लखनऊ का केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय देश का पहला ऐसा विश्वविद्यालय है, जहां संस्कृत के साथ-साथ सिविल सर्विसेस की तैयारी कराएगा। यहां ट्रेडिशनल स्कॉलरशिप और मॉडर्न टेक्नीक के आधार पर पढ़ाई हो रही है। सबसे बड़ी बात यह है कि यूनिवर्सिटी में छात्रों को 18 रुपए खाना उपलब्ध कराया जा रहा है। यहां स्टूडेंट्स को संस्कृत के साथ मल्टी डिसिप्लिन रिसर्च करने का मौका भी मिल रहा है। IT कंपनी HCL के साथ कॉलेब्रेशन कर स्टूडेंट्स को कोडिंग भी सिखाई जा रही है। संस्कृत विश्वविद्यालय के छात्र IIT रुड़की के छात्रों के साथ मिलकर सिविल इंजीनियरिंग की भी पढ़ाई कर रहे हैं। कैंपस@लखनऊ सीरीज के पांचवें एपिसोड में केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के डायरेक्टर प्रो. सर्वनारायण झा से खास बातचीत… प्रो. झा कहते हैं, यूनिवर्सिटी में पढ़ाई फ्री में होती है। NAAC ++ का रैंक मिला है। विदेशी स्टूडेंट्स के लिए एक डेडिकेटेड फ्लोर भी बनाने की तैयारी है। यूनिवर्सिटी के लाइब्रेरी में जज फैसला देने से पहले शास्त्रों और उपनिषदों का अध्ययन करने आते हैं। यहां से पढ़ कर निकले लॉ के स्टूडेंट कोर्ट में संस्कृत में बहस करेंगे। अगर जज बनते हैं तो जजमेंट भी संस्कृत में लिख सकेंगे। लखनऊ का केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय देश का पहला ऐसा विश्वविद्यालय है, जहां संस्कृत के साथ-साथ सिविल सर्विसेस की तैयारी कराएगा। यहां ट्रेडिशनल स्कॉलरशिप और मॉडर्न टेक्नीक के आधार पर पढ़ाई हो रही है। सबसे बड़ी बात यह है कि यूनिवर्सिटी में छात्रों को 18 रुपए खाना उपलब्ध कराया जा रहा है। यहां स्टूडेंट्स को संस्कृत के साथ मल्टी डिसिप्लिन रिसर्च करने का मौका भी मिल रहा है। IT कंपनी HCL के साथ कॉलेब्रेशन कर स्टूडेंट्स को कोडिंग भी सिखाई जा रही है। संस्कृत विश्वविद्यालय के छात्र IIT रुड़की के छात्रों के साथ मिलकर सिविल इंजीनियरिंग की भी पढ़ाई कर रहे हैं। कैंपस@लखनऊ सीरीज के पांचवें एपिसोड में केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के डायरेक्टर प्रो. सर्वनारायण झा से खास बातचीत… प्रो. झा कहते हैं, यूनिवर्सिटी में पढ़ाई फ्री में होती है। NAAC ++ का रैंक मिला है। विदेशी स्टूडेंट्स के लिए एक डेडिकेटेड फ्लोर भी बनाने की तैयारी है। यूनिवर्सिटी के लाइब्रेरी में जज फैसला देने से पहले शास्त्रों और उपनिषदों का अध्ययन करने आते हैं। यहां से पढ़ कर निकले लॉ के स्टूडेंट कोर्ट में संस्कृत में बहस करेंगे। अगर जज बनते हैं तो जजमेंट भी संस्कृत में लिख सकेंगे। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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विनेश को अयोग्य करार देने पर भड़के बॉक्सर विजेंदर सिंह:बोले- मैंने 3 ओलिंपिक खेले, यह साजिश; सुनवाई नहीं तो बैग उठा हिंदुस्तान लौट आएं
