हरियाणा में लोकसभा चुनाव भाजपा को 5 सीटों के नुकसान के बाद सरकार ने विभागों में खाली पड़े पदों को भरने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। सरकार की ओर से विभागों में ग्रुप C और D में 5000 पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू करने की तैयारी कर दी है। इसके लिए सरकार की ओर से सभी विभागों, बोडों, निगमों को पत्र भेजकर ग्रुप सी और डी के खाली पदों का आग्रह पत्र हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (HSSC) के पास भेजने को कहा है। हालांकि अभी इन दोनों ग्रुपों में 60 हजार खाली पड़े पदों को भरने की प्रक्रिया जारी है। कुछ तकनीकी कारणों से पेंच फंसा हुआ है, लेकिन जल्द ही इस पर सरकार काम शुरू करने जा रही है। पहले CET कर चुके युवाओं को राहत हरियाणा सरकार जिन नए और पदों पर भर्ती करने जा रही है उसमें युवाओं को बड़ी राहत देगी। इन नए पदों पर भर्ती पहले हो चुके CET के अनुसार ही होगी। अभी तक ग्रुप सी के लिए एक और ग्रुप डी के लिए एक सीईटी हो चुका है, जब तक दूसरा सीईटी नहीं हो जाता तब तक खाली पदों पर भर्ती इसी सीईटी अनुसार ही होगी। क्वालीफाई हो सीईटी हरियाणा के उन युवा बेरोजगारों ने सोशल मीडिया पर अभियान चलाकर आग्रह किया कि सीईटी को क्वालीफाई किया जाए। यह मांग लगातार सरकार से पहले भी की गई थी मगर अभी तक सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया। युवाओं का कहना है कि सरकार जब भी सीईटी पॉलिसी में संशोधन करे तो इसे क्वालीफाई नेचर का बनाया जाना चाहिए। अभी तक सीईटी स्कोर के अनुसार कुल पदों का चार गुना को शॉर्टलिस्ट कर नॉलेज टेस्ट लेने का प्रावधान है। मांग भेज चुके विभागों के लिए ये निर्देश हरियाणा सीएस ऑफिस द्वारा जारी लेटर में यह स्पष्ट किया गया है कि ग्रुप-सी के वे पद, जिनके लिए मांग पहले ही HSSC को भेजी जा चुकी है, उनके लिए मांग भेजने की आवश्यकता नहीं है। सभी विभागों, बोर्डों और निगमों को ऐसे पदों, जो वर्तमान में भर्ती के अधीन हैं, को रिक्त नहीं मानना चाहिए और उन्हें अपलोड की जाने वाली नई मांग में शामिल नहीं किया जाना चाहिए। प्रत्येक विभाग, बोर्ड या निगम के मुखिया द्वारा यह मांग तैयार करके इसे हरियाणा नॉलेज कॉरपोरेशन लिमिटेड द्वारा इस उद्देश्य के लिए बनाए गए पोर्टल http://hsscor.hkcl.in:8080/HSSCList/using पर अपलोड किया जाएगा, जिसमें विभागों, बोर्डों और निगमों को पहले दिए गए लॉगिन क्रेडेंशियल का उपयोग किया जाएगा। हरियाणा में लोकसभा चुनाव भाजपा को 5 सीटों के नुकसान के बाद सरकार ने विभागों में खाली पड़े पदों को भरने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। सरकार की ओर से विभागों में ग्रुप C और D में 5000 पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू करने की तैयारी कर दी है। इसके लिए सरकार की ओर से सभी विभागों, बोडों, निगमों को पत्र भेजकर ग्रुप सी और डी के खाली पदों का आग्रह पत्र हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (HSSC) के पास भेजने को कहा है। हालांकि अभी इन दोनों ग्रुपों में 60 हजार खाली पड़े पदों को भरने की प्रक्रिया जारी है। कुछ तकनीकी कारणों से पेंच फंसा हुआ है, लेकिन जल्द ही इस पर सरकार काम शुरू करने जा रही है। पहले CET कर चुके युवाओं को राहत हरियाणा सरकार जिन नए और पदों पर भर्ती करने जा रही है उसमें युवाओं को बड़ी राहत देगी। इन नए पदों