पाकिस्तानी महिला जहां टीचर थी, उस स्कूल से रिपोर्ट:टीचर बोले-परिवार का कभी जिक्र नहीं किया, मैथ में एक्सपर्ट थी

पाकिस्तानी महिला जहां टीचर थी, उस स्कूल से रिपोर्ट:टीचर बोले-परिवार का कभी जिक्र नहीं किया, मैथ में एक्सपर्ट थी

शुमायला कभी अपने परिवार के बारे में बात नहीं करती थी। 2022 में पहली बार पता चला कि वह पाकिस्तान से है। जब शुमायला से इस बारे में पूछा जाता तो वह बात को टाल देती थी। सही से जवाब नहीं देती। मगर वह बच्चों को बहुत मेहनत से पढ़ाती थी। उसके पढ़ाने से बच्चे खुश रहते थे। ये कहना है बरेली जिले के माधौपुर प्राइमरी स्कूल के हेडमास्टर परम कृष्ण पाल का। जहां 9 साल तक पाकिस्तानी नागरिक शुमायला खान टीचर रही। पाकिस्तानी शुमायला ने फर्जी दस्तावेज के जरिए नौकरी हासिल की। खुलासा होने के बाद भास्कर की टीम ने हेड मास्टर से बात की। अब पढ़िए कृष्णपाल ने शुमायला के बारे में क्या बताया… सवाल : शुमायला खान कब से स्कूल में पढ़ा रही थी?
जवाब : शुमायला की 7 नवंबर, 2015 को प्राथमिक विद्यालय माधोपुर में सहायक अध्यापक के पद पर नियुक्ति हुई थी। वह जूनियर क्लासेज को पढ़ाती थी। सवाल : वह पढ़ाने और बिहेवियर में कैसी थी?
जवाब : वह इंग्लिश और मैथ की एक्सपर्ट थी। यहां पढ़ाने से पहले किसी कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ाती थी। सवाल : कब पता चला कि वह पाकिस्तानी नागरिक है?
जवाब : वर्ष 2022 में पता चला कि शुमायला पाकिस्तान की नागरिक है। इसके बाद उसे सस्पेंड कर दिया गया। पुलिस जब स्कूल में पूछताछ के लिए आई, तब शुमायला गोलमोल जवाब देती रही। सही से कुछ भी नहीं बताया। सवाल : शुमायला को लेकर कोई ऐसी बात, जिसे आप संदिग्ध मानते हों?
जवाब : नहीं…वह बहुत मेहनती थी। समय पर आना, मेहनत से काम करना। उसकी नागरिकता को लेकर सामने आए फैक्ट से हम लोग हैरान हैं। स्टूडेंट बोला- शुमायला मेम अच्छा पढ़ाती थीं
स्कूल में शुमायला से पढ़ने वाले एक बच्चे मोहित से मुलाकात हुई। छात्र ने कहा- मैडम बहुत अच्छा पढ़ाती थीं। अब कई महीनों से मेम स्कूल नहीं आ रही हैं। जब बच्चे से पूछा गया कि क्या आपको पता है कि वह पाकिस्तान की रहने वाली हैं। बच्चे ने कहा- हमें ऐसा कुछ नहीं पता। वो जाने क्यों नहीं आ रही हैं। गिरफ्तार हो सकती है शुमायला
पाकिस्तान में जन्मी शुमायला खान के ऊपर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है। शुमायला खान ने फर्जी दस्तावेज के जरिए बेसिक शिक्षा विभाग में नौकरी हासिल की। 9 साल तक शुमायला खान बरेली के फतेहगंज पश्चिमी में स्थित प्राथमिक विद्यालय माधौपुर में पढ़ाती रही। एलआईयू जांच में पता चला कि शुमायला खान का जन्म पाकिस्तान में हुआ था और उसने फर्जी दस्तावेज के जरिए मूल निवास प्रमाण पत्र बनवाकर शिक्षक की नौकरी हासिल की। जिसके बाद उसे बर्खास्त कर दिया गया है। उसके खिलाफ मुकदमा भी दर्ज करवा दिया गया है। रामपुर में रहती हैं मां-बेटी