विनेश को अयोग्य करार देने पर भड़के बॉक्सर विजेंदर सिंह:बोले- मैंने 3 ओलिंपिक खेले, यह साजिश; सुनवाई नहीं तो बैग उठा हिंदुस्तान लौट आएं पेरिस ओलिंपिक में गोल्ड मेडल मुकाबले से पहले पहलवान विनेश फोगाट को अयोग्य करार देने पर बॉक्सर विजेंदर सिंह भड़क उठे। विजेंदर ने इसे साजिश करार दिया है। उन्होंने कहा कि मैंने 3 ओलिंपिक खेले हैं लेकिन ऐसा कभी न देखा और न ही सुना। उन्होंने कहा कि इंडियन अथॉरिटीज को कड़ा ऑब्जेक्शन दर्ज कराना चाहिए। अगर सुनवाई नहीं होती तो बैग उठाकर वापस लौट आना चाहिए। बता दें कि विनेश फोगाट को आज 50 kg रेसलिंग में अमेरिका की पहलवान से फाइनल मुकाबला खेलना था। इससे पहले ही उनका 100 ग्राम वजन ज्यादा बताकर उन्हें डिसक्वालिफाई कर दिया गया। विनेश ने कल मंगलवार को ही जापान की ओलिंपिक चैंपियन समेत 3 पहलवानों को हराकर सेमीफाइनल में जगह बनाई थी। बॉक्सर विजेंदर सिंह की कही अहम बातें 1. पहले ट्रायल, फिर फाइनल वेट होता है
विजेंदर ने कहा- ऐसा तो नहीं होता है कि 100 ग्राम में निकाल दिया जाता है। जैसे गेम में बहुत सारी तकनीकी चीजें होती हैं, जिनका काफी लोगों को पता नहीं होता है। वहां पर 2 वेट मशीन होती है। पहला ट्रायल वेट होता है, उस मशीन पर जाकर चेक करते हैं। उसके बाद फाइनल वेट के लिए जाते हैं। 100 ग्राम वेट ज्यादा होने के बाद एक मौका मिलता है कि आप 30 मिनट ले लीजिए। आपको वजन कम करके आजाएं। वेट दोबारा से हो जाएगा। 2. हिंदुस्तान के खिलाफ साजिश
डिसक्वालिफाई करना बहुत कठोर फैसला है, किसी भी एथलीट के ऊपर। ऐसा बर्ताव क्यों किया गया है, यह मालूम नहीं, लेकिन हमने अभी तक ओलिंपिक में ना ही देखा और ना ही सुना। पहली बार ऐसा हुआ है। वह भी स्पेशली हमारे हिंदुस्तान के एथलीट के साथ कि उसको निकाल दिया और उसे कोई मेडल भी नहीं मिलेगा। कहीं ना कहीं यह किसने व क्यों किया है। लगता है कि हिंदुस्तान के खिलाफ कोई ना कोई साजिश है। 3. अथॉरिटी कड़े कदम उठाएं, सुनवाई नहीं तो वापस आएं
वहां पर जो हिंदुस्तान की अथॉरिटी गई है, उनको वहां प्रोटेस्ट या ऑब्जेक्शन दर्ज करवाना चाहिए। हिंदुस्तान इस निर्णय से खुश नहीं है। उसके खिलाफ विरोध दर्ज करवाएं। अपनी ओर से कड़े कदम उठाएं। अगर यह लगता है कि कोई सुनवाई नहीं हो रही है तो अपना बैग उठाएं और चुपचाप हिंदुस्तान आ जाएं। उनका पता लगना चाहिए कि हिंदुस्तान कोई खैरात में नहीं आया है। हम बेस्ट है और बेस्ट एथलीट हैं, तभी हम पेरिस पहुंचे हैं। यह नहीं कि आपने 100 ग्राम वेट ऊपर दिया और निकाल दिया। ऐसा कभी नहीं होता। 4. एथलीट की कमी नहीं तो करें ओलिंपिक का बहिष्कार
अगर ऑब्जेक्शन सही और वाजिब है। कहीं हमारे एथलीट व टीम की कमी नहीं है तो एक स्ट्रांग निर्णय लेते हुए ओलिंपिक का बहिष्कार करके वापस आ जाना चाहिए। बिना मेडल के वापस आना चाहिए, हमारी कोई झोली थोड़ी भरी है कि 15-20 मेडल हों। दो-तीन मेडल आए थे। दो-तीन मेडल और आ जाते तो हम खुश होते। लेकिन अब लगता है कि इसकी जांच होनी चाहिए तो कठोर निर्णय लेना पड़ेगा। ऐसे बातों से काम नहीं चलता। अब पढ़िए साक्षी, बजरंग पूनिया और गीता फोगाट ने क्या कहा… साक्षी बोली- वजन कम करना मुकाबला खेलने से मुश्किल
