मतों का प्रयोग किया है और भविष्य में देश की सियासत का आधार क्या होगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>इसे भी पढ़ें: <a href=”https://www.abplive.com/states/delhi-ncr/delhi-election-2025-jungpura-assembly-bjp-leader-sunil-kukreja-joined-aap-after-42-years-ann-2877413″>दिल्ली में वोटिंग से चंद घंटे पहले सुनील कुकरेजा AAP में शामिल, 42 साल बाद छोड़ा BJP का साथ</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Delhi Assembly Election 2025:</strong> दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार का दौर खत्म हो चुका है और अब सभी को कल यानी 5 फरवरी का इंतजार है. जब पूरी दिल्ली में 70 विधानसभा सीटों के लिए एक ही चरण में मतदान होगा. वैसे तो इस बार सभी सीटों पर चुनाव काफी रोमांचक और दिलचस्प होने की संभावना नजर आ रही है, लेकिन कुछ सीटें ऐसी हैं जो विशेष कारणों से खास होने के साथ हॉट सीट भी बन गई हैं. जहां के नतीजे चौंकाने वाले होने के साथ पूरे चुनावी समीकरण को प्रभावित करने वाले बन सकते हैं.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>यह बातें एबीपी लाइव की ग्राउंड रिपोर्टिंग में सामने आई, जहां स्थानीय लोगों से बात कर एबीपी की टीम ने वहां के चुनावी समीकरण का जायजा लिया. इस पूरी खबर में उनमें से 10 ऐसे ही सीटों के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं, जहां के चुनावी परिणाम दिल्ली की सियासत में लिए काफी अहम हो सकते हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>बादली: कांग्रेस के देवेंद्र यादव कर सकते हैं खेल</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>सबसे पहले हम बात करते हैं हरियाणा से सटे बादली विधानसभा क्षेत्र की जो चुनाव से ठीक पहले एक हॉट सीट के रूप में उभर कर सामने आयी है. यहां का चुनाव इस बार काफी दिलचस्प होने जा रहा है. हालांकि, बीते दो चुनावों से इस सीट पर आम आदमी पार्टी के अजेश यादव का कब्जा है और इस बार भी आप ने अपने वर्तमान विधायक पर भरोसा बनाये रखा है. लेकिन इस सीट से कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र यादव के चुनाव लड़ने से यहां का मुकाबला रोचक हो गया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>देवेंद्र यादव ने ही दो बार कांग्रेस को जीत दिलाई थी, वो भी लगातार. जबकि वर्ष 2015 में कांग्रेस यहां दूसरे नम्बर पर रही. खास बात यह है कि राजनीति में आम आदमी पार्टी के उदय वर्ष 2013 में भी यादव ने यहां से जीत दर्ज की थी. हालांकि, उसके बाद से यह सीट आम आदमी पार्टी के नाम है और इस बार आप और अजेश यादव यहां से हैट्रिक लगाने के लिए पूरी जोर-आजमाइश कर चुके हैं. वहीं वर्ष 1993 से 2003 के बीच तीन बार इस सीट से जीती बीजेपी ने भी अपने प्रत्याशी दीपक चौधरी के दम पर मजबूती से वापसी करने के लिए पूरा दम-खम लगा दिया है. लेकिन दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र यादव के नेतृत्व में नई ऊर्जा से चुनाव लड़ रही कांग्रेस ने यहां का मुकाबला काफी दिलचस्प बना दिया है. यह सीट दिल्ली के उन सीटों में से एक है, जहां कांग्रेस का मजबूत जनाधार है और बीते हर चुनाव में कांग्रेस ने अच्छा-खासा वोट प्रतिशत अपने नाम किया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>चांदनी चौक: दो दिग्गजों के बेटे के बीच कड़ा मुकाब</strong>ला</p>
