हरियाणा के नारनौल में अटेली रेलवे स्टेशन के पास बने अंडरपास के पास रेलवे ट्रैक पर ट्रेन की चपेट में आने से एक शख्स की मौत हो गई। रेलवे पुलिस ने मृतक के शव को अपने कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए नारनौल के नागरिक अस्पताल में भेज दिया। वहीं मृतक की पहचान नहीं हो पाने के कारण अभी तक उसका पोस्टमार्टम नहीं हो पाया। रेलवे जीआरपी नारनौल चौकी के कैलाश चंद्र ने बताया कि रेलवे पुलिस को रात 12 बजे सूचना मिली कि अटेली रेलवे स्टेशन के नजदीक नंबर 1300/1214 के पास अज्ञात ट्रेन की चपेट में आने से एक 45 साल के व्यक्ति की मौत हो गई है। सूचना मिलने के बाद वे मौके पर पहुंचे और उसकी पहचान के लिए तलाशी ली। लेकिन उसकी पहचान नहीं हो पाई। उन्होंने बताया कि मृतक ने ब्लू कलर का लोअर में टी शर्ट पहनी हुई है। उसकी उम्र करीब 45 साल की है। मृतक की पहचान नहीं होने पर उसके शव को शिनाख्त के लिए नारनौल के नागरिक अस्पताल में रखवा दिया है। हरियाणा के नारनौल में अटेली रेलवे स्टेशन के पास बने अंडरपास के पास रेलवे ट्रैक पर ट्रेन की चपेट में आने से एक शख्स की मौत हो गई। रेलवे पुलिस ने मृतक के शव को अपने कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए नारनौल के नागरिक अस्पताल में भेज दिया। वहीं मृतक की पहचान नहीं हो पाने के कारण अभी तक उसका पोस्टमार्टम नहीं हो पाया। रेलवे जीआरपी नारनौल चौकी के कैलाश चंद्र ने बताया कि रेलवे पुलिस को रात 12 बजे सूचना मिली कि अटेली रेलवे स्टेशन के नजदीक नंबर 1300/1214 के पास अज्ञात ट्रेन की चपेट में आने से एक 45 साल के व्यक्ति की मौत हो गई है। सूचना मिलने के बाद वे मौके पर पहुंचे और उसकी पहचान के लिए तलाशी ली। लेकिन उसकी पहचान नहीं हो पाई। उन्होंने बताया कि मृतक ने ब्लू कलर का लोअर में टी शर्ट पहनी हुई है। उसकी उम्र करीब 45 साल की है। मृतक की पहचान नहीं होने पर उसके शव को शिनाख्त के लिए नारनौल के नागरिक अस्पताल में रखवा दिया है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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हरियाणा में कांग्रेस के 45 कैंडिडेट्स का एनालिसिस:हुड्डा का वनमैन शो, 38 टिकटें उनकी पसंद से; सांसद पत्नी-बेटों के सहारे पावर बैलेंस की कोशिश
हरियाणा में कांग्रेस के 45 कैंडिडेट्स का एनालिसिस:हुड्डा का वनमैन शो, 38 टिकटें उनकी पसंद से; सांसद पत्नी-बेटों के सहारे पावर बैलेंस की कोशिश हरियाणा चुनाव के लिए कांग्रेस ने गुरुवार देर रात दो लिस्टों में 45 उम्मीदवारों का ऐलान किया। इसमें पूर्व CM भूपेंद्र सिंह हुड्डा का वनमैन शो नजर आया। कांग्रेस हाईकमान ने 45 में से 38 टिकटें उनके करीबियों को दे दी। 2019 के मुकाबले जिन 34 सीटों पर चेहरे बदले गए, उनमें भी 33 हुड्डा खेमे के ही हैं। हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवारों में हुड्डा का दबदबा रहेगा, यह बुधवार को ही साफ हो गया था जब हुड्डा ने बिना टिकट मिले पलवल सीट से अपने समधी करण दलाल और हिसार के सांसद जयप्रकाश जेपी के बेटे विकास सहारण का कलायत से नॉमिनेशन फाइल करवा दिया। बुधवार को घोषित 45 सीटों में से सांसद कुमारी सैलजा के खाते सिर्फ 4 सीटें आईं। सैलजा कैंप में शामिल रणदीप सुरजेवाला को भी हाईकमान ने दो सीटें देकर किनारे कर दिया। कैथल से सुरजेवाला के बेटे और नरवाना से उनके करीबी सतबीर दबलेन को टिकट मिला है। 