हरियाणा के पानीपत शहर की रहने वाली महिला के साथ करनाल स्थित उसकी ससुराल में दहेज के लिए प्रताड़नाएं की गई। महिला के साथ खूब मारपीट की गई। गाड़ी की मांग के लिए उस पर अत्याचार किया गया। ढाई साल की बेटी को सास मोबाइल फोन दिखा रही थी। जिसका विरोध महिला ने करते हुए कहा कि इसे फोन की आदत मत डालो। इस बात पर पति ने उसे खूब पीटा और घर से निकाल दिया। जिसके बाद महिला ने मामले की शिकायत पुलिस को दी है। पुलिस ने शिकायत के आधार पर केस दर्ज कर लिया है। बता दें कि महिला और उसके पति की ये दूसरी शादी है, जोकि अब टूटने के कगार पर पहुंच चुकी है। गर्भवती हुई तो मायका भेज दिया, फिर 8 माह बेटी को भी नहीं देखने आए मॉडल टाउन थाना पुलिस को दी शिकायत में एक महिला ने बताया कि वह विराट नगर की रहने वाली है। अप्रैल 2021 में उसकी शादी हर्ष चड्ढा निवासी नीलोखेड़ी करनाल के साथ हुई थी। ये उसकी व उसके पति की दूसरी शादी है। महिला का आरोप है कि शादी के अगले दिन ही ससुराल वालों ने दहेज के लिए उसे तंग करना शुरू कर दिया था। प्रताड़ित करने में पति के अलावा ससुर भूपेंद्र, सास रीता के अलावा यमुनानगर की रहने वाली सीमा भाटिया, दीपा मुंजाल, वंदना मुंजाल भी शामिल है। सभी गाड़ी की मांग के चलते उसे ताना मारते थे। महिला का कहना है कि जून 2021 में जब वह गर्भवती हुई, तो आरोपियों ने उसे घर से निकाल दिया। जिसके बाद वह अपने मायका रही और यही पर 2 फरवरी 2022 में बड़ी को जन्म दिया। इसके 8 माह बाद तक वह अपने घर पर ही रही, लेकिन ससुराल वाले उनसे मिलने तक नहीं आए। इसके बाद एक पंचायत की गई, जिसमें ससुराल वालों ने गलती मानी और भविष्य में ऐसा न करने की बात कहते हुए उन्हें अपने साथ घर ले गए। जुलाई 2024 में निकाल दिया था घर से बाहर जहां 4 दिन बाद फिर उससे गाड़ी की मांग की गई। अब विरोध करने पर उसके साथ मारपीट की जाने लगी। जुलाई 2024 में महिला किचन में काम कर रही थी, वह अपनी बेटी को सास को दे दी गई। दूध से भरी बोतल देते हुए कहा कि इसे दूध पिला दें, वह रसोई में काम कर रही है। कुछ देर बाद महिला कमरे में लौटी, तो देखा कि सास उसे सिर्फ मोबाइल फोन दिखा रही थी। जिस पर उसने कहा कि इसे मोबाइल फोन की आदत मत डालो, यह आगे बहुत परेशान करेगी। इस पर सास ने मोबाइल फोन पटका और वहां से चली गई। शाम को पति घर लौटा, तो सास ने उसे भड़काना शुरू कर दिया। पति ने उसे खूब पीटा। उसके मायका वालों को भी फोन कर खूब भला-बुरा कहा। इसके बाद महिला को घर से बाहर निकाल दिया। तब से महिला अपने मायका ही रह रही है। हरियाणा के पानीपत शहर की रहने वाली महिला के साथ करनाल स्थित उसकी ससुराल में दहेज के लिए प्रताड़नाएं की गई। महिला के साथ खूब मारपीट की गई। गाड़ी की मांग के लिए उस पर अत्याचार किया गया। ढाई साल की बेटी को सास मोबाइल फोन दिखा रही थी। जिसका विरोध महिला ने करते हुए कहा कि इसे फोन की आदत मत डालो। इस बात पर पति ने उसे खूब पीटा और घर से निकाल दिया। जिसके बाद महिला ने मामले की शिकायत पुलिस को दी है। पुलिस ने शिकायत के आधार पर केस दर्ज कर लिया है। बता दें कि महिला और उसके पति की ये दूसरी शादी है, जोकि अब टूटने के कगार पर पहुंच चुकी है। गर्भवती हुई तो मायका भेज दिया, फिर 8 माह बेटी को भी नहीं देखने आए मॉडल टाउन