<p style=”text-align: justify;”><strong>Uttarakhand News:</strong> भारत में वन और वृक्ष आवरण में 1445 वर्ग किमी की वृद्धि दर्ज की गई है. यह जानकारी भारतीय वन सर्वेक्षण (FSI) द्वारा जारी भारत वन स्थिति रिपोर्ट-2023 में सामने आई. हालांकि, इस वृद्धि के बावजूद देश के 36 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में से 16 राज्यों ने वन और वृक्ष आवरण में कमी दर्ज की है. इनमें उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, नागालैंड, बिहार, त्रिपुरा, और दिल्ली जैसे राज्य शामिल हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>शनिवार को केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने देहरादून स्थित वन अनुसंधान संस्थान (FRI) के सभागार में आयोजित कार्यक्रम में यह रिपोर्ट जारी की. इस मौके पर उन्होंने कहा कि यह रिपोर्ट वनों के संरक्षण और संवर्द्धन के साथ अन्य नीतियों के निर्माण में मददगार साबित होगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>रिपोर्ट के अनुसार, भारत का कुल वन और वृक्ष आवरण 8,27,357 वर्ग किमी है, जो देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 25.17% है. इसमें से 7,15,343 वर्ग किमी वन आवरण और 1,12,014 वर्ग किमी वृक्ष आवरण है. हालांकि, जिन राज्यों में कमी दर्ज की गई है, उनके लिए यह रिपोर्ट विकास और जंगल के बीच सामंजस्य स्थापित करने का संकेत भी देती है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>छत्तीसगढ़ ने वन आवरण में दर्ज की वृद्धि</strong><br />रिपोर्ट के अनुसार, छत्तीसगढ़ ने वन और वृक्ष आवरण में सबसे अधिक 683.62 वर्ग किमी की वृद्धि दर्ज की है. इसके बाद उत्तर प्रदेश (559.19 वर्ग किमी), ओडिशा (558.57 वर्ग किमी), राजस्थान (394.46 वर्ग किमी), और झारखंड (286.96 वर्ग किमी) का स्थान है. वन और वृक्ष आवरण में सबसे अधिक कमी मध्य प्रदेश (612.41 वर्ग किमी), कर्नाटक (459.36 वर्ग किमी), नागालैंड (125.22 वर्ग किमी), बिहार (123.98 वर्ग किमी), और त्रिपुरा (100.70 वर्ग किमी) में दर्ज की गई. उत्तराखंड और अन्य राज्यों में भी गिरावट दर्ज की गई है, जिससे इन क्षेत्रों के पर्यावरणीय संतुलन पर चिंता बढ़ गई है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>1. क्षेत्रफल के आधार पर सर्वाधिक वनावरण वाले राज्य<br />मध्य प्रदेश: 77,073 वर्ग किमी<br />अरुणाचल प्रदेश: 65,882 वर्ग किमी<br />छत्तीसगढ़: 55,812 वर्ग किमी</p>
<p style=”text-align: justify;”>2- वनावरण में अधिकतम वृद्धि वाले राज्य<br />मिजोरम: 242 वर्ग किमी<br />गुजरात: 180 वर्ग किमी<br />ओडिशा: 152 वर्ग किमी</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>इन राज्यों में घटा वन आवरण</strong><br />इसके अलावा 16 राज्य और केंद्रशासित प्रदेश जहां वन आवरण घटा है इनमें आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, असम, बिहार, गोवा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, नागालैंड, तमिलनाडु, तेलंगाना, त्रिपुरा, अंडमान-निकोबार, लद्दाख और उत्तराखंड शामिल हैं. रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि देश का कार्बन स्टॉक 30.43 बिलियन टन CO₂ समतुल्य तक पहुंच गया है. यह 2005 के आधार वर्ष की तुलना में 2.29 बिलियन टन अधिक है. भारत का लक्ष्य 2030 तक इसे 2.5 से 3.0 बिलियन टन तक बढ़ाना है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>कृषि वानिकी को बढ़ावा देने के लिए किए गए प्रयासों का भी जिक्र रिपोर्ट में किया