यूपी के रामपुर के बजोड़ी टोला में गली नंबर चार के मकान नंबर-20 निवासी शुमायला खान पुत्री एसए खान के खिलाफ बरेली के फतेहगंज पश्चिमी थाने में मुकदमा दर्ज करवाया गया है। खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) भानु शंकर गंगवार की ओर से मुकदमा दर्ज करवाया गया है। जिसमें बताया गया है कि शुमायला खान ने अपनी नागरिकता छिपाई है। वो भारत की नहीं बल्कि पाकिस्तान की नागरिक है। मां ने भी सरकारी स्कूल में नौकरी की
पाकिस्तान में जन्मी शुमायला ही नही उसकी मां माहिरा खान ने भी फर्जी दस्तावेज के आधार पर सरकारी नौकरी हासिल की थी। 22 जनवरी, 1992 को माहिरा खान ने बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षक के रूप में जॉइन किया था, लेकिन यह सच जल्द ही सामने आ गया कि उसने गलत दस्तावेज का उपयोग किया था। अपनी मां के नक्शे कदम पर ही बेटी भी चली और उसने भी अपनी मां की तरह फर्जी दस्तावेज के जरिए नौकरी हासिल की। वो भी अपनी मां की तरह सरकारी स्कूल में टीचर बन गई और 9 सालों तक पढ़ाया भी। अब जब मामला उजागर हुआ तो बरेली से लेकर लखनऊ तक हड़कंप मच गया। सरकारी नौकरी के वक्त सभी दस्तावेज की जांच होती है तो फिर कैसे शुमायला और उसकी मां को नौकरी मिल गई। इससे साफ है कि इस मामले में भर्ती के वक्त कही न कही बड़ी लापरवाही बरती गई। शौहर से तलाक के बाद माहिरा भारत आईं
शुमायला खान की मां माहिरा खान का विवाह 17 जून, 1979 को पाकिस्तान के लाहौर में रहने वाले सिबगत अली से हुआ था। शादी के तीन साल बाद किसी विवाद के कारण माहिरा ने अपने पति को तलाक दे दिया और अपने दोनों बेटियों शुमायला और आलिमा के साथ रामपुर आ गई। उस समय माहिरा के पास पाकिस्तान की नागरिकता थी, भारत में आने के बाद यहां की नागरिकता नहीं मिली। उस समय शुमायला की उम्र एक साल थी। माहिरा ने भारत में आकर अपने और अपनी बेटियों के फर्जी दस्तावेज बनवाए। शुमायला ने भारतीय दस्तावेज प्राप्त करने के लिए अपने जन्म प्रमाणपत्र का इस्तेमाल किया, जिसे उसकी मां ने बनवाया था। इस प्रक्रिया के दौरान, शुमायला के पास एक पैन कार्ड भी था। जिसमें उसकी जन्मतिथि 5 अगस्त, 1981 दर्ज थी। इस तरह से उसने अपनी पहचान को भारतीय नागरिक के रूप में प्रस्तुत किया। शुमायला की प्रारंभिक शिक्षा रामपुर से हुई। बाद में उसने मेरिट के आधार पर बीटीसी (बेसिक ट्रेनिंग कौंसिल) में दाखिला लिया और प्रशिक्षण प्राप्त किया। बीटीसी पूरा करने के बाद, 2015 में उसे सहायक शिक्षक के पद पर नियुक्ति मिली। उसका पहला कार्यस्थल फतेहगंज के माधोपुर में स्थित प्राथमिक स्कूल था। मई, 2022 में शुमायला खान को निलंबित किया
माहिरा खान और शुमायला के संदिग्ध दस्तावेज की जांच शुरू हुई, तब शिक्षा विभाग ने मई, 2022 में जांच के आधार पर शुमायला को निलंबित कर दिया। रामपुर के एसडीएम ने भी अपनी रिपोर्ट में शुमायला के पाकिस्तानी नागरिक होने की पुष्टि की। शुमायला की मां, माहिरा के खिलाफ चली लंबी कानूनी प्रक्रिया
