पानीपत के एक गांव स्थित फैक्ट्री में काम करने वाले ठेकेदार की 17 वर्षीय लड़की साथ में काम करने वाले दूसरे ठेकेदार के साथ गायब हो गई। व्यक्ति ने बेटी की हर संभावित स्थानों पर तलाश की, लेकिन कहीं भी कोई सुराग नहीं लगा। थाना इसराना में पुलिस ने उसकी शिकायत पर मामला दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी है। मूल रूप से पश्चिम बंगाल का रहने वाला व्यक्ति हाल में क्षेत्र के एक गांव में परिवार के साथ रह रहा था। वह परिवार सहित 1 साल पहले गांव में सरपंच की फैक्ट्री में काम करने के लिए आया था। उसने बताया कि उसका काम ठीक प्रकार से चल रहा था। वह 6 बच्चों का पिता है। इनमें तीन लड़के हैं और 3 लड़कियां है। व्यक्ति ने बताया कि उसने अपनी बड़ी लड़की की शादी बंगाल में ही कर दी थी। दूसरी लड़की की उम्र 17 वर्ष है और वह अभी नाबालिग है। उसने बताया कि उसकी इस नाबालिग बेटी को साथ में रहने वाला ठेकेदार जाहिद बहला फुसलाकर ले गया। लड़की के पिता ने बताया कि जाहिद पहले ही तीन शादियां कर चुका है। उसकी एक बीबी व तीन बच्चे यही फैक्ट्री में काम करते हैं। आरोपी की उम्र 35- 36 साल है। व्यक्ति ने पुलिस को शिकायत देकर गुहार लगाई कि उसकी बेटी की तलाश की जाए। पुलिस ने उसकी शिकायत पर थाना इसराना में केस दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी है। फिलहाल लापता लड़की व जाहिद का कहीं पता नहीं चला है। पानीपत के एक गांव स्थित फैक्ट्री में काम करने वाले ठेकेदार की 17 वर्षीय लड़की साथ में काम करने वाले दूसरे ठेकेदार के साथ गायब हो गई। व्यक्ति ने बेटी की हर संभावित स्थानों पर तलाश की, लेकिन कहीं भी कोई सुराग नहीं लगा। थाना इसराना में पुलिस ने उसकी शिकायत पर मामला दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी है। मूल रूप से पश्चिम बंगाल का रहने वाला व्यक्ति हाल में क्षेत्र के एक गांव में परिवार के साथ रह रहा था। वह परिवार सहित 1 साल पहले गांव में सरपंच की फैक्ट्री में काम करने के लिए आया था। उसने बताया कि उसका काम ठीक प्रकार से चल रहा था। वह 6 बच्चों का पिता है। इनमें तीन लड़के हैं और 3 लड़कियां है। व्यक्ति ने बताया कि उसने अपनी बड़ी लड़की की शादी बंगाल में ही कर दी थी। दूसरी लड़की की उम्र 17 वर्ष है और वह अभी नाबालिग है। उसने बताया कि उसकी इस नाबालिग बेटी को साथ में रहने वाला ठेकेदार जाहिद बहला फुसलाकर ले गया। लड़की के पिता ने बताया कि जाहिद पहले ही तीन शादियां कर चुका है। उसकी एक बीबी व तीन बच्चे यही फैक्ट्री में काम करते हैं। आरोपी की उम्र 35- 36 साल है। व्यक्ति ने पुलिस को शिकायत देकर गुहार लगाई कि उसकी बेटी की तलाश की जाए। पुलिस ने उसकी शिकायत पर थाना इसराना में केस दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी है। फिलहाल लापता लड़की व जाहिद का कहीं पता नहीं चला है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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हरियाणा में इनेलो-बसपा 6 साल बाद फिर साथ:11 को हो सकती है गठबंधन की घोषणा, मायावती से मिले अभय चौटाला