पहलवान साक्षी मलिक ने कहा कि विनेश फोगाट द्वारा खून तक निकालने की बात सुनकर बहुत बुरा लगा। यह सुनकर बहुत परेशान हूं और बार-बार उसी बारे में सोच रही हूं कि वह किस चीज से गुजर रही होगी। उन्होंने कहा कि हमारे लिए वजन कम कर मैच खेलना बहुत आसान होता है। वेट कट करना हमारे लिए सबसे पहला स्ट्रगल है। खेल तो हम हर हाल में लेंगे, क्योंकि बहुत सालों से अभ्यास किया हुआ है। हमें अच्छा लगता है, लेकिन जो वेट से पहले के 3-4 दिन और जब वेट कट करते हैं तो वह सबसे ज्यादा स्ट्रगल का समय होता है। बजरंग बोले- माटी की बेटी हो, इसलिए ये मेडल भी माटी का
बजरंग पूनिया ने सोशल मीडिया X पर लिखा कि विनेश तुम हिम्मत और नैतिकता की गोल्ड मेडलिस्ट हो। माटी की बेटी हो इसलिए ये मेडल भी माटी का है। बहुत हौसले से लड़ी हो, कल जब खेलने से पहले ओलिंपिक ऑफिशियल्स ने वजन लिया तो आपका वजन एकदम परफेक्ट था। आज सुबह जो हुआ उस पर कोई यकीन नहीं करना चाहता। 100 ग्राम यकीन ही नहीं हो रहा कि यह तुम्हारे साथ हुआ है। पूरा देश आंसू नहीं रोक पा रहा है। सब देशों के ओलिंपिक मेडल एक तरफ और आपका मेडल एक तरफ। दुनिया का हर इंसान आपके लिए दुआ कर रहा था। दुनिया की हर महिला को यह मेडल पर्सनल मेडल जैसा लग रहा था। काश दुनिया की सब महिलाओं की ये आवाजें सही जगह पहुंच पाएं। उम्मीद करता हूं कि ओलिंपिक खेल रहीं दुनिया की सभी महिला पहलवान विनेश के साथ सॉलिडेरिटी में खड़ी होंगी। विनेश फोगाट को सिल्वर मेडल मिलना चाहिए। गीता फोगाट बोली- विनेश गोल्डन गर्ल है
गीता फोगाट ने लिखा- विनेश फोगाट हमारी गोल्डन गर्ल है, आपने जो किया है वो इतिहास में हमेशा याद रखा जाएगा। जिंदगी एक संघर्ष है और उस संघर्ष का नाम विनेश है। एक पल आप ओलिंपिक के फाइनल में पहुंचकर इतिहास रच देती हैं और अगले ही पल में दुर्भाग्यपूर्ण सब कुछ हाथ से चला जाता है। बहन इस वक्त जो तकलीफ आप महसूस कर रही होंगी, उसका हम अंदाजा भी नहीं लगा सकते। पर हर सच्चे हिंदुस्तानी की आज आंखें नम हैं। चैंपियन हमेशा चैंपियन होते हैं। विनेश को सिल्वर मिलना चाहिए। ये खबरें भी पढ़ें… विनेश फोगाट पेरिस ओलिंपिक से बाहर,पता चलते ही बेहोश हुईं:सिर्फ 100 ग्राम वजन ज्यादा निकला; अस्पताल में भर्ती पहलवान की पहली फोटो सामने आई हरियाणा की पहलवान विनेश फोगाट पेरिस ओलिंपिक से बाहर हो गई हैं। उन्हें वजन मेंटेन न होने पर डिसक्वालीफाई कर दिया गया है। उनका वजन 50 kg से सिर्फ 100 ग्राम ज्यादा निकला। विनेश का गोल्ड मेडल के लिए आज बुधवार रात को करीब 10 बजे गोल्ड मेडल के लिए अमेरिका की रेसलर सारा एन हिल्डरब्रांट से फाइनल मुकाबला होना था। रूल्स के मुताबिक विनेश सिल्वर मेडल के भी योग्य नहीं रह जाएंगी। इसके बाद 50 kg कैटेगरी में सिर्फ गोल्ड और ब्रॉन्ज मेडल दिया जाएगा। (पूरी खबर पढ़ें) विनेश फोगाट वजन घटाने के लिए रात भर जागी:साइकिलिंग-स्कीपिंग की, बाल-नाखून तक काटे; बजरंग पूनिया बोले- लड़कियों का वेट कम होने में प्रॉब्लम हरियाणा की धाकड़ पहलवान विनेश फोगाट पेरिस ओलिंपिक से डिसक्वालीफाई हो गईं। 