निवेश के नाम पर 300 से ज्यादा लोगों को ठगा, मास्टरमाइंड 9 सालों के बाद कोलकाता से गिरफ्तार

निवेश के नाम पर 300 से ज्यादा लोगों को ठगा, मास्टरमाइंड 9 सालों के बाद कोलकाता से गिरफ्तार

<p style=”text-align: justify;”><strong>Delhi Ponzi Scam:</strong> दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की टीम ने 9 सालों से फरार आरोपी को आखिरकार कोलकाता से गिरफ्तार कर लिया है. दिल्ली पुलिस के मुताबिक आरोपियों ने एक पोंजी योजना चलाई और तीन सौ से अधिक भोले-भाले निवेशकों को ठगा है. पुलिस ने कहा कि पकड़े गए आरोपियों पर 25,000 का इनाम घोषित किया गया था.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>यह है पूरा मामला&nbsp;</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>दिल्ली पुलिस के मुताबिक साल 2013 में आरोपियों ने मेसर्स हनीबी म्युचुअल बेनिफिट प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी को पंजीकृत कराया.जिनमें छोटे निवेशकों को मासिक निवेश करने के लिए लुभाया गया. पैसा इकट्ठा करने के लिए एजेंटों का एक बड़ा नेटवर्क तैयार किया गया, जिन्हें कमीशन दिया जाता था. शुरुआत में कुछ निवेशकों को उनके पैसे वापस करके भरोसा जीतने का प्रयास किया गया. लेकिन डेढ़ साल के भीतर, कंपनी के सभी प्रमुख लोग रातोंरात फरार हो गए और कार्यालय बंद कर दिया. इससे 300 से अधिक निवेशकों की गाढ़ी कमाई डूब गई.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>दिल्ली पुलिस ने दर्ज किया मुकदमा&nbsp;</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>दिल्ली पुलिस ने इस मामले में आइपीसी की धारा के तहत मामला दर्ज किया. शुरुआत में आरोपी अनिर्बान मजूमदार को गिरफ्तार किया गया था, लेकिन जमानत मिलने के बाद वह अदालत में पेश नहीं हुआ. इसके बाद उसे अन्य निदेशकों के साथ उद्घोषित अपराधी घोषित कर दिया गया.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>दिल्ली पुलिस ने जांच में किए अहम खुलासे&nbsp;</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>दिल्ली पुलिस ने एफआईआर दर्ज होने के बाद सभी आरोपी दिल्ली से फरार हो गए और अपने एजेंटों से संपर्क तोड़ लिया. आरोपियों ने अपनी पहचान बदलने के लिए नए पैन कार्ड, आधार कार्ड और अन्य दस्तावेज बनवा लिए. कंपनी के प्रमुख लोग अलग-अलग पते पर जाकर छिप गए और निवेशकों के पैसे लेकर गायब हो गए. बाद में अदालत ने आरोपियों को उद्घोषित अपराधी घोषित किया और उनकी गिरफ्तारी पर इनाम रखा गया. जॉयदीप सिन्हा और अमिताभ चौधरी को कभी गिरफ्तार नहीं किया गया.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>दिल्ली पुलिस ने रणनीति बनाकर किया गिरफ्तार</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>दिल्ली पुलिस ने जांच के दौरान, दिल्ली और कोलकाता में आरोपियों की हर संभव जानकारी जुटाई गई. तकनीकी डेटा के गहन विश्लेषण के बाद, आरोपियों की पश्चिम बंगाल के अलग-अलग स्थानों पर उपस्थिति का पता चला. ऑपरेशन पूरा करने के लिए बनाई टीम को तीन छोटे दलों में विभाजित किया गया और आरोपियों के ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की गई. आखिरकार, दो आरोपी अनिर्बान मजूमदार (निवासी कोलकाता) और जॉयदीप सिन्हा (निवासी दुर्गापुर, पश्चिम बंगाल) को गिरफ्तार कर लिया गया.</p>
