पंजाब में आज (मंगलवार) को कांग्रेस पार्टी द्वारा राज्य सरकार के खिलाफ राज्य स्तरीय विरोध प्रदर्शन किए जाएंगे। इस दौरान राज्य की बिगड़ती कानून व्यवस्था के मुद्दे को उठाया जाएगा। सभी विधायक, पूर्व विधायक, सांसद और नेता इसमें शामिल होंगे। वहीं पार्टी के राज्य प्रधान अमरिंदर सिंह राजा वडिंग अमृतसर स्थित जंडियाला गुरु में विरोध प्रदर्शन में शामिल होंगे। घर के अंदर से हो रही हैं स्नैचिंग पार्टी के प्रधान अमरिंदर सिंह राजा वडिंग का कहना है कि राज्य में कानून व्यवस्था का बुरा हाल है। गैंगस्टरों द्वारा आए दिन कारोबारियों को फिरौती के लिए फोन कॉल्स की जा रही है। लोगों का घरों से निकलना मुश्किल हो गया। अपराधियों के हौंसले इतने बुलंद हो गए है कि घर के अंदर घुसकर स्नैचर वारदातों को अंजाम दे रहे हैं। पंजाब में आज (मंगलवार) को कांग्रेस पार्टी द्वारा राज्य सरकार के खिलाफ राज्य स्तरीय विरोध प्रदर्शन किए जाएंगे। इस दौरान राज्य की बिगड़ती कानून व्यवस्था के मुद्दे को उठाया जाएगा। सभी विधायक, पूर्व विधायक, सांसद और नेता इसमें शामिल होंगे। वहीं पार्टी के राज्य प्रधान अमरिंदर सिंह राजा वडिंग अमृतसर स्थित जंडियाला गुरु में विरोध प्रदर्शन में शामिल होंगे। घर के अंदर से हो रही हैं स्नैचिंग पार्टी के प्रधान अमरिंदर सिंह राजा वडिंग का कहना है कि राज्य में कानून व्यवस्था का बुरा हाल है। गैंगस्टरों द्वारा आए दिन कारोबारियों को फिरौती के लिए फोन कॉल्स की जा रही है। लोगों का घरों से निकलना मुश्किल हो गया। अपराधियों के हौंसले इतने बुलंद हो गए है कि घर के अंदर घुसकर स्नैचर वारदातों को अंजाम दे रहे हैं। पंजाब | दैनिक भास्कर
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कनाडा में 3 पंजाबी स्टूडेंट्स की मौत:सड़क हादसे में गई जान, कार का टायर फटा, परिजनों ने सरकार से मांगी मदद
कनाडा में 3 पंजाबी स्टूडेंट्स की मौत:सड़क हादसे में गई जान, कार का टायर फटा, परिजनों ने सरकार से मांगी मदद कनाडा में सड़क हादसे में तीन पंजाबी छात्रों की मौत का मामला सामने आया है। हादसा चलती कार का टायर फटने से हुआ। मृतकों में समाना निवासी रसमदीप कौर, अमलोह के नजदीक बुरकदा गांव निवासी नवजोत सोमल और हरमन शामिल हैं। वे सगे भाई-बहन हैं। मृतकों के परिजनों का कहना है कि पंजाब सरकार को मृतकों के शव पंजाब लाने की पहल करनी चाहिए। ये छात्र कुछ समय के लिए पढ़ाई के लिए वहां गए थे। ऐसे हुआ हादसा पता चला है कि यह हादसा कनाडा के मिल कोव शहर के पास हुआ। ये तीनों न्यू ब्रंसविक प्रांत के मॉन्कटन शहर से वहां जा रहे थे। इस दौरान उनकी कार का टायर फट गया। जिसके बाद कार पलट गई। हालांकि, तीनों कार से बाहर निकलकर गिर गए। जिससे वे गंभीर रूप से घायल हो गए। इसके बाद वहां की पुलिस तीनों को अस्पताल ले गई। जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। इसकी जानकारी परिजनों को मिली। गांव में परिजन काफी आहत हैं। इससे पहले गुरदासपुर की लड़की की जान गई थी कनाडा में भी सड़क हादसों में पंजाब के छात्रों की मौत के मामले बढ़े हैं। 22 जुलाई को गुरदासपुर के बटाला की रहने वाली 21 वर्षीय लखविंदर कौर की सड़क हादसे में मौत हो गई। यह हादसा बम्पटन के पास हुआ। वह दस महीने पहले ही स्टडी वीजा पर वहां गई थी। उसके साथ दो अन्य लड़कियों की भी मौत हो गई।
