<p style=”text-align: justify;”><strong>Yasin Bhatkal News:</strong> दिल्ली हाई कोर्ट ने इंडियन मुजाहिदीन के सह-संस्थापक यासीन भटकल के सहयोगी को ई-मुलाकात और फोन सुविधा देने के निचली अदालत के आदेश के खिलाफ दिल्ली के जेल महानिदेशक द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि यह याचिका स्वीकार योग्य नहीं है क्योंकि आरोपी 22 अप्रैल 2024 से पहले से ही ये सुविधाएं प्राप्त कर रहा था. तिहाड़ जेल में आरोपी असदुल्लाह अख्तर फोन और ई-मुलाकात की सुविधा ले रहा था. बाद में उसे मंडोली जेल में ट्रांसफ़र कर दिया गया.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>दिल्ली हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई में कहा </strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली के जेल महानिदेशक की याचिका खारिज करते हुए कहा कृपया कैदियों की स्थिति को समझिए इसे अहंकार का विषय न बनाएं. हाई कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा कि यह तय करना आवश्यक नहीं है कि निचली अदालत के पास ऐसे आदेश देने की शक्ति है या नहीं. साथ ही उन्होंने दिल्ली सरकार को यह स्वतंत्रता दी कि वह उचित कानूनी उपाय अपनाए. दिल्ली सरकार ने पटियाला हाउस के सेशंस कोर्ट के 21 सितंबर 2024 के आदेश को चुनौती दी थी जिसमें जेल अधिकारियों द्वारा सत्यापन लंबित रहने तक आतंकी अख्तर को फोन और ई-मुलाकात की सुविधा देने का आदेश दिया गया था.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>तिहाड़ जेल की तरफ से दाखिल याचिका में कहा गया </strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>दिल्ली हाई कोर्ट में दाखिल याचिका में दावा किया गया कि सेशंस कोर्ट ने अपनी अधिकार सीमा से बाहर जाकर आदेश दिया क्योंकि जेल प्रशासन से जुड़े मामलों को ऐसी अदालतें नहीं देख सकतीं जिन्हें कोई संवैधानिक शक्ति प्राप्त नहीं है. इसलिए कोर्ट को अख्तर को फोन और ई-मुलाकात की सुविधा देने का आदेश नहीं देना चाहिए था. जेल अधिकारियों ने यह दलील दी कि सितंबर 2022, दिसंबर 2022, अप्रैल 2024 और मई 2024 में तिहाड़ मुख्यालय द्वारा जारी सर्कुलरों के अनुसार, दिल्ली जेल नियमावली 2018 के नियम 631 के तहत कैदियों को फोन और ई-मुलाकात की सुविधा देने के लिए संबंधित एजेंसी से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट लेना अनिवार्य है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>आतंकी अख्तर पर है गम्भीर आरोप </strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>आतंकी अख्तर जो कि उच्च जोखिम वाला कैदी है उसे साल 2013 में दिलसुखनगर दोहरे विस्फोट मामले में फांसी की सजा सुनाई गई थी, जिसमें 18 लोग मारे गए थे. इसके अलावा वह 2012 के एनआईए मामले में आईपीसी और यूएपीए के तहत मुकदमे का सामना कर रहा है.</p>
<p><iframe title=”YouTube video player” src=”https://www.youtube.com/embed/Eppva8TvLKo?si=hoDmfbnCCDOObNTi” width=”560″ height=”315″ frameborder=”0″ allowfullscreen=”allowfullscreen”></iframe></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें- <a title=”‘सूखी आंखों के इलाज में हल्दी बनी संजीवनी’, दिल्ली AIIMS के डॉक्टरों ने रिसर्च में किया बड़ा खुलासा” href=”https://www.abplive.com/states/delhi-ncr/aiims-doctors-a-special-compound-found-in-turmeric-curcumin-may-help-reduce-problem-of-dry-eyes-ann-2898620″ target=”_self”>’सूखी आंखों के इलाज में हल्दी बनी संजीवनी’, दिल्ली AIIMS के डॉक्टरों ने रिसर्च में किया बड़ा खुलासा</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Yasin Bhatkal News:</strong> दिल्ली हाई कोर्ट ने इंडियन मुजाहिदीन के सह-संस्थापक यासीन भटकल के सहयोगी को ई-मुलाकात और फोन सुविधा देने के निचली अदालत के आदेश के खिलाफ दिल्ली के जेल महानिदेशक द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि यह याचिका स्वीकार योग्य नहीं है क्योंकि आरोपी 22 अप्रैल 2024 से पहले से ही ये सुविधाएं प्राप्त कर रहा था. तिहाड़ जेल में आरोपी असदुल्लाह अख्तर फोन और ई-मुलाकात की सुविधा ले रहा था. बाद में उसे मंडोली जेल में ट्रांसफ़र कर दिया गया.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>दिल्ली हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई में कहा </strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली के जेल महानिदेशक की याचिका खारिज करते हुए कहा कृपया कैदियों की स्थिति को समझिए इसे अहंकार का विषय न बनाएं. हाई कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा कि यह तय करना आवश्यक नहीं है कि निचली अदालत के पास ऐसे आदेश देने की शक्ति है या नहीं. साथ ही उन्होंने दिल्ली सरकार को यह स्वतंत्रता दी कि वह उचित कानूनी उपाय अपनाए. दिल्ली सरकार ने पटियाला हाउस के सेशंस कोर्ट के 21 सितंबर 2024 के आदेश को चुनौती दी थी जिसमें जेल अधिकारियों द्वारा सत्यापन लंबित रहने तक आतंकी अख्तर को फोन और ई-मुलाकात की सुविधा देने का आदेश दिया गया था.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>तिहाड़ जेल की तरफ से दाखिल याचिका में कहा गया </strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>दिल्ली हाई कोर्ट में दाखिल याचिका में दावा किया गया कि सेशंस कोर्ट ने अपनी अधिकार सीमा से बाहर जाकर आदेश दिया क्योंकि जेल प्रशासन से जुड़े मामलों को ऐसी अदालतें नहीं देख सकतीं जिन्हें कोई संवैधानिक शक्ति प्राप्त नहीं है. इसलिए कोर्ट को अख्तर को फोन और ई-मुलाकात की सुविधा देने का आदेश नहीं देना चाहिए था. जेल अधिकारियों ने यह दलील दी कि सितंबर 2022, दिसंबर 2022, अप्रैल 2024 और मई 2024 में तिहाड़ मुख्यालय द्वारा जारी सर्कुलरों के अनुसार, दिल्ली जेल नियमावली 2018 के नियम 631 के तहत कैदियों को फोन और ई-मुलाकात की सुविधा देने के लिए संबंधित एजेंसी से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट लेना अनिवार्य है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>आतंकी अख्तर पर है गम्भीर आरोप </strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>आतंकी अख्तर जो कि उच्च जोखिम वाला कैदी है उसे साल 2013 में दिलसुखनगर दोहरे विस्फोट मामले में फांसी की सजा सुनाई गई थी, जिसमें 18 लोग मारे गए थे. इसके अलावा वह 2012 के एनआईए मामले में आईपीसी और यूएपीए के तहत मुकदमे का सामना कर रहा है.</p>
<p><iframe title=”YouTube video player” src=”https://www.youtube.com/embed/Eppva8TvLKo?si=hoDmfbnCCDOObNTi” width=”560″ height=”315″ frameborder=”0″ allowfullscreen=”allowfullscreen”></iframe></p>
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