50 Kg वेट कैटेगरी में उनका वजन 100 ग्राम ज्यादा मिलने पर आज रात होने वाला फाइनल मैच नहीं खेल पाएंगी। साथ ही उन्हें कोई मेडल भी नहीं मिलेगा। स्पोर्ट स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक सेमीफाइनल मैच जीतने के बाद विनेश फोगाट का वजन हुआ। विनेश का वेट करीब 52 किलो था। इसे कम करने के लिए उन्होंने अपना खून-पसीना एक कर दिया। जीत के बाद एक बार भी आराम नहीं किया। रातभर जागीं और वजन कम करने की पुरजोर कोशिश की। (पूरी खबर पढ़ें) विनेश फोगाट का वजन कम क्यों नहीं हुआ, CMO बोले- 1 दिन में 3 फाइट, एनर्जी के लिए बीच में खाना-पीना पड़ा; 15 मिनट में 100 ग्राम नहीं घटा सके पेरिस ओलिंपिक में एक दिन में ओलिंपिक चैंपियन समेत 3 पहलवानों को पटखनी देकर फाइनल में पहुंची विनेश फोगाट को अचानक अयोग्य करार दे दिया गया। इसके बारे में दावा किया गया कि उसका वेट 50 किलो के मुकाबले 50 किलो 100 ग्राम था। इसका खुलासा होते ही सोशल मीडिया से लेकर राजनीति तक में घमासान मच गया। जिसके बाद इसको लेकर कई तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं। यहां तक कि विनेश के सपोर्ट स्टाफ को लेकर भी सवाल खड़े किए जा रहे हैं। इसके बाद विनेश की सेहत से जुड़े अधिकारी मीडिया के सामने आए और पूरी सच्चाई बयान की है। (पूरी खबर पढ़ें)
पिछले साल घर बनवाया…बाढ़ में तबाह हो गया:नदी की कटान में समाए घर-खेत, लखीमपुर में लोग तंबू में रहने को मजबूर
पिछले साल घर बनवाया…बाढ़ में तबाह हो गया:नदी की कटान में समाए घर-खेत, लखीमपुर में लोग तंबू में रहने को मजबूर लखीमपुर जिले का बेला सिकटिया गांव। रिंकी को पिछले साल प्रधानमंत्री आवास मिला था। उनके पति सर्वेश मजदूरी करते हैं। दोनों ने मेहनत करके घर बनवाया। एक साल भी नहीं रह पाए और घर बर्बाद हो गया। रात में बाढ़ के चलते घर छोड़कर भागना पड़ा। कमरे की फर्श बाढ़ के पानी में बह गई। रिंकी अब दूसरे के घर में रह रही हैं। वह कहती हैं- थोड़ी सी जमीन थी उसे भी बेच दिया ताकि घर अच्छा बन जाए, लेकिन वह भी अब नहीं रहेगा। असल में रिंकी के घर से शारदा नदी सिर्फ 10 मीटर रह गई है। जिस गति से कटान हो रहा, उससे लग रहा कि अगले 15 दिन में यह घर भी नदी में समा जाएगा। रिंकी के घर के पड़ोस में बने 7 घर पहले ही बह चुके हैं। गन्ने लगे खेत नदी में समा चुके हैं। लोग पानी उतरने का इंतजार कर रहे ताकि कुछ फसल बच जाए, जिसे बेचकर पूरे साल के राशन का इंतजाम हो सके। ऐसा ही हाल बिजुआ ब्लॉक के गुजारा गांव का भी है। यहां करीब 15 परिवार टेंट बनाकर रह रहे हैं। बारिश होती है तो छोटे से तंबू में ही सभी मायूस होकर बैठ जाते हैं। महिलाएं अपने छोटे बच्चों को गोद में लेकर बारिश से बचाने का प्रयास करती हैं। लखीमपुर खीरी जिले में करीब 150 गांव शारदा, घाघरा, मोहाना नदी की बाढ़ की चपेट में हैं। 