शुमायला की मां माहिरा खान के खिलाफ भी एक लंबी कानूनी प्रक्रिया चली। उन्होंने पाकिस्तान से भारत आने के बाद अपनी पहचान को छुपाया और बेसिक शिक्षा विभाग में नौकरी पाने के लिए गलत दस्तावेज का इस्तेमाल किया। इस मामले में एलआईयू ने 1983 में रिपोर्ट दर्ज की थी। हालांकि, इस समय पर माहिरा को कोई गंभीर सजा नहीं मिली। लेकिन 1992 में जब सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लिया, तो उन्हें शिक्षक पद से निलंबित कर दिया गया। बाद में उन्हें फिर से बहाल किया गया, लेकिन एक बार फिर फर्जी दस्तावेज के मामले में बर्खास्त कर दिया गया। ——————————- ये भी पढ़ें :
गोरखपुर में BJP नेता का बेटा लापता, नोटबुक में लिखा- मम्मी-पापा, दोस्तों को परेशान मत करना, मैं अपनी मर्जी से जा रहा हूं ‘मैं जा रहा हूं, मम्मी-पापा मुझे मत ढूंढना, न ही मेरे दोस्तों को परेशान करना, पुलिस को भी मत बताना। मैं अपनी मर्जी से जा रहा हूं, बहुत जल्द फिर वापस आ जाऊंगा।’ ये बातें अपनी नोटबुक में लिखकर गोरखपुर में भाजपा मंडल अध्यक्ष शिशिर वर्मा का 13 साल का बेटा ऋषभ वर्मा रहस्यमय तरीके से लापता हो गया। देर शाम तक जब वह घर नहीं आया तो परिजनों ने उसे मोहल्ले में खोजा। उसके दोस्तों से जानकारी की। मगर उसका कोई पता नहीं चला। इसके बाद भाजपा मंडल अध्यक्ष ने पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने मामला दर्ज कर किशोर की खोज शुरू कर दी है। मामला शाहपुर इलाके के धर्मपुर का है। पढ़िए पूरी खबर… शुमायला कभी अपने परिवार के बारे में बात नहीं करती थी। 2022 में पहली बार पता चला कि वह पाकिस्तान से है। जब शुमायला से इस बारे में पूछा जाता तो वह बात को टाल देती थी। सही से जवाब नहीं देती। मगर वह बच्चों को बहुत मेहनत से पढ़ाती थी। उसके पढ़ाने से बच्चे खुश रहते थे। ये कहना है बरेली जिले के माधौपुर प्राइमरी स्कूल के हेडमास्टर परम कृष्ण पाल का। जहां 9 साल तक पाकिस्तानी नागरिक शुमायला खान टीचर रही। पाकिस्तानी शुमायला ने फर्जी दस्तावेज के जरिए नौकरी हासिल की। खुलासा होने के बाद भास्कर की टीम ने हेड मास्टर से बात की। अब पढ़िए कृष्णपाल ने शुमायला के बारे में क्या बताया… सवाल : शुमायला खान कब से स्कूल में पढ़ा रही थी?
जवाब : शुमायला की 7 नवंबर, 2015 को प्राथमिक विद्यालय माधोपुर में सहायक अध्यापक के पद पर नियुक्ति हुई थी। वह जूनियर क्लासेज को पढ़ाती थी। सवाल : वह पढ़ाने और बिहेवियर में कैसी थी?
जवाब : वह इंग्लिश और मैथ की एक्सपर्ट थी। यहां पढ़ाने से पहले किसी कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ाती थी। सवाल : कब पता चला कि वह पाकिस्तानी नागरिक है?
जवाब : वर्ष 2022 में पता चला कि शुमायला पाकिस्तान की नागरिक है। इसके बाद उसे सस्पेंड कर दिया गया। पुलिस जब स्कूल में पूछताछ के लिए आई, तब शुमायला गोलमोल जवाब देती रही। सही से कुछ भी नहीं बताया। सवाल : शुमायला को लेकर कोई ऐसी बात, जिसे आप संदिग्ध मानते हों?
