‘धनंजय मुंडे और महिला का संबंध विवाह जैसा, घरेलू हिंसा…’ कोर्ट की अहम टिप्पणी

‘धनंजय मुंडे और महिला का संबंध विवाह जैसा, घरेलू हिंसा…’ कोर्ट की अहम टिप्पणी

<p style=”text-align: justify;”><strong>Dhananjay Munde News:</strong> राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के नेता और महाराष्ट्र के मंत्री धनंजय मुंडे को मुंबई की अदालत से झटका लगा है. कोर्ट ने कहा कि उनकी पहली पत्नी होने का दावा करने वाली महिला करुणा मुंडे के साथ संबंध प्रथम दृष्टया &lsquo;विवाह की प्रकृति&rsquo; का है. वह महिला घरेलू हिंसा कानून के तहत राहत की हकदार है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश शेख अकबर शेख जाफर ने शनिवार को दिए गए आदेश में मुंडे की उस अपील को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने करुणा मुंडे नामक महिला को अंतरिम भरण-पोषण राशि देने के एक मजिस्ट्रेट के आदेश को चुनौती दी थी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>धनंजय मुंडे का क्या है दावा?</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>NCP नेता ने अपनी अपील में दावा किया था कि करुणा मुंडे से उनका विवाह कभी नहीं हुआ. अदालत ने कहा कि वह कानूनी रूप से विवाहित पत्नी हैं या नहीं, इसका निर्णय उचित मंच द्वारा किया जाना चाहिए.</p>
<p style=”text-align: justify;”>बुधवार को उपलब्ध हुए अदालत के विस्तृत आदेश के अनुसार, महिला और मुंडे का संबंध विवाह जैसा है क्योंकि महिला ने उनके दो बच्चों को जन्म दिया है और यह ‘साझा आवास में रहे बिना संभव नहीं है.'</p>
<p style=”text-align: justify;”>अदालत ने कहा कि एक प्रसिद्ध नेता की जीवनशैली को ध्यान में रखते हुए मजिस्ट्रेट द्वारा करुणा मुंडे को अंतरिम भरण-पोषण दिये जाने का आदेश देना उचित है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’महिला को प्रति माह 1,25,000 रुपये दें'</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>अदालत ने कहा कि करुणा और उनके बच्चों को भी वही जीवनशैली मिलनी चाहिए जो नेता को प्राप्त है. बांद्रा मजिस्ट्रेट अदालत ने चार फरवरी को करुणा की याचिका को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए एनसीपी विधायक को आदेश दिया था कि वह महिला को प्रति माह 1,25,000 रुपये और उनकी बेटी को 75,000 रुपये दें.</p>
<p style=”text-align: justify;”>महिला ने वर्ष 2020 में धनंजय मुंडे के खिलाफ घरेलू हिंसा का मामला दर्ज कराया था और मुख्य याचिका पर अभी निर्णय होना बाकी है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>पूर्व मंत्री ने अंतरिम आदेश के खिलाफ सत्र अदालत में अपील दायर की थी. अदालत ने अपील खारिज करते हुए कहा कि यह स्थापित कानून है कि ”वह महिला जिसे घरेलू हिंसा का शिकार बनाया गया हो और जो विवाह सरीखे &lsquo;लिव-इन&rsquo; संबंध में रही हो, जिसे समाज ने भी मान्यता दी हो, वह घरेलू हिंसा कानून के तहत राहत की हकदार है.”</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’ना तो उनकी पत्नी हैं और ना ही…’- धनंजय मुंडे</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>हालांकि, धनंजय मुंडे ने दलील दी कि वह महिला ‘ना तो उनकी पत्नी हैं और ना ही वह महिला के साथ ‘लिव-इन संबंध&rsquo; में कभी रहे हैं.’ उनके वकील ने अदालत में दलील दी कि महिला किसी भी राहत की हकदार नहीं है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>अदालत ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा कि रिकॉर्ड पर रखे गए ‘वसीयतनामा’ और ‘स्वीकृतिपत्र’ जैसे दो दस्तावेज यह दिखाते हैं कि महिला के साथ संबंध विवाह जैसे थे.</p>
<p style=”text-align: justify;”>अदालत ने स्पष्ट किया कि घरेलू हिंसा कानून के तहत आवेदन का निर्णय करते समय यह जरूरी नहीं कि दोनों पक्षों की शादी के संबंध में उनकी स्थिति घोषित की जाए.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>आर्थिक क्षमता पर सवाल नहीं उठाया जा सकता- कोर्ट</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>न्यायाधीश ने कहा, ”इसलिए मेरा मानना है कि प्रथम दृष्टया प्रतिवादी नंबर एक (महिला) और अपीलकर्ता (मुंडे) के बीच विवाह जैसा संबंध था और महिला ने उनके दो बच्चों को जन्म दिया है, जो एक ही आवास में रहे बिना संभव नहीं है.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>अदालत ने कहा, ”धनंजय मुंडे एक नेता हैं, इसलिए उनकी आर्थिक क्षमता पर सवाल नहीं उठाया जा सकता. यहां तक कि अगर प्रतिवादी संख्या 1 (महिला) कमा भी रही है, तब भी वह अपीलकर्ता जैसी जीवनशैली बनाए रखने के लिए भरण-पोषण की हकदार है.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>अदालत ने सभी तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए कहा कि मजिस्ट्रेट ने उचित अंतरिम भरण-पोषण राशि निर्धारित की और इसमें हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है. न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा, ‘इसलिए मेरी राय है कि यह अपील खारिज किए जाने योग्य है.'