पंजाब में कांग्रेस सबसे मजबूत पार्टी होकर उभरी है। सीटों की गिनती से लेकर वोट शेयर तक कांग्रेस नंबर वन रही है। 7 सीटों पर कांग्रेस के उम्मीदवार जीते, तो वोट शेयर 26.30% रहा। लेकिन चयन कमेटी की गलतियों के कारण पंजाब में कांग्रेस को चार सीटों पर नुकसान झेलना पड़ा। इतना ही नहीं, 7 सीटें जीतने वाली कांग्रेस के उम्मीदवार की फरीदकोट से जमानत भी जब्त हो गई। गलत चयन या कई दलबदल के बाद उपयुक्त उम्मीदवारों की कमी चार सीटों आनंदपुर साहिब, होशियारपुर, संगरूर और फरीदकोट पर कांग्रेस की हार का मुख्य कारण बना। फरीदकोट सीट पर पार्टी उम्मीदवार अमरजीत कौर साहोके की जमानत जब्त हो गई। एक नेशनल पार्टी की उम्मीदवार केवल 15.8 प्रतिशत वोट शेयर हासिल कर सकी और तीसरे स्थान पर रही। यह सीट इंदिरा गांधी के हत्यारे के बेटे सरबजीत सिंह खालसा ने जीती है। उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी AAP के करमजीत अनमोल थे, जिन्हें 25 प्रतिशत वोट शेयर मिला और वे दूसरे स्थान पर रहे। गलत चयन से हुआ नुकसान कांग्रेस के सीनियर लीडर्स ने ऑफ रिकॉड जानकारी देते हुए कहा कि स्वतंत्र उम्मीदवार सरबजीत खालसा और अभिनेता अनमोल के खिलाफ पार्टी जंडियाला के पूर्व विधायक सुखविंदर सिंह डैनी जैसे अनुभवी नेता को मैदान में उतार सकती थी। लेकिन इसके बावजूद पार्टी ने उनका नाम नजर अंदाज करते हुए अमरजीत कौर साहोके को टिकट दी। संगरूर में लोकल लीडरशिप को नहीं दी प्राथमिकता इसी तरह, संगरूर में, सुखपाल खैरा 19 प्रतिशत वोट शेयर के साथ दूसरे स्थान पर थे। खैहरा और अकाली दल (अमृतसर) के उम्मीदवार सिमरनजीत सिंह मान के बीच पंथिक वोटों के विभाजन का परिणाम था। खैहरा 18.5 प्रतिशत वोट शेयर हासिल करके तीसरे स्थान पर रहे। इससे AAP उम्मीदवार मीत हेयर को और फायदा हुआ। अगर यहां लोकल लीडरशिप को प्राथमिकता दी जाती तो अधिक फायदा होता। हिंदू वोटरों के बीच टक्कर का फायदा AAP को हुआ आनंदपुर साहिब के मामले में कांग्रेस उम्मीदवार विजय इंदर सिंगला और भाजपा उम्मीदवार डॉ. सुभाष शर्मा के बीच हिंदू वोटों के विभाजन से AAP उम्मीदवार मालविंदर सिंह कंग को फायदा हुआ। जिन्होंने 29 प्रतिशत वोट हासिल करके जीत हासिल की। सिंगला को 28.1 फीसदी वोट शेयर मिले। अगर यहां किसी जट चेहरे को खड़ा करते तो फायदा मिलता। दलबदल प्रत्याशी के सामने कमजोर उम्मीदवार उतारा होशियारपुर के मामले में कारणों का विश्लेषण करते हुए PPCC के एक वरिष्ठ सदस्य ने कहा कि डॉ. राज कुमार चब्बेवाल के दलबदल करने के बाद, पार्टी के पास यामिनी गोमर को मैदान में उतारने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। पार्टी वरिष्ठ नेता मोहिंदर सिंह कापी को मैदान में उतार सकती थी। नाराज मोहिंदर सिंह केपी बाद में AAP में शामिल हो गए और पूर्व सीएम चरणजीत सिंह चन्नी के खिलाफ जालंधर सीट हार गए। पंजाब में कांग्रेस सबसे मजबूत पार्टी होकर उभरी है। सीटों की गिनती से लेकर वोट शेयर तक कांग्रेस नंबर वन रही है। 