पंजाब के तीन बड़े खेलों में भारतीय टीमों का नेतृत्व कर रहे हैं। देश के इतिहास में पहली बार पंजाबियों के लिए यह गर्व की बात है कि पंजाब के लोग एक साथ क्रिकेट, हॉकी और फुटबॉल तीनों खेलों का नेतृत्व कर रहे हैं। जिसे लेकर कई राजनेताओं और समाजसेवियों ने पंजाबियों को इस सफलता पर बधाई दी है। क्रिकेट में कई सालों बाद कोई पंजाबी चेहरा मैदान में उतरा है। नवजोत सिंह सिद्धू और हरभजन सिंह के बाद लंबे समय तक पंजाब से किसी का चयन क्रिकेट टीम में नहीं हुआ था। लेकिन अब क्रिकेट टीम में जगह बनाने के बाद शुभमन गिल जिम्बाब्वे दौरे में भारतीय क्रिकेट टीम का नेतृत्व कर रहे हैं। वहीं, फुटबॉल टीम की कमान अब फिर से गुरप्रीत संधू के हाथों में है। इससे पहले गुरप्रीत सिंह संधू ने 2016 और 2023 में किंग्स कप के दौरान दो बार भारतीय टीम का नेतृत्व किया था। इससे पहले की बात करें तो 1982 तक भारतीय हॉकी टीम की कप्तानी गैर-पंजाबियों के हाथों में थी। लंबे समय के बाद एक बार फिर पंजाबी फुटबॉल में भी अपनी छाप छोड़ रहे हैं। ओलंपिक 2020 में भी पंजाबियों के हाथ में थी कमान इस बार हॉकी टीम की कप्तानी एक बार फिर पंजाबी के हाथ में है। पेरिस ओलंपिक में इस बार हॉकी टीम की कमान हरप्रीत सिंह संभाल रहे हैं। 2020 ओलंपिक में भारतीय पुरुष टीम कांस्य पदक लाने में सफल रही थी। उम्मीद है कि इस बार भी भारतीय हॉकी टीम दुनिया के बेहतरीन खिलाड़ियों को हराकर पदक लेकर लौटेगी। केंद्रीय राज्य मंत्री बिट्टू ने दी बधाई केंद्रीय रेल एवं खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू ने पंजाबियों को इस सफलता पर बधाई दी है। रवनीत बिट्टू ने अपने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा – भारतीय खेलों के लिए एक ऐतिहासिक क्षण साझा करते हुए खुशी हो रही है। पहली बार, पंजाबी लड़के तीन प्रमुख खेलों में हमारी राष्ट्रीय टीमों की कप्तानी करेंगे। इन प्रतिभाशाली युवा नेताओं को बधाई। भारत के लिए गर्व का क्षण और हमारे देश की खेल प्रतिभा का प्रमाण। पंजाब के तीन बड़े खेलों में भारतीय टीमों का नेतृत्व कर रहे हैं। देश के इतिहास में पहली बार पंजाबियों के लिए यह गर्व की बात है कि पंजाब के लोग एक साथ क्रिकेट, हॉकी और फुटबॉल तीनों खेलों का नेतृत्व कर रहे हैं। जिसे लेकर कई राजनेताओं और समाजसेवियों ने पंजाबियों को इस सफलता पर बधाई दी है। क्रिकेट में कई सालों बाद कोई पंजाबी चेहरा मैदान में उतरा है। नवजोत सिंह सिद्धू और हरभजन सिंह के बाद लंबे समय तक पंजाब से किसी का चयन क्रिकेट टीम में नहीं हुआ था। लेकिन अब क्रिकेट टीम में जगह बनाने के बाद शुभमन गिल जिम्बाब्वे दौरे में भारतीय क्रिकेट टीम का नेतृत्व कर रहे हैं। वहीं, फुटबॉल टीम की कमान अब फिर से गुरप्रीत संधू के हाथों में है। इससे पहले गुरप्रीत सिंह संधू ने 2016 और 2023 में किंग्स कप के दौरान दो बार भारतीय टीम का नेतृत्व किया था। इससे पहले की बात करें तो 1982 तक भारतीय हॉकी टीम की कप्तानी गैर-पंजाबियों के हाथों में थी। लंबे समय के बाद एक बार फिर पंजाबी फुटबॉल में भी अपनी छाप छोड़ रहे हैं। ओलंपिक 2020 में भी पंजाबियों के हाथ में थी कमान इस बार हॉकी टीम की कप्तानी एक बार फिर पंजाबी के हाथ में है। पेरिस ओलंपिक में इस बार हॉकी टीम की कमान हरप्रीत सिंह संभाल रहे हैं। 