जवाब : नहीं…वह बहुत मेहनती थी। समय पर आना, मेहनत से काम करना। उसकी नागरिकता को लेकर सामने आए फैक्ट से हम लोग हैरान हैं। स्टूडेंट बोला- शुमायला मेम अच्छा पढ़ाती थीं
स्कूल में शुमायला से पढ़ने वाले एक बच्चे मोहित से मुलाकात हुई। छात्र ने कहा- मैडम बहुत अच्छा पढ़ाती थीं। अब कई महीनों से मेम स्कूल नहीं आ रही हैं। जब बच्चे से पूछा गया कि क्या आपको पता है कि वह पाकिस्तान की रहने वाली हैं। बच्चे ने कहा- हमें ऐसा कुछ नहीं पता। वो जाने क्यों नहीं आ रही हैं। गिरफ्तार हो सकती है शुमायला
पाकिस्तान में जन्मी शुमायला खान के ऊपर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है। शुमायला खान ने फर्जी दस्तावेज के जरिए बेसिक शिक्षा विभाग में नौकरी हासिल की। 9 साल तक शुमायला खान बरेली के फतेहगंज पश्चिमी में स्थित प्राथमिक विद्यालय माधौपुर में पढ़ाती रही। एलआईयू जांच में पता चला कि शुमायला खान का जन्म पाकिस्तान में हुआ था और उसने फर्जी दस्तावेज के जरिए मूल निवास प्रमाण पत्र बनवाकर शिक्षक की नौकरी हासिल की। जिसके बाद उसे बर्खास्त कर दिया गया है। उसके खिलाफ मुकदमा भी दर्ज करवा दिया गया है। रामपुर में रहती हैं मां-बेटी
यूपी के रामपुर के बजोड़ी टोला में गली नंबर चार के मकान नंबर-20 निवासी शुमायला खान पुत्री एसए खान के खिलाफ बरेली के फतेहगंज पश्चिमी थाने में मुकदमा दर्ज करवाया गया है। खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) भानु शंकर गंगवार की ओर से मुकदमा दर्ज करवाया गया है। जिसमें बताया गया है कि शुमायला खान ने अपनी नागरिकता छिपाई है। वो भारत की नहीं बल्कि पाकिस्तान की नागरिक है। मां ने भी सरकारी स्कूल में नौकरी की
पाकिस्तान में जन्मी शुमायला ही नही उसकी मां माहिरा खान ने भी फर्जी दस्तावेज के आधार पर सरकारी नौकरी हासिल की थी। 22 जनवरी, 1992 को माहिरा खान ने बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षक के रूप में जॉइन किया था, लेकिन यह सच जल्द ही सामने आ गया कि उसने गलत दस्तावेज का उपयोग किया था। अपनी मां के नक्शे कदम पर ही बेटी भी चली और उसने भी अपनी मां की तरह फर्जी दस्तावेज के जरिए नौकरी हासिल की। वो भी अपनी मां की तरह सरकारी स्कूल में टीचर बन गई और 9 सालों तक पढ़ाया भी। अब जब मामला उजागर हुआ तो बरेली से लेकर लखनऊ तक हड़कंप मच गया। सरकारी नौकरी के वक्त सभी दस्तावेज की जांच होती है तो फिर कैसे शुमायला और उसकी मां को नौकरी मिल गई। इससे साफ है कि इस मामले में भर्ती के वक्त कही न कही बड़ी लापरवाही बरती गई। शौहर से तलाक के बाद माहिरा भारत आईं