<p style=”text-align: justify;”>चांदनी चौक सीट पर इस बार दिलचस्प मुकाबला होने वाला है. 1993 चुनाव के बाद इस सीट से महरूम हुई बीजेपी ने यहां पर वापसी के लिए व्यवसायी सतीश जैन को टिकट दिया है. जबकि आम आदमी पार्टी ने यहां से 1998 से लेकर 2013 तक सबसे अधिक बार कांग्रेस और 2020 में आप के टिकट पर चुनाव जीत कर विधायक बने प्रह्लाद साहनी के बेटे पुनरदीप सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया है. वहीं कांग्रेस ने पूर्व विधायक रहे प्रह्लाद साहनी के बेटे पुनरदीप साहनी को टक्कर देने के लिए यहां से कई बार लोकसभा चुनाव जीत चुके जयप्रकाश अग्रवाल के बेटे मुदित अग्रवाल को चुनावी मैदान में उतारा है. जिससे यहां का मुकाबला काफी रोचक हो गया है. अब देखना दिलचस्प होगा कि किस दिग्गज का बेटा यहां से जीत दर्ज कर अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाता है या फिर दिग्गजों के बेटों के बीच मुकाबले में बीजेपी बाजी मारने में कामयाब होती है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>नई दिल्ली: छह बार मुख्यमंत्री देने वाली नई दिल्ली सीट पर इस बार त्रिकोणीय मुकाबला</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>दिल्ली को छह बार मुख्यमंत्री देने वाले नई दिल्ली विधानसभा सीट का अपना अलग ही महत्व है और हर बार यहां का चुनाव विशेष रहा है. बीते छह चुनावों में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी तीन-तीन चुनावों में जीत दर्ज किया है. जहां पहले तीन चुनाव कांग्रेस और शीला दीक्षित के नाम रहे तो उसके बाद के तीन चुनावों में आप के अरविंद केजरीवाल ने झाड़ू के दम पर विरोधियों का सफाया कर दिया. लेकिन इस बार इस सीट पर मुकाबला काफी दिलचस्प और कड़ा होने जा रहा है. जहां केजरीवाल की दिल्ली की गद्दी पर वापसी का रास्ता इस सीट से होकर जाता है तो वहीं कांग्रेस और बीजेपी ने भी इस बार इस सीट को अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया है. केजरीवाल को टक्कर देने के लिए जहां बीजेपी ने पूर्व सांसद प्रवेश वर्मा को उतारा है, वहीं कांग्रेस ने भी पूर्व सांसद और शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित को टिकट दिया है. यहां तीनों ही प्रत्याशियों और पार्टियों ने जमकर प्रचार किया है. यही वजह है कि इस बार यहां का चुनाव त्रिकोणीय बनता नजर आ रहा है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>कस्तूरबा नगर: दो गुर्जर प्रत्याशियों के बीच है कड़ा मुकाबला</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>लगातार तीन विधानसभा चुनाव जीत चुकी बीजेपी को पिछले चार चुनावों में यहां से हार का सामना करना पड़ रहा है. आप के वर्तमान विधायक मदनलाल ने अपना टिकट कटने के बाद बीजेपी का दामन थाम लिया और आप के गुर्जर समाज से आने वाले प्रत्याशी रमेश पहलवान के खिलाफ बीजेपी के नीरज बसोया के समर्थन में प्रचार करते नजर आए. बसोया भी गुर्जर समाज से आते हैं और 2008 में कांग्रेस के टिकट पर यहां से विधायक रह चुके हैं, लेकिन इस बार वे बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. जबकि बीजेपी के नीरज बसोया और आप के रमेश पहलवान को टक्कर देने और अपनी वापसी के लिए कांग्रेस ने पंजाबी ब्राह्मण प्रत्याशी अभिषेक दत्त को चुनावी मैदान में उतारा है. वर्तमान आप विधायक के पार्टी छोड़ने से यहां का चुनाव दिलचस्प हो गया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>बाबरपुर: ब्राह्मण और मुस्लिम वोटरों की बहुलता वाली सीट बनी प्रतिष्ठा का सवाल</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>यहां हुए अब तक के सात विधानसभा चुनावों में चार बार यह सीट बीजेपी के नाम रही. जबकि तीन में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा है. 