पर भर्ती पहले हो चुके CET के अनुसार ही होगी। अभी तक ग्रुप सी के लिए एक और ग्रुप डी के लिए एक सीईटी हो चुका है, जब तक दूसरा सीईटी नहीं हो जाता तब तक खाली पदों पर भर्ती इसी सीईटी अनुसार ही होगी। क्वालीफाई हो सीईटी हरियाणा के उन युवा बेरोजगारों ने सोशल मीडिया पर अभियान चलाकर आग्रह किया कि सीईटी को क्वालीफाई किया जाए। यह मांग लगातार सरकार से पहले भी की गई थी मगर अभी तक सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया। युवाओं का कहना है कि सरकार जब भी सीईटी पॉलिसी में संशोधन करे तो इसे क्वालीफाई नेचर का बनाया जाना चाहिए। अभी तक सीईटी स्कोर के अनुसार कुल पदों का चार गुना को शॉर्टलिस्ट कर नॉलेज टेस्ट लेने का प्रावधान है। मांग भेज चुके विभागों के लिए ये निर्देश हरियाणा सीएस ऑफिस द्वारा जारी लेटर में यह स्पष्ट किया गया है कि ग्रुप-सी के वे पद, जिनके लिए मांग पहले ही HSSC को भेजी जा चुकी है, उनके लिए मांग भेजने की आवश्यकता नहीं है। सभी विभागों, बोर्डों और निगमों को ऐसे पदों, जो वर्तमान में भर्ती के अधीन हैं, को रिक्त नहीं मानना चाहिए और उन्हें अपलोड की जाने वाली नई मांग में शामिल नहीं किया जाना चाहिए। प्रत्येक विभाग, बोर्ड या निगम के मुखिया द्वारा यह मांग तैयार करके इसे हरियाणा नॉलेज कॉरपोरेशन लिमिटेड द्वारा इस उद्देश्य के लिए बनाए गए पोर्टल http://hsscor.hkcl.in:8080/HSSCList/using पर अपलोड किया जाएगा, जिसमें विभागों, बोर्डों और निगमों को पहले दिए गए लॉगिन क्रेडेंशियल का उपयोग किया जाएगा। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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यादों के झरोखे से विधानसभा चुनाव:उम्मीदवार लोगों को बताता- वोट कैसे डाला जाता है, चुनावी प्रचार में लोग गाड़ी को देखने जाते थे
यादों के झरोखे से विधानसभा चुनाव:उम्मीदवार लोगों को बताता- वोट कैसे डाला जाता है, चुनावी प्रचार में लोग गाड़ी को देखने जाते थे एक समय था, जब लोग नेताओं के चुनावी प्रचार में उनके भाषण सुनने नहीं, उनकी गाड़ी को देखने जाते थे। कच्ची सड़कों पर धूल उड़ती थी, फिर भी बच्चे गाड़ियों के पीछे पर्चे उठाने के लिए भागते थे और लोग सड़कों के किनारे कतार लगाकर खड़े होते थे। हरियाणा में जब पहली बार चुनाव हुआ तो माहौल में इतना चकाचौंध नहीं था, सोशल मीडिया और इंटरनेट का जमाना भी नहीं था, उस वक्त चुनावी प्रचार करने में नेताओं के पसीने छूट जाया करते थे। एक गांव से दूसरे गांव पैदल चलकर जाना, घर-घर वोट मांगना, अपनी पहचान और पार्टी का नाम बताना और लोगों को वोट के महत्त्व के बारे में समझाना आज के समय से कहीं ज्यादा मुश्किल हुआ करता था। 1967 में हुआ था पहला विधानसभा चुनाव हरियाणा में कुछ ही दिनों बाद 15वां विधानसभा का चुनाव होने वाला है, सभी पार्टियां जोर आजमाइश कर रही हैं, किसकी हार होगी और किसकी जीत? यह तो तय नहीं है, मगर ये जरूर तय है कि सत्ता की कुर्सी किसी एक को ही मिलेगी। चुनाव जीतने के लिए सभी पार्टियां करोड़ों रुपए खर्च कर रही हैं, मगर एक वक्त था जब नेताओं के पास अपनी गाड़ी भी नहीं होती थी। उस वक्त चुनावी प्रचार के लिए नेता पैदल या साइकिल से जाते थे। उस दौर में लाउड स्पीकर/साउंड का जमाना नहीं था, इतने शोर-शराबे भी नहीं होते थे। ये बात उस समय की है जब देश अंग्रेजों के चंगुल से नया-नया आजाद हुआ था और पहली बार चुनाव हुआ। वो साल