पंजाब के 47% सरकारी हाई स्कूलों में हेडमास्टर नहीं:तरनतारन में 84% पद खाली; 50% डायरेक्ट भर्ती का मामला हाईकोर्ट में है लंबित

पंजाब के 47% सरकारी हाई स्कूलों में हेडमास्टर नहीं:तरनतारन में 84% पद खाली; 50% डायरेक्ट भर्ती का मामला हाईकोर्ट में है लंबित

पंजाब के 1,723 सरकारी हाई स्कूलों में से लगभग 47 प्रतिशत में हेडमास्टर नहीं है। गवर्नमेंट टीचर्स यूनियन द्वारा कराए गए सर्वे में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। सर्वे के मुताबिक 1,723 में से 810 पद हेडमास्टर के खाली पड़े हैं। इससे पहले किए गए एक अन्य सर्वे में यह सामने आया था कि राज्य के 44 प्रतिशत सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में प्रिंसिपल नहीं हैं। गवर्नमेंट टीचर्स यूनियन के अध्यक्ष सुखविंदर सिंह चाहल ने बताया कि तरनतारन जिले में स्थिति सबसे खराब है, जहां 96 में से 81 पद खाली पड़े हैं, यानी 84.39% पदों पर हेडमास्टर नहीं हैं। इसके बाद नवांशहर में 81.13%, कपूरथला में 75.41%, रूपनगर में 72.88% और जालंधर में 70% पद खाली हैं। वीआईपी क्षेत्र माने जाने वाले मोहाली में यह आंकड़ा सिर्फ 10 प्रतिशत है। संगरूर के हमीरगढ़ के गवर्नमेंट हाई स्कूल में हेडमास्टर का पद पिछले 30 वर्षों से खाली है। चाहल ने कहा कि हेडमास्टर न केवल कक्षाएं लेते हैं बल्कि स्कूलों के कार्यों के नियंत्रण के लिए भी जिम्मेदार होते हैं। नियुक्तियों में देरी का कारण कोटा बढ़ाया जाना
प्रदेश में हेडमास्टरों की कमी की समस्या 2018 में कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में बनी कांग्रेस सरकार के समय शुरू हुई थी। उस समय शिक्षा विभाग ने नियमों में बदलाव करते हुए प्रिंसिपल की डायरेक्ट नियुक्ति के लिए 50% कोटा निर्धारित कर दिया था। पहले यह कोटा 25% था और बाकी पद प्रमोशन के जरिए भरे जाते थे। 2018 के प्रमोशन नियमों में संशोधन की मांग एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के अनुसार, डायरेक्ट भर्ती से संबंधित मामला पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में लंबित है। गवर्नमेंट टीचर्स यूनियन के अध्यक्ष सुखविंदर चाहल ने मांग की है कि सरकार 2018 के प्रमोशन नियमों में संशोधन करे ताकि हेडमास्टर के प्रमोशनल पदों की कमी को दूर किया जा सके। पंजाब के 1,723 सरकारी हाई स्कूलों में से लगभग 47 प्रतिशत में हेडमास्टर नहीं है। गवर्नमेंट टीचर्स यूनियन द्वारा कराए गए सर्वे में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। सर्वे के मुताबिक 1,723 में से 810 पद हेडमास्टर के खाली पड़े हैं। इससे पहले किए गए एक अन्य सर्वे में यह सामने आया था कि राज्य के 44 प्रतिशत सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में प्रिंसिपल नहीं हैं। गवर्नमेंट टीचर्स यूनियन के अध्यक्ष सुखविंदर सिंह चाहल ने बताया कि तरनतारन जिले में स्थिति सबसे खराब है, जहां 96 में से 81 पद खाली पड़े हैं, यानी 84.39% पदों पर हेडमास्टर नहीं हैं। इसके बाद नवांशहर में 81.13%, कपूरथला में 75.41%, रूपनगर में 72.88% और जालंधर में 70% पद खाली हैं। वीआईपी क्षेत्र माने जाने वाले मोहाली में यह आंकड़ा सिर्फ 10 प्रतिशत है। संगरूर के हमीरगढ़ के गवर्नमेंट हाई स्कूल में हेडमास्टर का पद पिछले 30 वर्षों से खाली है। चाहल ने कहा कि हेडमास्टर न केवल कक्षाएं लेते हैं बल्कि स्कूलों के कार्यों के नियंत्रण के लिए भी जिम्मेदार होते हैं। नियुक्तियों में देरी का कारण कोटा बढ़ाया जाना
प्रदेश में हेडमास्टरों की कमी की समस्या 2018 में कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में बनी कांग्रेस सरकार के समय शुरू हुई थी। उस समय शिक्षा विभाग ने नियमों में बदलाव करते हुए प्रिंसिपल की डायरेक्ट नियुक्ति के लिए 50% कोटा निर्धारित कर दिया था। पहले यह कोटा 25% था और बाकी पद प्रमोशन के जरिए भरे जाते थे। 2018 के प्रमोशन नियमों में संशोधन की मांग एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के अनुसार, डायरेक्ट भर्ती से संबंधित मामला पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में लंबित है। गवर्नमेंट टीचर्स यूनियन के अध्यक्ष सुखविंदर चाहल ने मांग की है कि सरकार 2018 के प्रमोशन नियमों में संशोधन करे ताकि हेडमास्टर के प्रमोशनल पदों की कमी को दूर किया जा सके।   पंजाब | दैनिक भास्कर