पटियाला की केंद्रीय जेल में कैद बलवंत सिंह राजोआना से मुलाकात करने आज श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान हरजिंदर सिंह धामी पहुंचे। वो राजोआना के लिए गोल्डन टेंपल का प्रसाद और जल भी लेकर गए। श्री अकाल रख साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान हरजिंदर सिंह धामी ने इस मुलाकात को सिर्फ पारिवारिक मुलाकात बताया है। उन्होंने इससे पहले श्री दुख निवारण साहिब में माथा टेका था। उसके बाद बलवंत सिंह राजोआना के लिए वो गोल्डन टेंपल का प्रसाद और जल भी लेकर गए थे। बेअंत सिंह की हत्या के दोष में जेल में है राजोआना बलवंत सिंह राजोआना को 31 अगस्त 1995 को बेअंत सिंह (पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री) की हत्या के लिए दोषी ठहराया गया था। चंडीगढ़ की एक विशेष सीबीआई अदालत ने 1 अगस्त 2007 को राजोआना को मौत की सजा सुनाई थी । बेअंत सिंह की हत्या बलवंत सिंह के सहयोगी दिलावर सिंह बब्बर ने की थी और बलवंत सिंह बैकअप मानव बम था। जिसका इस्तेमाल दिलावर के अपने मिशन में विफल होने पर किया जाना था। यद्यपि राजोआना को गिरफ्तार किया गया, दोषी ठहराया गया और हत्या में शामिल होने के लिए मौत की सजा सुनाई गई, लेकिन विभिन्न कानूनी कार्यवाहियों और अपीलों के कारण उनकी फांसी पर कई बार रोक लगाई गई। सिखों पर अत्याचार का मुद्दा उठाती रही है एसजीपीसी एसजीपीसी की ओर से सिखों पर सजा पूरी होने के बावजूद जेल में रखने का मुद्दा उठाया जाता रहा है। एसजीपीसी के मुताबिक सिखों के साथ सरकार अत्याचार करती है और उन्हें अलग थलग महसूस करवाया जाता है। एसजीपीसी के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने पिछले दिनों कहा था कि सिख कैदियों को तीन दशकों से देश की जेलों में बंद करके उन्हें अलग-थलग महसूस कराया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सिख संगठनों के प्रतिनिधियों को भी केंद्र सरकार द्वारा सिख कैदियों के मुद्दे पर बैठकों के लिए समय नहीं दिया जा रहा है। ऐसा लगता है कि केंद्र सरकार के किसी इशारे पर ऐसा किया जा रहा है। अगर सरकार संविधान का प्रतिनिधित्व कर रही होती तो सिख कैदियों के मामले में मानवाधिकारों का उल्लंघन नहीं होने दिया जाता। हरजिंदर सिंह धामी ने कहा था कि भाई बलवंत सिंह राजोआना पिछले 28 सालों से जेल में बंद है और करीब 17 सालों से फांसी की सजा भुगत रहा है तथा 8X8 फीट की सेल में सजा का इंतजार कर रहा है। 2012 में एसजीपीसी द्वारा भारत के राष्ट्रपति को दायर की गई समीक्षा याचिका पर 12 साल की लंबी अवधि के बाद भी कोई फैसला न लेना सिखों के खिलाफ सरासर ज्यादती है। पटियाला की केंद्रीय जेल में कैद बलवंत सिंह राजोआना से मुलाकात करने आज श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान हरजिंदर सिंह धामी पहुंचे। वो राजोआना के लिए गोल्डन टेंपल का प्रसाद और जल भी लेकर गए। श्री अकाल रख साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान हरजिंदर सिंह धामी ने इस मुलाकात को सिर्फ पारिवारिक मुलाकात बताया है। उन्होंने इससे पहले श्री दुख निवारण साहिब में माथा टेका था। उसके बाद बलवंत सिंह राजोआना के लिए वो गोल्डन टेंपल का प्रसाद और जल भी लेकर गए थे। बेअंत सिंह की हत्या के दोष में जेल में है राजोआना बलवंत सिंह राजोआना को 31 अगस्त 1995 को बेअंत सिंह (पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री) की हत्या के लिए दोषी ठहराया गया था। चंडीगढ़ की एक विशेष सीबीआई अदालत ने 1 अगस्त 2007 को राजोआना को मौत की सजा सुनाई थी । बेअंत सिंह की हत्या