था 1951-52 का, लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ ही हुए थे। तब हरियाणा और पंजाब एक ही राज्य हुआ करते थे। जब हरियाणा कटकर अलग हुआ तो 1967 में विधानसभा का पहला चुनाव हुआ। नेताओं के काफिले में बैलगाड़ी होती थी पलवल जिले के न्यू कॉलोनी में रहने वाले 92 वर्षीय तीर्थ दास रहेजा बताते हैं कि “पहले के समय में लोकसभा चुनाव को बड़ी वोट और विधानसभा की चुनाव को छोटी वोट बोला जाता था। आज के समय में उम्मीदवार पैसे को पानी की तरह बहाते हैं, लेकिन एक वक्त था जब उम्मीदवार पैदल-पैदल चलकर ही शहरों व गांवों में वोट मांगने जाया करते थे। उस समय सादगी पूर्ण तरीके से चुनाव प्रचार होता था। वो ऐसा वक्त था जब उम्मीदवार के पास न तो गाड़ी थी, न प्रचार के लिए माइक थे। गांवों में जाने के लिए पक्की सड़कें भी नहीं थी। प्रचार के लिए साधन के रूप में केवल साइकिल का इस्तेमाल होता था या फिर प्रत्याशी को पैदल ही जाना पड़ता था। आज के समय में नेताओं की रैली में हजारों लग्जरी गाड़ियों का काफिला निकलता है, पर उस समय रैली के नाम पर नेताओं के काफिले में बैलगाड़ी और तांगे चला करते थे। उसमें भी अधिकांश प्रत्याशी ऐसे होते, जो ये सुविधाएं भी नहीं जुटा पाते थे।” सोशल मीडिया और इंटरनेट का नहीं था जमाना तीर्थ दास बताते हैं, उस समय की भी अपनी कहानी है। आज के दौर में सोशल मीडिया और इंटरनेट का जमाना है, लोग घर बैठे नेताओं के भाषण सुन लेते हैं, क्षण-क्षण बदलते उनके बयान सुन लेते हैं, टीवी और इंटरनेट पर छपे विज्ञापनों में नेताओं का प्रचार देख लेते हैं। मगर उस दौर में प्रत्याशी को अपनी पहचान बताने के लिए घर-घर जाना पड़ता था, एक-एक व्यक्ति से मिलना पड़ता था। हां मगर उस समय आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला नहीं था, नेता उल्टी-सीधी बयानबाजी भी नहीं करते थे। आज के समय में सोशल मीडिया पर केवल एक पोस्ट वायरल हो जाने से रातों-रात नेताओं की छवि बदल जाती है, जिसका सीधा असर चुनावी नतीजे पर पड़ता है पर उस दौर में ऐसा कुछ भी नहीं होता था। वैलेट पेपर पर डाले जाते थे वोट तीर्थ दास पुरानी यादों के बारे में बताते हुए उस दौर का जिक्र करते हैं, जब देश में पहली बार लोकसभा और विधानसभा का चुनाव हुआ था। एक समस्या ये भी थी, कितने लोगों को पता ही नहीं था कि वोट कैसे डाला जाता है, उस टाइम ईवीएम मशीन प्रचलन में नहीं था, वैलेट पेपर पर वोट डाले जाते थे। कितने वोट तो गलत तरीके से डालने के कारण रद्द हो जाते थे। प्रत्याशी चुनावी प्रचार के दौरान वैलेट पेपर का एक नमुना अपने साथ ले जाते और उसे दिखाकर लोगों को वोट डालने के तरीके के बारे में भी समझाते थे। उस समय प्रत्याशी जब चुनाव प्रचार के लिए किसी गांव में पहुंचता तो लोग उसे देखने के लिए इकट्ठे हो जाते थे। तब शहर और गांवों को जोड़ने के लिए कच्चे रास्ते होते थे, पक्की सड़कें या गाड़ी तो थी ही नहीं। उस समय के चुनावों में प्रचार का जिम्मा प्रत्याशी के गांव के लोग, रिश्तेदार व सगे- संबंधी खुद संभालते थे और पैदल-पैदल गांवों में जाकर सादगी के साथ वोट मांगा करते थे। 