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पंजाब में अकाली दल बचाओ लहर की तैयारियां शुरू:2022 जैसे हालात पैदा; बागी गुट ने दोहराया- सुखबीर बादल को पद से हटना चाहिए लोकसभा चुनाव में शिरोमणि अकाली दल (SAD) की हार के बाद असंतोष पैदा हो गया है। एक तरफ पार्टी में वरिष्ठ नेतृत्व है, जिसमें वो बड़े नेता और परिवार शामिल हैं, जिनके बिना अकाली दल अधूरा है। वहीं दूसरी तरफ पार्टी कार्यसमिति और जिला पदाधिकारी हैं, जिन्होंने लोकसभा चुनाव 2024 में हार के बाद भी सुखबीर सिंह बादल के प्रति संतोष जताया है। अकाली दल के विद्रोही समूह ने एक संयुक्त संवाददाता प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि एक धार्मिक और राजनीतिक व्यक्तित्व को अपनी परंपराओं के अनुरूप शिरोमणि अकाली दल का नेतृत्व करना चाहिए। सुखबीर बादल को इस्तीफा देना चाहिए। प्रो. प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने यह भी कहा कि उनमें से कोई भी अकाली दल का अध्यक्ष नहीं बनना चाहता। जो भी पार्टी अध्यक्ष बनेगा उसे पार्टी का मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार नहीं होना चाहिए। पार्टी अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल के खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद हो गया है। बागी गुट ने अकाली दल बचाओ लहर शुरू कर दी है। कल जालंधर में बैठक कर सुखबीर बादल को अध्यक्ष पद से हटाने का प्रस्ताव लिया गया। बुधवार को जालंधर में हुई पांच घंटे की बैठक के बाद सुखबीर सिंह बादल से पार्टी प्रधान पद से हटने की मांग की गई। बैठक में शामिल नेताओं में सिकंदर मलूका, सुरजीत रखड़ा, बीबी जागीर कौर, प्रेम सिंह चंदूमाजरा, किरणजोत कौर, मनजीत सिंह, सुरिंदर भुल्लेवाल, गुरप्रताप वडाला, चरणजीत बराड़, हरिंदर पाल टोहरा और गगनजीत बरनाला शामिल थे। 2022 में भी पैदा हुए थे यही हालात 2017 विधानसभा, 2019 लोकसभा और 2022 विधानसभा चुनावों में हार के बाद पार्टी ने हार की समीक्षा करने के लिए कमेटी का गठन किया था। ये कमेटी इकबाल सिंह झूंदा की अध्यक्षता में बनी। 2022 की हार के बाद विरोध शुरू हुआ और अकाली दल अध्यक्ष सुखबीर बादल को बदलने की आवाज उठने लगी। इसी बीच 2022 में झूंदा रिपोर्ट बनकर तैयार थी। लेकिन इस पर अमल नहीं किया गया। ये कह कर रिपोर्ट को दबा दिया गया कि झूंदा रिपोर्ट में कहीं भी पार्टी प्रधान बदलने की बात नहीं की गई है। जबकि उसमें ये जरूर लिखा गया था कि पार्टी अध्यक्ष 10 साल के बाद रिपीट नहीं होना चाहिए। लेकिन, सुखबीर बादल के दोबारा प्रधान चुने जाने के बाद ये रिपोर्ट अकाली दल के दफ्तर में दब गई। अब जब 2024 लोकसभा चुनावों में पार्टी की हार हुई है तो इस रिपोर्ट का जिन्न फिर बाहर आया है। जाने क्या लिखा था झूंदा रिपोर्ट में झूंदा रिपोर्ट पर जब अमल नहीं हुआ तो