गया है. वर्ष 2013 से 2023 के बीच किसान कृषि के साथ वानिकी के लिए प्रेरित हुए हैं. इससे न केवल लकड़ी की मांग पूरी हुई है, बल्कि किसानों की आय में भी वृद्धि हुई है. रिपोर्ट में जंगल की आग को प्रमुख चुनौती के रूप में रेखांकित किया गया. नवंबर 2023 से जून 2024 तक देश में 2,03,544 फायर अलर्ट जारी किए गए. हालांकि, 2021-22 में यह संख्या 2,12,249 थी, जिससे कुछ कमी आई है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>वन और वृक्ष आवरण की कुल निधि: 6430 मिलियन घन मीटर<br />2021 के मुकाबले वृद्धि: 262 मिलियन घन मीटर<br />बांस धारित क्षेत्र: 1,54,670 वर्ग किमी<br />औद्योगिक काष्ठ का वार्षिक उत्पादन: 91.51 मिलियन घन मीटर<br />कार्बन स्टॉक में वृद्धि: 81.5 मिलियन टन</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>वन स्थिति रिपोर्ट का महत्व</strong><br />भारत वन स्थिति रिपोर्ट हर दो साल में जारी की जाती है. यह रिपोर्ट वनावरण, वृक्ष आवरण, जंगल की आग, कच्छ वनस्पति आवरण, और कृषि वानिकी जैसे विषयों को कवर करती है. इस बार की 18वीं रिपोर्ट में भारत के वनों की स्थिति को विस्तार से दर्शाया गया है. भारत ने वन और वृक्ष आवरण में सुधार के लिए सकारात्मक कदम उठाए हैं. हालांकि, उत्तराखंड समेत 16 राज्यों में गिरावट चिंताजनक है. रिपोर्ट यह संदेश देती है कि विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन बनाए रखना जरूरी है. वनों के संरक्षण के लिए और प्रयास किए जाने चाहिए, ताकि देश का पर्यावरणीय संतुलन बेहतर बना रहे.</p>
<p style=”text-align: justify;”>ये भी पढे़ं: <a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/google-map-misled-up-psc-pcs-candidates-in-firozabad-missed-exam-ann-2847443″><strong>Google Map ने फिर किया गुमराह, अभ्यर्थियों की छूट गई UP PCS प्री परीक्षा</strong></a></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Uttarakhand News:</strong> भारत में वन और वृक्ष आवरण में 1445 वर्ग किमी की वृद्धि दर्ज की गई है. यह जानकारी भारतीय वन सर्वेक्षण (FSI) द्वारा जारी भारत वन स्थिति रिपोर्ट-2023 में सामने आई. हालांकि, इस वृद्धि के बावजूद देश के 36 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में से 16 राज्यों ने वन और वृक्ष आवरण में कमी दर्ज की है. इनमें उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, नागालैंड, बिहार, त्रिपुरा, और दिल्ली जैसे राज्य शामिल हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>शनिवार को केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने देहरादून स्थित वन अनुसंधान संस्थान (FRI) के सभागार में आयोजित कार्यक्रम में यह रिपोर्ट जारी की. इस मौके पर उन्होंने कहा कि यह रिपोर्ट वनों के संरक्षण और संवर्द्धन के साथ अन्य नीतियों के निर्माण में मददगार साबित होगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>रिपोर्ट के अनुसार, भारत का कुल वन और वृक्ष आवरण 8,27,357 वर्ग किमी है, जो देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 25.17% है. इसमें से 7,15,343 वर्ग किमी वन आवरण और 1,12,014 वर्ग किमी वृक्ष आवरण है. हालांकि, जिन राज्यों में कमी दर्ज की गई है, उनके लिए यह रिपोर्ट विकास और जंगल के बीच सामंजस्य स्थापित करने का संकेत भी देती है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>छत्तीसगढ़ ने वन आवरण में दर्ज की वृद्धि</strong><br />रिपोर्ट के अनुसार, छत्तीसगढ़ ने वन और वृक्ष आवरण