4 सितंबर तक करीब 563 कच्चे-पक्के मकान और झोपड़ियां शारदा नदी में समा चुकी हैं। दैनिक भास्कर की टीम प्रभावित क्षेत्रों में पहुंची। बाढ़ के बीच लोग कैसे जिंदगी गुजार रहे, उनकी जद्दोजहद को करीब से देखा। प्रशासन कितना एक्टिव है, सरकार की तरफ से क्या मदद मिल रही है, इसे भी जाना… हमारी टीम सबसे पहले बाढ़ प्रभावित बिजुआ ब्लॉक के बेला सिकटिया गांव पहुंची। यहां पिछले तीन दिन में पानी कुछ कम हुआ है। हालांकि, पूरे गांव में कीचड़ है। गन्ने और धान के खेत अभी भी पानी से लबालब हैं। हम गांव के एक छोर पर पहुंचे। यहां से शारदा नहर गुजरी है। नदी पूरे उफान पर है। कटान लगातार बढ़ रहा है। हमें नदी के किनारे इसी गांव के अवधेश शुक्ला मिले। वह कहते हैं- पिछले 3 साल से कटान हो रहा है। उसके पहले तो नदी गांव से दो किलोमीटर दूर बहती थी। लेकिन, इस साल कटान ज्यादा बढ़ गया। गांव के 7 मकान नदी में समा गए हैं। वह सभी लोग गांव में ही व्यवस्था करके रह रहे हैं। इसी गांव के परशुराम हमें मिले। बाढ़ में हुए अपने नुकसान को बताते हुए कहते हैं- तीन एकड़ जमीन थी। गन्ना लगाया था, लेकिन सारी फसल कटान में समा गई। हमने पूछा, अगर फसल तैयार होती तो कितना मिलता? परशुराम कहते हैं- इसके बारे में क्या बताएं? अच्छी फसल होती तो ज्यादा मिलता, लेकिन कम से कम 1 लाख रुपए तो मिलता ही। घर में 8 लोग हैं, अब सब हमारे भरोसे हैं। मजदूरी करके किसी तरह घर चलाएंगे। इसी गांव की रामकुमारी कहती हैं- बाढ़ के चलते बहुत दिक्कत हुई। घर में कुछ नहीं रह गया। जो तीन एकड़ खेत था, वह भी अब नदी में समा गया। छोटे-छोटे बच्चे हैं, उनका क्या होगा। रामकुमारी के पड़ोस बैठी एक महिला सरकारी व्यवस्था और मदद के बारे में पूछने पर बिफर पड़ीं। कहती हैं- कोई मदद नहीं मिली। हमारा सारा खेत चला गया। अब क्या खिलाएंगे, क्या खाएंगे? कुछ पता नहीं। हम गांव के प्रधान नेपाली के पास पहुंचे। वह कहते हैं- इस साल 200 एकड़ जमीन नदी में समा गई। 7 लोगों का घर बह गया। उन सबको मदद मिलेगी। बाकी लोगों के लिए भी प्रशासन की तरफ से खाने की व्यवस्था की जाती है। प्रशासन मुआवजे को लेकर आगे काम करेगा। तंबू में कट रही 15 परिवारों की जिंदगी बेला सिकटिया से निकलकर हम बिजुआ ब्लॉक के गुजारा गांव पहुंचे। यहां गांव जाने वाली सड़क बह गई है। स्थानीय प्रशासन ने नाव लगा दी है, जिससे लोग इधर से उधर आ-जा रहे हैं। यहां करीब 15 परिवारों के 100 से ज्यादा लोग बंधे पर ही जमे हैं, क्योंकि उनका घर बाढ़ में डूबा है। तंबू में रह रहीं राधिका कहती हैं- गांव में हमारा घर डूब गया। हमारे पास रहने के लिए कोई और