</p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Dhananjay Munde News:</strong> राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के नेता और महाराष्ट्र के मंत्री धनंजय मुंडे को मुंबई की अदालत से झटका लगा है. कोर्ट ने कहा कि उनकी पहली पत्नी होने का दावा करने वाली महिला करुणा मुंडे के साथ संबंध प्रथम दृष्टया &lsquo;विवाह की प्रकृति&rsquo; का है. वह महिला घरेलू हिंसा कानून के तहत राहत की हकदार है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश शेख अकबर शेख जाफर ने शनिवार को दिए गए आदेश में मुंडे की उस अपील को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने करुणा मुंडे नामक महिला को अंतरिम भरण-पोषण राशि देने के एक मजिस्ट्रेट के आदेश को चुनौती दी थी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>धनंजय मुंडे का क्या है दावा?</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>NCP नेता ने अपनी अपील में दावा किया था कि करुणा मुंडे से उनका विवाह कभी नहीं हुआ. अदालत ने कहा कि वह कानूनी रूप से विवाहित पत्नी हैं या नहीं, इसका निर्णय उचित मंच द्वारा किया जाना चाहिए.</p>
<p style=”text-align: justify;”>बुधवार को उपलब्ध हुए अदालत के विस्तृत आदेश के अनुसार, महिला और मुंडे का संबंध विवाह जैसा है क्योंकि महिला ने उनके दो बच्चों को जन्म दिया है और यह ‘साझा आवास में रहे बिना संभव नहीं है.'</p>
<p style=”text-align: justify;”>अदालत ने कहा कि एक प्रसिद्ध नेता की जीवनशैली को ध्यान में रखते हुए मजिस्ट्रेट द्वारा करुणा मुंडे को अंतरिम भरण-पोषण दिये जाने का आदेश देना उचित है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’महिला को प्रति माह 1,25,000 रुपये दें'</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>अदालत ने कहा कि करुणा और उनके बच्चों को भी वही जीवनशैली मिलनी चाहिए जो नेता को प्राप्त है. बांद्रा मजिस्ट्रेट अदालत ने चार फरवरी को करुणा की याचिका को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए एनसीपी विधायक को आदेश दिया था कि वह महिला को प्रति माह 1,25,000 रुपये और उनकी बेटी को 75,000 रुपये दें.</p>
<p style=”text-align: justify;”>महिला ने वर्ष 2020 में धनंजय मुंडे के खिलाफ घरेलू हिंसा का मामला दर्ज कराया था और मुख्य याचिका पर अभी निर्णय होना बाकी है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>पूर्व मंत्री ने अंतरिम आदेश के खिलाफ सत्र अदालत में अपील दायर की थी. अदालत ने अपील खारिज करते हुए कहा कि यह स्थापित कानून है कि ”वह महिला जिसे घरेलू हिंसा का शिकार बनाया गया हो और जो विवाह सरीखे &lsquo;लिव-इन&rsquo; संबंध में रही हो, जिसे समाज ने भी मान्यता दी हो, वह घरेलू हिंसा कानून के तहत राहत की हकदार है.”</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’ना तो उनकी पत्नी हैं और ना ही…’- धनंजय मुंडे</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>हालांकि, धनंजय मुंडे ने दलील दी कि वह महिला ‘ना तो उनकी पत्नी हैं और ना ही वह महिला के साथ ‘लिव-इन संबंध&rsquo; में कभी रहे हैं.’ उनके वकील ने अदालत में दलील दी कि महिला किसी भी राहत की हकदार नहीं है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>अदालत ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा कि रिकॉर्ड पर रखे गए ‘वसीयतनामा’ और ‘स्वीकृतिपत्र’ जैसे दो दस्तावेज यह दिखाते हैं कि महिला के साथ संबंध विवाह जैसे थे.</p>
<p style=”text-align: justify;”>अदालत ने स्पष्ट किया कि घरेलू हिंसा कानून के तहत आवेदन का निर्णय करते समय यह जरूरी नहीं कि दोनों पक्षों की शादी के संबंध में उनकी स्थिति घोषित की जाए.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>आर्थिक क्षमता पर सवाल नहीं उठाया जा सकता- कोर्ट</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>न्यायाधीश ने कहा, ”इसलिए मेरा मानना है कि प्रथम दृष्टया प्रतिवादी नंबर एक (महिला) और अपीलकर्ता (मुंडे) के बीच विवाह जैसा संबंध था और महिला ने उनके दो बच्चों को जन्म दिया है, जो एक ही आवास में रहे बिना संभव नहीं है.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>अदालत ने कहा, ”धनंजय मुंडे एक नेता हैं, इसलिए उनकी आर्थिक क्षमता पर सवाल नहीं उठाया जा सकता. यहां तक कि अगर प्रतिवादी संख्या 1 (महिला) कमा भी रही है, तब भी वह अपीलकर्ता जैसी जीवनशैली बनाए रखने के लिए भरण-पोषण की हकदार है.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>अदालत ने सभी तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए कहा कि मजिस्ट्रेट ने उचित अंतरिम भरण-पोषण राशि निर्धारित की और इसमें हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है. न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा, ‘इसलिए मेरी राय है कि यह अपील खारिज किए जाने योग्य है.'</p>  महाराष्ट्र दिल्ली की सड़कों पर ‘कट्टे वालों’ का खेल खत्म, पुलिस की ताबड़तोड़ कार्रवाई में 3 खूंखार बदमाश गिरफ्तार