3 उदाहरण से समझिए टिकट बंटवारे में हुड्डा के दबदबा को 1. हुड्डा ने 2019 ही नहीं बल्कि 2005 से खुद से जुड़े नेताओं या उनके रिश्तेदारों को टिकट दिलाई। इनमें बड़खल से 2009 में MLA रहे महेंद्र प्रताप के बेटे विजय प्रताप, पृथला से 2009 में MLA रहे रघुवीर तेवतिया, पलवल से 2005 में MLA रहे करण दलाल, हथीन से 2009 में MLA रहे जलेब खान के बेटे मुहम्मद इजराइल और अटेली से 2009 में MLA रहीं अनीता यादव का नाम शामिल है। यह सभी लोग हुड्डा की अगुवाई वाली दो सरकारों में उनके साथ रहे। 2. कुमारी सैलजा और रणदीप सुरजेवाला के पुरजोर विरोध के बावजूद हुड्डा लगातार दो चुनाव हार चुके अपने करीबियों को भी टिकट दिलाने में कामयाब रहे। इनमें नारनौल से राव नरिंदर, बरवाला से रामनिवास घोड़ेला और पृथला से रघुवीर तेवतिया का नाम शामिल रहा। राव नरिंदर 2009 में हजकां की टिकट पर जीते और उसके बाद हुड्डा से जुड़ गए थे। 3. सिरसा से 9 दिन पहले कांग्रेस में आए गोकुल सेतिया और हांसी से पूर्व JJP नेता राहुल मक्कड़ को टिकट दिलाने में भी हुड्डा खेमा सफल रहा। आदमपुर सीट से पूर्व IAS अधिकारी चंद्रशेखर को मिली टिकट के पीछे भी हुड्डा का ही रोल रहा। जातीय समीकरण को ऐसे साधा जाट वोट बैंक को मजबूत करने की कोशिश
कांग्रेस ने जाट पॉलिटिक्स पर फिर भरोसा जताया। उसके 45 उम्मीदवारों में सबसे ज्यादा 13 चेहरे जाट बिरादरी के हैं। लोकसभा चुनाव में जाट वोटरों ने एकतरफा वोटिंग करते हुए कांग्रेस को सोनीपत, हिसार और रोहतक सीट जिताई थी। नलवा, अंबाला कैंट, कलायत, कैथल, राई, फतेहाबाद और ऐलनाबाद जैसी जाट डोमिनेंट सीटों पर उसने जाट नेताओं को टिकट दी। OBC वर्ग को जोड़ने का प्रयास
कांग्रेस ने 45 में से 10 टिकट OBC वर्ग को दिए। अकेले हिसार जिले में ही ओबीसी वर्ग को 3 सीटें दी गईं। इनमें आदमपुर से पूर्व IAS अधिकारी चंद्रप्रकाश, हिसार से रामनिवास राडा और बरवाला से रामनिवास घोड़ेला शामिल हैं। भाजपा अभी तक नायब सैनी को मुख्यमंत्री बनाकर ओबीसी कार्ड खेलती रही है। इसी का तोड़ निकालने की कोशिश कांग्रेस करती हुई नजर आई। 7 SC चेहरे
कांग्रेस ने अपनी तीसरी और चौथी लिस्ट में कुल 7 SC नेताओं को टिकट दिए। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने राज्य की 10 में से दोनों रिजर्व सीटें- अंबाला और सिरसा जीती थी। लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी से जुड़े एससी वोटबैंक को हाईकमान खोना नहीं चाहता। इसलिए उसने SC बिरादरी को प्रॉपर प्रतिनिधित्व दिया है। BJP से जुड़े पंजाबियों को लुभाने के लिए 4 टिकट
कांग्रेस ने 4 पंजाबी चेहरों को टिकट दी है। इनमें सिरसा से गोकुल सेतिया, पानीपत शहरी से वरिंदर कुमार शाह, हांसी से राहुल मक्कड़ और अंबाला कैंट से परविंदर परिमल परी शामिल हैं। सीधे तौर पर इन सीटों पर पंजाबी वोट बैंक का डोमिनेंस है। कांग्रेस ने भाजपा में पंजाबी चेहरों को लेकर पैदा हुए खालीपन को कैश करने की कोशिश की है। भाजपा के 3 बड़े पंजाबी चेहरों में से मनोहर लाल खट्टर केंद्र में जा चुके हैं। अनिल विज अपने क्षेत्र तक सीमित हो चुके हैं। वहीं संजय भाटिया ने चुनाव लड़ने से ही इनकार कर दिया। 2 ब्राह्मण, 2 मुस्लिम भी उतारे
