पहली बार ऑपरेशन सिंदूर के बाद हुआ ऐसा आयोजन! हजारों कश्मीरी पंडितों की घाटी में वापसी

पहली बार ऑपरेशन सिंदूर के बाद हुआ ऐसा आयोजन! हजारों कश्मीरी पंडितों की घाटी में वापसी

<p style=”text-align: justify;”><strong>Jammu Kashmir News:</strong> जम्मू से हजारों कश्मीरी पंडित श्रद्धालु कश्मीर घाटी स्थित खीर भवानी मंदिर के लिए रवाना हुए, जहां 3 जून को माता की भवानी का वार्षिक मेला आयोजित किया जाना है. यह आयोजन कश्मीरी पंडितों के लिए विशेष महत्व रखता है. यह पहली बार है जब ‘<a title=”ऑपरेशन सिंदूर” href=”https://www.abplive.com/topic/operation-sindoor” data-type=”interlinkingkeywords”>ऑपरेशन सिंदूर</a>’ के बाद घाटी में इतना बड़ा धार्मिक मेला हो रहा है.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>1990 के दशक में आतंकवाद के कारण अपने घरों से विस्थापित हुए कश्मीरी पंडितों के लिए यह यात्रा सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि भावनात्मक और सांस्कृतिक पुनर्संयोजन का प्रतीक बन गई है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>क्या है इस धार्मिक यात्रा का महत्व?</strong><br />देशभर से श्रद्धालु माता की भवानी के दर्शन के लिए पहुंचे हैं. आज (1 जून) सुबह जम्मू से कड़ी सुरक्षा के बीच जत्था कश्मीर के लिए रवाना हुआ. यह मेला सिर्फ धार्मिक उत्सव नहीं है, बल्कि विस्थापित समुदाय के लिए अपनी जड़ों से जुड़ने का अवसर भी है. श्रद्धालुओं का कहना है कि यह एक ऐसा मौका होता है जब वे अपनी आराध्य देवी के चरणों में श्रद्धा अर्पित कर सकते हैं. 22 अप्रैल को <a title=”पहलगाम” href=”https://www.abplive.com/topic/pahalgam-terror-attack” data-type=”interlinkingkeywords”>पहलगाम</a> में हुए आतंकी हमले के बाद घाटी में पर्यटन पर असर पड़ा है, लेकिन इस यात्रा से उम्मीद की जा रही है कि हालात सामान्य होंगे और श्रद्धा के साथ-साथ पर्यटन भी फिर से रफ्तार पकड़ेगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>मुश्किल हालात के बाद भी नहीं डगमगाई हमारी आस्था- श्रद्धालु</strong><br />श्रद्धालुओं ने भरोसा जताया है कि वे केवल माता भवानी में ही नहीं, बल्कि भारत की सुरक्षा व्यवस्था पर भी पूर्ण विश्वास रखते हैं. उनका कहना है कि मुश्किल हालात के बावजूद कश्मीरी पंडितों की आस्था डगमगाई नहीं है. माता के प्रति उनका समर्पण पहले की तरह मजबूत है. साथ ही वे मानते हैं कि सरकार और सुरक्षा बलों ने यात्रा की सुरक्षा के लिए पर्याप्त प्रबंध किए हैं जिससे उन्हें किसी प्रकार का डर नहीं है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>जम्मू में रिलीफ कमिश्नर माइग्रेंट्स ने बताया कि इस यात्रा के लिए सभी आवश्यक इंतजाम पूरे कर लिए गए हैं. उन्होंने कहा कि यात्रियों के रहने, खाने और सुरक्षा की व्यापक व्यवस्था की गई है. हजारों सालों से चल रही इस धार्मिक परंपरा के लिए इस बार भी श्रद्धालुओं में जबरदस्त उत्साह देखा गया. यह मेला न केवल धार्मिक भावना का प्रतीक है, बल्कि कश्मीरी पंडितों की सांस्कृतिक पहचान और पुनर्स्थापन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी है.