शुमायला खान की मां माहिरा खान का विवाह 17 जून, 1979 को पाकिस्तान के लाहौर में रहने वाले सिबगत अली से हुआ था। शादी के तीन साल बाद किसी विवाद के कारण माहिरा ने अपने पति को तलाक दे दिया और अपने दोनों बेटियों शुमायला और आलिमा के साथ रामपुर आ गई। उस समय माहिरा के पास पाकिस्तान की नागरिकता थी, भारत में आने के बाद यहां की नागरिकता नहीं मिली। उस समय शुमायला की उम्र एक साल थी। माहिरा ने भारत में आकर अपने और अपनी बेटियों के फर्जी दस्तावेज बनवाए। शुमायला ने भारतीय दस्तावेज प्राप्त करने के लिए अपने जन्म प्रमाणपत्र का इस्तेमाल किया, जिसे उसकी मां ने बनवाया था। इस प्रक्रिया के दौरान, शुमायला के पास एक पैन कार्ड भी था। जिसमें उसकी जन्मतिथि 5 अगस्त, 1981 दर्ज थी। इस तरह से उसने अपनी पहचान को भारतीय नागरिक के रूप में प्रस्तुत किया। शुमायला की प्रारंभिक शिक्षा रामपुर से हुई। बाद में उसने मेरिट के आधार पर बीटीसी (बेसिक ट्रेनिंग कौंसिल) में दाखिला लिया और प्रशिक्षण प्राप्त किया। बीटीसी पूरा करने के बाद, 2015 में उसे सहायक शिक्षक के पद पर नियुक्ति मिली। उसका पहला कार्यस्थल फतेहगंज के माधोपुर में स्थित प्राथमिक स्कूल था। मई, 2022 में शुमायला खान को निलंबित किया
माहिरा खान और शुमायला के संदिग्ध दस्तावेज की जांच शुरू हुई, तब शिक्षा विभाग ने मई, 2022 में जांच के आधार पर शुमायला को निलंबित कर दिया। रामपुर के एसडीएम ने भी अपनी रिपोर्ट में शुमायला के पाकिस्तानी नागरिक होने की पुष्टि की। शुमायला की मां, माहिरा के खिलाफ चली लंबी कानूनी प्रक्रिया
शुमायला की मां माहिरा खान के खिलाफ भी एक लंबी कानूनी प्रक्रिया चली। उन्होंने पाकिस्तान से भारत आने के बाद अपनी पहचान को छुपाया और बेसिक शिक्षा विभाग में नौकरी पाने के लिए गलत दस्तावेज का इस्तेमाल किया। इस मामले में एलआईयू ने 1983 में रिपोर्ट दर्ज की थी। हालांकि, इस समय पर माहिरा को कोई गंभीर सजा नहीं मिली। लेकिन 1992 में जब सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लिया, तो उन्हें शिक्षक पद से निलंबित कर दिया गया। बाद में उन्हें फिर से बहाल किया गया, लेकिन एक बार फिर फर्जी दस्तावेज के मामले में बर्खास्त कर दिया गया। ——————————- ये भी पढ़ें :
गोरखपुर में BJP नेता का बेटा लापता, नोटबुक में लिखा- मम्मी-पापा, दोस्तों को परेशान मत करना, मैं अपनी मर्जी से जा रहा हूं ‘मैं जा रहा हूं, मम्मी-पापा मुझे मत ढूंढना, न ही मेरे दोस्तों को परेशान करना, पुलिस को भी मत बताना। मैं अपनी मर्जी से जा रहा हूं, बहुत जल्द फिर वापस आ जाऊंगा।’ ये बातें अपनी नोटबुक में लिखकर गोरखपुर में भाजपा मंडल अध्यक्ष शिशिर वर्मा का 13 साल का बेटा ऋषभ वर्मा रहस्यमय तरीके से लापता हो गया। देर शाम तक जब वह घर नहीं आया तो परिजनों ने उसे मोहल्ले में खोजा। उसके दोस्तों से जानकारी की। मगर उसका कोई पता नहीं चला। इसके बाद भाजपा मंडल अध्यक्ष ने पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने मामला दर्ज कर किशोर की खोज शुरू कर दी है। मामला शाहपुर इलाके के धर्मपुर का है। पढ़िए पूरी खबर…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर