नए रूप में नजर आएंगे भगवान हनुमान के जीवन को दर्शाते चित्र, नई रोशनी से सराबोर होगा जाखू मंदिर परिसर

नए रूप में नजर आएंगे भगवान हनुमान के जीवन को दर्शाते चित्र, नई रोशनी से सराबोर होगा जाखू मंदिर परिसर

<p style=”text-align: justify;”><strong>Jakhu Temple Shimla:</strong> शिमला की सबसे ऊंची पहाड़ी पर स्थित जाखू मंदिर का भीतरी परिसर अब अलग रूप में नजर आएगा. राम भक्त हनुमान की मूर्ति के पास परिक्रमा स्थल पर लगे चित्रों में एलईडी लाइट लगाने का काम पूरा हो चुका है. बीते कई दिनों से इनकी साफ सफाई हो रही थी.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>महाबल को समर्पित मंदिर में लगे इन चित्रों में केसरीनंदन के जीवन से जुड़ी बड़ी घटनाओं को दर्शाया गया है. यह चित्र यहां आने वाले भक्तों की आस्था का भी केंद्र हैं. जाखू मंदिर में प्रतिदिन हजारों भक्त शंकर सुवन के दर्शन करने के लिए आते हैं. मंदिर में इस तरह की कुल सात चित्र हैं, जिनमें लंका दहन, संजीवनी लाने समेत अक्षय कुमार संहार से जुड़े प्रसंगों का दर्शन है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>जाखू मंदिर में कई बड़े काम हैं प्रस्तावित</strong><br />जाखू मंदिर कमेटी के सदस्य इशू ठाकुर ने बताया कि चित्रों में आधुनिक लाइट लगाई गई है, ताकि यह और अधिक आकर्षक लगें. भगवान हनुमान के जीवन से जुड़े इन चित्रों की सफाई का काम किया जा चुका है. इसके अलावा मंदिर परिसर में अन्य आकृतियों में भी रंग रोगन का काम करवाया गया है. आने वाले दिनों में मंदिर के सौंदर्यीकरण से जुड़े कई महत्वपूर्ण काम किए जाने हैं. इसके लिए पिंगाक्ष भक्तों से भी सुझाव लिए जा रहे हैं.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>जाखू मंदिर में भी पुजारियों और कर्मचारियों के लिए शिमला के ही तारादेवी मंदिर की तर्ज पर पोशाक तैयार की जा चुकी है. जल्द ही मंदिर में बने जूताघर का भी स्वरूप बदला जाएगा. मंदिर की पवित्रता को ध्यान रखते हुए यहां साफ-सफाई समेत अन्य जरूरी बातों का भी खास ध्यान रखा जा रहा है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>क्या है मंदिर का इतिहास?</strong><br />शिमला में करीब 8 हजार 048 फीट की ऊंचाई पर विश्व प्रसिद्ध जाखू मंदिर स्थित है. इस मंदिर में भगवान हनुमान की मूर्ति स्थापित है. मान्यता है कि त्रेता युग में राम-रावण युद्ध के दौरान जब मेघनाथ के बाण से लक्ष्मण मूर्च्छित हो गए, तो सुखसेन वैद ने भगवान राम को संजीवनी बूटी लाने के लिए कहा. इसके लिए भगवान राम ने अपने अनन्य भक्त हनुमान को चुना.</p>
<p style=”text-align: justify;”>अपने प्रभु भगवान श्री राम के आदेशों पर हनुमान संजीवनी बूटी लाने के लिए द्रोणागिरी पर्वत की ओर उड़ चले. हिमालय की ओर जाते हुए भगवान हनुमान की नजर राम नाम जपते हुए ऋषि यक्ष पर पड़ी. इस पर हनुमान यहां रुककर ऋषि यक्ष के साथ भेंट की और आराम किया.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>इसी स्थान पर प्रकट हुई भगवान की स्वयंभू मूर्ति</strong>&nbsp;<br />मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित राम लाल बताते हैं कि भगवान हनुमान ने वापस लौटते हुए ऋषि यक्ष से भेंट करने का वादा किया था, लेकिन वापस लौटते समय भगवान हनुमान को देरी हो गई. समय के अभाव में भगवान हनुमान छोटे मार्ग से चले गए. ऋषि यक्ष भगवान हनुमान के न आने से व्याकुल हो उठे. ऋषि यक्ष के व्याकुल होने से भगवान हनुमान इस स्थान पर स्वयंभू मूर्ति के रूप में प्रकट हुए.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इस मंदिर में आज भी भगवान हनुमान की स्वयंभू मूर्ति और उनकी चरण पादुका मौजूद हैं. माना जाता है कि भगवान हनुमान की स्वयंभू मूर्ति प्रकट होने के बाद यक्ष ऋषि ने यहां मंदिर का निर्माण करवाया. ऋषि यक्ष से याकू और याकू से नाम जाखू पड़ा. इसी घटना की वजह से लक्ष्मण जी के प्राण बचाने वाले भगवान हनुमान को ‘लक्ष्मणप्राणदाता’ के नाम से भी जाना जाता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें: <a title=”शिमला: अंग्रेजों के जमाने के कब्रिस्तान का होगा विकास, नगर निगम ने मांगे सुझाव, जानें