<p style=”text-align: justify;”><strong>Firozabad Today News:</strong> सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों की स्कूल ड्रेस और अन्य सामान के लिए डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) की तरफ से छात्रों के अभिभावकों के खातों में धनराशि पहुंचाई जाती है, जिससे वह अपने बच्चों के लिए स्कूल की ड्रेस और अन्य सामान खरीद सकें, लेकिन फिरोजाबाद के अधिकांश विद्यालयों में अभिभावकों ने अब तक अपने बच्चों के लिए स्कूल ड्रेस नहीं खरीदी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>डीपीटी के तहत 1200 रूपए अभिभावक के खाते में पहुंचते हैं, लेकिन रुपए पहुंचने के बाद भी अभिभावक अपने बच्चों के लिए स्कूल ड्रेस खरीदने को तैयार नहीं है. उनका कहना है कि अभी उनकी जो पुरानी ड्रेस है वही काम कर रही है. इससे यह साबित होता है कि डीपीटी की तरफ से मिलने वाली धनराशि को अभिभावक कहीं ना कहीं और खर्च कर रहे हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>अभिभावकों के खाते में पहुंच चुकी है धनराशि</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>पाढ़म के प्राथमिक विद्यालय फर्स्ट में 166 बच्चों में से 109 बच्चों के अभिभावकों के खाते में डीपीटी की तरफ से धनराशि पहुंच चुकी है, लेकिन अभिभावक स्कूल ड्रेस खरीदने को अभी भी तैयार नहीं है. विद्यालय में पढ़ने के लिए 90 बच्चे यूनिफॉर्म में आ रहे हैं लेकिन यह यूनिफॉर्म हकीकत में एक या दो साल पुरानी है. वहीं शिक्षकों के दबाव बनाने के बाद कुछ अभिभावक ने स्कूल ड्रेस बच्चों के लिए सिलवाई है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>अभिभावकों के खाते में दी जाती है 1200 रुपये की धनराशि</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>डीपीटी की तरफ से छात्र-छात्राओं के अभिभावकों के खाते में 1200 रुपए की धनराशि दी जाती है. जिसमें स्कूल ड्रेस के लिए 600 रुपए स्वेटर के लिए 200 रुपए जूते मोजे के लिए 150 रुपए स्कूल बैग के लिए 150 रुपए और कॉपियों के लिए 100 रुपए मिलते हैं. इन सबके लिए रुपए मिलने के बाद भी अभिभावक अपने बच्चों के लिए स्कूल ड्रेस और यह सामान नहीं लेकर आ रहे हैं, लेकिन जब विद्यालय में से शिक्षकों की तरफ से दबाव बनाया जाता है तब कुछ अभिभावक अपने बच्चों को समान दिला देते हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें: <a title=”कांवड़ यात्रा के विवाद को लेकर योगी के मंत्री ने अखिलेश को दी चुनौती, खानदान तक पहुंचा दी बात” href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/yogi-minister-kunwar-brijesh-singh-challenged-akhilesh-yadav-on-kanwar-yatra-controversy-ann-2741307″ target=”_self”>कांवड़ यात्रा के विवाद को लेकर योगी के मंत्री ने अखिलेश को दी चुनौती, खानदान तक पहुंचा दी बात</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Firozabad Today News:</strong> सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों की स्कूल ड्रेस और अन्य सामान के लिए डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) की तरफ से छात्रों के अभिभावकों के खातों में धनराशि पहुंचाई जाती है, जिससे वह अपने बच्चों के लिए स्कूल की ड्रेस और अन्य सामान खरीद सकें, लेकिन फिरोजाबाद के अधिकांश विद्यालयों में अभिभावकों ने अब तक अपने बच्चों के लिए स्कूल ड्रेस नहीं खरीदी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>डीपीटी के तहत 1200 रूपए अभिभावक के खाते में पहुंचते हैं, लेकिन रुपए पहुंचने के बाद भी अभिभावक अपने बच्चों के लिए स्कूल ड्रेस खरीदने को तैयार नहीं है. उनका कहना है कि अभी उनकी जो पुरानी ड्रेस है वही काम कर रही है. इससे यह साबित होता है कि डीपीटी की तरफ से मिलने वाली धनराशि को अभिभावक कहीं ना कहीं और खर्च कर रहे हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>अभिभावकों के खाते में पहुंच चुकी है धनराशि</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>पाढ़म के प्राथमिक विद्यालय फर्स्ट में 166 बच्चों में से 109 बच्चों के अभिभावकों के खाते में डीपीटी की तरफ से धनराशि पहुंच चुकी है, लेकिन अभिभावक स्कूल ड्रेस खरीदने को अभी भी तैयार नहीं है. विद्यालय में पढ़ने के लिए 90 बच्चे यूनिफॉर्म में आ रहे हैं लेकिन यह यूनिफॉर्म हकीकत में एक या दो साल पुरानी है. वहीं शिक्षकों के दबाव बनाने के बाद कुछ अभिभावक ने स्कूल ड्रेस बच्चों के लिए सिलवाई है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>अभिभावकों के खाते में दी जाती है 1200 रुपये की धनराशि</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>डीपीटी की तरफ से छात्र-छात्राओं के अभिभावकों के खाते में 1200 रुपए की धनराशि दी जाती है. जिसमें स्कूल ड्रेस के लिए 600 रुपए स्वेटर के लिए 200 रुपए जूते मोजे के लिए 150 रुपए स्कूल बैग के लिए 150 रुपए और कॉपियों के लिए 100 रुपए मिलते हैं. इन सबके लिए रुपए मिलने के बाद भी अभिभावक अपने बच्चों के लिए स्कूल ड्रेस और यह सामान नहीं लेकर आ रहे हैं, लेकिन जब विद्यालय में से शिक्षकों की तरफ से दबाव बनाया जाता है तब कुछ अभिभावक अपने बच्चों को समान दिला देते हैं.</p>
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