कांग्रेस ने राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के ‘नफरत के बाजार में मुहब्बत की दुकान’ के नारे को कैश करने की भी कोशिश की है। इसके लिए यमुनानगर से रमन त्यागी और बल्लभगढ़ से पराग शर्मा को टिकट दी है। ये दोनों शहरी सीटें हैं। इसके अलावा जगाधरी से अकरम खान और हथीन से मुहम्मद इजराइल को टिकट दी है। हथीन नूंह से सीट सीट है और यहां बड़ा मुस्लिम वोट बैंक है। वहीं जगाधरी में भी मुस्लिम वोट बैंक का असर है। वैश्य, राजपूत और जट्ट सिख को भी टिकट
कांग्रेस ने हर जाति को शामिल करने की कोशिश की है। इनमें 2 वैश्य उम्मीदवार जींद से महाबीर गुप्ता और फरीदाबाद से लखन कुमार सिंगला को टिकट दी है। इन दोनों सीटों पर व्यापारी वोट बैंक ज्यादा है। इसके अलावा घरौंडा से राजपूत वर्ग से वरिंदर सिंह राठौड़ को उतारा है। यहां राजपूत वोट बैंक ज्यादा है। पिहोवा से जट्ट सिख मनदीप सिंह चट्ठा को टिकट दी है। पंजाब से सटी इस सीट पर सिख वोट बैंक ज्यादा है। क्षेत्रीय समीकरण ऐसे साधे जीटी रोड बेल्ट: भाजपा के गढ़ में 13 चेहरे बदले
कांग्रेस ने BJP के स्ट्रॉन्ग होल्ड वाली जीटी रोड बेल्ट में बड़ी सर्जरी की है। 10 साल से सरकार में बैठी भाजपा के खिलाफ भले ही एंटी इनकंबेंसी बताई जा रही हो लेकिन कांग्रेस ने रिस्क लेना ठीक नहीं समझा। उसने पंचकूला से सोनीपत तक इस बेल्ट की पेंडिंग 13 में से 10 सीटों पर 2019 के मुकाबले चेहरे बदल दिए। इनमें से कुछ भूपेंद्र सिंह हुड्डा के 10 से 15 साल पुराने साथी रहे हैं। खास बात यह भी है कि कांग्रेस ने इस एरिया की दो सीटों पर पंजाबी चेहरे भी उतारे हैं। बागड़ बेल्ट: 2019 में जहां हारी, वहां कैंडिडेट बदले
कांग्रेस ने भिवानी से हिसार-सिरसा तक की बागड़ बेल्ट में लोकसभा की तरह विधानसभा में भी दबदबा कायम रखने के लिए 9 नए चेहरे उतारे हैं। उसने बाढ़डा, दादरी, नलवा, लोहारू, बवानीखेड़ा, सिरसा, ऐलनाबाद, आदमपुर और हांसी सीट पर चेहरे बदले हैं। 2019 में कांग्रेस यह सारी सीटें हार गई थीं। इस बेल्ट की तीन सीटों- उकलाना (SC), नारनौंद व भिवानी में कैंडिडेट का इंतजार है। बांगर बेल्ट: धुरंधरों पर भरोसा
बांगर बेल्ट के जींद और कैथल जिलों में पार्टी ने दिग्गजों पर भरोसा जताया है। जींद शहर को साधने के लिए उसने पूर्व मंत्री मांगेराम गुप्ता के बेटे महाबीर गुप्ता पर भरोसा जताया है। कैथल जिले की दो सीटों पर अपने सांसदों जयप्रकाश जेपी और रणदीप सुरजेवाला के बेटों को उतारा है। इस एरिया में कांग्रेस खोई जमीन वापस पाने की तलाश में है। दक्षिण हरियाणा-अहीरवाल: 7 टिकट रिपीट, 5 चेहरे बदले
कांग्रेस ने BJP के दूसरे मजबूत गढ़ दक्षिण हरियाणा-अहीरवाल पर भी खास फोकस किया है। 2014 और 2019 में भाजपा को सत्ता तक पहुंचाने में अहम रोल इसी इलाके का रहा। इस बार कांग्रेस इसे तोड़ने की कोशिश करती नजर आ रही है। अहीरवाल भाजपा नेता राव इंद्रजीत का गढ़ माना जाता है इसलिए कांग्रेस ने उनके भाई राव यादवेंद्र सिंह का टिकट काट दिया। इस इलाके की 7 सीटों पर कांग्रेस ने टिकट रिपीट किए हैं वहीं 5 जगह कैंडिडेट बदले हैं। यहां की सोहना सीट का टिकट अभी पेंडिंग है।