2020 ओलंपिक में भारतीय पुरुष टीम कांस्य पदक लाने में सफल रही थी। उम्मीद है कि इस बार भी भारतीय हॉकी टीम दुनिया के बेहतरीन खिलाड़ियों को हराकर पदक लेकर लौटेगी। केंद्रीय राज्य मंत्री बिट्टू ने दी बधाई केंद्रीय रेल एवं खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू ने पंजाबियों को इस सफलता पर बधाई दी है। रवनीत बिट्टू ने अपने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा – भारतीय खेलों के लिए एक ऐतिहासिक क्षण साझा करते हुए खुशी हो रही है। पहली बार, पंजाबी लड़के तीन प्रमुख खेलों में हमारी राष्ट्रीय टीमों की कप्तानी करेंगे। इन प्रतिभाशाली युवा नेताओं को बधाई। भारत के लिए गर्व का क्षण और हमारे देश की खेल प्रतिभा का प्रमाण। पंजाब | दैनिक भास्कर
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पंजाब में फिर हड़ताल पर जाएंगे डॉक्टर:PCMS पदाधिकारी बोले- सुरक्षा-प्रोमोशन पर सरकार के वादे अधूरे; 3 हफ्ते का समय मांगा था पंजाब के सरकारी अस्पतालों की सेवाएं फिर प्रभावित हो सकती हैं। पीसीएमएस डॉक्टर्स एसोसिएशन ने एक बार फिर हड़ताल पर जाने की बात कही है। आरोप लगाया है कि पिछले साल हड़ताल खत्म करते समय राज्य सरकार ने जो वादे किए थे, वे पूरे नहीं हुए हैं। डॉक्टरों का कहना है कि अंत में उनके पास हड़ताल पर जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। पिछले साल सितंबर में पंजाब के सभी सरकारी अस्पतालों में मेडिकल अफसरों ने सुरक्षा और पदोन्नति से जुड़ी अपनी मांगों को लेकर धरना दिया था। उस समय ओपीडी सेवाएं बंद होने से लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा था। 14 सितंबर को स्वास्थ्य मंत्री पंजाब भवन में बैठक के बाद मीडिया के सामने आए और वादा किया कि तीन सप्ताह के भीतर उनकी मांगें पूरी कर दी जाएंगी। डॉक्टरों की एसोसिएशन ने आश्वासन के तहत धरना खत्म कर सेवाएं बहाल कर दी थीं। लेकिन तय समय सीमा बीत जाने के बाद भी सरकार ने उनकी दोनों मांगों पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया। इससे मेडिकल अफसरों में गहरा रोष है। कई विशेषज्ञ डॉक्टर सरकारी सेवाओं से इस्तीफा देकर अस्पताल छोड़ रहे हैं। 20 जनवरी 2025 से फिर धरने की चेतावनी एसोसिएशन ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार सुरक्षा और करियर प्रोग्रेस से जुड़े मुद्दों पर समझौते के मुताबिक समय रहते कदम नहीं उठाती है तो वे 20 जनवरी 2025 से ओपीडी सेवाएं बंद कर धरने पर बैठेंगे। डॉक्टर्स एसोसिएशन ने 12 जनवरी को जिला इकाइयों की बैठक बुलाई है, जिसमें आगे की रणनीति पर विचार किया जाएगा। एसोसिएशन ने कहा कि वे जनता के हित में काम करने वाला संगठन हैं। अस्पतालों में सुरक्षा न सिर्फ डॉक्टरों के लिए बल्कि स्टाफ और मरीजों के लिए भी जरूरी है। सरकारी नीतियों पर सवाल डॉक्टरों का कहना है कि प्रमोशन न होने और पुरानी योजनाओं के बंद होने से अच्छे डॉक्टर सरकारी अस्पताल छोड़कर निजी अस्पतालों में जा रहे हैं। हाल ही में मुख्यमंत्री ने 304 मेडिकल अफसरों को नियुक्ति पत्र दिए, लेकिन उनमें से एक तिहाई डॉक्टर नौकरी पर नहीं आए। इसका मुख्य कारण स्वास्थ्य विभाग में सुधार न होना और प्रमोशन के अवसर न मिलना है। डॉक्टरों की सरकार को चेतावनी डॉक्टरों ने उम्मीद जताई है कि स्वास्थ्य मंत्री और सचिव वित्त विभाग से समय पर मंजूरी लेकर इस मुद्दे का समाधान करेंगे। अगर 20 जनवरी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई तो पंजाब के सभी सरकारी अस्पतालों में सामूहिक हड़ताल होगी।
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