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<p style=”text-align: justify;”><strong>इसे भी पढ़ें:<a href=”https://www.abplive.com/states/delhi-ncr/delhi-police-opposed-petition-to-register-case-against-bjp-leader-kapil-mishra-in-rouse-avenue-court-2020-delhi-riots-case-ann-2894473″> 2020 दिल्ली दंगा मामले में कपिल मिश्रा को लेकर पुलिस का बड़ा दावा, कोर्ट में साफ की तस्वीर</a></strong></p>
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<p style=”text-align: justify;”>&nbsp;</p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Delhi Ponzi Scam:</strong> दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की टीम ने 9 सालों से फरार आरोपी को आखिरकार कोलकाता से गिरफ्तार कर लिया है. दिल्ली पुलिस के मुताबिक आरोपियों ने एक पोंजी योजना चलाई और तीन सौ से अधिक भोले-भाले निवेशकों को ठगा है. पुलिस ने कहा कि पकड़े गए आरोपियों पर 25,000 का इनाम घोषित किया गया था.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>यह है पूरा मामला&nbsp;</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>दिल्ली पुलिस के मुताबिक साल 2013 में आरोपियों ने मेसर्स हनीबी म्युचुअल बेनिफिट प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी को पंजीकृत कराया.जिनमें छोटे निवेशकों को मासिक निवेश करने के लिए लुभाया गया. पैसा इकट्ठा करने के लिए एजेंटों का एक बड़ा नेटवर्क तैयार किया गया, जिन्हें कमीशन दिया जाता था. शुरुआत में कुछ निवेशकों को उनके पैसे वापस करके भरोसा जीतने का प्रयास किया गया. लेकिन डेढ़ साल के भीतर, कंपनी के सभी प्रमुख लोग रातोंरात फरार हो गए और कार्यालय बंद कर दिया. इससे 300 से अधिक निवेशकों की गाढ़ी कमाई डूब गई.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>दिल्ली पुलिस ने दर्ज किया मुकदमा&nbsp;</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>दिल्ली पुलिस ने इस मामले में आइपीसी की धारा के तहत मामला दर्ज किया. शुरुआत में आरोपी अनिर्बान मजूमदार को गिरफ्तार किया गया था, लेकिन जमानत मिलने के बाद वह अदालत में पेश नहीं हुआ. इसके बाद उसे अन्य निदेशकों के साथ उद्घोषित अपराधी घोषित कर दिया गया.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>दिल्ली पुलिस ने जांच में किए अहम खुलासे&nbsp;</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>दिल्ली पुलिस ने एफआईआर दर्ज होने के बाद सभी आरोपी दिल्ली से फरार हो गए और अपने एजेंटों से संपर्क तोड़ लिया. आरोपियों ने अपनी पहचान बदलने के लिए नए पैन कार्ड, आधार कार्ड और अन्य दस्तावेज बनवा लिए. कंपनी के प्रमुख लोग अलग-अलग पते पर जाकर छिप गए और निवेशकों के पैसे लेकर गायब हो गए. बाद में अदालत ने आरोपियों को उद्घोषित अपराधी घोषित किया और उनकी गिरफ्तारी पर इनाम रखा गया. जॉयदीप सिन्हा और अमिताभ चौधरी को कभी गिरफ्तार नहीं किया गया.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>दिल्ली पुलिस ने रणनीति बनाकर किया गिरफ्तार</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>दिल्ली पुलिस ने जांच के दौरान, दिल्ली और कोलकाता में आरोपियों की हर संभव जानकारी जुटाई गई. तकनीकी डेटा के गहन विश्लेषण के बाद, आरोपियों की पश्चिम बंगाल के अलग-अलग स्थानों पर उपस्थिति का पता चला. ऑपरेशन पूरा करने के लिए बनाई टीम को तीन छोटे दलों में विभाजित किया गया और आरोपियों के ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की गई. आखिरकार, दो आरोपी अनिर्बान मजूमदार (निवासी कोलकाता) और जॉयदीप सिन्हा (निवासी दुर्गापुर, पश्चिम बंगाल) को गिरफ्तार कर लिया गया.</p>
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