</p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Jammu Kashmir News:</strong> जम्मू से हजारों कश्मीरी पंडित श्रद्धालु कश्मीर घाटी स्थित खीर भवानी मंदिर के लिए रवाना हुए, जहां 3 जून को माता की भवानी का वार्षिक मेला आयोजित किया जाना है. यह आयोजन कश्मीरी पंडितों के लिए विशेष महत्व रखता है. यह पहली बार है जब ‘<a title=”ऑपरेशन सिंदूर” href=”https://www.abplive.com/topic/operation-sindoor” data-type=”interlinkingkeywords”>ऑपरेशन सिंदूर</a>’ के बाद घाटी में इतना बड़ा धार्मिक मेला हो रहा है.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>1990 के दशक में आतंकवाद के कारण अपने घरों से विस्थापित हुए कश्मीरी पंडितों के लिए यह यात्रा सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि भावनात्मक और सांस्कृतिक पुनर्संयोजन का प्रतीक बन गई है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>क्या है इस धार्मिक यात्रा का महत्व?</strong><br />देशभर से श्रद्धालु माता की भवानी के दर्शन के लिए पहुंचे हैं. आज (1 जून) सुबह जम्मू से कड़ी सुरक्षा के बीच जत्था कश्मीर के लिए रवाना हुआ. यह मेला सिर्फ धार्मिक उत्सव नहीं है, बल्कि विस्थापित समुदाय के लिए अपनी जड़ों से जुड़ने का अवसर भी है. श्रद्धालुओं का कहना है कि यह एक ऐसा मौका होता है जब वे अपनी आराध्य देवी के चरणों में श्रद्धा अर्पित कर सकते हैं. 22 अप्रैल को <a title=”पहलगाम” href=”https://www.abplive.com/topic/pahalgam-terror-attack” data-type=”interlinkingkeywords”>पहलगाम</a> में हुए आतंकी हमले के बाद घाटी में पर्यटन पर असर पड़ा है, लेकिन इस यात्रा से उम्मीद की जा रही है कि हालात सामान्य होंगे और श्रद्धा के साथ-साथ पर्यटन भी फिर से रफ्तार पकड़ेगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>मुश्किल हालात के बाद भी नहीं डगमगाई हमारी आस्था- श्रद्धालु</strong><br />श्रद्धालुओं ने भरोसा जताया है कि वे केवल माता भवानी में ही नहीं, बल्कि भारत की सुरक्षा व्यवस्था पर भी पूर्ण विश्वास रखते हैं. उनका कहना है कि मुश्किल हालात के बावजूद कश्मीरी पंडितों की आस्था डगमगाई नहीं है. माता के प्रति उनका समर्पण पहले की तरह मजबूत है. साथ ही वे मानते हैं कि सरकार और सुरक्षा बलों ने यात्रा की सुरक्षा के लिए पर्याप्त प्रबंध किए हैं जिससे उन्हें किसी प्रकार का डर नहीं है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>जम्मू में रिलीफ कमिश्नर माइग्रेंट्स ने बताया कि इस यात्रा के लिए सभी आवश्यक इंतजाम पूरे कर लिए गए हैं. उन्होंने कहा कि यात्रियों के रहने, खाने और सुरक्षा की व्यापक व्यवस्था की गई है. हजारों सालों से चल रही इस धार्मिक परंपरा के लिए इस बार भी श्रद्धालुओं में जबरदस्त उत्साह देखा गया. यह मेला न केवल धार्मिक भावना का प्रतीक है, बल्कि कश्मीरी पंडितों की सांस्कृतिक पहचान और पुनर्स्थापन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी है.</p>  जम्मू और कश्मीर ‘देहरादून में फंसी हूं, लेने आओ’, एक साल बाद नाबालिग ने घर पर किया फोन, दलालों ने दिल्ली में बेच दिया था