पानीपत में पंचायती जमीन पर कब्जा:हाईकोर्ट में सरकार का जवाब-रिकॉर्ड मिलना मुश्किल; काफी गल चुका, कर्मचारियों की हो गई मौत

पानीपत में पंचायती जमीन पर कब्जा:हाईकोर्ट में सरकार का जवाब-रिकॉर्ड मिलना मुश्किल; काफी गल चुका, कर्मचारियों की हो गई मौत

पानीपत जिले के गांव मनाना निवासी धर्मवीर शर्मा ने गांव में पंचायत की जमीन पर हुए कब्जे को खाली करवाने के बारे में 2018 में याचिका दायर की थी। उक्त याचिका में पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने सरकार से पंचायती जमीनों पर हुए अवैध कब्जों से संबंधित स्टेट्स रिपोर्ट मांगी थी। जिसमें पूर्व में मुख्य सचिव हरियाणा ने कोर्ट में रिपोर्ट में सौंपी थी। लेकिन हाईकोर्ट ने दोबारा से इस विषय पर वर्ष 2024 में फिर से रिपोर्ट मांगी। जिसमें सरकार द्वारा पंचायती जमीन पर अपील केस डालने के बारे में जानकारी सौंपनी थी। जब अपील केस डालने बाबत रिकॉर्ड खंगाला गया, तो यह बेहद चौंकाने वाला मिला। क्योंकि इस रिपोर्ट में सरकार ने आंकडे नहीं, बल्कि अपनी नाकामी को दिखाया था। तीन बिंदुओं में समझिए, क्या दिया गया जवाब 1. काफी कोशिशों के बाद भी रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं हो सका है। क्योंकि रिकॉर्ड दीमक से क्षतिग्रस्त हो गया और कुछ रिकॉर्ड मिट्‌टी बन चुका है। रिकॉर्ड का समय 58 साल से अधिक होने के कारण भी इसके मिलने की संभावना न के बराबर है। 2. इस संबंध में अवगत करवाया जाता है कि वर्ष 1990 से 2020 तक कुल 27 सहायक व 102 लिपिक कार्यरत रहे हैं जिनमें से 11 सहायक व 28 लिपिक कार्यकाल पूर्ण होने उपरांत सेवानिवृत्त हो चुके हैं। इस केस से संबंधित कुल 52 सहायकों/लिपिकों को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए थे। इसके अलावा रिकार्ड रूम में काफी पुराना रिकार्ड दीमक चट कर गया है तथा गल कर मिट्टी बन चुका है। इसलिए रिकार्ड मिलना असंभव लगता है, फिर भी प्रयास जारी है। 3. उल्लेखनीय है कि उस दौरान जब करनाल जिले से पानीपत जिले की स्थापना उपरांत रिकार्ड प्राप्त हुआ तो जस दौरान सहायक वेदपाल सिंह, संतलाल सहायक, रामस्वरूप सहायक, प्रेमचंद सहायक की नियुक्ति रिकार्ड रूम में रही है और अब इन कर्मचारियों की मौत हो चुकी है। इसलिए इस मामले में किसी निष्कर्ष पर पहुंचा जाना संभव नहीं है। मौजूदा कर्मचारियों के बयान के अनुसार रिकार्ड रूम में करनाल जिले से प्राप्त रिकार्ड की कोई सूची उपलब्ध नहीं है। पानीपत जिले के गांव मनाना निवासी धर्मवीर शर्मा ने गांव में पंचायत की जमीन पर हुए कब्जे को खाली करवाने के बारे में 2018 में याचिका दायर की थी। उक्त याचिका में पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने सरकार से पंचायती जमीनों पर हुए अवैध कब्जों से संबंधित स्टेट्स रिपोर्ट मांगी थी। जिसमें पूर्व में मुख्य सचिव हरियाणा ने कोर्ट में रिपोर्ट में सौंपी थी। लेकिन हाईकोर्ट ने दोबारा से इस विषय पर वर्ष 2024 में फिर से रिपोर्ट मांगी। जिसमें सरकार द्वारा पंचायती जमीन पर अपील केस डालने के बारे में जानकारी सौंपनी थी। जब अपील केस डालने बाबत रिकॉर्ड खंगाला गया, तो यह बेहद चौंकाने वाला मिला। क्योंकि इस रिपोर्ट में सरकार ने आंकडे नहीं, बल्कि अपनी नाकामी को दिखाया था। तीन बिंदुओं में समझिए, क्या दिया गया जवाब 1. काफी कोशिशों के बाद भी रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं हो सका है। क्योंकि रिकॉर्ड दीमक से क्षतिग्रस्त हो गया और कुछ रिकॉर्ड मिट्‌टी बन चुका है। रिकॉर्ड का समय 58 साल से अधिक होने के कारण भी इसके मिलने की संभावना न के बराबर है। 2. इस संबंध में अवगत करवाया जाता है कि वर्ष 1990 से 2020 तक कुल 27 सहायक व 102 लिपिक कार्यरत रहे हैं जिनमें से 11 सहायक व 28 लिपिक कार्यकाल पूर्ण होने उपरांत सेवानिवृत्त हो चुके हैं। इस केस से संबंधित कुल 52 सहायकों/लिपिकों को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए थे। इसके अलावा रिकार्ड रूम में काफी पुराना रिकार्ड दीमक चट कर गया है तथा गल कर मिट्टी बन चुका है। इसलिए रिकार्ड मिलना असंभव लगता है, फिर भी प्रयास जारी है। 3. उल्लेखनीय है कि उस दौरान जब करनाल जिले से पानीपत जिले की स्थापना उपरांत रिकार्ड प्राप्त हुआ तो जस दौरान सहायक वेदपाल सिंह, संतलाल सहायक, रामस्वरूप सहायक, प्रेमचंद सहायक की नियुक्ति रिकार्ड रूम में रही है और अब इन कर्मचारियों की मौत हो चुकी है। इसलिए इस मामले में किसी निष्कर्ष पर पहुंचा जाना संभव नहीं है। मौजूदा कर्मचारियों के बयान के अनुसार रिकार्ड रूम में करनाल जिले से प्राप्त रिकार्ड की कोई सूची उपलब्ध नहीं है।   हरियाणा | दैनिक भास्कर