58 प्रतिशत के साथ हिंदुओं की बहुलता वाली इस सीट पर तकरीबन 50 हजार वोटर ब्राह्मण हैं जबकि 42 प्रतिशत वोटर यहां मुस्लिम हैं. जिन्हें साधने के लिए कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी से सीलमपुर के विधायक रहे मोहम्मद इशराक अहमद को मैदान में उतारा है, जबकि बीजेपी ने ब्राह्मण प्रत्याशी अनिल वशिष्ठ पर दांव लगाया है. जिनका सीधा मुकाबला आप के गोपाल राय से है. राय न केवल लंबे समय से दिल्ली सरकार में मंत्री हैं बल्कि आम आदमी पार्टी के दिल्ली संयोजक भी हैं. ऐसे में यह सीट आम आदमी पार्टी के गोपाल राय के लिए प्रतिष्ठा का भी सवाल बन गयी है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ओखला: AIMIM की एंट्री से ओखला का चुनाव हुआ दिलचस्प</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>पिछले तीन चुनाव से ओखला में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर रही है, जिसमें हर बार आप ने बाजी मारी है. लेकिन इस बार असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने यहां से दिल्ली दंगों के आरोपी शिफा उर रहमान खान को मैदान में उतारकर मुकाबले को बेहद रोचक बना दिया है. आम आदमी पार्टी ने वक्फ बोर्ड में आर्थिक अनियमितताओं के आरोप में जमानत पर बाहर आये वर्तमान विधायक अमानतुल्लाह खान पर भरोसा बनाये रखा है, जबकि कांग्रेस ने अपने पूर्व विधायक आसिफ मोहम्मद खान की बेटी और मौजूदा कांग्रेस पार्षद अरिबा खान को यहां से मैदान में उतारा है. अब यहां AIMIM की एंट्री से मुस्लिम वोटों का बंटवारा होता नजर आ रहा है. जिस तरह से कांग्रेस और AIMIM भ्र्ष्टाचार के मुद्दे को लेकर आप पर हमलावर बनी हुई थी अगर उसका थोड़ा भी प्रभाव पड़ा तो निश्चित ही यहां मुस्लिम वोट बटेंगे जिसका सबसे ज्यादा और सीधा फायदा कांग्रेस को मिल सकता है. वहीं बीजेपी भी मुस्लिम वोट बंटने को अपने फायदे के रूप में देख रही है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>जंगपुरा: कांटे की टक्कर के बीच दांव पर लगी सिसोदिया की प्रतिष्ठा</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>जंगपुरा सीट इस बार आम आदमी पार्टी के पटपड़गंज से विधायक और दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के चुनाव लड़ने की वजह से हॉट सीट बन गयी है. आप में मौजूदा विधायक प्रवीण कुमार का टिकट काट कर शराब घोटाला मामले में जमानत ओर चल रहे सिसोदिया को जंगपुरा सीट से चुनावी मैदान में उतारा है. जिनका सामना बीजेपी के तरविंदर सिंह मारवाह और कांग्रेस के फरहाद सूरी से है. मारवाह यहां से लगातार तीन बार विधायक रह चुके हैं लेकिन उस समय वे कांग्रेस के साथ थे. ऐसे में यहां का मुकाबला काफी दिलचस्प बन गया है, क्योंकि एक तरफ कांग्रेस सूरी के दम ओर मजबूती से चुनाव लड़ती नजर आ रही है, तो वहीं कांग्रेस के दिग्गज रहे मारवाह यहां कमल की वापसी की कोशिश कर रहे हैं, जबकि सिसोदिया के लिए यह प्रतिष्ठा का सवाल बन गयी है क्योंकि सिसोदिया पिछली बार बड़ी ही मुश्किल से चुनाव जीत पाये थे.