क्या है तैयारी” href=”https://www.abplive.com/states/himachal-pradesh/shimla-kanlog-cemetery-will-be-deveolped-nagar-nigam-sought-suggestion-ann-2861391″ target=”_self”>शिमला: अंग्रेजों के जमाने के कब्रिस्तान का होगा विकास, नगर निगम ने मांगे सुझाव, जानें क्या है तैयारी</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Jakhu Temple Shimla:</strong> शिमला की सबसे ऊंची पहाड़ी पर स्थित जाखू मंदिर का भीतरी परिसर अब अलग रूप में नजर आएगा. राम भक्त हनुमान की मूर्ति के पास परिक्रमा स्थल पर लगे चित्रों में एलईडी लाइट लगाने का काम पूरा हो चुका है. बीते कई दिनों से इनकी साफ सफाई हो रही थी.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>महाबल को समर्पित मंदिर में लगे इन चित्रों में केसरीनंदन के जीवन से जुड़ी बड़ी घटनाओं को दर्शाया गया है. यह चित्र यहां आने वाले भक्तों की आस्था का भी केंद्र हैं. जाखू मंदिर में प्रतिदिन हजारों भक्त शंकर सुवन के दर्शन करने के लिए आते हैं. मंदिर में इस तरह की कुल सात चित्र हैं, जिनमें लंका दहन, संजीवनी लाने समेत अक्षय कुमार संहार से जुड़े प्रसंगों का दर्शन है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>जाखू मंदिर में कई बड़े काम हैं प्रस्तावित</strong><br />जाखू मंदिर कमेटी के सदस्य इशू ठाकुर ने बताया कि चित्रों में आधुनिक लाइट लगाई गई है, ताकि यह और अधिक आकर्षक लगें. भगवान हनुमान के जीवन से जुड़े इन चित्रों की सफाई का काम किया जा चुका है. इसके अलावा मंदिर परिसर में अन्य आकृतियों में भी रंग रोगन का काम करवाया गया है. आने वाले दिनों में मंदिर के सौंदर्यीकरण से जुड़े कई महत्वपूर्ण काम किए जाने हैं. इसके लिए पिंगाक्ष भक्तों से भी सुझाव लिए जा रहे हैं.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>जाखू मंदिर में भी पुजारियों और कर्मचारियों के लिए शिमला के ही तारादेवी मंदिर की तर्ज पर पोशाक तैयार की जा चुकी है. जल्द ही मंदिर में बने जूताघर का भी स्वरूप बदला जाएगा. मंदिर की पवित्रता को ध्यान रखते हुए यहां साफ-सफाई समेत अन्य जरूरी बातों का भी खास ध्यान रखा जा रहा है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>क्या है मंदिर का इतिहास?</strong><br />शिमला में करीब 8 हजार 048 फीट की ऊंचाई पर विश्व प्रसिद्ध जाखू मंदिर स्थित है. इस मंदिर में भगवान हनुमान की मूर्ति स्थापित है. मान्यता है कि त्रेता युग में राम-रावण युद्ध के दौरान जब मेघनाथ के बाण से लक्ष्मण मूर्च्छित हो गए, तो सुखसेन वैद ने भगवान राम को संजीवनी बूटी लाने के लिए कहा. इसके लिए भगवान राम ने अपने अनन्य भक्त हनुमान को चुना.</p>
<p style=”text-align: justify;”>अपने प्रभु भगवान श्री राम के आदेशों पर हनुमान संजीवनी बूटी लाने के लिए द्रोणागिरी पर्वत की ओर उड़ चले. हिमालय की ओर जाते हुए भगवान हनुमान की नजर राम नाम जपते हुए ऋषि यक्ष पर पड़ी. इस पर हनुमान यहां रुककर ऋषि यक्ष के साथ भेंट की और आराम किया.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>इसी स्थान पर प्रकट हुई भगवान की स्वयंभू मूर्ति</strong>&nbsp;<br />मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित राम लाल बताते हैं कि भगवान हनुमान ने वापस लौटते हुए ऋषि यक्ष से भेंट करने का वादा किया था, लेकिन वापस लौटते समय भगवान हनुमान को देरी हो गई. समय के अभाव में भगवान हनुमान छोटे मार्ग से चले गए. ऋषि यक्ष भगवान हनुमान के न आने से व्याकुल हो उठे. ऋषि यक्ष के व्याकुल होने से भगवान हनुमान इस स्थान पर स्वयंभू मूर्ति के रूप में प्रकट हुए.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इस मंदिर में आज भी भगवान हनुमान की स्वयंभू मूर्ति और उनकी चरण पादुका मौजूद हैं. माना जाता है कि भगवान हनुमान की स्वयंभू मूर्ति प्रकट होने के बाद यक्ष ऋषि ने यहां मंदिर का निर्माण करवाया. ऋषि यक्ष से याकू और याकू से नाम जाखू पड़ा. इसी घटना की वजह से लक्ष्मण जी के प्राण बचाने वाले भगवान हनुमान को ‘लक्ष्मणप्राणदाता’ के नाम से भी जाना जाता है.</p>
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