हरियाणा में इनेलो-बसपा 6 साल बाद फिर साथ:11 को हो सकती है गठबंधन की घोषणा, मायावती से मिले अभय चौटाला हरियाणा में बड़ा सियासी उलटफेर होने की संभावना है। उत्तर प्रदेश के लखनऊ में बसपा सुप्रीमो मायावती से इनेलो के प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला की मुलाकात ने प्रदेश की राजनीति में हलचल पैदा कर दी है। राजनीतिक गलियारे में कयास लगाए जा रहे हैं बसपा और इनेलो प्रदेश में साथ मिलकर आगामी विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं। हालांकि इनेलो और बसपा की ओर से किसी तरह की घोषणा नहीं की गई है। मगर सोशल मीडिया पर मायवती और अभय चौटाला की मुलाकात की तस्वीरें वायरल हो रही हैं। वहीं बताया जा रहा है कि दोनों दल 11 जुलाई को चंडीगढ़ में संयुक्त प्रेस कान्फ्रेंस कर सकते हैं। इसमें इनेलो के शीर्ष नेताओं के अलावा बसपा के शीर्ष नेता मौजूद रहेंगे। इसके साथ ही हरियाणा में गैर कांग्रेस और गैर भाजपा दलों को साथ लाने के प्रयास में इनेलो जुट गई है। तीसरे मोर्चा बनाने की कवायद वहीं इनेलो के प्रदेशाध्यक्ष रामपाल माजरा ने X पर पोस्ट कर तीसरे मोर्चे के प्रयासों को हवा दे दी है। रामपाल माजरा ने X पर लिखा है ” हम समान विचारधारा के लोगों को एक मंच पर इकट्ठा कर रहे हैं। प्रदेश के सभी गैर भाजपा एवं गैर कांग्रेस संगठनों, जिसमे राजनैतिक संगठनों के साथ-साथ सामाजिक संगठनों से आग्रह है कि वे सभी साथ आएं और किसान-कमेरे वर्ग के हितैषी चौ. अभय सिंह चौटाला जी के हाथ मज़बूत करें। सियासी गलियारों में चर्चा है इनेलो आम आदमी पार्टी और महम के निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू की पार्टी हरियाणा जनसेवक पार्टी (हजपा) से भी गठबंधन के लिए बातचीत कर सकती है। हरियाणा में तीसरा मोर्चा बना तो कांग्रेस को नुकसान
वहीं हरियाणा में अगर गैर कांग्रेसी और भाजपाई दलों को एकजुट करने में कामयाब रहती है तो इसका सबसे बड़ा नुकसान कांग्रेस को होगा। जब भी भाजपा के खिलाफ प्रदेश में वोट बैंक बटता है इसका फायदा भाजपा को होता है और कांग्रेस को नुकसान पहुंचता है। इस बार लोकसभा चुनाव में जनता ने दो ही पार्टी कांग्रेस और भाजपा को वोट दिए जिसके कारण कांग्रेस का वोट प्रतिशत पिछली बार के मुकाबले बढ़ा। वहीं विधानसभा चुनाव में क्षेत्रीय दलों की अपनी अलग पहचान होती है। हरियाणा में क्षेत्रीय दलों ने कांग्रेस और भाजपा के अलावा प्रभाव दिखाया है। 2014 में इनेलो ने कांग्रेस से ज्यादा विधानसभा सीटें जीती थीं। 2019 में जजपा के विधायकों के सहयोग से हरियाणा में भाजपा की सरकार बनी थी। गठबंधन की बसपा को इसलिए मजबूरी
हरियाणा में बसपा ने पहला लोकसभा चुनाव साल 1989 में लड़ा था। उस दौरान पार्टी ने नौ सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे, मगर जनता ने सभी प्रत्याशियों को नकार दिया। पार्टी को मात्र डेढ़ फीसदी वोट मिला। उसके बाद से पार्टी हर लोकसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमाती रही है। पिछले चार दशकों के लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का जादू हरियाणा में नहीं चल पाया है। हर चुनाव में बसपा कभी गठबंधन के साथ तो कभी दसों सीट पर स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ती रही है। 2024 लोकसभा चुनाव में पार्टियों का वोट प्रतिशत गठबंधन करती गई और तोड़ती रही बसपा