इसे सार्वजनिक नहीं किया गया था। झूंदा ने सार्वजनिक तौर पर बयान जारी किया था कि 117 विधानसभा हलकों में से 100 में जाकर उन्होंने इस रिपोर्ट को तैयार किया है। इस रिपोर्ट में कुछ जानकारियां 2022 में सांझी की थी। तब अकाली नेताओं ने कहा था कि झूंदा रिपोर्ट में 42 सुझाव दिए गए हैं। पार्टी प्रधान को बदले जाने का रिपोर्ट में कहीं जिक्र नहीं है। लेकिन, भविष्य में पार्टी प्रधान के चुने जाने की तय सीमा जरूर तय की गई है। ये भी बात उठाई गई कि अकाली दल अपने मूल सिद्धांतों से भटका है और राज्य सत्ता में रहने के मकसद से कई कमियां आई हैं। 3 दशक से बादल परिवार का कब्जा शिरोमणि अकाली दल पर पिछले 3 दशक से बादल परिवार का कब्जा है। 1995 में सरदार प्रकाश सिंह बादल अकाली दल के प्रमुख बने थे। इस पद पर वे 2008 तक बने रहे। 2008 के बाद शिअद की कमान उनके बेटे सुखबीर सिंह बादल के हाथ में आ गई। अकेला पड़ता अकाली दल किसी जमाने में पंजाब ही नहीं भारतीय राजनीति में अकाली दल की तूती बोलती थी, लेकिन धीरे-धीरे इसका प्रभुत्व समाप्त होता चला गया। आलम ये है कि अब इसके पास लोकसभा की केवल एक सीट है। विधानसभा में भी इसका प्रभाव लगातार खत्म हो रहा है। शिरोमणि अकाली दल बचाओ आंदोलन की होगी शुरुआत जालंधर में हुई बैठक के बाद बागी नेताओं ने ऐलान किया कि 1 जुलाई से शिरोमणि अकाली दल बचाओ आंदोलन की शुरुआत की जाएगी। बागी नेताओं ने मांग की कि पार्टी के प्रधान सुखबीर सिंह बादल को पार्टी के कार्यकर्ताओं की भावनाओं को समझते हुए त्याग की भावना दिखानी चाहिए और किसी ऐसे नेता के हाथ में पार्टी की कमान सौंपनी चाहिए जो अकाली दल को मजबूत कर सके और धर्म और राजनीति के बीच संतुलन भी कायम कर सके। अकाली दल के बागी नेताओं की बैठक में पार्टी का प्रधान पद संत समाज से जुड़े किसी बड़े चेहरे को देने पर भी विचार किया गया है। जाने कब बना अकाली दल 14 दिसंबर, 1920 को एक SAD का गठन किया गया था। इसके पीछे उद्देश्य यह बताया गया था कि गुरुद्वारों को ब्रिटिश सरकार द्वारा नियुक्त महंतों (पुजारियों) के नियंत्रण से मुक्त कराया जाएगा। SAD के गठन से एक महीना पहले 15 नवंबर को शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (SGPC) का गठन हुआ था। ननकाना साहिब में मत्था टेकते समय एक डिप्टी कमिश्नर की बेटी के साथ छेड़छाड़ की घटना हुई थी और इस वजह से लोगों में गुस्सा था। तब यह मांग उठी थी कि गुरुद्वारों को महंतों से मुक्त कराया जाना चाहिए। SAD ने इसके खिलाफ संघर्ष छेड़ा और यह चार साल तक चला। इस दौरान महंतों और ब्रिटिश प्रशासन के हमलों में 4,000 लोगों की मौत हुई थी। आखिरकार सिख गुरुद्वारा एक्ट 1925 बनाया गया और सभी गुरुद्वारे एसजीपीसी के नियंत्रण में आ गए। अकाली दल ने देश की आजादी से पहले कांग्रेस के साथ भी गठबंधन किया था। SAD के नेता मास्टर तारा सिंह की वजह से ही बंटवारे के दौरान पंजाब के आधे हिस्से को पाकिस्तान में जाने से रोका गया था। बहुमत सुखबीर बादल के साथ एक तरफ विद्रोह तेज हो रहा है, लेकिन दूसरी तरफ सुखबीर अभी भी मजबूती के साथ खड़े