पंजाब सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष में अपने कर्ज की सीमा बढ़ाने की मांग केंद्र सरकार के सामने रखी है। सरकार ने कर्ज सीमा 10 हजार करोड़ बढ़ोतरी की मांग की है। इसके लिए सरकार की तरफ से वित्त मंत्रालय को पत्र लिखा गया । वित्तीय संकट से जूझ रही सरकार ने पत्र में अपने खर्च का हवाला दिया है। सरकार को लगता है कि मौजूदा सालाना कर्ज सीमा से मौजूदा वित्तीय साल की भरपाई नहीं होगी। सरकार अधिक कर्ज उठाकर अपने खर्चों की पूर्ति करना चाहती है। विरासत में मिले कर्ज और ब्याज का दिया हवाला साल 2024-25 के लिए पंजाब में कर्ज की सीमा 30,464, 92 करोड़ रुपए है। जिसमें जुलाई तक सरकार 13,094 करोड़ का कर्जा उठा लिया है। इसके अलावा सरकार ने चालू वित्तीय साल में दस हजार करोड़ कर्ज सीमा की और जरूरत है। वित्तीय साल 2023-24 में सूबा सरकार ने कर्ज लेने की सीमा 45,730 करोड़ थी। गत साल एक बार केंद्र सरकार पंजाब की कर्ज सीमा मे 2387 करोड़ की कटौती की थी। अगस्त महीने में हुई कैबिनेट मीटिंग में केंद्रीय वित्त मंत्रायल को कर्ज सीमा बढ़ाने के लिए पत्र लिखने को मंजूरी दी थी। राज्य सरकार ने पत्र में दलील दी है कि गत सरकारों से उन्हें कर्ज विरासत के रूप में मिला है। जिसे वापस किया जाना है। पंजाब सरकार की तरफ से 69, 867 करोड़ रुपए कर्ज की अदायगी की जानी है। 23,900 करोड़ की राशि केवल कर्ज और ब्याज की अदायगी है। गत दिनों में वित्तीय संकट के मद्देनजर पंजाब सरकार ने कई फैसले लिए हैं। इसमें सात किलोवाट पर तीन रुपए बिजली सब्सिडी खत्म करने, तेल कीमतों में बढ़ोतरी, ग्रीन टैक्स लगाना शामिल है। इससे सरकार को आमदन होगी। सरकार को समय से मुलाजिमों को उनके बेतन देने की है। अगस्त माह को बेतन चार सितंबर को देनी है। मंत्रालय ने नहीं सुनी तो पीएम के समक्ष उठाएंगे मुद्दा अगर वित्त मंत्रालय कर्ज की सीमा को बढ़ाने के लिए कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई तो ऐसे में सीएम भगवंत मान इस मामले को प्रधानमंत्री भगवंत मान के समक्ष उठा सकते है। क्योंकि केंद्र सरकार ने नेशनल सेहत मिशन व ग्रामीण विकास फंड की बकाया राशि जारी नहीं की है। साथ ही जीएसटी लागू होने मुआवजा भी बंद है। इसी तरह वित्त कमीशन द्वारा दी गई राजस्व घाटा ग्रांट चालू वित्तीय साल के लिए कम होकर 1995 करोड़ रुपए रह गई । पंजाब सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष में अपने कर्ज की सीमा बढ़ाने की मांग केंद्र सरकार के सामने रखी है। सरकार ने कर्ज सीमा 10 हजार करोड़ बढ़ोतरी की मांग की है। इसके लिए सरकार की तरफ से वित्त मंत्रालय को पत्र लिखा गया । वित्तीय संकट से जूझ रही सरकार ने पत्र में अपने खर्च का हवाला दिया है। सरकार को लगता है कि मौजूदा सालाना कर्ज सीमा से मौजूदा वित्तीय साल की भरपाई नहीं होगी। सरकार अधिक कर्ज उठाकर अपने खर्चों की पूर्ति करना चाहती है। विरासत में मिले कर्ज और ब्याज का दिया हवाला साल 2024-25 के लिए पंजाब में कर्ज की सीमा 30,464, 92 करोड़ रुपए है। जिसमें जुलाई तक सरकार 13,094 करोड़ का कर्जा उठा लिया है। इसके अलावा सरकार ने चालू वित्तीय साल में दस हजार करोड़ कर्ज सीमा की और जरूरत है। वित्तीय साल 2023-24 में सूबा सरकार ने कर्ज लेने की सीमा 45,730 करोड़ थी। गत साल एक बार केंद्र सरकार पंजाब की कर्ज सीमा मे 2387 करोड़ की कटौती की थी। अगस्त महीने में हुई कैबिनेट मीटिंग में केंद्रीय वित्त मंत्रायल को कर्ज सीमा बढ़ाने के लिए पत्र लिखने को मंजूरी दी थी। राज्य सरकार ने पत्र में दलील दी है कि गत सरकारों से उन्हें कर्ज विरासत के रूप में मिला है। जिसे वापस किया जाना है। पंजाब सरकार की तरफ से 69, 867 करोड़ रुपए कर्ज की अदायगी की जानी है। 23,900 करोड़ की राशि केवल कर्ज और ब्याज की अदायगी है। गत दिनों में वित्तीय संकट के मद्देनजर पंजाब सरकार ने कई फैसले लिए हैं। इसमें सात किलोवाट पर तीन रुपए बिजली सब्सिडी खत्म करने, तेल कीमतों में बढ़ोतरी, ग्रीन टैक्स लगाना शामिल है। इससे सरकार को आमदन होगी। सरकार को समय से मुलाजिमों को उनके बेतन देने की है। अगस्त माह को बेतन चार सितंबर को देनी है। मंत्रालय ने नहीं सुनी तो पीएम के समक्ष उठाएंगे मुद्दा अगर वित्त मंत्रालय कर्ज की सीमा को बढ़ाने के लिए कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई तो ऐसे में सीएम भगवंत मान इस मामले को प्रधानमंत्री भगवंत मान के समक्ष उठा सकते है। क्योंकि केंद्र सरकार ने नेशनल सेहत मिशन व ग्रामीण विकास फंड की बकाया राशि जारी नहीं की है। साथ ही जीएसटी लागू होने मुआवजा भी बंद है। इसी तरह वित्त कमीशन द्वारा दी गई राजस्व घाटा ग्रांट चालू वित्तीय साल के लिए कम होकर 1995 करोड़ रुपए रह गई । पंजाब | दैनिक भास्कर
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