व्यवस्था नहीं। इसलिए यहीं पन्नी के जरिए तंबू बनाकर अपने बच्चों के साथ रह रही हूं। दूसरे तंबू में बैठे बृजेश कहते हैं- 4-5 दिन से तो हम लोग यहां रह रहे हैं, लेकिन कुछ लोग अब वापस गांव में चले गए हैं। बरसात के बीच भी हम लोग यहीं रहते हैं। बंधे पर मौजूद मोहन सिंह से हमने पूछा कि क्या सरकारी कर्मचारी-अधिकारी आते हैं? वह कहते हैं- कभी आते हैं और कभी नहीं आते। हालांकि यहां सभी को सुबह और शाम प्रशासन की तरफ से पूड़ी-सब्जी या फिर खिचड़ी मिलती है। बाढ़ के बीच सड़क बह जाने से दिक्कत हो रही है। देखते हैं, कब ठीक होती है। जानवरों के लिए चारा लाना बना मुसीबत
इसके बाद हमारी टीम निघासन पहुंची। यहां 10 से ज्यादा गांव बाढ़ से बुरी तरह से प्रभावित हैं। हम तमोलिन का पुरवा जाने के लिए निकले। एक किलोमीटर पहले से ही सड़क पानी से भरी थी। हम पानी में उतरकर गांव के बीच पहुंचे। यहां हर व्यक्ति परेशान दिखा। सड़क पर पानी का बहाव इतना तेज है कि कई बार लोग बहकर खेत में चले जाते हैं। सिर पर पशुओं का चारा लेकर जा रहे गजोधर मिले। वह कहते हैं- इधर सारा पानी पलिया से आ रहा। यहां की स्थिति बहुत खराब है। सबसे ज्यादा दिक्कत पशुओं के चारे को लेकर हो रही है। बहुत दूर से लेकर आ रहे हैं। खाना भी घर पर पानी के बीच ही बन रहा। इस वक्त तो हर चीज में ही बहुत दिक्कत हो रही है। 47 करोड़ रुपए दिया जा चुका मुआवजा एसडीएफ विनोद गुप्ता बताते हैं- बाढ़ के बीच 5,927 किसानों का डेटा फीड हुआ था। 5,736 किसानों के खाते में पैसा पहुंच गया। 4 दिन पहले फिर से बाढ़ आने से इसमें 150 किसान बढ़े हैं। धान के लिए प्रति हेक्टेयर 17 हजार और गन्ने के लिए प्रति हेक्टेयर 22,500 रुपए मुआवजा निर्धारित है। अकेले गोला तहसील में 37 पक्के मकान, 42 झोपड़ी और 8 कच्चे मकान नदी में कटे हैं। इन सबको भी जल्द मुआवजा दिया जाएगा। ये भी पढ़ें… लखीमपुर में टाइगर का खौफ, बच्चों की पढ़ाई बंद; वनकर्मी पिंजरे के बाहर बांध रहे पाड़ा जिला- लखीमपुर खीरी, गांव- मूढ़ा जवाहर गांव, समय- रात 8 बजे गांव में जाने वाली सड़क के दोनों तरफ गन्ने के खेत हैं। सड़क किनारे झाड़ियां उगी हैं। इससे आधी सड़क ही चलने लायक दिखती है। गांव के एक छोर पर पूरी तरह सन्नाटा था। कोई भी बाहर नहीं दिख रहा था। हर कोई अपने घरों में कैद हो गया था। गांव के दूसरे छोर की तरफ जाने पर करीब 20 लोगों का एक ग्रुप दिखा। इनके हाथों में डंडे थे। ये बीच-बीच में पटाखे फोड़ रहे थे। पूछने पर बताया, यह इसलिए कर रहे ताकि बाघ गांव की तरफ न आए। इससे लोगों को भी सचेत कर रहे कि बाहर नहीं सोएं। घर के अंदर या फिर छत पर सोएं। यहां पढ़ें पूरी खबर
मुस्लिम नेताओं के साथ शरद पवार की बैठक, विधानसभा चुनाव में टिकट को लेकर किया बड़ा ऐलान
