पंजाब में नशे का मामला गरमाता जा रहा है। इस दौरान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने मुख्यमंत्री भगवंत मान को चिट्ठी लिखी है। चिट्ठी में उन्होंने मांग की है कि पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की निगरानी में ड्रग्स की कमाई (मनी ट्रेल) की जांच करवाई जाए, ताकि असली लोगों तक पहुंचा जा सके। जाखड़ ने आरोप लगाया कि पंजाब में नशे का कारोबार बिना संरक्षण या समर्थन के नहीं फल-फूल सकता। हर साल राज्य से हजारों करोड़ रुपये का नशा पकड़ा जाता है, यह कोई इत्तेफाक नहीं है। उन्होंने कहा कि राजनेताओं की किस्मत चंद ही वर्षों में बदलने लगी, जो पहले साइकिल पर चलते थे, उनके पास अब लग्जरी कारें हैं, एकड़ भर फार्म हाउस हैं। जाखड़ ने चिट्ठी में लिखा कि असली आरोपियों तक पहुंचने और उनके धन का मार्ग ट्रेस किए बिना नशे पर कार्रवाई नाममात्र रहेगी। इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा कि उनके संबंध राजनेताओं या अधिकारियों से ही क्यों न हों। डोप टेस्ट के बयान से शुरू हुआ विवाद दरअसल इस मामले की शुरुआत वित्तमंत्री हरपाल सिंह चीमा के उस समय बयान से हुई थी। जब उन्होंने नशा तस्करी संबंधी जानकारी शेयर करते हुए कहा था कि पंजाब में नशे के लिए शिरोमणि अकाली दल भाजपा और कांग्रेस सरकारें शामिल है। उन्होंने दोनों दलों के नेताओं के डोप टेस्ट करवाने की बात कहीं थी। इस पर पंजाब कांग्रेस प्रधान ने इस चुनौती को स्वीकार कर लिया था। इसी बीच पंजाब भाजपा के प्रधान सुनील जाखड़ ने कहा था डोप टेस्ट तो छोटी बात है। उन्होंने सीएम और वित्तमंत्री को चुनौती देते हुए पहले सारी पार्टियों के प्रधानों, नेताओं और विधायकों की मनी ट्रेल जांच करवाने की बात कही थी। उन्होंने कहा था इसका जिम्मा ईडी को सौंपा जाए। नशा करने वालों को तो पकड़ लेंगे, लेकिन बेचने वालों को कैसे पकड़ोंगे। यह इसी से संभव है। उन्होंने दावा किया जो टेस्ट करवाने की हामी भर रहे है, वह सुबह तक मुकर जाएंगे। क्योंकि विधानसभा में खड़े होकर माफी मांगी थी। ऐसे ही बड़ी गाड़ियां नहीं आती है। सुनील जाखड़ तो आज भी इनोवा से चलते हैं। पंजाब में नशे का मामला गरमाता जा रहा है। इस दौरान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने मुख्यमंत्री भगवंत मान को चिट्ठी लिखी है। चिट्ठी में उन्होंने मांग की है कि पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की निगरानी में ड्रग्स की कमाई (मनी ट्रेल) की जांच करवाई जाए, ताकि असली लोगों तक पहुंचा जा सके। जाखड़ ने आरोप लगाया कि पंजाब में नशे का कारोबार बिना संरक्षण या समर्थन के नहीं फल-फूल सकता। हर साल राज्य से हजारों करोड़ रुपये का नशा पकड़ा जाता है, यह कोई इत्तेफाक नहीं है। उन्होंने कहा कि राजनेताओं की किस्मत चंद ही वर्षों में बदलने लगी, जो पहले साइकिल पर चलते थे, उनके पास अब लग्जरी कारें हैं, एकड़ भर फार्म हाउस हैं। जाखड़ ने चिट्ठी में लिखा कि असली आरोपियों तक पहुंचने और उनके धन का मार्ग ट्रेस किए बिना नशे पर कार्रवाई नाममात्र रहेगी। इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा कि उनके संबंध राजनेताओं या अधिकारियों से ही क्यों न हों। डोप टेस्ट के बयान से शुरू हुआ विवाद दरअसल इस मामले की शुरुआत वित्तमंत्री हरपाल सिंह चीमा के उस समय बयान से हुई थी। जब उन्होंने नशा तस्करी संबंधी जानकारी शेयर करते हुए कहा था कि पंजाब में नशे के लिए शिरोमणि अकाली दल भाजपा और कांग्रेस सरकारें शामिल है। उन्होंने दोनों दलों के नेताओं के डोप टेस्ट करवाने की बात कहीं थी। इस पर पंजाब कांग्रेस प्रधान ने इस चुनौती को स्वीकार कर लिया था। इसी बीच पंजाब भाजपा के प्रधान सुनील जाखड़ ने कहा था डोप टेस्ट तो छोटी बात है। उन्होंने सीएम और वित्तमंत्री को चुनौती देते हुए पहले सारी पार्टियों के प्रधानों, नेताओं और विधायकों की मनी ट्रेल जांच करवाने की बात कही थी। उन्होंने कहा था इसका जिम्मा ईडी को सौंपा जाए। नशा करने वालों को तो पकड़ लेंगे, लेकिन बेचने वालों को कैसे पकड़ोंगे। यह इसी से संभव है। उन्होंने दावा किया जो टेस्ट करवाने की हामी भर रहे है, वह सुबह तक मुकर जाएंगे। क्योंकि विधानसभा में खड़े होकर माफी मांगी थी। ऐसे ही बड़ी गाड़ियां नहीं आती है। सुनील जाखड़ तो आज भी इनोवा से चलते हैं। पंजाब | दैनिक भास्कर
