नूंह के झिरकेश्वर मंदिर में 26 को लगेगा मेला:पांडवों ने अज्ञातवास में की थी शिवलिंग की स्थापना, हजारों साल पुराना इतिहास

नूंह के झिरकेश्वर मंदिर में 26 को लगेगा मेला:पांडवों ने अज्ञातवास में की थी शिवलिंग की स्थापना, हजारों साल पुराना इतिहास

हरियाणा के नूंह जिले के फिरोजपुर झिरका स्थित अरावली की गोद में बसा झिरकेश्वर महादेव मंदिर भी अपने आप में इतिहास समेटे हुए है। झिरकेश्वर महादेव मंदिर के विषय में मान्यता है कि पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान इस रमणीक स्थल पर पूजा अर्चना कर एक शिवलिंग की स्थापना की थी, तभी से यह जगह तपोभूमि के रूप में विख्यात हो गई। इस मंदिर की खोज सन 1846 के तत्कालीन तहसीलदार जीवन लाल शर्मा द्वारा की गई थी। इस मंदिर पर 26 फरवरी को एक विशाल मेले का आयोजन भी किया जाएगा। जिसकी तैयारियां चल रही है। दूरदराज के राज्यों में बढ़ती गई लोकप्रियता जानकारों का कहना है कि तत्कालीन तहसीलदार जीवन लाल शर्मा अरावली पर्वत श्रृंखला में शिवलिंग के होने का सपना दिखाई दिया। इसका अनुसरण करते हुए तहसीलदार ने भोले शंकर की पवित्र शिवलिंग को खोज निकाला और उस स्थान पर पूजा अर्चना शुरू कर दी। आसपास के इलाकों में जब यह खबर पहुंची तो यहां पर श्रद्धालुओं का जमघट लगना शुरू हो गया। उसी समय से श्रद्धा का केन्द्र रहे इस पौराणिक धार्मिक स्थल की लोकप्रियता दूरदराज के राज्यों में भी बढ़ती चली गई। अरावली की वादियों में ऐतिहासिक पांडव कालीन प्राचीन शिवमंदिर लाखों लोगों की आस्था का केन्द्र बन गया। 26 फरवरी को होगा मेले का आयोजन पांडव कालीन ऐतिहासिक मंदिर में वर्ष में दो बार शिवरात्रि के अवसर पर विशाल मेले का आयोजन किया जाता है। आगामी 26 फरवरी को शिवरात्रि पर्व पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। मेले में हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश सहित दिल्ली से बहुत संख्या में शिव भक्त आकर शिवलिंग पर जलाभिषेक कर धर्म लाभ कमाते हैं। अरावली पर्वत श्रृंखला में स्थित शिव मंदिर के बारे में अनेक प्रकार की कहावतें प्रचलित है कहा जाता है कि यह पवित्र गुफा में विराजमान शिवलिंग के दर्शन मात्र से ही जन्म जन्मांतर के दुखों एवं पापों का निवारण हो जाता है। मंदिर परिसर में बने शिवलिंग पर जलाभिषेक कर सच्चे मन से मांगी गई मुराद अवश्य पूरी होती है। यहां साल भर में कई धार्मिक कार्यक्रम होते हैं। लेकिन सावन मास के महीने में शिव भक्तों श्रद्धालुओं की संख्या अधिक बढ़ जाती है। मंदिर का इतिहास शिव मंदिर अध्यक्ष अनिल कुमार गोयल ने बताया कि प्राचीन झिरकेश्वर शिव मंदिर का इतिहास हजारों साल पुराना है। इसे पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान बनाया था। पांडवों ने यहां भगवान शिवलिंग की स्थापना की थी। यहां हजारों की संख्या में भक्तजन दर्शन कर धर्म लाभ कमाते हैं। यहां भोले बाबा सबकी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। ऐसी लोगों की आस्था मंदिर के प्रति बनी हुई है। मंदिर कैसे पहुंचा जाए फिरोजपुर झिरका शहर से यह मंदिर 5 किलोमीटर की दूरी पर है। देश की राजधानी दिल्ली से 110 किलोमीटर और राजस्थान के तिजारा से 17 किलोमीटर तथा अलवर से 60 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां पहुंचने के लिए परिवहन की बसों के अलावा निजी साधनों और टैक्सी के माध्यम से भी पहुंचा जा सकता है। यहां मंदिर से पहले रास्ते में गौशाला, हनुमान मंदिर, शनिदेव मंदिर के अलावा कई धार्मिक स्थल बने हुए हैं। जलाभिषेक से मनोवांछित फल की प्राप्ति फिरोजपुर झिरका से मंदिर तक पेट के बल बच्चे, महिलाएं और पुरुष दंडवत होकर अपनी मन्नतें मांगते हैं। इसके अलावा मंदिर परिसर में बने कुएं से जल भरकर शिवलिंग पर जलाभिषेक करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। जिसको लेकर शहर सहित