थाना पुलिस को दी शिकायत में एक महिला ने बताया कि वह विराट नगर की रहने वाली है। अप्रैल 2021 में उसकी शादी हर्ष चड्ढा निवासी नीलोखेड़ी करनाल के साथ हुई थी। ये उसकी व उसके पति की दूसरी शादी है। महिला का आरोप है कि शादी के अगले दिन ही ससुराल वालों ने दहेज के लिए उसे तंग करना शुरू कर दिया था। प्रताड़ित करने में पति के अलावा ससुर भूपेंद्र, सास रीता के अलावा यमुनानगर की रहने वाली सीमा भाटिया, दीपा मुंजाल, वंदना मुंजाल भी शामिल है। सभी गाड़ी की मांग के चलते उसे ताना मारते थे। महिला का कहना है कि जून 2021 में जब वह गर्भवती हुई, तो आरोपियों ने उसे घर से निकाल दिया। जिसके बाद वह अपने मायका रही और यही पर 2 फरवरी 2022 में बड़ी को जन्म दिया। इसके 8 माह बाद तक वह अपने घर पर ही रही, लेकिन ससुराल वाले उनसे मिलने तक नहीं आए। इसके बाद एक पंचायत की गई, जिसमें ससुराल वालों ने गलती मानी और भविष्य में ऐसा न करने की बात कहते हुए उन्हें अपने साथ घर ले गए। जुलाई 2024 में निकाल दिया था घर से बाहर जहां 4 दिन बाद फिर उससे गाड़ी की मांग की गई। अब विरोध करने पर उसके साथ मारपीट की जाने लगी। जुलाई 2024 में महिला किचन में काम कर रही थी, वह अपनी बेटी को सास को दे दी गई। दूध से भरी बोतल देते हुए कहा कि इसे दूध पिला दें, वह रसोई में काम कर रही है। कुछ देर बाद महिला कमरे में लौटी, तो देखा कि सास उसे सिर्फ मोबाइल फोन दिखा रही थी। जिस पर उसने कहा कि इसे मोबाइल फोन की आदत मत डालो, यह आगे बहुत परेशान करेगी। इस पर सास ने मोबाइल फोन पटका और वहां से चली गई। शाम को पति घर लौटा, तो सास ने उसे भड़काना शुरू कर दिया। पति ने उसे खूब पीटा। उसके मायका वालों को भी फोन कर खूब भला-बुरा कहा। इसके बाद महिला को घर से बाहर निकाल दिया। तब से महिला अपने मायका ही रह रही है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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हरियाणा के जाटों में पैठ बनाने में जुटे सैनी:जाट शिक्षण संस्थान में जाएंगे; भजनलाल-चौटाला के बाद 21 साल में कोई CM चीफ गेस्ट
हरियाणा के जाटों में पैठ बनाने में जुटे सैनी:जाट शिक्षण संस्थान में जाएंगे; भजनलाल-चौटाला के बाद 21 साल में कोई CM चीफ गेस्ट हरियाणा में BJP के नए सियासी दांव ने पॉलिटिकल एक्सपर्ट्स को चौंका दिया है। दरअसल, अब तक गैर जाट पॉलिटिक्स कर रही भाजपा अब जाटों के बीच भी पैठ बनाने में जुट गई है। इसका संकेत इस बात से मिला कि CM नायब सैनी महीने में दूसरी बार जाट समाज के कार्यक्रम में हिस्सा लेने जा रहे हैं। वे हिसार के जाट शिक्षण संस्थान के शताब्दी समारोह में हिस्सा लेंगे। खास बात यह है कि नायब सैनी हरियाणा के तीसरे मुख्यमंत्री होंगे जो इस संस्थान के कार्यक्रम में बतौर चीफ गेस्ट शिरकत करेंगे। इससे पहले चौधरी भजनलाल और ओमप्रकाश चौटाला बतौर सीएम जाट शिक्षण संस्थान के कार्यक्रम में शिरकत कर चुके हैं। 2003 में ओपी चौटाला के बाद 21 साल में कोई मुख्यमंत्री इस कार्यक्रम में हिस्सा लेगा। सैनी से पहले मनोहर लाल खट्टर भी 2 बार सीएम रहे लेकिन इस संस्थान के कार्यक्रम में वे नजर नहीं आए। हालांकि, उनकी सेकेंड टर्म की सरकार में डिप्टी सीएम रहते दुष्यंत चौटाला जरूर कार्यक्रम में पहुंचे थे। इससे पहले सीएम सैनी गुरुग्राम में जाट कल्याण सभा के भवन का शिलान्यास कर चुके हैं। जहां उन्होंने ऐच्छिक कोष से की 31 लाख रुपए देने की घोषणा की थी। जाट समाज के हिसार में होने जा रहे कार्यक्रम का पूरा दारोमदार प्रदेश भाजपा महामंत्री सुरेंद्र पूनिया पर हैं जो जाट समाज से आते हैं। वह भाजपा में बड़ा जाट चेहरा भी हैं। संस्थान की ओर से बनवाया गया आमंत्रण पत्र… सेठ छाजूराम की 159वीं जयंती पर होगा कार्यक्रम