1998 में बसपा ने इनेलो के साथ गठबंधन किया और तीन सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे। इनमें से एक प्रत्याशी जीता भी। उसके कुछ ही दिन बाद बसपा ने इनेलो से गठबंधन तोड़ लिया। 2009 के लोकसभा चुनाव के बाद बसपा ने हजकां के साथ गठबंधन किया। मगर यह समझौता ज्यादा दिन टिक नहीं सका। मई 2018 में पार्टी ने इनेलो के साथ गठबंधन किया। मायावती ने अभय सिंह चौटाला को राखी बांधकर गठबंधन को और मजबूत किया, मगर लोकसभा चुनाव से पहले ही यह करार टूट गया। 2019 के चुनाव में बसपा ने राजकुमार सैनी की पार्टी लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी (लोसुपा) का साथ पकड़ा। चुनाव के बाद यह भी टूट गया। लोसुपा से साथ छूटने के बाद बसपा से गठबंधन किया और एक महीने बाद बसपा ने अलग राह पकड़ ली। हरियाणा में भाजपा के खिलाफत वाले वोट लेने की होड़
हरियाणा में सत्ता विरोधी लहर के वोट पाने की जहां कांग्रेस हर संभव कोशिश कर रही है। वहीं विपक्षी दल इनेलो कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा को भाजपा का मोहरा बताने में लगे हैं ताकि सत्ता विरोधी लहर का फायदा उनको भी मिल सके। हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में सत्ता विरोधी लहर इनेलो और जजपा में बटने के बजाय कांग्रेस को गया। इससे कांग्रेस को लोकसभा में 5 सीटें मिली। वहीं विधानसभा वाईज 42 सीटों पर बढ़त मिली। ऐसे में विपक्षी दल हुड्डा की पोल खोलने में लगे हैं। हुड्डा के चुनाव से पीछे हटने से बैठे बठाए इनेलो और जजपा के हाथ मुद्दा लग गया है। इनेलो के लिए गठबंधन करना जरूरी चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार किसी भी पार्टी को लगातार 2 चुनाव (लोकसभा व विधानसभा) में निर्धारित वोट नहीं मिलते हैं तो स्टेट पार्टी का दर्जा छिन जाता है। लोकसभा चुनाव में 6% वोट और एक सीट या 8% वोट की जरूरत होती है। विधानसभा में 6% वोट और 2 सीटें होनी चाहिए। नियम के अनुसार, अगर लगातार 2 चुनाव (2 लोस व 2 विस) में ये सब नहीं होता है तो पार्टी का चुनाव चिह्न भी छिन सकता है। इनेलो ने 2019 के लोकसभा चुनाव में 1.89% और विधानसभा चुनाव में 2.44% ही वोट हासिल किए थे। इसके अलावा 2019 के चुनाव भाजपा की लहर ने हरियाणा में सभी दलों का सूपड़ा साफ कर दिया। 10 की 10 सीटों पर भाजपा के प्रत्याशी विजयी हुए। इस चुनाव में इनेलो को एक भी सीट नहीं मिली। इसके बाद विधानसभा चुनाव हुआ। इस चुनाव में इनेलो के अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद जताई जा रही थी, लेकिन यहां भी निराशा हाथ लगी। अभय चौटाला के अलावा सभी प्रत्याशी हार गए। इस बार भी कम से कम 6% वोट और एक सीट या 8% वोट नहीं मिले तो स्टेट पार्टी का दर्जा व चश्मे का चुनाव निशान तक छिन सकता है।
कांग्रेस स्क्रीनिंग कमेटी का कुमारी सैलजा को झटका:हरियाणा में सांसद चुनाव नहीं लड़ेंगे, सिर्फ प्रचार करेंगे; CM कुर्सी पर दावा ठोका था
कांग्रेस स्क्रीनिंग कमेटी का कुमारी सैलजा को झटका:हरियाणा में सांसद चुनाव नहीं लड़ेंगे, सिर्फ प्रचार करेंगे; CM कुर्सी पर दावा ठोका था हरियाणा कांग्रेस में टिकटों पर मंथन को लेकर दिल्ली में हुई स्क्रीनिंग कमेटी की मीटिंग में लोकसभा सांसद कुमारी सैलजा को बड़ा झटका लगा है। कमेटी ने तय किया है कि हरियाणा में पार्टी के सिटिंग सांसद विधानसभा चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। इसकी पुष्टि मीटिंग के बाद पार्टी प्रभारी दीपक बाबरिया ने