पंजाब में ‌BJP का 2027 चुनाव पर फोकस:14 फरवरी से होगा संगठन चुनाव, 2017 से सत्ता से बाहर, लोकसभा में 9-18% वोट शेयर

पंजाब में ‌BJP का 2027 चुनाव पर फोकस:14 फरवरी से होगा संगठन चुनाव, 2017 से सत्ता से बाहर, लोकसभा में 9-18% वोट शेयर

पंजाब में 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव की जंग के लिए भाजपा ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। इसके लिए सबसे पहले संगठन को मजबूत किया जा रहा है। इसके लिए बूथ अध्यक्ष, मंडल अध्यक्ष, जिला अध्यक्ष के चुनाव होंगे। इस पूरी प्रक्रिया को 27 फरवरी तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। पंजाब भाजपा के प्रदेश चुनाव अधिकारी और पूर्व डिप्टी स्पीकर दिनेश सिंह बब्बू ने बताया कि सभी स्तरों पर काम जोरों पर चल रहा है। तय समय में प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। 14 फरवरी से शुरू होंगे चुनाव भाजपा 14 से 18 फरवरी तक 24400 बूथ समितियों के अध्यक्षों का चुनाव करेगी। 19 से 21 फरवरी तक 544 मंडल अध्यक्षों की चुनाव प्रक्रिया पूरी होगी। अंत में 25 से 27 फरवरी तक सभी 35 संगठनात्मक जिलों के अध्यक्षों की चुनाव प्रक्रिया पूरी होगी। संगठनात्मक चुनाव पार्टी संविधान के तहत निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार हों, यह सुनिश्चित करने के लिए पार्टी 5 से 7 फरवरी तक हर जिले में जिला कार्यशालाओं का आयोजन करेगी। जिसमें जिले के चुनाव अधिकारी और सह चुनाव अधिकारी के साथ मंडलों के चुनाव अधिकारी भाग लेंगे। बीजेपी के लिए पंजाब में हैं यह 4 चुनौतियां 1. पंजाब के किसानों को अभी तक बीजेपी साध नहीं पाई है। कृषि कानून भले ही वापस ले लिए गए थे, लेकिन किसानों और बीजेपी की दूरी फिर भी कम नहीं हुई है। करीब एक साल से पंजाब में किसान आंदोलन चल रहा है। इसकी वजह से भी बीजेपी को नुकसान हो रहा है। 2. बीजेपी और शिरोमणि अकाली दल का गठबंधन नहीं है। यह 2020 में टूट गया था। इस वजह से पारंपरिक सिख वोट पार्टी से दूर हुआ है। 3.पंजाब की राजनीति में सिख समुदाय की अहम भूमिका है। लेकिन बीजेपी की छवि हिंदू बहुत पार्टी माना जाता है। ऐसे में भी पार्टी से लोग नहीं जुड़ते हैं। इस चीज का अन्य दल उठाते हैं। 4. बीजेपी और अकाली दल के सत्ता के बाहर होने से उस खाली हुई जगह को आम आदमी पार्टी ने भर दिया। कांग्रेस भी अब मजबूत स्थिति में है। ऐसे में सबसे बड़ा तरीका संगठन मजबूत करना है।
एक साल से लगातार निराशा हाथ लगी पंजाब में संगठन को मजबूत करना और लोगों से जुड़ना किसी चुनौती से कम नहीं है। 2017 से बीजेपी सत्ता से बाहर है। वहीं, अब शिरोमणि अकाली दल से गठबंधन भी नहीं है। इस चीज का नुकसान भी दोनों दलों को हो रहा है। दोनों दल भी चाहते है कि गठबंधन हो। लेकिन इसमें अभी तक कामयाबी नहीं मिल पाई है। लोकसभा चुनाव में पार्टी नौ से 18 फीसदी वोट लेकर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बाद तीसरे नंबर पर आ गई। लेकिन एक सीट नहीं जीत पाई। इसके बाद पंचायत चुनाव और निकाय चुनाव में उस हिसाब से मजबूती नहीं मिली। पंजाब में 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव की जंग के लिए भाजपा ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। इसके लिए सबसे पहले संगठन को मजबूत किया जा रहा है। इसके लिए बूथ अध्यक्ष, मंडल अध्यक्ष, जिला अध्यक्ष के चुनाव होंगे। इस पूरी प्रक्रिया को 27 फरवरी तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। पंजाब भाजपा के प्रदेश चुनाव अधिकारी और पूर्व डिप्टी स्पीकर दिनेश सिंह बब्बू ने बताया कि सभी स्तरों पर काम जोरों पर चल रहा है। तय समय में प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। 14 फरवरी से शुरू होंगे चुनाव भाजपा 14 से 18 फरवरी तक 24400 बूथ समितियों के अध्यक्षों का चुनाव करेगी। 19 से 21 फरवरी तक 544 मंडल अध्यक्षों की चुनाव प्रक्रिया पूरी होगी। अंत में 25 से 27 फरवरी तक सभी 35 संगठनात्मक जिलों के अध्यक्षों की चुनाव प्रक्रिया पूरी होगी। संगठनात्मक चुनाव पार्टी संविधान के तहत निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार हों, यह सुनिश्चित करने के लिए पार्टी 5 से 7 फरवरी तक हर जिले में जिला कार्यशालाओं का आयोजन करेगी। जिसमें जिले के चुनाव अधिकारी और सह चुनाव अधिकारी के साथ मंडलों के चुनाव अधिकारी भाग लेंगे। बीजेपी के लिए पंजाब में हैं यह 4 चुनौतियां 1. पंजाब के किसानों को अभी तक बीजेपी साध नहीं पाई है। कृषि कानून भले ही वापस ले लिए गए थे, लेकिन किसानों और बीजेपी की दूरी फिर भी कम नहीं हुई है। करीब एक साल से पंजाब में किसान आंदोलन चल रहा है। इसकी वजह से भी बीजेपी को नुकसान हो रहा है। 2. बीजेपी और शिरोमणि अकाली दल का गठबंधन नहीं है। यह 2020 में टूट गया था। इस वजह से पारंपरिक सिख वोट पार्टी से दूर हुआ है। 3.पंजाब की राजनीति में सिख समुदाय की अहम भूमिका है। लेकिन बीजेपी की छवि हिंदू बहुत पार्टी माना जाता है। ऐसे में भी पार्टी से लोग नहीं जुड़ते हैं। इस चीज का अन्य दल उठाते हैं। 4. बीजेपी और अकाली दल के सत्ता के बाहर होने से उस खाली हुई जगह को आम आदमी पार्टी ने भर दिया। कांग्रेस भी अब मजबूत स्थिति में है। ऐसे में सबसे बड़ा तरीका संगठन मजबूत करना है।
एक साल से लगातार निराशा हाथ लगी पंजाब में संगठन को मजबूत करना और लोगों से जुड़ना किसी चुनौती से कम नहीं है। 2017 से बीजेपी सत्ता से बाहर है। वहीं, अब शिरोमणि अकाली दल से गठबंधन भी नहीं है। इस चीज का नुकसान भी दोनों दलों को हो रहा है। दोनों दल भी चाहते है कि गठबंधन हो। लेकिन इसमें अभी तक कामयाबी नहीं मिल पाई है। लोकसभा चुनाव में पार्टी नौ से 18 फीसदी वोट लेकर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बाद तीसरे नंबर पर आ गई। लेकिन एक सीट नहीं जीत पाई। इसके बाद पंचायत चुनाव और निकाय चुनाव में उस हिसाब से मजबूती नहीं मिली।   पंजाब | दैनिक भास्कर