1967 से 2024 तक चुनावी सफर उस समय चुनावी प्रचार में न तो बैंडबाजे होते थे, न ही लाउड स्पीकर, न जातिवाद न संप्रदायवाद केवल विकास ही मुद्दा होता था। उन्होंने बताया कि 1966 में जब हरियाणा बना तो चुनाव प्रचार में कुछ बदलाव आया। माइक व प्रचार में एक-दो अंबेसडर गाड़ी आ चुकी थी। चुनाव प्रचार के लिए जब गाड़ी गांव में पहुंचती थी तो लोग चुनाव प्रचार को कम, गाड़ी को देखने के लिए ज्यादा एकत्रित होते थे। लेकिन उस समय भी कच्चे रास्ते होते थे, गाड़ी जब निकलती थी तो धूल उड़ती थी, लेकिन उसके बाद भी बच्चे पर्चे लेने के लिए गाड़ी के पीछे काफी दूर तक दौड़ा करते थे। आज के समय में बहुत कुछ बदल गया है, चुनावी प्रचार के तरीके बदल गए, वोट मांगने तरीकों में भी बदलाव आ गया और मुद्दे भी बदल गए। मगर आज भी हरियाणा के कई पिछड़े गांव विकास की राह निहार रहे हैं। जो पक्की सड़क, बेहतर शिक्षा और चिकित्सा व्यवस्था से आज भी अछूते हैं। कौन हैं तीर्थ दास रहेजा? न्यू कॉलोनी पलवल निवासी तीर्थ दास रहेजा की उम्र 92 साल है। उनका जन्म 25 अक्टूबर 1932 को जिला डेरा गाजिखान तहसील जामपुर के नौसरा बैस्ट गांव में हुआ था। जो अब पाकिस्तान में पड़ता है। आठवीं तक की पढ़ाई भी उन्होंने पाकिस्तान के नौसरा बैस्ट गांव में ही की थी। उसके बाद अक्टूबर 1947 को जब हिन्दुस्तान-पाकिस्तान का बंटवारा हुआ तो वे जालंधर आ गए। पंजाब में जालंधर से प्रशासनिक अधिकारियों ने उन्हें अप्रैल 1948 को पलवल भेज दिया। पलवल में आकर उन्होंने 1952 में दसवीं पास किया और 1953 में करनाल से जेबीटी की। उस समय हरियाणा, पंजाब व हिमाचल एक थे और करनाल में ही जेबीटी केंद्र था। सितंबर 1953 में मेवात के नंदरायपुर बास स्कूल में वे जेबीटी अध्यापक नियुक्त हुए और 31 अक्टूबर 1990 में सेवानिवृत हो गए।
चरखी दादरी में भाजपा सांसद ने ली वर्कर मीटिंग:जीत का मार्जिन घटने पर किया मंथन; पार्टी में भितरघात को नकारा
चरखी दादरी में भाजपा सांसद ने ली वर्कर मीटिंग:जीत का मार्जिन घटने पर किया मंथन; पार्टी में भितरघात को नकारा भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा से तीसरी बार भाजपा से सांसद बने धर्मबीर सिंह ने अपनी जीत व तीसरी बार अंतर कम होने पर पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ आज चरखी दादरी में मंथन किया। साथ ही उन्होंने पार्टी के लीडरों पर तंज कसते हुए कहा कि नेताओं से जनता स्याणी और जनता ने अपना फायदा देखते हुए भाजपा को वोट दी है। किसी नेता विशेष का कोई प्रभाव नहीं रहा बल्कि वोटर ने फैसला लेते हुए भाजपा को जिताया है। सांसद धर्मबीर सिंह ने बुधवार शाम को अपने दादरी निवास पर पार्टी कार्यकर्ताओं की मीटिंग ली। चुनावी रिजल्ट को लेकर मंथन किया। सांसद ने तीसरी बार अपनी जीत का अंतर मात्र हजारों में होने पर चर्चा की और आगामी दिनों में पिछले 10 सालों से किये कार्यों को आगे बढ़ाते हुए नये आयाम स्थापित करने की बात कही। सांसद ने मीडिया से बात करते हुए एक सवाल के जवाब में कहा कि जो नेता भितरघात का दावा करते हैं तो वे झूठे हैं, भाजपा में कोई भितरघात नहीं हुआ। कांग्रेस को जनता ने फिर से नकार दिया है, यहीं कारण है कि भाजपा की तीसरी बार भी जीत हुई है। दादरी-भिवानी जिलों में हार को लेकर धर्मबीर सिंह ने कहा कि पुराना भिवानी जिला से हारा नहीं बल्कि 2014 के मुकाबले बढ़त मिली है। वहीं उन्होंने जजपा व इनेलो पर कटाक्ष करते हुए कहा कि उनका सबसे ज्यादा ग्राफ नीचे आया है, नैना चौटाला मात्र कुछ हजार वोट ही ले पाई है। विधायक सोमबीर सांगवान के कांग्रेस में आने के बाद दादरी से मिली हार को लेकर कहा कि विधायक के कांग्रेस में जाने से कोई फर्क नहीं पड़ा बल्कि विचारधारा से भाजपा को जीत मिली है।