मुस्लिम नेताओं के साथ शरद पवार की बैठक, विधानसभा चुनाव में टिकट को लेकर किया बड़ा ऐलान <p style=”text-align: justify;”><strong>Maharashtra Assembly Elections 2024:</strong> महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले सभी राजनीतिक पार्टियां जीत की रणनीति बनाने में जुटी हुई हैं. इसी कड़ी में बैठकों का दौर भी जारी है. इसी बीच बुधवार को एनसीपी (SP) प्रमुख शरद पवार ने मुस्लिम नेताओं के साथ बैठक की. बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि पिछले दस साल से देश की हुकूमत गलत हाथों में है. जिन लोगों के हाथ में देश की हुकूमत है उनका फर्ज है कि देश में रहने वाले सभी मजहब के लोगों को भरोसा दें कि यह देश हम सबका है. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>‘400 पार सीटें आने पर देश में अलग माहौल पैदा होता’</strong><br />शरद पवार ने आगे कहा कि <a title=”लोकसभा चुनाव” href=”https://www.abplive.com/topic/lok-sabha-election-2024″ data-type=”interlinkingkeywords”>लोकसभा चुनाव</a> में देश के प्रधानमंत्री <a title=”नरेंद्र मोदी” href=”https://www.abplive.com/topic/narendra-modi” data-type=”interlinkingkeywords”>नरेंद्र मोदी</a> ने देश के सामने 400 पार सीटें जीताने की मांग की. लेकिन, ये 400 पार का नारा देश की भलाई के लिए नहीं, बल्कि बाबासाहेब आंबेडकर ने जो संविधान देश को दिया था उसको बदलने के लिए था. उन्होंने कहा कि जिस तरह पड़ोसी देश बांग्लादेश में स्थिति है वहां प्रजातंत्र खत्म हो गया है. वैसे ही 400 पास सीटें जीताने की मांग इसलिए भी की जा रही थी ताकि देश का पूरा अधिकार एक व्यक्ति की मुट्ठी में हो. लेकिन, हमें खुशी है कि ऐसा नहीं हो सका. लोगों को डर था 400 पार सीटें आने पर देश में अलग माहौल पैदा हो सकता है. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>‘मुसलमान माइनॉरिटी को पूरा रिजर्वेशन देना चाहिए’</strong><br />शरद पवार ने बैठक में बोलते हुए कहा कि यहां कुछ कागज मुझे मिले, उसमें एक ही मांग है. राष्ट्रवादी कांग्रेस हो, कांग्रेस हो, शिवसेना हो, उनको पूरी तरह से मदद करने की तैयारी आज इन सभी राजनैतिक दलों की है. हम राजनैतिक दलों ने भी समाज के सभी वर्गों की हिफाजत करने की नीति बनाई है. उन्होंने कहा कि विधानसभा हो या कोई दूसरा इलेक्शन सभी में मुसलमान माइनॉरिटी को पूरा रिजर्वेशन देना चाहिए, पूरा मौका देना चाहिए. आने वाले विधानसभा चुनाव में माइनॉरिटी को अच्छी अपॉर्चुनिटी मिलनी चाहिए इसके लिए हम कोशिश करेंगे. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>यह भी पढ़ें: <a title=”कंगना रनौत की फिल्म ‘इमरजेंसी’ पर मुंबई में भड़का सिख समुदाय, कहा- ‘रिलीज पर…'” href=”https://www.abplive.com/states/maharashtra/mumbai-sikh-community-demands-ban-on-kangana-ranaut-film-emergency-in-maharashtra-ann-2771141″ target=”_blank” rel=”noopener”>कंगना रनौत की फिल्म ‘इमरजेंसी’ पर मुंबई में भड़का सिख समुदाय, कहा- ‘रिलीज पर…'</a></strong></p>