पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के राजनीतिक सलाहकार रहे मालविंदर सिंह माली की याचिका पर सुनवाई करते हुए पंजाब सरकार को नोटिस जारी किया है। माली ने अपनी गिरफ्तारी और उनके खिलाफ दर्ज मामले को चुनौती देते हुए इसे राजनीतिक साजिश करार दिया है। हाईकोर्ट ने इस पर सुनवाई करते हुए पंजाब सरकार से 21 अक्टूबर तक जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। क्या है मामला ? मालविंदर सिंह माली के खिलाफ 16 सितंबर को मोहाली में धार्मिक भावनाओं को भड़काने के आरोप में मामला दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया गया था। गिरफ्तारी के बाद से ही माली हिरासत में हैं। माली ने आरोप लगाया है कि उनके खिलाफ दर्ज यह मामला राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित है, क्योंकि वे लगातार पंजाब सरकार और मुख्यमंत्री भगवंत मान की नीतियों की आलोचना कर रहे थे। माली ने अपनी याचिका में कहा है कि उन्होंने पंजाब की मौजूदा सरकार की गलत नीतियों और भ्रष्टाचार के खिलाफ कई बार आवाज उठाई थी, जिससे सरकार उनकी आवाज को दबाने के लिए इस प्रकार की कार्रवाई कर रही है। हाईकोर्ट में सुनवाई सुनवाई के दौरान मालविंदर माली के वकीलों ने अदालत के समक्ष तर्क दिया कि यह मामला पूर्णतः राजनीतिक साजिश का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि माली के खिलाफ दर्ज मामला और गिरफ्तारी दोनों ही अवैध हैं और इसमें कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है। माली ने अपनी याचिका में गिरफ्तारी और मामले को रद्द करने की मांग की है। हाईकोर्ट ने इस मामले में पंजाब सरकार को नोटिस जारी कर 21 अक्टूबर तक जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि माली की याचिका पर गहराई से विचार किया जाएगा और सरकार को अपना पक्ष स्पष्ट करना होगा। राजनीतिक पृष्ठभूमि मालविंदर सिंह माली, नवजोत सिंह सिद्धू के राजनीतिक सलाहकार रह चुके हैं और वे लंबे समय से पंजाब की राजनीति में सक्रिय रहे हैं। उन्होंने विभिन्न मुद्दों पर सरकार के खिलाफ खुलकर विरोध जताया है। माली की गिरफ्तारी को उनके समर्थकों ने राजनीतिक प्रतिशोध का नतीजा बताया है। उनका कहना है कि सरकार उनके विरोध को दबाने के लिए इस तरह की कार्रवाई कर रही है। माली के खिलाफ दर्ज मामले ने राजनीतिक हलकों में भी हलचल मचा दी है, क्योंकि कई विपक्षी नेता इसे लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला बता रहे हैं। वहीं, माली के समर्थकों का कहना है कि यह मामला न्यायालय में सही तरीके से पेश किया जाएगा और उन्हें न्याय मिलेगा। अब सबकी नजरें 21 अक्टूबर की अगली सुनवाई पर टिकी हैं, जहां सरकार अपना पक्ष रखेगी और अदालत इस मामले पर अगला कदम उठाएगी। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के राजनीतिक सलाहकार रहे मालविंदर सिंह माली की याचिका पर सुनवाई करते हुए पंजाब सरकार को नोटिस जारी किया है। माली ने अपनी गिरफ्तारी और उनके खिलाफ दर्ज मामले को चुनौती देते हुए इसे राजनीतिक साजिश करार दिया है। हाईकोर्ट ने इस पर सुनवाई करते हुए पंजाब सरकार से 21 अक्टूबर तक जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। क्या है मामला ? मालविंदर सिंह माली के खिलाफ 16 सितंबर को मोहाली में धार्मिक भावनाओं को भड़काने के आरोप में मामला दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया गया था। गिरफ्तारी के बाद से ही माली हिरासत में हैं। माली ने आरोप लगाया है कि उनके खिलाफ दर्ज यह मामला राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित है, क्योंकि वे लगातार पंजाब सरकार और मुख्यमंत्री भगवंत मान की नीतियों की आलोचना कर रहे थे। माली ने अपनी याचिका में कहा है कि उन्होंने पंजाब की मौजूदा सरकार की गलत नीतियों और भ्रष्टाचार के खिलाफ कई बार आवाज उठाई थी, जिससे सरकार उनकी आवाज को दबाने के लिए इस प्रकार की कार्रवाई कर रही है। हाईकोर्ट में सुनवाई सुनवाई के दौरान मालविंदर माली के वकीलों ने अदालत के समक्ष तर्क दिया कि यह मामला पूर्णतः राजनीतिक साजिश का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि माली के खिलाफ दर्ज मामला और गिरफ्तारी दोनों ही अवैध हैं और इसमें कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है। माली ने अपनी याचिका में गिरफ्तारी और मामले को रद्द करने की मांग की है। हाईकोर्ट ने इस मामले में पंजाब सरकार को नोटिस जारी कर 21 अक्टूबर तक जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि माली की याचिका पर गहराई से विचार किया जाएगा और सरकार को अपना पक्ष स्पष्ट करना होगा। राजनीतिक पृष्ठभूमि मालविंदर सिंह माली, नवजोत सिंह सिद्धू के राजनीतिक सलाहकार रह चुके हैं और वे लंबे समय से पंजाब की राजनीति में सक्रिय रहे हैं। उन्होंने विभिन्न मुद्दों पर सरकार के खिलाफ खुलकर विरोध जताया है। माली की गिरफ्तारी को उनके समर्थकों ने राजनीतिक प्रतिशोध का नतीजा बताया है। उनका कहना है कि सरकार उनके विरोध को दबाने के लिए इस तरह की कार्रवाई कर रही है। माली के खिलाफ दर्ज मामले ने राजनीतिक हलकों में भी हलचल मचा दी है, क्योंकि कई विपक्षी नेता इसे लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला बता रहे हैं। वहीं, माली के समर्थकों का कहना है कि यह मामला न्यायालय में सही तरीके से पेश किया जाएगा और उन्हें न्याय मिलेगा। अब सबकी नजरें 21 अक्टूबर की अगली सुनवाई पर टिकी हैं, जहां सरकार अपना पक्ष रखेगी और अदालत इस मामले पर अगला कदम उठाएगी। पंजाब | दैनिक भास्कर
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