जाट शिक्षण संस्थान में सेठ छाजूराम की 159वीं जयंती मनाई जा रही है। 25 नवंबर को सीएम सैनी इसमें शिरकत करेंगे। सेठ छाजूराम का जन्म 1861 में भिवानी के अलखपुरा गांव में हुआ था। छाजूराम लांबा 20-22 वर्ष की उम्र में कोलकाता जाकर जूट का व्यापार करने लगे। उन्होंने अपने जीवन में महात्मा गांधी को आजादी की लड़ाई के लिए 15 हजार रुपए तथा सुभाष चंद्र बोस को जर्मनी जाने के लिए 5 हजार रुपए देकर सहायता की थी। उन्होंने भगत सिंह को एक बार शरण देकर उनकी जान बचाई थी। इसलिए देश की आजादी में उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाता है। छाजूराम ने अपनी पहली बेटी लेडी हैली के नाम पर भिवानी में अस्पताल बनवाया, जिसे आज चौधरी बंसीलाल सामान्य अस्पताल के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा कई जिलों में शिक्षण संस्थान भी खोले जिसमें हिसार में भी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए शिक्षण संस्थान उन्हीं की देन है। हिसार में जाट शिक्षण संस्थान 100 साल पुराना
हिसार का जाट शिक्षण संस्थान 100 साल पुराना है। संस्थान के करीब 15 हजार मेंबर हैं। यह सदस्य पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ और राजस्थान से हैं। इस संस्थान के अंतर्गत लॉ कालेज, जाट कॉलेज, पब्लिक स्कूल, कॉलेज ऑफ एजुकेशन और एजुकेशन सोसाइटी आती हैं। इस शिक्षण संस्थान पर चौटाला परिवार का दबदबा रहा है। पिछली बार चुनाव में दुष्यंत चौटाला के करीबी अजमेर ढांडा के पैनल ने चुनावों में जीत हासित की थी। चुनाव में अजमेर ढांडा प्रधान, उप प्रधान पद पर दिलदार पूनिया, सचिव पद के लिए परमिंद्र मलिक, कोषाध्यक्ष के पद पर सागर सिवाच ने जीत हासिल की। हालांकि पिछले वर्ष अजमेर ढांडा का स्वर्गवास होने के कारण उनके स्थान पर उप प्रधान दिलदार पूनिया कामकाज संभाले हुए हैं। मुख्यमंत्री के साथ, 2 मंत्री और 3 विधायक भी होंगे शामिल
25 नवंबर को होने वाले कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नायब सैनी चीफ गेस्ट के रूप में शामिल होंगे, तो वहीं शिक्षा मंत्री महीपाल ढांडा कार्यक्रम की अध्यक्षता करेंगे। इसके अलावा कैबिनेट मंत्री रणबीर गंगवा, प्रदेश महामंत्री सुरेंद्र पूनिया अति विशिष्ठ अतिथि होंगे। वहीं विधायक सावित्री जिंदल, विनोद भयाणा और रणधीर पनिहार विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल होंगे। सैनी ने चुनाव से पहले कहा था-देशभक्त कौम है जाट
