पंजाब के पाकिस्तान से लगते गांवों में गेहूं कटाई तेज:युवकों को सतर्क रहने के लिए कहा, लोग बोले-हम डरते नहीं, बीएसएफ-पुलिस के साथ खड़े

पंजाब के पाकिस्तान से लगते गांवों में गेहूं कटाई तेज:युवकों को सतर्क रहने के लिए कहा, लोग बोले-हम डरते नहीं, बीएसएफ-पुलिस के साथ खड़े

कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान से लगती पंजाब के सरहदी एरिया में किसानों ने फसल काटनी शुरू कर दी है। पाकिस्तान के बॉर्डर से 1 किलोमीटर दूर जिला गुरदासपुर के गांव चौंतरा में गुरुद्वारे से तारबंदी के पार फसल काटने की अनाउंसमेंट की गई। इसके साथ ही नौजवानों को सतर्क रहने और किसी भी हरकरत पर या संदिग्ध के देखे जाने पर बीएसएफ और पुलिस को सूचित करने के लिए कहा गया है। चौंतरा गांव के किसानों ने कहा कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चल रहा है, इसलिए वे सतर्क हो गए हैं। उनका गांव बॉर्डर के बिल्कुल पास है। वे तो गुरुद्वारों में वाहेगुरु से प्रार्थना कर रहे हैं कि दोनों देशों में युद्ध जैसी कोई स्थिति न ही बने तो अच्छा है। युद्ध में बार्डर के गांवों का काफी नुकसान हो जाता है। इसकी भरपाई सालों तक नहीं हो पाती है। चौंतरा गांव झेल चुका है 3 युद्ध
गांव चौंतरा और स्लांच को रहने वाले गुरतार सिंह, गुरनाम सिंह और सतबीर सिंह ने बताया कि युद्ध से अब डर तो नहीं लगता, लेकिन नुकसान बड़ा हो जाता है। उनके गांव 1965, 1971 और कारगिल युद्ध देख चुके हैं। 1971 में गांव में पाकिस्तान के गोले गिरते थे। इससे फसल, कृषि औजारों सहित सड़कों और मकानों को नुकसान पहुंचता है। हालांकि सरकारें बार्डर विजेल को स्पेशल पैकेज देने की बातें तो करती हैं, लेकिन ये मुआवजा उन तक नहीं पहुंचता। युद्ध न ही हो तो अच्छा। पास में बम गिरा, बच्ची और बीएसएफ जवान किस्मत से बचे
गुरतार सिंह, गुरनाम सिंह और सतबीर सिंह ने बताया कि 1971 के युद्ध में उन्होंने पहले बुजुर्गों को बाहर निकाला था। गांव के युवा यहीं डटे रहे। इसके बाद पाकिस्तान के गोले गांव में गिरना शुरू हुए तो जान बचाने के लिए उनको भी निकलना पड़ा। जब गांव के लोग निकल रहे थे तो एक गोला उनके पास ही आकर गिरा। इस दौरान एक बच्ची और बंकर में बीएसएफ का जवान किस्मत से बचे। गांव के युवा सतर्क, बीएसएफ और पुलिस को पूरा सहयोग
युद्धों का दौर देख चुके बुजुर्गों ने बताया कि गांव के युवक सकर्त हैं। बीएसएफ और पुलिस का जो हुकम होगा उसका पालन किया जाएगा। वे बीएसएफ और पुलिस के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं। गुरुद्वारा से युवकों को अलर्ट रहने के लिए कहा गया है। रात को ठीकरी पहरे लगाने के लिए भी कहा है। अगर कुछ भी संदिग्ध लगता है तो इसकी जानकारी पुलिस और बीएसएफ के साथ शेयर की जाएगी। फसलें काटीं, लेकिन पशुओं के साथ जान संभव नहीं
गांव के किसानों ने बताया कि उन्होंने गेहूं की फसल तो काट ली है, मगर युद्ध जैसे हालात पैदा होते हैं तो पशुओं के साथ जाना संभव नहीं हो पाता। युद्ध के हालात में पहले भी उन्हें दूर भेज दिया गया था। इस दौरान वह ट्रंक और कुछ जरूरी सामान लेकर रिश्तेदारों के घर चले गए थे। जब लौटे तो गांव में काफी नुकसान हो चुका था। पाकिस्तान के किसानों की हजारों एकड़ फसल खड़ी