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>हरि नगर: आप की बागी विधायक ढिल्लो ने हरि नगर में फंसाया मामला</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>हरि नगर में बीते चुनावों से आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच सीधा मुकाबला रहा है. लेकिन इस बार के चुनाव के लिए नामांकन के दौरान चर्चा में आया हरि नगर सीट एक हॉट सीट बन गया है, जिस पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं. जहां आम आदमी पार्टी की बागी विधायक राजकुमारी ढिल्लो के निर्दलीय चुनाव लड़ने के निर्णय से यहां का मुकाबला चतुष्कोणीय हो गया है. दरअसल, नामांकन से ठीक पहले आप के शीर्ष नेतृत्व ने नाटकीय अंदाज में ढिल्लो का टिकट काट कर सुरेंद्र सेतिया को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया, जिससे नाराज हुई ढिल्लो ने पार्टी से बगावत करते हुए निर्दलीय ही चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया था. जिनका मुकाबला अपनी पूर्व पार्टी के प्रत्याशी के अलावा बीजेपी के प्रत्याशी पूर्व महापौर रहे श्याम शर्मा और कांग्रेस के प्रेम बल्लभ से होग़ा. आप की बागी नेता के इस कदम को बीजेपी के साथ कांग्रेस भी एक मौके के रूप में देख रही है, क्योंकि ढिल्लो आप के प्रत्याशी सेतिया के वोट को काटेंगी, जिसका सीधा फायदा बीजेपी और कांग्रेस को मिल सकता है. ऐसे में यहां का चुनाव और भी ज्यादा रोचक बन गया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>करावल नगर: कपिल मिश्रा पर दांव बीजेपी को सकता है भारी</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>करावल नगर विधानसभा क्षेत्र को बीजेपी का मजबूत गढ़ माना जाता है. जहां बीजेपी ने पूर्व आप विधायक कपिल मिश्रा पर दांव लगाया है तो आम आदमी पार्टी ने मनोज त्यागी और कांग्रेस ने पीके मिश्र को चुनावी मैदान में उतारा है. यहां हुए अब तक के 7 में से छह चुनावों में बीजेपी ने जीत दर्ज की है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इन छह जीत में पांच बार मोहन बिष्ट ने बीजेपी को जीत दिलाई थी. 2015 में आम आदमी पार्टी की टिकट पर लड़े कपिल मिश्रा के हाथों इस सीट को गंवाने के बाद बिष्ट ने ही बीजेपी की 2020 में यहां वापसी करवाई थी. उस चुनाव में बिष्ट ने आप के दुर्गेश पाठक को हराया था. लेकिन इस बार बीजेपी ने यहां से बिष्ट का टिकट काट कर आप छोड़ कर 2020 में बीजेपी में शामिल हुए मिश्रा पर दांव लगाया है. जिससे यहां पर मामला थोड़ा फंसता नजर आ रहा है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>जनकपुरी: मौजूदा विधायक का टिकट काटना आप को पड़ सकता है महंगा</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>जनकपुरी सीट भी बीजेपी के मजबूत कइके की तरह रही है. 2015 और 2020 के चुनावों को छोड़ दें तो यहां पर हमेशा से ही बीजेपी का दबदबा रहा है. लेकिन पिछले दो चुनाव में यहां से आप ने बाजी मारी है. लेकिन इस बार इस सीट पर वापसी की चाह में बीजेपी ने पूरा दम-खम लगा दिया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>बीजेपी ने यहां से आशीष सूद को टिकट दिया है, जबकि कांग्रेस ने युवा हरबानी कौर को मौका दिया है. वहीं आप ने मौजूदा विधायक राजेश ऋषि का टिकट काट कर निगम पार्षद प्रवीण कुमार को अपना उम्मीदवार बनाया है. जिससे नाराज राजेश ऋषि ने बीजेपी का दामन थाम लिया. अब बीजेपी इसे यहां वापसी के एक बड़े मौके के रुप में देख रही है. क्योंकि अगर राजेश ऋषि की नाराजगी की वजह से आप का वोट बंटा तो इसका सीधा फायदा बीजेपी को मिलेगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”>राजधानी का यह चुनाव न केवल दिल्ली बल्कि देश की राजनीति को भी नई दिशा देने वाला साबित हो सकता है. यह चुनाव न केवल पार्टी और उसके प्रत्याशियों के लिए कसौटी है बल्कि यह सियासी दलों के गठजोड़ और जनता की भी परीक्षा है, जो स्पष्ट करेगा कि जनता ने किस आधार पर अपने मतों का प्रयोग किया है और भविष्य में देश की सियासत का आधार क्या होगा.</p>
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