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने चुनाव से पहले कहा था कि जाट देशभक्त हैं और 1 अक्टूबर को होने वाले विधानसभा चुनाव में वह भाजपा को ही वोट देने वाले हैं। सीएम ने कहा था कि हुड्डा ने जाट समाज का शोषण किया है, कांग्रेस के लोग नैरेटिव सेट करने में लगे हुए हैं कि हैं कि जाट भाजपा को वोट नहीं दे रहा, जबकि हकीकत ये है कि पूरा जाट समाज भाजपा को ही वोट दे रहा है। जाट देशभक्त कौम है, वो हुड्डा के विकास में योगदान नहीं देना चाहते, वो देश के विकास में अपना योगदान देना चाहते हैं और इसीलिए वो लगे हुए हैं और इस बार चुनाव में जाट समुदाय भारतीय जनता पार्टी को बहुत बड़े मैंडेट से जिताने वाला है। हरियाणा की राजनीति में जाटों का दबदबा
हरियाणा के वोटरों में 22.2% जाट हैं। जो बाकी वोटरों के साथ किसी भी पार्टी के लिए सत्ता में पहुंचने में अहम रोल अदा करते हैं। रोहतक, सोनीपत, कैथल, पानीपत, जींद, सिरसा, झज्जर, फतेहाबाद, हिसार और भिवानी जिलों की करीब 35 विधानसभा सीटों पर जाटों की अच्छी पकड़ है। जिसके कारण इस इलाके को जाटलैंड भी कहा जाता है। इस बार के चुनाव में जाटलैंड की सीटों पर बीजेपी ने सेंध लगाई है। चुनाव में BJP ने 22 नई सीटें जीतीं, इनमें 7 सीटें जाट बहुल बागड़ और देशवाल बेल्ट से थी। यही कारण है जाट समाज के कार्यक्रमों के निमंत्रण को तवज्जो दी जा रही है। भाजपा आगे के चुनावों में भी जीत को बरकरार रखने के लिए जाटों को भी साथ जोड़ना चाहती है। जिन्हें पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा की वजह से जाटों का वोट बैंक माना जा रहा है। ——————
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हरियाणा में जनवरी में निगम चुनाव की तैयारी, CM सैनी ने MLA-मंत्रियों को काम बांटे, 3 वजहों से फायदा मान रही भाजपा हरियाणा में विधानसभा चुनाव में जीत के बाद BJP निकाय चुनाव की तैयारी में जुट गई है। BJP इसे लेकर मेगा प्लान तैयार कर रही है। शहरों में सरकार बनाने के लिए मुख्यमंत्री नायब सैनी ने खुद कमर कस ली है। जीत सुनिश्चित करने के लिए CM सैनी ने पार्टी विधायकों के साथ मंत्रियों को भी टास्क दिया है। पूरी खबर पढ़ें
शंभू बॉर्डर अभी नहीं खुलेगा:SC ने कमेटी बनाई, ये ट्रैक्टर हटाने के लिए किसानों से बात करेगी; कहा- मुद्दों का राजनीतीकरण नहीं हो
शंभू बॉर्डर अभी नहीं खुलेगा:SC ने कमेटी बनाई, ये ट्रैक्टर हटाने के लिए किसानों से बात करेगी; कहा- मुद्दों का राजनीतीकरण नहीं हो हरियाणा-पंजाब का शंभू बॉर्डर अभी नहीं खुलेगा। सोमवार को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम हाईपावर कमेटी गठित कर रहे हैं, लेकिन कोई मुद्दे तय नहीं कर रहे हैं। यह अधिकार कमेटी को दे रहे हैं। इस कमेटी में पंजाब और हरियाणा के अधिकारी भी शामिल हैं। हाईपावर कमेटी को आंदोलनकारी किसानों के बीच पहुंचकर अपने ट्रैक्टर हटाने का अनुरोध करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी नसीहत दी कि इस मामले का राजनीतिकरण न किया जाए। मुद्दे बहुत संवेदनशील होते हैं, इसलिए संतुलित रुख अपनाना चाहिए। पिछली 2 सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने शंभू बॉर्डर को आंशिक तौर पर यानी एक लेन खोलने को कहा था। इस मामले में किसानों की पंजाब और हरियाणा के अधिकारियों से मीटिंग भी हुई यह बेनतीजा रहीं। हरियाणा पुलिस का कहना था कि किसान दिल्ली जाएं, लेकिन ट्रैक्टर लेकर न जाएं। किसान ट्रैक्टर समेत जाने पर अड़े रहे। कोर्ट रूम लाइव पढ़ें… एएजी पंजाब: हमने वह मुद्दा दे दिया है, जिस पर किसान फैसला चाहते हैं।