खुद की है। उन्होंने बयान दिया है कि किसी भी सिटिंग MP या राज्यसभा सांसद को चुनाव लड़ने का मौका नहीं मिलेगा। ये चुनाव के दौरान प्रचार-प्रसार में भूमिका निभाएंगे। उन्होंने यह भी कहा है कि कमेटी के इस फैसले को सख्ती से लागू किया जाएगा। हालांकि, फाइनल फैसला पार्टी आलाकमान का ही होगा। दरअसल, हरियाणा में विधानसभा चुनाव की डेट घोषित हो चुकी है। कांग्रेस में आज से टिकटों को लेकर मंथन शुरू हो गया है। इसी को लेकर स्क्रीनिंग कमेटी की मीटिंग चेयरमैन अजय माकन की अध्यक्षता में दिल्ली में बुलाई गई थी। इस मीटिंग में दीपक बाबरिया भी शामिल हुए थे। सैलजा ने दलित CM बनने की दावेदारी पेश की थी
हरियाणा चुनाव के बीच 3 दिन पहले सिरसा से सांसद कुमारी सैलजा ने कांग्रेस सरकार बनने पर CM कुर्सी पर दावा ठोक दिया था। कुमारी सैलजा ने एक समाचार एजेंसी को दिए इंटरव्यू में कहा, ”लोगों की व्यक्तिगत और जातीय आधार पर महत्त्वाकांक्षा होती है, मेरी भी है। मैं राज्य में काम करना चाहती हूं। विधानसभा चुनाव लड़ना चाहती हूं। हालांकि अंतिम फैसला हाईकमान करेगा।” सैलजा ने बयान दिया था, कि देश में अनुसूचित जातियों ने कांग्रेस को बड़ा समर्थन दिया है। जब दूसरी जातियों के नेता मुख्यमंत्री बन सकते हैं तो फिर अनुसूचित जातियों से क्यों नहीं। सैलजा ने सीधे तौर पर हरियाणा में कांग्रेस सरकार बनने पर दलित सीएम की दावेदारी पेश कर दी। CM फेस को लेकर कॉन्ट्रोवर्सी जारी
कांग्रेस में CM फेस को लेकर पूर्व CM भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुमारी सैलजा के बीच लगातार कॉन्ट्रोवर्सी चल रही है। गुटबाजाी के कारण ही कांग्रेस के हरियाणा में 10 साल सत्ता से बाहर है। 2014 में कांग्रेस 15 और 2019 में 31 सीटें ही जीत पाई थी। 2019 में भाजपा ने बहुमत की सरकार बनाई तो 2019 में JJP के साथ गठबंधन कर सरकार बना कांग्रेस को झटका दे दिया। विधानसभा पर ही फोकस था सैलजा का
हरियाणा में हुड्डा की ही तरह कुमारी सैलजा भी खुद को CM कैंडिडेट प्रोजेक्ट करने की कोशिश में लगी हुई हैं। बताया जाता है कि वह लोकसभा चुनाव न लड़कर विधानसभा चुनाव पर ही फोकस करना चाहती थीं, लेकिन आलाकमान ने उन्हें चुनावी मैदान में उतार दिया। सैलजा हरियाणा में पार्टी का दलित चेहरा हैं। इनके राज्य के करीब 11 फीसदी वोटर 9 विधानसभा सीटों पर सीधा-सीधा असर डालते हैं। साथ ही वह महिला चेहरा भी हैं। ऐसे में राज्य की महिला वोटर्स का भी समर्थन उन्हें मिल सकता है। कुमारी सैलजा सोनिया गांधी की करीबी मानी जाती हैं और उनके पिता चौधरी दलवीर सिंह भी हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष और केंद्र में मंत्री रह चुके हैं। शायद यही वजह है कि कांग्रेस आलाकमान ने फिलहाल दोनों में से किसी एक गुट का न तो समर्थन किया है, न ही किसी एक चेहरे पर चुनाव लड़ने का संकेत दिया है। लोकसभा चुनाव से पहले भी हुड्डा और शैलजा ने अलग-अलग यात्राएं निकाली थीं। बावजूद इसके कांग्रेस इन दोनों नेताओं के बीच के विवाद को नहीं सुलझा पाई, या ये कहें कि पार्टी इस विवाद को सुलझाना ही नहीं चाहती।
सैलजा गुट के नेता का हुड्डा पर हमला:कहा, हरियाणा की जिम्मेदारी ऐसे नेता को सौंपी, जिसकी अपने हलके में पकड़ नहीं थी