7 सीटों पर कांग्रेस के उम्मीदवार जीते, तो वोट शेयर 26.30% रहा। लेकिन चयन कमेटी की गलतियों के कारण पंजाब में कांग्रेस को चार सीटों पर नुकसान झेलना पड़ा। इतना ही नहीं, 7 सीटें जीतने वाली कांग्रेस के उम्मीदवार की फरीदकोट से जमानत भी जब्त हो गई। गलत चयन या कई दलबदल के बाद उपयुक्त उम्मीदवारों की कमी चार सीटों आनंदपुर साहिब, होशियारपुर, संगरूर और फरीदकोट पर कांग्रेस की हार का मुख्य कारण बना। फरीदकोट सीट पर पार्टी उम्मीदवार अमरजीत कौर साहोके की जमानत जब्त हो गई। एक नेशनल पार्टी की उम्मीदवार केवल 15.8 प्रतिशत वोट शेयर हासिल कर सकी और तीसरे स्थान पर रही। यह सीट इंदिरा गांधी के हत्यारे के बेटे सरबजीत सिंह खालसा ने जीती है। उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी AAP के करमजीत अनमोल थे, जिन्हें 25 प्रतिशत वोट शेयर मिला और वे दूसरे स्थान पर रहे। गलत चयन से हुआ नुकसान कांग्रेस के सीनियर लीडर्स ने ऑफ रिकॉड जानकारी देते हुए कहा कि स्वतंत्र उम्मीदवार सरबजीत खालसा और अभिनेता अनमोल के खिलाफ पार्टी जंडियाला के पूर्व विधायक सुखविंदर सिंह डैनी जैसे अनुभवी नेता को मैदान में उतार सकती थी। लेकिन इसके बावजूद पार्टी ने उनका नाम नजर अंदाज करते हुए अमरजीत कौर साहोके को टिकट दी। संगरूर में लोकल लीडरशिप को नहीं दी प्राथमिकता इसी तरह, संगरूर में, सुखपाल खैरा 19 प्रतिशत वोट शेयर के साथ दूसरे स्थान पर थे। खैहरा और अकाली दल (अमृतसर) के उम्मीदवार सिमरनजीत सिंह मान के बीच पंथिक वोटों के विभाजन का परिणाम था। खैहरा 18.5 प्रतिशत वोट शेयर हासिल करके तीसरे स्थान पर रहे। इससे AAP उम्मीदवार मीत हेयर को और फायदा हुआ। अगर यहां लोकल लीडरशिप को प्राथमिकता दी जाती तो अधिक फायदा होता। हिंदू वोटरों के बीच टक्कर का फायदा AAP को हुआ आनंदपुर साहिब के मामले में कांग्रेस उम्मीदवार विजय इंदर सिंगला और भाजपा उम्मीदवार डॉ. सुभाष शर्मा के बीच हिंदू वोटों के विभाजन से AAP उम्मीदवार मालविंदर सिंह कंग को फायदा हुआ। जिन्होंने 29 प्रतिशत वोट हासिल करके जीत हासिल की। सिंगला को 28.1 फीसदी वोट शेयर मिले। अगर यहां किसी जट चेहरे को खड़ा करते तो फायदा मिलता। दलबदल प्रत्याशी के सामने कमजोर उम्मीदवार उतारा होशियारपुर के मामले में कारणों का विश्लेषण करते हुए PPCC के एक वरिष्ठ सदस्य ने कहा कि डॉ. राज कुमार चब्बेवाल के दलबदल करने के बाद, पार्टी के पास यामिनी गोमर को मैदान में उतारने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। पार्टी वरिष्ठ नेता मोहिंदर सिंह कापी को मैदान में उतार सकती थी। नाराज मोहिंदर सिंह केपी बाद में AAP में शामिल हो गए और पूर्व सीएम चरणजीत सिंह चन्नी के खिलाफ जालंधर सीट हार गए। पंजाब | दैनिक भास्कर
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