बलवंत सिंह के सहयोगी दिलावर सिंह बब्बर ने की थी और बलवंत सिंह बैकअप मानव बम था। जिसका इस्तेमाल दिलावर के अपने मिशन में विफल होने पर किया जाना था। यद्यपि राजोआना को गिरफ्तार किया गया, दोषी ठहराया गया और हत्या में शामिल होने के लिए मौत की सजा सुनाई गई, लेकिन विभिन्न कानूनी कार्यवाहियों और अपीलों के कारण उनकी फांसी पर कई बार रोक लगाई गई। सिखों पर अत्याचार का मुद्दा उठाती रही है एसजीपीसी एसजीपीसी की ओर से सिखों पर सजा पूरी होने के बावजूद जेल में रखने का मुद्दा उठाया जाता रहा है। एसजीपीसी के मुताबिक सिखों के साथ सरकार अत्याचार करती है और उन्हें अलग थलग महसूस करवाया जाता है। एसजीपीसी के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने पिछले दिनों कहा था कि सिख कैदियों को तीन दशकों से देश की जेलों में बंद करके उन्हें अलग-थलग महसूस कराया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सिख संगठनों के प्रतिनिधियों को भी केंद्र सरकार द्वारा सिख कैदियों के मुद्दे पर बैठकों के लिए समय नहीं दिया जा रहा है। ऐसा लगता है कि केंद्र सरकार के किसी इशारे पर ऐसा किया जा रहा है। अगर सरकार संविधान का प्रतिनिधित्व कर रही होती तो सिख कैदियों के मामले में मानवाधिकारों का उल्लंघन नहीं होने दिया जाता। हरजिंदर सिंह धामी ने कहा था कि भाई बलवंत सिंह राजोआना पिछले 28 सालों से जेल में बंद है और करीब 17 सालों से फांसी की सजा भुगत रहा है तथा 8X8 फीट की सेल में सजा का इंतजार कर रहा है। 2012 में एसजीपीसी द्वारा भारत के राष्ट्रपति को दायर की गई समीक्षा याचिका पर 12 साल की लंबी अवधि के बाद भी कोई फैसला न लेना सिखों के खिलाफ सरासर ज्यादती है। पंजाब | दैनिक भास्कर
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स्ट्रे वैकेंसी राउंड में रिपोर्ट नहीं करने पर नीट के लिए होंगे अपात्र जालंधर| मेडिकल काउंसलिंग कमेटी (एमसीसी) नई दिल्ली ने नीट-यूजी 2024 के स्ट्रे काउंसलिंग राउंड में सीट आवंटित होने के बावजूद रिपोर्टिंग नहीं करने व प्रवेश नहीं लेने वाले स्टूडेंट्स पर सख्ती दिखाई है। एमसीसी ने ऐसे स्टूडेंट्स को नीट यूजी 2025 के लिए अपात्र घोषित करने का निर्णय लिया है। ऐसे में स्ट्रे काउंसलिंग राउंड में सावधानी बरतने की सलाह भी दी गई है। एमसीसी के नोटिफिकेशन के तहत ऑल इंडिया 15% कोटा एवं 85% स्टेट कोटा एमबीबीएस-बीडीएस काउंसलिंग के स्ट्रे-वैकेंसी राउंड में एमबीबीएस सीट आवंटित की जाएगी। ऐसे स्टूडेंट्स आवंटित सीट पर प्रवेश नहीं लेता है अर्थात जॉइन नहीं करता है तो ऐसे स्टूडेंट आगामी वर्ष 2025 में मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट-यूजी में सम्मिलित होने की पात्रता खो देंगे, ये स्टूडेंट नीट-यूजी 2025 में सम्मिलित नहीं हो पाएंगे। ऐसे स्टूडेंट्स की सिक्योरिटी-डिपॉजिट राशि भी जब्त कर ली जाएगी। ऐसे स्टूडेंट जो सेंट्रल-कोटा अथवा स्टेट-कोटा से आवंटित किसी भी एमबीबीएस-सीट पर प्रवेशित नहीं है वे सेंट्रल तथा स्टेट स्ट्रे-वैकेंसी राउंड में सम्मिलित होने के पात्र है। मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट-यूजी में सम्मिलित होने वाले रिपीटर्स स्टूडेंट्स की संख्या अत्यधिक है। प्रवेश परीक्षा के लिए अपर एज लिमिट तथा नंबर ऑफ अटेंप्ट पर कोई प्रतिबंध नहीं है। ऐसी स्थिति में स्टूडेंट लगातार प्रतिवर्ष परीक्षा में सम्मिलित होते हैं। एमसीसी नई दिल्ली का उद्देश्य है कि स्टूडेंट स्ट्रे-वैकेंसी राउंड से आवंटित एमबीबीएस-सीट पर अनिवार्यतः प्रवेश लें ताकि स्ट्रे-वैकेंसी राउंड की उपयोगिता सिद्ध हो।