दिल्ली हाई कोर्ट ने पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन को दी बड़ी राहत, दंगे से जुड़ी एक FIR की रद्द

दिल्ली हाई कोर्ट ने पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन को दी बड़ी राहत, दंगे से जुड़ी एक FIR की रद्द

<p style=”text-align: justify;”><strong>Delhi Riots:</strong> दिल्ली हाई कोर्ट ने आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन को राहत दी है. कोर्ट उनके खिलाफ फरवरी 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा से जुड़ी घटना में दर्ज एक एफआईआर को रद्द कर दिया है. इस दौरान कोर्ट ने कहा, “ताहिर हुसैन के खिलाफ इसी तरह का एक मामला पहले से मौजूद है.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने 24 फरवरी, 2020 को हुई उसी घटना के लिए पूर्व में दर्ज की गई एक प्राथमिकी के मौजूद होने का जिक्र करते हुए कहा कि वर्तमान प्राथमिकी में दिल्ली पुलिस द्वारा दाखिल आरोपपत्र को पहले मामले में पूरक आरोपपत्र माना जाएगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>इन मामलों में दर्ज की गई थी एफआईआर</strong><br />निरस्त की गई एफआईआर 27 फरवरी, 2020 को एक इमारत की पहली मंजिल पर दंगा और उपद्रव सहित कथित अपराधों के लिए पीड़ित पक्ष की शिकायत पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और सार्वजनिक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम के तहत दर्ज की गई थी. पहली एफआईआर 25 फरवरी, 2020 को एक पुलिसकर्मी द्वारा जमीन पर इसी तरह के अपराधों के लिए शिकायत के आधार पर दर्ज की गई थी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>दोनों घटनाएं एक ही मामले का हिस्सा</strong><br />अदालत ने 26 नवंबर को कहा, &lsquo;&lsquo;दोनों एफआईआर की जांच से पता चलता है कि दंगाइयों ने सबसे पहले प्रदीप पार्किंग के शटर तोड़े और वहां खड़े वाहनों में आग लगा दी, फिर वे संबंधित इमारत की पहली मंजिल पर गए, जहां विवाह समारोह के लिए भोजन तैयार किया जा रहा था.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>कोर्ट ने कहा, “ऐसा कहा गया है कि दंगाइयों ने सामान में आग लगा दी और संबंधित इमारत की पहली मंजिल पर मौजूद वस्तुओं को नष्ट कर दिया. दोनों घटनाएं एक ही मामले का हिस्सा हैं. दोनों मामलों में मुकदमा शुरू हो चुका है और क्योंकि दोनों मामलों में पीड़ित अलग-अलग थे, इसलिए बाद में दर्ज प्राथमिकी को पूरी तरह से रद्द करना मामले में पीड़ितों के साथ अन्याय होगा.”</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>गवाह और चश्मदीद भी थे समान</strong><br />अदालत ने कहा कि दोनों एफआईआर में लगभग नौ समान चश्मदीद गवाह थे और दोनों एफआईआर में 23 गवाह भी समान थे. यदि बाद की एफआईआर में चार्जशीट पर पहली एफआईआर में विचार करने का निर्देश दिया जाता है, तो उनके प्रति कोई पूर्वाग्रह नहीं होगा और मुकदमा इस अनुसार आगे बढ़ सकता है. बता दें कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली में 24 फरवरी, 2020 को हिंसा भड़क उठी थी, जिसमें कम से कम 53 लोग मारे गए थे और लगभग 700 लोग घायल हुए थे.</p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Delhi Riots:</strong> दिल्ली हाई कोर्ट ने आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन को राहत दी है. कोर्ट उनके खिलाफ फरवरी 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा से जुड़ी घटना में दर्ज एक एफआईआर को रद्द कर दिया है. इस दौरान कोर्ट ने कहा, “ताहिर हुसैन के खिलाफ इसी तरह का एक मामला पहले से मौजूद है.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने 24 फरवरी, 2020 को हुई उसी घटना के लिए पूर्व में दर्ज की गई एक प्राथमिकी के मौजूद होने का जिक्र करते हुए कहा कि वर्तमान प्राथमिकी में दिल्ली पुलिस द्वारा दाखिल आरोपपत्र को पहले मामले में पूरक आरोपपत्र माना जाएगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>इन मामलों में दर्ज की गई थी एफआईआर</strong><br />निरस्त की गई एफआईआर 27 फरवरी, 2020 को एक इमारत की पहली मंजिल पर दंगा और उपद्रव सहित कथित अपराधों के लिए पीड़ित पक्ष की शिकायत पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और सार्वजनिक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम के तहत दर्ज की गई थी. पहली एफआईआर 25 फरवरी, 2020 को एक पुलिसकर्मी द्वारा जमीन पर इसी तरह के अपराधों के लिए शिकायत के आधार पर दर्ज की गई थी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>दोनों घटनाएं एक ही मामले का हिस्सा</strong><br />अदालत ने 26 नवंबर को कहा, &lsquo;&lsquo;दोनों एफआईआर की जांच से पता चलता है कि दंगाइयों ने सबसे पहले प्रदीप पार्किंग के शटर तोड़े और वहां खड़े वाहनों में आग लगा दी, फिर वे संबंधित इमारत की पहली मंजिल पर गए, जहां विवाह समारोह के लिए भोजन तैयार किया जा रहा था.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>कोर्ट ने कहा, “ऐसा कहा गया है कि दंगाइयों ने सामान में आग लगा दी और संबंधित इमारत की पहली मंजिल पर मौजूद वस्तुओं को नष्ट कर दिया. दोनों घटनाएं एक ही मामले का हिस्सा हैं. दोनों मामलों में मुकदमा शुरू हो चुका है और क्योंकि दोनों मामलों में पीड़ित अलग-अलग थे, इसलिए बाद में दर्ज प्राथमिकी को पूरी तरह से रद्द करना मामले में पीड़ितों के साथ अन्याय होगा.”</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>गवाह और चश्मदीद भी थे समान</strong><br />अदालत ने कहा कि दोनों एफआईआर में लगभग नौ समान चश्मदीद गवाह थे और दोनों एफआईआर में 23 गवाह भी समान थे. यदि बाद की एफआईआर में चार्जशीट पर पहली एफआईआर में विचार करने का निर्देश दिया जाता है, तो उनके प्रति कोई पूर्वाग्रह नहीं होगा और मुकदमा इस अनुसार आगे बढ़ सकता है. बता दें कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली में 24 फरवरी, 2020 को हिंसा भड़क उठी थी, जिसमें कम से कम 53 लोग मारे गए थे और लगभग 700 लोग घायल हुए थे.</p>  दिल्ली NCR सीएम पद की शपथ लेने के बाद देवेंद्र फडणवीस का पहला फैसला, किस फाइल पर किया साइन?