पानीपत में सरपंच चुनाव विवाद सुप्रीम कोर्ट पहुंचा:हाईकोर्ट को गर्मी छुट्टी से पहले फैसला करने का निर्देश, रि-काउंटिंग में विजेता बदला

पानीपत में सरपंच चुनाव विवाद सुप्रीम कोर्ट पहुंचा:हाईकोर्ट को गर्मी छुट्टी से पहले फैसला करने का निर्देश, रि-काउंटिंग में विजेता बदला

पानीपत जिले के इसराना उपमंडल के लाखू बुआना गांव के सरपंच विवाद का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट को निर्देश दिए हैं। 23 मई को एक पक्ष की रिवीजन पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट इस मामले का फैसला गर्मी की छुट्टियों से पहले करे। साथ ही याचिकाकर्ता को तुरंत हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल करने को कहा है, जिस पर हाईकोर्ट तुरंत प्रभाव से सुनवाई करे। गौरतलब है कि जिला कोर्ट के आदेश पर 7 मई को इन चुनावों की दोबारा मतगणना होनी थी। लेकिन एक पक्ष ने जिला कोर्ट के आदेशों की रिवीजन पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में दाखिल कर दी। इस रिवीजन पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने दोबारा मतगणना पर रोक लगा दी और सुनिश्चित किया कि अगली सुनवाई 13 अगस्त को होगी। तब तक दोबारा मतगणना यथावत रखने के आदेश हैं। कुछ ही घंटों में बन गए थे दो सरपंच पंचायती राज संस्थाओं के तहत 2 नवंबर को संपन्न हुए ग्राम पंचायत चुनाव में गांव बुआना लाखू में एक अफसर की मामूली चूक की वजह से कुछ घंटे के लिए दो सरपंच बन गए थे। प्रशासन ने भी दोनों को विजेता का प्रमाणपत्र दे दिया था, लेकिन कुछ ही देर में यह गलती भारी पड़ गई। रि-काउंटिंग से जीता हुआ विजेता हार गया। अफसरों ने जब पड़ताल की तो गलती पकड़ में आ गई। जिसके बाद रात में ही रिजल्ट संशोधित कर विजेता को प्रमाणपत्र देकर दूसरे को दिए गए प्रमाण पत्र को रद्द कर दिया गया है। बूथवार गणना से सामने आई थी पीठासीन की गलती पड़ताल में सामने आया कि गांव के एक बूथ पर बैठे पीठासीन अधिकारी से दोनों प्रत्याशियों के परिणाम की अदला बदली हो गई। जब सभी बूथों का कुल योग किया गया तो विजेता हार गया और दूसरे नंबर पर रहने वाला प्रत्याशी जीत गया। गांव के लोगों ने जब इसकी बूथवार गणना की तो उन्हें पता चला कि यह गलती हुई है। प्रशासन को इससे अवगत कराया गया। जिसके बाद रिटर्निंग अधिकारी ने संशोधित रिजल्ट को अपडेट करते हुए विजेता को प्रमाणपत्र दिया और पहले वाले प्रत्याशी के प्रमाणपत्र को रद्द करने के लिए भी लिख दिया। बूथ नंबर 69 पर गलती से बदला गया था रिजल्ट पंचायती चुनाव में सरपंच पद के दावेदारों में बुआना लाखू गांव से सात प्रत्याशी चुनाव में खड़े थे। इनमें से दो प्रत्याशियों कुलदीप और मोहित में कड़ा मुकाबला था। इस गांव में बूथ नंबर 65, 66, 67, 68, 69 और 270 बनाए गए थे। प्रिजाइडिंग ऑफिसर से बूथ नंबर 69 पर गलती से रिजल्ट बदल गया। यहां प्रत्याशी मोहित को मिले वोट कुलदीप के खाते में जुड़ गए और कुलदीप के वोट मोहित के खाते में जुड़ गए। जिसके बाद सभी बूथों के योग के आधार पर कुलदीप को विजयी घोषित कर दिया गया। कुलदीप को विजेता का प्रमाणपत्र भी दे दिया गया। गलती पकड़ में आने पर रिजल्ट को बदलते हुए मोहित को विजेता घोषित किया गया। 51 वोटों से हुआ विजयी: मोहित मलिक मोहित मलिक ने कहा कि उनकी वोट 1051 थीं। उन्हें 51 वोटों से विजय मिली है। पहले अफसरों की गलती की वजह से सभी बूथों का योग सही नहीं हुआ। शिकायत दी तो इसकी पड़ताल की गई और गलती पकड़ में आई। जिसके बाद प्रशासन ने गलती सुधारी, लिखित में भी दिया और विजेता प्रमाणपत्र भी दिया। पहले मैं जीता था, मैं ही हूं विजयी: कुलदीप रिकाउंटिंग में हारे कुलदीप ने कहा कि पहले वह जीता था, इसलिए वह ही विजयी है। अफसरों ने रिजल्ट घोषित करने के बाद उसे प्रमाण पत्र दिया था। दूसरे को प्रमाण पत्र देने की सूचना किसी भी अधिकारी ने कोई फोन या मैसेज से उसे नहीं दी थी। इसे भी पढ़ें- पानीपत में सरपंच चुनाव विवाद में नया मोड़:हाईकोर्ट ने पुनर्मतगणना पर लगाई रोक, 13 अगस्त को अगली सुनवाई पानीपत जिले के इसराना उपमंडल के लाखू बुआना गांव के सरपंच विवाद का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट को निर्देश दिए हैं। 