में सबसे अधिक 683.62 वर्ग किमी की वृद्धि दर्ज की है. इसके बाद उत्तर प्रदेश (559.19 वर्ग किमी), ओडिशा (558.57 वर्ग किमी), राजस्थान (394.46 वर्ग किमी), और झारखंड (286.96 वर्ग किमी) का स्थान है. वन और वृक्ष आवरण में सबसे अधिक कमी मध्य प्रदेश (612.41 वर्ग किमी), कर्नाटक (459.36 वर्ग किमी), नागालैंड (125.22 वर्ग किमी), बिहार (123.98 वर्ग किमी), और त्रिपुरा (100.70 वर्ग किमी) में दर्ज की गई. उत्तराखंड और अन्य राज्यों में भी गिरावट दर्ज की गई है, जिससे इन क्षेत्रों के पर्यावरणीय संतुलन पर चिंता बढ़ गई है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>1. क्षेत्रफल के आधार पर सर्वाधिक वनावरण वाले राज्य<br />मध्य प्रदेश: 77,073 वर्ग किमी<br />अरुणाचल प्रदेश: 65,882 वर्ग किमी<br />छत्तीसगढ़: 55,812 वर्ग किमी</p>
<p style=”text-align: justify;”>2- वनावरण में अधिकतम वृद्धि वाले राज्य<br />मिजोरम: 242 वर्ग किमी<br />गुजरात: 180 वर्ग किमी<br />ओडिशा: 152 वर्ग किमी</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>इन राज्यों में घटा वन आवरण</strong><br />इसके अलावा 16 राज्य और केंद्रशासित प्रदेश जहां वन आवरण घटा है इनमें आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, असम, बिहार, गोवा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, नागालैंड, तमिलनाडु, तेलंगाना, त्रिपुरा, अंडमान-निकोबार, लद्दाख और उत्तराखंड शामिल हैं. रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि देश का कार्बन स्टॉक 30.43 बिलियन टन CO₂ समतुल्य तक पहुंच गया है. यह 2005 के आधार वर्ष की तुलना में 2.29 बिलियन टन अधिक है. भारत का लक्ष्य 2030 तक इसे 2.5 से 3.0 बिलियन टन तक बढ़ाना है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>कृषि वानिकी को बढ़ावा देने के लिए किए गए प्रयासों का भी जिक्र रिपोर्ट में किया गया है. वर्ष 2013 से 2023 के बीच किसान कृषि के साथ वानिकी के लिए प्रेरित हुए हैं. इससे न केवल लकड़ी की मांग पूरी हुई है, बल्कि किसानों की आय में भी वृद्धि हुई है. रिपोर्ट में जंगल की आग को प्रमुख चुनौती के रूप में रेखांकित किया गया. नवंबर 2023 से जून 2024 तक देश में 2,03,544 फायर अलर्ट जारी किए गए. हालांकि, 2021-22 में यह संख्या 2,12,249 थी, जिससे कुछ कमी आई है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>वन और वृक्ष आवरण की कुल निधि: 6430 मिलियन घन मीटर<br />2021 के मुकाबले वृद्धि: 262 मिलियन घन मीटर<br />बांस धारित क्षेत्र: 1,54,670 वर्ग किमी<br />औद्योगिक काष्ठ का वार्षिक उत्पादन: 91.51 मिलियन घन मीटर<br />कार्बन स्टॉक में वृद्धि: 81.5 मिलियन टन</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>वन स्थिति रिपोर्ट का महत्व</strong><br />भारत वन स्थिति रिपोर्ट हर दो साल में जारी की जाती है. यह रिपोर्ट वनावरण, वृक्ष आवरण, जंगल की आग, कच्छ वनस्पति आवरण, और कृषि वानिकी जैसे विषयों को कवर करती है. इस बार की 18वीं रिपोर्ट में भारत के वनों की स्थिति को विस्तार से दर्शाया गया है. भारत ने वन और वृक्ष आवरण में सुधार के लिए सकारात्मक कदम उठाए हैं. हालांकि, उत्तराखंड समेत 16 राज्यों में गिरावट चिंताजनक है. रिपोर्ट यह संदेश देती है कि विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन बनाए रखना जरूरी है. वनों के संरक्षण के लिए और प्रयास किए जाने चाहिए, ताकि देश का पर्यावरणीय संतुलन बेहतर बना रहे.</p>
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