दूरदराज से आए शिवभक्त, महिलाएं और युवतियां आकर कुएं से जल भरकर शिवलिंग पर जलाभिषेक कर मनोवांछित फल पाते है। हरियाणा के नूंह जिले के फिरोजपुर झिरका स्थित अरावली की गोद में बसा झिरकेश्वर महादेव मंदिर भी अपने आप में इतिहास समेटे हुए है। झिरकेश्वर महादेव मंदिर के विषय में मान्यता है कि पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान इस रमणीक स्थल पर पूजा अर्चना कर एक शिवलिंग की स्थापना की थी, तभी से यह जगह तपोभूमि के रूप में विख्यात हो गई। इस मंदिर की खोज सन 1846 के तत्कालीन तहसीलदार जीवन लाल शर्मा द्वारा की गई थी। इस मंदिर पर 26 फरवरी को एक विशाल मेले का आयोजन भी किया जाएगा। जिसकी तैयारियां चल रही है। दूरदराज के राज्यों में बढ़ती गई लोकप्रियता जानकारों का कहना है कि तत्कालीन तहसीलदार जीवन लाल शर्मा अरावली पर्वत श्रृंखला में शिवलिंग के होने का सपना दिखाई दिया। इसका अनुसरण करते हुए तहसीलदार ने भोले शंकर की पवित्र शिवलिंग को खोज निकाला और उस स्थान पर पूजा अर्चना शुरू कर दी। आसपास के इलाकों में जब यह खबर पहुंची तो यहां पर श्रद्धालुओं का जमघट लगना शुरू हो गया। उसी समय से श्रद्धा का केन्द्र रहे इस पौराणिक धार्मिक स्थल की लोकप्रियता दूरदराज के राज्यों में भी बढ़ती चली गई। अरावली की वादियों में ऐतिहासिक पांडव कालीन प्राचीन शिवमंदिर लाखों लोगों की आस्था का केन्द्र बन गया। 26 फरवरी को होगा मेले का आयोजन पांडव कालीन ऐतिहासिक मंदिर में वर्ष में दो बार शिवरात्रि के अवसर पर विशाल मेले का आयोजन किया जाता है। आगामी 26 फरवरी को शिवरात्रि पर्व पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। मेले में हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश सहित दिल्ली से बहुत संख्या में शिव भक्त आकर शिवलिंग पर जलाभिषेक कर धर्म लाभ कमाते हैं। अरावली पर्वत श्रृंखला में स्थित शिव मंदिर के बारे में अनेक प्रकार की कहावतें प्रचलित है कहा जाता है कि यह पवित्र गुफा में विराजमान शिवलिंग के दर्शन मात्र से ही जन्म जन्मांतर के दुखों एवं पापों का निवारण हो जाता है। मंदिर परिसर में बने शिवलिंग पर जलाभिषेक कर सच्चे मन से मांगी गई मुराद अवश्य पूरी होती है। यहां साल भर में कई धार्मिक कार्यक्रम होते हैं। लेकिन सावन मास के महीने में शिव भक्तों श्रद्धालुओं की संख्या अधिक बढ़ जाती है। मंदिर का इतिहास शिव मंदिर अध्यक्ष अनिल कुमार गोयल ने बताया कि प्राचीन झिरकेश्वर शिव मंदिर का इतिहास हजारों साल पुराना है। इसे पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान बनाया था। पांडवों ने यहां भगवान शिवलिंग की स्थापना की थी। यहां हजारों की संख्या में भक्तजन दर्शन कर धर्म लाभ कमाते हैं। यहां भोले बाबा सबकी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। ऐसी लोगों की आस्था मंदिर के प्रति बनी हुई है। मंदिर कैसे पहुंचा जाए फिरोजपुर झिरका शहर से यह मंदिर 5 किलोमीटर की दूरी पर है। देश की राजधानी दिल्ली से 110 किलोमीटर और राजस्थान के तिजारा से 17 किलोमीटर तथा अलवर से 60 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां पहुंचने के लिए परिवहन की बसों के अलावा निजी साधनों और टैक्सी के माध्यम से भी पहुंचा जा सकता है। यहां मंदिर से पहले रास्ते में गौशाला, हनुमान मंदिर, शनिदेव मंदिर के अलावा कई धार्मिक स्थल बने हुए हैं। जलाभिषेक से मनोवांछित फल की प्राप्ति फिरोजपुर झिरका से मंदिर तक पेट के बल बच्चे, महिलाएं और पुरुष दंडवत होकर अपनी मन्नतें मांगते हैं। इसके अलावा मंदिर परिसर में बने कुएं से जल भरकर शिवलिंग पर जलाभिषेक करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। जिसको लेकर शहर सहित दूरदराज से आए शिवभक्त, महिलाएं और युवतियां आकर कुएं से जल भरकर शिवलिंग पर जलाभिषेक कर मनोवांछित फल पाते है।   हरियाणा | दैनिक भास्कर