गांव चौंतरी के 1 बुजुर्ग ने बताया कि तारों के पास अभी पाकिस्तान के किसानों की भी हजारों एकड़ गेहूं की फसल खड़ी है। उन्होंने फसल नहीं काटी है। युद्ध जैसे हालात यहीं पर टल जाएं तो बेहतर होगा। युद्ध दोनों तरफ के लोगों का नुकसान करता है। अभी तो गांव में सब ठीक है। तनाव जैसा कुछ नहीं है, लेकिन लोग चौकन्ने हैं। कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान से लगती पंजाब के सरहदी एरिया में किसानों ने फसल काटनी शुरू कर दी है। पाकिस्तान के बॉर्डर से 1 किलोमीटर दूर जिला गुरदासपुर के गांव चौंतरा में गुरुद्वारे से तारबंदी के पार फसल काटने की अनाउंसमेंट की गई। इसके साथ ही नौजवानों को सतर्क रहने और किसी भी हरकरत पर या संदिग्ध के देखे जाने पर बीएसएफ और पुलिस को सूचित करने के लिए कहा गया है। चौंतरा गांव के किसानों ने कहा कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चल रहा है, इसलिए वे सतर्क हो गए हैं। उनका गांव बॉर्डर के बिल्कुल पास है। वे तो गुरुद्वारों में वाहेगुरु से प्रार्थना कर रहे हैं कि दोनों देशों में युद्ध जैसी कोई स्थिति न ही बने तो अच्छा है। युद्ध में बार्डर के गांवों का काफी नुकसान हो जाता है। इसकी भरपाई सालों तक नहीं हो पाती है। चौंतरा गांव झेल चुका है 3 युद्ध
गांव चौंतरा और स्लांच को रहने वाले गुरतार सिंह, गुरनाम सिंह और सतबीर सिंह ने बताया कि युद्ध से अब डर तो नहीं लगता, लेकिन नुकसान बड़ा हो जाता है। उनके गांव 1965, 1971 और कारगिल युद्ध देख चुके हैं। 1971 में गांव में पाकिस्तान के गोले गिरते थे। इससे फसल, कृषि औजारों सहित सड़कों और मकानों को नुकसान पहुंचता है। हालांकि सरकारें बार्डर विजेल को स्पेशल पैकेज देने की बातें तो करती हैं, लेकिन ये मुआवजा उन तक नहीं पहुंचता। युद्ध न ही हो तो अच्छा। पास में बम गिरा, बच्ची और बीएसएफ जवान किस्मत से बचे
गुरतार सिंह, गुरनाम सिंह और सतबीर सिंह ने बताया कि 1971 के युद्ध में उन्होंने पहले बुजुर्गों को बाहर निकाला था। गांव के युवा यहीं डटे रहे। इसके बाद पाकिस्तान के गोले गांव में गिरना शुरू हुए तो जान बचाने के लिए उनको भी निकलना पड़ा। जब गांव के लोग निकल रहे थे तो एक गोला उनके पास ही आकर गिरा। इस दौरान एक बच्ची और बंकर में बीएसएफ का जवान किस्मत से बचे। गांव के युवा सतर्क, बीएसएफ और पुलिस को पूरा सहयोग
युद्धों का दौर देख चुके बुजुर्गों ने बताया कि गांव के युवक सकर्त हैं। बीएसएफ और पुलिस का जो हुकम होगा उसका पालन किया जाएगा। वे बीएसएफ और पुलिस के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं। गुरुद्वारा से युवकों को अलर्ट रहने के लिए कहा गया है। रात को ठीकरी पहरे लगाने के लिए भी कहा है। अगर कुछ भी संदिग्ध लगता है तो इसकी जानकारी पुलिस और बीएसएफ के साथ शेयर की जाएगी। फसलें काटीं, लेकिन पशुओं के साथ जान संभव नहीं
गांव के किसानों ने बताया कि उन्होंने गेहूं की फसल तो काट ली है, मगर युद्ध जैसे हालात पैदा होते हैं तो पशुओं के साथ जाना संभव नहीं हो पाता। युद्ध के हालात में पहले भी उन्हें दूर भेज दिया गया था। इस दौरान वह ट्रंक और कुछ जरूरी सामान लेकर रिश्तेदारों के घर चले गए थे। जब लौटे तो गांव में काफी नुकसान हो चुका था। पाकिस्तान के किसानों की हजारों एकड़ फसल खड़ी
गांव चौंतरी के 1 बुजुर्ग ने बताया कि तारों के पास अभी पाकिस्तान के किसानों की भी हजारों एकड़ गेहूं की फसल खड़ी है। उन्होंने फसल नहीं काटी है। युद्ध जैसे हालात यहीं पर टल जाएं तो बेहतर होगा। युद्ध दोनों तरफ के लोगों का नुकसान करता है। अभी तो गांव में सब ठीक है। तनाव जैसा कुछ नहीं है, लेकिन लोग चौकन्ने हैं।   पंजाब | दैनिक भास्कर