हरियाणा में मानसून फिर कमजोर पड़ा:7 अगस्त से एक्टिव होगा; आज कुछ स्थानों पर बूंदाबांदी, 3 दिन की बारिश से पारा 7 डिग्री गिरा
हरियाणा में मानसून फिर कमजोर पड़ा:7 अगस्त से एक्टिव होगा; आज कुछ स्थानों पर बूंदाबांदी, 3 दिन की बारिश से पारा 7 डिग्री गिरा हरियाणा में मानसून फिर कमजोर पड़ गया है। मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि 7 अगस्त से प्रदेश में मानसून फिर सक्रिय होगा। इस बार मानसून प्रदेश से रूठा रहा, यही कारण है कि 1 जून से 2 अगस्त तक मात्र 162.1 एमएम बारिश ही दर्ज की गई। जबकि सामान्य तौर पर प्रदेश में 217 एमएल बारिश होनी चाहिए थी। मौसम विभाग ने आज यानी शनिवार को प्रदेश के कुछ जिलों में बूंदाबांदी की संभावना जताई है। 4 अगस्त से प्रदेश में मानसून की सक्रियता कम हो जाएगी। शुक्रवार को सबसे ज्यादा बारिश चरखी दादरी में हुई। यहां 21 एमएम बारिश दर्ज की गई। इसके अलावा 10 और जिलों में बारिश दर्ज की गई। 6 अगस्त तक कोई अलर्ट नहीं हरियाणा में मानसून के कमजोर पड़ने के कारण मौसम विभाग ने 6 अगस्त तक कोई अलर्ट जारी नहीं किया है। चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के कृषि मौसम विज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ. मदन खीचड़ ने बताया कि मानसून की अक्षय रेखा उत्तर दिशा की ओर सामान्य स्थिति में रहने के कारण 3 अगस्त को प्रदेश के कई इलाकों में बारिश की संभावना है। 4 से 6 अगस्त के बीच कुछ स्थानों पर हल्की बारिश भी हो सकती है। इसलिए 6 से 9 अगस्त को बन रहे बारिश के आसार पंजाब के ऊपर एक और साइक्लोनिक सर्कुलेशन बनने से बंगाल की खाड़ी की ओर से मानसूनी सक्रियता बढ़ने की संभावना है। जिसके प्रभाव से छह से नौ अगस्त के बीच भी हरियाणा के कई क्षेत्रों में बारिश की संभावना बन रही है। कुछ स्थानों पर तेज बारिश भी हो सकती है। जिससे तापमान में गिरावट आ सकती है। 5 सालों में जुलाई में सबसे कम बारिश हरियाणा में इस बार जुलाई में 5 सालों में सबसे कम बारिश हुई है। आंकडों को देखे तो 2018 में549 एमएम बारिश हुई थी। 2019 में 244.8, 2020 में 440.6, 2021 में 668.1, 2022 में472, 2023 में 390 और 2024 में 97.9 एमएम ही बारिश रिकॉर्ड की गई है। कम बारिश होने के कारण सूबे के धान पैदावार करने वाले किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। उन्हें ट्यूबवेल से सिंचाई करनी पड़ रही है।
गुरुग्राम में सोहना सीट पर कई दिग्गजों की नजर:पूर्व MP जौनपुरिया तलाश रहे राजनीतिक जमीन; रिटायर्ड HCS नरेंद्र यादव दे रहे टक्कर