23 मई को एक पक्ष की रिवीजन पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट इस मामले का फैसला गर्मी की छुट्टियों से पहले करे। साथ ही याचिकाकर्ता को तुरंत हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल करने को कहा है, जिस पर हाईकोर्ट तुरंत प्रभाव से सुनवाई करे। गौरतलब है कि जिला कोर्ट के आदेश पर 7 मई को इन चुनावों की दोबारा मतगणना होनी थी। लेकिन एक पक्ष ने जिला कोर्ट के आदेशों की रिवीजन पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में दाखिल कर दी। इस रिवीजन पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने दोबारा मतगणना पर रोक लगा दी और सुनिश्चित किया कि अगली सुनवाई 13 अगस्त को होगी। तब तक दोबारा मतगणना यथावत रखने के आदेश हैं। कुछ ही घंटों में बन गए थे दो सरपंच पंचायती राज संस्थाओं के तहत 2 नवंबर को संपन्न हुए ग्राम पंचायत चुनाव में गांव बुआना लाखू में एक अफसर की मामूली चूक की वजह से कुछ घंटे के लिए दो सरपंच बन गए थे। प्रशासन ने भी दोनों को विजेता का प्रमाणपत्र दे दिया था, लेकिन कुछ ही देर में यह गलती भारी पड़ गई। रि-काउंटिंग से जीता हुआ विजेता हार गया। अफसरों ने जब पड़ताल की तो गलती पकड़ में आ गई। जिसके बाद रात में ही रिजल्ट संशोधित कर विजेता को प्रमाणपत्र देकर दूसरे को दिए गए प्रमाण पत्र को रद्द कर दिया गया है। बूथवार गणना से सामने आई थी पीठासीन की गलती पड़ताल में सामने आया कि गांव के एक बूथ पर बैठे पीठासीन अधिकारी से दोनों प्रत्याशियों के परिणाम की अदला बदली हो गई। जब सभी बूथों का कुल योग किया गया तो विजेता हार गया और दूसरे नंबर पर रहने वाला प्रत्याशी जीत गया। गांव के लोगों ने जब इसकी बूथवार गणना की तो उन्हें पता चला कि यह गलती हुई है। प्रशासन को इससे अवगत कराया गया। जिसके बाद रिटर्निंग अधिकारी ने संशोधित रिजल्ट को अपडेट करते हुए विजेता को प्रमाणपत्र दिया और पहले वाले प्रत्याशी के प्रमाणपत्र को रद्द करने के लिए भी लिख दिया। बूथ नंबर 69 पर गलती से बदला गया था रिजल्ट पंचायती चुनाव में सरपंच पद के दावेदारों में बुआना लाखू गांव से सात प्रत्याशी चुनाव में खड़े थे। इनमें से दो प्रत्याशियों कुलदीप और मोहित में कड़ा मुकाबला था। इस गांव में बूथ नंबर 65, 66, 67, 68, 69 और 270 बनाए गए थे। प्रिजाइडिंग ऑफिसर से बूथ नंबर 69 पर गलती से रिजल्ट बदल गया। यहां प्रत्याशी मोहित को मिले वोट कुलदीप के खाते में जुड़ गए और कुलदीप के वोट मोहित के खाते में जुड़ गए। जिसके बाद सभी बूथों के योग के आधार पर कुलदीप को विजयी घोषित कर दिया गया। कुलदीप को विजेता का प्रमाणपत्र भी दे दिया गया। गलती पकड़ में आने पर रिजल्ट को बदलते हुए मोहित को विजेता घोषित किया गया। 51 वोटों से हुआ विजयी: मोहित मलिक मोहित मलिक ने कहा कि उनकी वोट 1051 थीं। उन्हें 51 वोटों से विजय मिली है। पहले अफसरों की गलती की वजह से सभी बूथों का योग सही नहीं हुआ। शिकायत दी तो इसकी पड़ताल की गई और गलती पकड़ में आई। जिसके बाद प्रशासन ने गलती सुधारी, लिखित में भी दिया और विजेता प्रमाणपत्र भी दिया। पहले मैं जीता था, मैं ही हूं विजयी: कुलदीप रिकाउंटिंग में हारे कुलदीप ने कहा कि पहले वह जीता था, इसलिए वह ही विजयी है। अफसरों ने रिजल्ट घोषित करने के बाद उसे प्रमाण पत्र दिया था। दूसरे को प्रमाण पत्र देने की सूचना किसी भी अधिकारी ने कोई फोन या मैसेज से उसे नहीं दी थी। इसे भी पढ़ें- पानीपत में सरपंच चुनाव विवाद में नया मोड़:हाईकोर्ट ने पुनर्मतगणना पर लगाई रोक, 13 अगस्त को अगली सुनवाई   हरियाणा | दैनिक भास्कर