पंजाब के 16 डेंटल कॉलेजों में प्रवेश के लिए काउंसिलिंग के पहले दौर में 747 सीटें खाली रह गई हैं। बाबा फरीद यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज (बीएफयूएचएस) के अंतर्गत बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी (बीडीएस) में 16 डेंटल कॉलेज में कुल 1,350 सीटें हैं। इनका प्रमुख कारण पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट की तरफ से NRI कोटा सीटों को भरने पर रोक बताया जा रहा है। राज्य में सबसे अधिक 100 में से 75 बीडीएस सीटें गोबिंदगढ़ के देश भगत डेंटल कॉलेज में खाली रह गई हैं। इसके बाद बठिंडा के सुनाम में गुरु नानक देव डेंटल कॉलेज एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट में 69 सीटें, डेरा बस्सी में नेशनल डेंटल कॉलेज में 66 सीटें, आदेश यूनिवर्सिटी बठिंडा में 65, डेरा बस्सी में श्री सुखमनी ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट्स में 62, फिरोजपुर में जेनेसिस इंस्टीट्यूट ऑफ डेंटल साइंसेज एंड रिसर्च में 60 और बनूड़ में जियान सागर हॉस्पिटल एंड मेडिकल कॉलेज में 55 सीटें खाली रह गई हैं। वहीं, पंजाब के दो सरकारी मेडिकल कॉलेज अमृतसर व पटियाला राज्य कोटे की 85 में से 50 सीटें भरने में सक्षम रहे। एमबीबीएस की 400 सीटें खाली पहले दौर की काउंसलिंग के बाद सभी 11 मेडिकल कॉलेजों में लगभग 400 एमबीबीएस सीटें खाली घोषित की गई हैं। पहले दौर की काउंसलिंग में बैचलर ऑफ मेडिसिन और बैचलर ऑफ सर्जरी (एमबीबीएस) की बड़ी संख्या में सीटें खाली होने का कारण एनआरआई कोटे में अब तक कोई दाखिला नहीं होना बताया जा रहा है। बीएफयूएचएस ने 183 एमबीबीएस और 196 बीडीएस एनआरआई कोटा सीटों के लिए सीट आवंटन परिणाम रोक दिया है। हाईकोर्ट के आदेशों के बाद रुका एनआरआई कोटा सीटों का आवंटन बीएफयूएचएस में रजिस्ट्रार राकेश गोरेया के अनुसार, पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा 20 और 22 अगस्त को डिपार्टमेंट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (डीएमईआर) द्वारा जारी दो शुद्धि पत्रों के संचालन पर रोक लगा दी गई थी। जिसके बाद एनआरआई श्रेणी के तहत एमबीबीएस सीटों के आवंटन वाले उम्मीदवारों का परिणाम रोक दिया गया है। इन शुद्धि पत्रों में एनआरआई कोटा सीटों के संबंध में डीएमईआर की 9 अगस्त की नोटिफिकेशन में संशोधन किया था। मापदंडों में ढील दी गई थी और 15 जनरल कैटेगरी की एमबीबीएस सीटों को एनआरआई कोटा में कनवर्ट कर दिया था। कुछ छात्रों द्वारा इन शुद्धि पत्रों को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। कोर्ट ने निर्णय आने तक एनआरआई कोटा सीटों के दाखिले पर रोक लगा दी। पंजाब के 16 डेंटल कॉलेजों में प्रवेश के लिए काउंसिलिंग के पहले दौर में 747 सीटें खाली रह गई हैं। बाबा फरीद यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज (बीएफयूएचएस) के अंतर्गत बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी (बीडीएस) में 16 डेंटल कॉलेज में कुल 1,350 सीटें हैं। इनका प्रमुख कारण पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट की तरफ से NRI कोटा सीटों को भरने पर रोक बताया जा रहा है। राज्य में सबसे अधिक 100 में से 75 बीडीएस सीटें गोबिंदगढ़ के देश भगत डेंटल कॉलेज में खाली रह गई हैं। इसके बाद बठिंडा के सुनाम में गुरु नानक देव डेंटल कॉलेज एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट में 69 सीटें, डेरा बस्सी में नेशनल डेंटल कॉलेज में 66 सीटें, आदेश यूनिवर्सिटी बठिंडा में 65, डेरा बस्सी में श्री सुखमनी ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट्स में 62, फिरोजपुर में जेनेसिस इंस्टीट्यूट ऑफ डेंटल साइंसेज एंड रिसर्च में 60 और बनूड़ में जियान सागर हॉस्पिटल एंड मेडिकल कॉलेज में 55 सीटें खाली रह गई हैं। वहीं, पंजाब के दो सरकारी मेडिकल कॉलेज अमृतसर व पटियाला राज्य कोटे की 85 में से 50 सीटें भरने में सक्षम रहे। एमबीबीएस की 400 सीटें खाली पहले दौर की काउंसलिंग के बाद सभी 11 मेडिकल कॉलेजों में लगभग 400 एमबीबीएस सीटें खाली घोषित की गई हैं। पहले दौर की काउंसलिंग में बैचलर ऑफ मेडिसिन और बैचलर ऑफ सर्जरी (एमबीबीएस) की बड़ी संख्या में सीटें खाली होने का कारण एनआरआई कोटे में अब तक कोई दाखिला नहीं होना बताया जा रहा है। बीएफयूएचएस ने 183 एमबीबीएस और 196 बीडीएस एनआरआई कोटा सीटों के लिए सीट आवंटन परिणाम रोक दिया है। हाईकोर्ट के आदेशों के बाद रुका एनआरआई कोटा सीटों का आवंटन बीएफयूएचएस में रजिस्ट्रार राकेश गोरेया के अनुसार, पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा 20 और 22 अगस्त को डिपार्टमेंट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (डीएमईआर) द्वारा जारी दो शुद्धि पत्रों के संचालन पर रोक लगा दी गई थी। जिसके बाद एनआरआई श्रेणी के तहत एमबीबीएस सीटों के आवंटन वाले उम्मीदवारों का परिणाम रोक दिया गया है। इन शुद्धि पत्रों में एनआरआई कोटा सीटों के संबंध में डीएमईआर की 9 अगस्त की नोटिफिकेशन में संशोधन किया था। मापदंडों में ढील दी गई थी और 15 जनरल कैटेगरी की एमबीबीएस सीटों को एनआरआई कोटा में कनवर्ट कर दिया था। कुछ छात्रों द्वारा इन शुद्धि पत्रों को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। कोर्ट ने निर्णय आने तक एनआरआई कोटा सीटों के दाखिले पर रोक लगा दी। पंजाब | दैनिक भास्कर
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