जस्टिस कांत: कृपया इन मुद्दों का राजनीतीकरण न करें, हमें आज इससे ज्यादा कुछ कहने की जरूरत नहीं है। जस्टिस कांत: हम समिति का गठन कर रहे हैं, हम मुद्दे तैयार नहीं कर रहे हैं। हम समिति से ऐसा करने के लिए कह रहे हैं। जस्टिस कांत ने आदेश पढ़ते हुए कहा कि समिति किसानों के मुद्दों को हल करने के तौर-तरीकों पर गौर करेगी। जस्टिस कांत: हम शुरू में कह सकते हैं कि पंजाब व हरियाणा राज्य द्वारा सुझाए गए नाम उच्च निष्ठा वाले व्यक्ति हैं, जो कृषि में अनुभवी हैं। हम यह कहने में जल्दबाजी कर सकते हैं कि किसान वर्गों की एक बड़ी आबादी है जिस पर ध्यान देने की आवश्यकता है। जस्टिस कांत: हमें लगता है कि मुद्दों को तैयार करने के लिए हाईकोर्ट समिति से अनुरोध करना अधिक उचित होगा। पीठ का कहना है कि सदस्य सचिव मुद्दों का सूत्रीकरण हाईपावर कमेटी को दे सकते हैं। जस्टिस कांत: हमें आशा और विश्वास है कि मुद्दों पर गौर करने के लिए एक तटस्थ समिति प्रदान करने की किसानों की आकांक्षा का गठन किया जाएगा। जस्टिस कांत: किसान अपने शांतिपूर्ण आंदोलन को ऐसे आवंटित स्थलों पर स्थनांतरित करने के लिए स्वतंत्र होंगे। जस्टिस कांत: जो लोग दोनों राज्यों की जमीनी हकीकत से वाकिफ हैं, हमने एक संतुलित संरचना बनाने की कोशिश की है, किसानों के मुद्दे वास्तविक हैं, उन्हें एक तटस्थ निकाय द्वारा निपटाया जाना चाहिए, लोकतांत्रिक व्यवस्था में किसी और को अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। बेंच ने हाईकोर्ट कमेटी के सदस्य सचिव को अगली सुनवाई पर अग्रिम स्थिति रिपोर्ट रिकॉर्ड पर रखने का निर्देश दिया। एजी पंजाब: माय लॉर्ड्स ने बहुत अच्छी तरह से नोट किया कि इसका राजनीतीकरण नहीं किया जाना चाहिए।
जस्टिस कांत: मुद्दे बेहद संवेदनशील होते हैं, इसलिए संतुलन का रुख अपनाना चाहिए। शंभू बॉर्डर खोलने के लिए 2 मीटिंग विफल रहीं
शंभू बॉर्डर पर धरने पर बैठे किसानों को मनाने के लिए 25 अगस्त को रखी गई पंजाब और हरियाणा के पुलिस अधिकारियों की बैठक विफल रही। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 5 दिन में दूसरी बार पुलिस अधिकारियों ने किसानों के साथ बैठक की थी, लेकिन किसान मानने को तैयार नहीं। किसान इस बात पर अड़े रहे कि वे अपने ट्रैक्टर-ट्रॉलियों को नहीं छोड़ेंगे और इन्हीं से दिल्ली कूच करेंगे। एक घंटे तक चली इस बैठक में कोई सहमति नहीं बन पाई। पुलिस लाइन में एडीजीपी (इंटेलिजेंस) जसकरण सिंह और एआईजी संदीप गर्ग के अलावा पटियाला के डीसी व एसएसपी और हरियाणा के अंबाला जिले के एसपी और एसडीएम किसानों से बैठक करने के लिए पहुंचे थे। कोर्ट ने आंशिक तौर पर बॉर्डर खोलने के आदेश दिए थे
12 अगस्त को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शंभू बॉर्डर को आंशिक रूप से खोलने के आदेश दिए थे। कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा था कि सह हाईवेज पार्किंग की जगह नहीं हैं। एक हफ्ते के भीतर एंबुलेंस, सीनियर सिटीजंस, महिलाओं, छात्रों, आदि के लिए हाईवे की एक लेन खोली जाए। फरवरी से चल रहा संघर्ष
फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को लेकर पंजाब के किसान फरवरी-2024 से आंदोलन पर हैं। ऐसे में सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए हरियाणा सरकार ने हरियाणा और पंजाब के अंबाला के पास शंभू बॉर्डर को बैरिकेड्स लगाकर बंद कर दिया था। इसके बाद लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू हो गई। किसानों ने बॉर्डर पर पंजाब की तरफ स्थायी मोर्चा बना लिया। ऐसे में वहां से आवाजाही बंद है। इसके चलते अंबाला के व्यापारियों को परेशानी हो रही है। इस कारण उन्होंने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट की शरण ली। हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को बॉर्डर खोलने के आदेश दिए थे, लेकिन सरकार इस मामले में सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई। जानिए, किसान आंदोलन में अभी तक क्या हुआ
हरियाणा में रणजीत चौटाला Vs गोपाल कांडा:बिजली मंत्री बोले- देवीलाल का बेटा, 90 सीटों पर जनाधार, हलोपा नेता का जबाव- आपका इन सब पर बंटाधार
हरियाणा में रणजीत चौटाला Vs गोपाल कांडा:बिजली मंत्री बोले- देवीलाल का बेटा, 90 सीटों पर जनाधार, हलोपा नेता का जबाव- आपका इन सब पर बंटाधार हरियाणा के रानियां विधानसभा को लेकर भाजपा नेता रणजीत चौटाला और उसकी सहयोगी पार्टी हलोपा के नेता गोपाल कांडा आमने-सामने आ गए हैं। रणजीत चौटाला ने इसकी शुरुआत तब की जब हलोपा ने रानिया सीट से प्रत्याशी घोषित किया। इस पर नाराजगी जाहिर करते हुए चौटाला ने कहा था कि हलोपा का कोई जनाधार नहीं है। रणजीत चौटाला ने कहा कि हलोपा के गोपाल कांडा तो सिरसा सीट पर भी मुश्किल से जीत रहे हैं और मैं देवीलाल का बेटा हूं प्रदेश की 90 सीटों पर हार जीत का दम रखता हूं। रणजीत चौटाला की तीखी बयानबाजी पर गोपाल कांडा ने वीडियो संदेश जारी कर पलटवार किया। गोपाल कांडा ने कहा कि रणजीत सिंह का 90 सीटों पर जनाधार नहीं बल्कि बंटाधार है। भाजपा ने इन पर विश्वास किया और उन्हें हिसार लोकसभा सीट से उतारा था लेकिन उन्होंने जीती हुई सीट हरा दी। इसके बाद में कह रहे हैं कुलदीप ने हरवा दिया, कैप्टन ने हरवा दिया। कांडा ने कहा कि रणजीत सिंह का कोई जनाधार नहीं है। अगर वे रानियां से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ते हैं तो उनकी जमानत भी जब्त हो जाएगी। कांडा ने कहा- 8 चुनाव हारने के बाद परिवार ने मदद की तब जीते विधायक गोपाल कांडा ने कहा कि 8 चुनाव हारने के बाद अजय सिंह, अभय सिंह और पूरे परिवार ने पिछले चुनाव में मेरी मदद की, जिसकी बदौलत रणजीत चौटाला जीते। सीएलयू संबंधित बयान पर गोपाल कांडा ने कहा कि मनोहर लाल के कार्यकाल में रणजीत सिंह मेरा एक भी CLU साबित कर दें, तो वो मैं वो CLU उन्हीं के नाम कर दूंगा। गोपाल कांडा ने कहा कि दूसरों के लिए भविष्यवाणी करने की बजाय रणजीत सिंह को अपने बारे में सोचना चाहिए। उन्होंने कहा कि सीट शेयरिंग को लेकर भाजपा से बातचीत चल रही है। फैसला होने के बाद उम्मीदवारों की घोषणा की जाएगी। सिरसा के लोगों के हमेशा साथ खड़ा रहा हूं
गोपाल कांडा ने कहा कि सिरसा की जनता सच्चाई जानती है कि उनका कौन है। गोपाल कांडा और कांडा परिवार हमेशा सिरसा की जनता के लिए तत्पर रहा है। कोरोना संकट के दौरान कहानियां बनाने वाले लोग अपने घरों में दरवाजे बंद करके बैठे थे, जबकि गोपाल कांडा और उनका परिवार इस संकट में सिरसा की जनता के साथ खड़ा है। कांडा और रणजीत के बीच विवाद क्यों बढ़ा?