गुरुग्राम में सोहना सीट पर कई दिग्गजों की नजर:पूर्व MP जौनपुरिया तलाश रहे राजनीतिक जमीन; रिटायर्ड HCS नरेंद्र यादव दे रहे टक्कर हरियाणा के गुरुग्राम में बढ़ रहे चुनावी पारे के बीच सोहना-तावडू विधानसभा सीट भी इस समय हॉट सीट बनी हुई है। यहां पर मौजूदा भाजपा विधायक एवं मंत्री संजय सिंह की टिकट पर तलवार लटकी हुई है। वहीं 2014 से राजस्थान में राजनीति कर रहे वाले सुखबीर जौनपुरिया एक बार फिर से इस एरिया में चुनावी रण में कूदने की रणनीति बना रहे हैं। हालांकि पूर्व सूचना आयुक्त एवं एचसीएस अधिकारी नरेंद्र सिंह यादव कड़ी चुनौती दे रहे हैं। सोहना-तावडू विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो यहां से अधिकतर बाहरी प्रत्याशी ही चुनाव जीतते आए हैं। एक प्रकार से बाहरी नेताओं के लिए यह सीट सोने से कम नहीं है। यहां के वोटर्स स्थानीय नेताओं को अधिक तवोज्जों नहीं देते हैं। इसी के चलते दूसरे क्षेत्र के आयतित नेता यहां से चुनाव जीतते आए हैं। इस चुनाव में यहां पर राजनीतिक नेताओं व प्रशासनिक सेवा से राजनीति मैदान में कूद रहे नरेंद्र सिंह यादव के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है। विधायक की कार्य प्रणाली से लोग नाराज मौजूदा विधायक संजय सिंह की कार्यप्रणाली से स्थानीय लोग खासे नाराज हैं और इसको लेकर कई बार सार्वजनिक तौर पर लोगों ने उनका विरोध भी हो चुका है। चुनाव जीतने के बाद क्षेत्र के प्रति उनकी उदासीनता ने उनकी टिकट पर भी संशय पैदा कर दिया है। वहीं दूसरी ओर राजस्थान में 10 साल की राजनीतिक पारी खेलने के बाद सुखबीर जौनपुरिया एक बार फिर सोहना का रुख कर रहे हैं। हालांकि पहले वह अपने बेटे के लिए प्रयास कर रहे थे, लेकिन पार्टी ने कोई सकारात्मक संदेश नहीं दिए तो वह खुद ही चुनावी रण में उतरने की कोशिश में जुटे हुए हैं। बीजेपी भी हैट्रिक मारने के लिए नए चेहरे, अधिकारियों पर नजर गड़ाए हुए है। शायद बीजेपी से कोई संदेश मिलने के बाद ही नरेंद्र यादव क्षेत्र में लगातार सक्रिय होकर रैली, जनसभाएं कर रहे है। टोंक-सवाई माधोपुर लोकसभा से चुनाव हारे थे जौनापुरिया
2014 व 2019 के लोकसभा चुनाव में सुखबीर जौनपुरिया राजस्थान की टोंक-सवाई माधोपुर सीट से चुनाव जीते थे। हाल के चुनाव में वह 60 हजार से अधिक वोटों से रिटायर्ड आईपीएस कांग्रेस प्रत्याशी हरीश मीणा से परास्त हुए थे। अब वह अपनी सियासी जमीन एक बार फिर से सोहना में तलाशते नजर आ रहे हैं। नरेंद्र यादव को मिल रहा समर्थन
नरेंद्र यादव ने अपने 37 साल के प्रशासनिक कार्यकाल का अधिकतर समय इसी विधानसभा में व्यतित किया है। तहसीलदार, आरटीओ, एसडीएम के रूप में उन्होंने यहां पर आम लोगों के लिए बहुत काम किया। बाघनकी गांव के सरपंच राजबीर ने भास्कर को बताया कि वह सामाजिक कार्यों के साथ ही लोगों से पारिवारिक रिश्ते रखते थे। इसी के चलते हर वर्ग उनको अपना मानता था। प्रशासनिक समझ व अनुभव के चलते लोगों को भी लग रहा है कि नेता के बजाए इस बार प्रशासनिक अधिकारी रहे नरेंद्र यादव पर एतबार किया जाए। खुद नरेंद्र बताते हैं कि क्षेत्र में विकास के साथ ही सरकारी योजनाओं को धरातल पर लाना और लोगों के काम अधिकारियों से करवाना उन्हें भलीभांति आता है। इसी के चलते आम लोग पूर्व सूचना आयुक्त नरेंद्र यादव की ओर उम्मीद भरी नजरों से देखकर उनको चुनावी रण में उतारने को बेताब हैं। दो नेता ही लगातार दो चुनाव जीते
यहां पर दो बार ही 1968 व 1972 में कन्हैयालाल पोसवाल एवं 1987-1991 में राव धर्मपाल ही लगातार दो चुनाव जीते हैं। इस समीकरण के चलते भी मौजूदा विधायक संजय सिंह की सांसे ऊपर-नीचे हो रहीं हैं।