हैं। अकाली दल कोर कमेटी व जिला इकाइयों ने प्रस्तावों में पार्टी अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल के स्पष्टवादी, दूरदर्शी और दृढ़ नेतृत्व की पार्टी की ओर से पूरे दिल से सराहना की है और उसमें विश्वास जताया गया। पार्टी के मौजूदा 35 जिला जत्थेदारों में से 33 और मौजूदा 105 हलका प्रभारियों में से 96 ने सुखबीर सिंह बादल के नेतृत्व की सराहना की। इन 33 जिला अध्यक्षों में से 28 ने वास्तव में बैठक में भाग लिया, जबकि जो पांच उपस्थित नहीं हो सके, उन्होंने कुछ पारिवारिक कारणों से उपस्थित होने में असमर्थता व्यक्त करते हुए लिखित रूप में अध्यक्ष के लिए अपने समर्थन की पार्टी को सूचित किया था।
नवांशहर में बिहार के युवक ने की आत्महत्या:कुछ लोगों से हुई थी मारपीट, हत्या की धमकी मिलने पर डर गया था युवक
नवांशहर में बिहार के युवक ने की आत्महत्या:कुछ लोगों से हुई थी मारपीट, हत्या की धमकी मिलने पर डर गया था युवक पंजाब के नवांशहर जिले में एक युवक ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। बलाचौर तहसील के आंसरों गांव में देर रात युवक ने घर में ही छत से फंदा लगाकर अपनी जान दे दी। जिसके बाद पूरे गांव में मातम का माहौल है। मृतक मूल रूप से बिहार का रहने वाला था और हिमाचल के नालागढ़ में काम करता थ। वह अपने परिवार से मिलने नवांशहर आया था। जहां उसकी पुरी फैमली रहती है। डरकर घर से भाग गया था युवक जानकारी के मुताबिक 26 साल का सूरज कुमार पुत्र रामलाल यादव जो बिहार का रहने वाला है और अभी आंसरों गांव में अपने परिवार सहित रह रहा था। सूरज कुमार के भाई संदीप कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि रात करीब साढ़े नौ बजे मेरे भाई के साथ कुछ लोगों ने मारपीट की। करीब 10-15 लोगों ने सूरज को जान से मारने की धमकी भी दी थी, जिसके वजह से वो डरकर कहीं भाग गया था। घर वालों ने उसे फोन करके बुलाया, और आश्वासन दिया कि उसे कुछ नहीं होगा। जिसके बाद युवक घर पहुंचा। डर की वजह से सो नहीं पा रहा था युवक युवक से साथ मारपीट करने वाले आरोपियों ने उसे धमकी देते हुए कहा था कि “तुझे जान से मार देंगे, तुझे मारकर तेरे शव को काटकर नहर में फेंक देंगे।” आरोपियों की धमकी की वजह से युवक बहुत डरा हुआ था, इसकी वजह से वो रात को सो भी नहीं पा रहा था। घर वालों ने बड़ी मुश्किल से उसे सुलाने की कोशिश की। सुबह फंदे पर लटकता मिला शव सुबह 6 बजे जब युवक अपने बिस्तर पर नहीं दिखा तो घर वालों ने खोजना शुरू कर दिया। जब छत पर उसकी तलाश की गई तो वहां का मंजर देख परिजनों के पैरों तले जमीन खिसक गई। सूरज ने फांसी के फंदे पर झूल रहा था। इसके बाद परिजनों ने इसकी सूचना पुलिस को दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया। मामला दर्ज नहीं कर रही थी पुलिस पहले तो पुलिस मामले को दर्ज करने में आनाकानी कर रही थी, लेकिन फिर बाद में पुलिस मारपीट करने वाले आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया और जांच करने का आश्वासन दिया। हालांकि विवाद के सही कारणों का अभी तक पता नहीं चल सका है।