दरअसल, रणजीत चौटाला ने रानिया से निर्दलीय विधायक का चुनाव जीता था। इसके बाद लोकसभा चुनाव से ठीक पहले वह भाजपा में शामिल हो गए। भाजपा ने उन्हें हिसार से लोकसभा उम्मीदवार बनाया। लेकिन रणजीत चौटाला कांग्रेस के जयप्रकाश जेपी से हार गए। रणजीत चौटाला ने लोकसभा चुनाव से पहले विधानसभा पद से इस्तीफा दे दिया था। हार के बाद रणजीत चौटाला फिर से रानिया की जनता के बीच गए। इसके बाद हरियाणा में विधानसभा चुनाव की घोषणा हो गई। गोपाल कांडा की पार्टी हलोपा ने भाजपा नेता गोबिंद कांडा के बेटे धवल कांडा को रानिया से अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया। इससे रणजीत चौटाला भड़क गए और तब से वे कांडा परिवार पर निशाना साध रहे हैं। रणजीत के पाला बदलने की चर्चा, बोले- मैं भाजपा में रहूंगा
भाजपा की सहयोगी पार्टी हलोपा द्वारा रानिया सीट से प्रत्याशी उतारे जाने से रणजीत चौटाला बेचैन हैं और उन्होंने इसकी शिकायत दिल्ली दरबार तक कर दी है। इसके बाद कांडा भाजपा के प्रदेश चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान से मिलने दिल्ली भी गए थे। लेकिन कांडा ने धवल कांडा की उम्मीदवारी बरकरार रखी, जिससे रणजीत चौटाला और भड़क गए। वहीं भाजपा की ओर से जारी 3 कमेटियों की सूची में भी उनका नाम नहीं है। ऐसे में रणजीत चौटाला के खेमे से खबरें आ रही हैं कि रणजीत चौटाला पाला बदलकर कांग्रेस में जा सकते हैं। लेकिन वह खुद इस बात से इनकार कर रहे हैं और कह रहे हैं कि मैं भाजपा में हूं और 100 फीसदी रानिया से हूं। रणजीत चौटाला ने गोपाल कांडा को लेकर क्या कहा…
रणजीत चौटाला ने सोमवार को रानिया हलके में वर्कर मीटिंग के बाद पत्रकारों से बातचीत में कहा था कि मैं 100 प्रतिशत रानियां से चुनाव लड़ूंगा। हलोपा से रानियां से उम्मीदवार उतारे जाने पर रणजीत सिंह ने कहा कि अकाली दल पुरानी पार्टी है बादल साहब 25 साल मुख्यमंत्री रहे और उसके बाद उसके बाद अकाली दल भी 2 विधानसभा सीटों पर चली गई। उतर प्रदेश में मायावती ने सिंगल पार्टी की सरकार बनाई थी। बिहार देख लो सब जगह ले लो क्षेत्रीय दल खत्म होते जा रहे हैं मैं नहीं मानता हलोपा की सिरसा सीट भी निकलेगी। आज के दिन वह कहीं फाइट में नहीं है। रीजनल पार्टियों का काम एक है कि अपना लाईसेंस ले लो, एमएलए बन जाओ और सीएलयू पास करवाओ। इनका(हलोपा) ना तो मेरे हलके रानियां में कोई रोल है और ना कहीं और इनकी तो सिरसा में भी हालात खराब हैं। चौटाला ने कहा कि मेरी शीर्ष नेतृत्व से बात हुई है हलोपा को सिर्फ एक सीट मिलेगी वो भी तब जब बीजेपी ज्वाईन करेगा तब। वो भी सिरसा सीट ही मिलेगी। मैं 100 प्रतिशत आश्वस्त हूं कि मुझे भाजपा से टिकट मिलेगा। इसलिए रानियां पर अड़े हैं रणजीत
रणजीत चौटाला अपने जीवन के अधिकांश चुनाव रानियां और पूर्व में रोड़ी विधानसभा से लड़े हैं। रानियां चौटाला परिवार की सीट मानी जाती रही है। रानियां से रणजीत चौटाला कई बार चुनाव हारे मगर उन्होंने कभी सीट नहीं छोड़ी 2019 में रणजीत चौटाला ने कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने पर बगावत कर दी और खुद निर्दलीय ही खड़े हो गए और चुनाव जीत गए। चुनाव जीतने के बाद मनोहर सरकार में बिजली मंत्री बन गए। इसके बाद लोकसभा चुनाव लड़े मगर हार गए। इस लिए रणजीत चौटाला रानियां नहीं छोड़ रहे। इसलिए वह रानियां सीट को लेकर लगातार भाजपा पर दवाब बना रहे हैं और बयानबाजी कर रहे हैं।