सैलजा गुट के नेता का हुड्डा पर हमला:कहा, हरियाणा की जिम्मेदारी ऐसे नेता को सौंपी, जिसकी अपने हलके में पकड़ नहीं थी हरियाणा में कांग्रेस गुटबाजी थमने का नाम नहीं ले रही। विधानसभा चुनाव में मिली करारी शिकस्त के बाद सैलजा गुट के नेता लगातार भूपेंद्र हुड्डा पर हमलावर हैं। ताजा बयान पूर्व प्रदेश प्रवक्ता व हरियाणा के पिछड़ा वर्ग उपाध्यक्ष एडवोकेट मुकेश सैनी का आया है। मुकेश सैनी ने आरोप लगाया कि इस विधानसभा चुनाव में पार्टी की बागडोर ऐसे प्रदेश अध्यक्ष के हाथों में थी, जो लगातार 2 बार से अपने खुद के हलके से चुनाव हार रहा हो और अब भी विधानसभा चुनाव में मिली हार दर्शाती है कि इस नेता की अपने हलके में कितनी पकड़ है। मुकेश सैनी ने कहा कि ऐसे नेता कांग्रेस की वरिष्ठ नेत्री रही किरण चौधरी के बारे में कहते कि क्या है किरण चौधरी? जबकि किरण चौधरी ने दूसरी पार्टी में जाकर भी अपनी पुत्री सहित अन्य कई सीटों पर चुनाव जीतवाने का काम किया। इसी बर्ताव के चलते ही किरण चौधरी जैसी कद्दावर नेता को पार्टी छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा। उन्होंने कहा कि कुमारी सैलजा के प्रति सरेआम जातिसूचक अपशब्दों का इस्तेमाल हुआ। इसके बावजूद भी पार्टी के आला नेताओं ने कोई कार्रवाई नहीं की। जिसका परिणाम आज पार्टी को विधानसभा चुनाव में शिकस्त के रूप में भुगतना पड़ रहा है। सैलजा गुट के नेता के हुड्डा पर 4 आरोप
1. कुमारी सैलजा सहित अन्य सभी वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार करते हुए केवल एक नेता विशेष को टिकट वितरण में अहमियत देते हुए मजबूत प्रत्याशियों की लगातार अनदेखी की गई। ऐसा करके पीढ़ी दर पीढ़ी कांग्रेस पार्टी के प्रति समर्पित कार्यकर्ताओं का गला काटने जैसा कृत्य किया गया। 2. कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशियों को हराने के लिए ही चुनाव मैदान में उतरे निर्दलीय बागी कांग्रेसियों को समझा बुझाकर बैठाने का प्रयास तक नहीं किया गया। अंबाला कैंट से कांग्रेस प्रत्याशी परविंदर परी के सामने चुनाव मैदान में उतरी बागी कांग्रेसी चित्रा सरवारा, उचाना में कांग्रेस प्रत्याशी बृजेंद्र सिंह के सामने बागी कांग्रेसी वीरेंद्र घोघड़िया को मनाकर नहीं बैठाया गया। 3. नलवा से कांग्रेस प्रत्याशी अनिल मान के खिलाफ पर्चा भरने वाले प्रो. संपत सिंह को व हांसी से कांग्रेस प्रत्याशी राहुल मक्कड़ के सामने उतरे प्रेम सिंह मलिक व सुमन शर्मा और अंबाला सिटी से कांग्रेस प्रत्याशी निर्मल सिंह के सामने खड़े बागी कांग्रेसियों हिम्मत सिंह व जसवीर मल्लौर के नामांकन वापस करवा लिए गए, क्योंकि इन सीटों पर नेता विशेष के समर्थक प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे। 4. प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया ने नेता विशेष के प्रभाव में आकर सिर्फ अपने चहेतों को टिकटें बांटी और चुनाव के वक्त बीमार होकर घर बैठ गए। आलाकमान को इस प्रकार की अहम जिम्मेदारी किसी अन्य नेता को सौंप देनी चाहिए थी। कांग्रेस आलाकमान से की मांग
मुकेश सैनी ने कांग्रेस आलाकमान से मांग की है कि पार्टी को धरातल पर लेकर जाने वाले ऐसे नेताओं को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि ऐसे स्वयंभू वरिष्ठ नेताओं के अड़ियल रवैये और केवल खुद को सर्वोपरि रखने की मानसिकता के चलते ही कांग्रेस को आज हरियाणा की सत्ता से हाथ धोना पड़ा है।