’28 तारीख को दोपहर 3 बजे हरिहर एक्सप्रेस ट्रेन कैंट स्टेशन (वाराणसी) से लेकर गया था। उसके पहले अपनी ग्लैमर बाइक पार्किंग में खड़ी की थी। उसी दिन रात में लखनऊ से डाउन में 12332 हिमगिरी एक्सप्रेस ट्रेन लेकर मुगलसराय स्टेशन पहुंचा था। वहां से वाराणसी आया अपनी बाइक लेने तो देखा पार्किंग में बाइक धू-धू कर जल रही थी। मेरी हिम्मत नहीं हुई कि अंदर जा पाता और अपनी बाइक को निकाल पाता।’ ये कहना है वाराणसी के राजीव रंजन का जो रेलवे में टीटी के पद पर कार्यरत हैं। उन्होंने कहा मेरी गाड़ी का कागज भी उसी में था। चेचिस नंबर भी नहीं निकल सकता। कैसे क्लेम होगा पता नहीं। इसी तरह कई अन्य एम्प्लाई भी अपनी गाड़ियों के चेचिस नंबर की तलाश में लगे हुए थे। वाराणसी के कैंट स्टेशन के जीआरपी थाने की दीवार से 5 कदम की दूरी पर बने रेलवे एम्प्लाई पार्किंग में शुक्रवार-शनिवार की रात डेढ़ बजे शार्ट सर्किट से आग लगी और धू-धू कर 198 बाइक जल उठी। इन गाड़ियों में भरा 2 हजार लीटर पेट्रोल जब धमाके के साथ जलना शुरू हुआ तो लोगों में हड़कंप मच गया। 3 बजे के बाद आग पर 6 दमकल ने काबू पाया। मौके पाए सीओ जीआरपी पहुंचे और दोपहर बाद प्रयागराज से एसपी जीआरपी भी पहुंचे और जांच की। वहीं रेलवे ने इस मामले में दो टेक्नीशियन और मौके मौजूद पर ड्यूटी कर्मचारी को निलंबित कर जांच कमेटी बना दी है। वहीं आरपीएफ ने सिगरा थाने में मुकदमा दर्ज करवा दिया। साल 2006 में आतंकी धमाके का दंश झेल चुके वाराणसी कैंट स्टेशन पर लगी आग के बाद एक बार फिर सुरक्षा को लेकर सवाल उठने लगे हैं। ऐसे में दैनिक भास्कर ने पार्किंग एरिया, बाइक के मालिक और अधिकारियों से बात कर इस घटना के बारे में जानने की कोशिश की इस दौरान हमें कई वीडियो भी मिले । पेश है खास रिपोर्ट… सबसे पहले हम जानेंगे रेलवे के कर्मचारियों से की उन्होंने गाड़ी कब पार्क की थी और किस कारण यहां गाड़ियां जली… कर्मचारी यहां बनाते थे खाना और चाय
लोको पायलट आरपी गुप्ता ने बताया- हम रोजाना यहां गाड़ी खड़ी करते हैं। हम शाम 4 बजे ड्यूटी पर गए थे। आज सुबह 5 बजे आये तो देखा कि हमारे वॉट्सऐप पर मैसेज था की बाइक जल गई। हम यहां पहुंचे तो देखा बाइक जलकर राख हो चुकी है। आरपी गुप्ता ने आरोप लगाया कि यहां जो कर्मचारी थे वो बैठकर खाना बनाते थे सामने प्लेट और जली हुई कप और गिलास पड़ा हुआ है। उन्होंने आरोप लगाया कि शार्ट सर्किट से इतनी भयानक आग कैसे लगी। पहले एक बाइक में लगी थी आग, लापरवाही बच सकती थी और बाइक
एएनपी अमित कुमार सिंह ने बताया – हमने 29 तारीख को 1 बजकर 45 मिनट पर दोपहर में गाड़ी पार्क की थी और ट्रेन संख्या 4213 लेकर गए थे। आज दोपहर 2 बजकर 30 मिनट पर 4214 लेकर आये हैं। हमारी गाड़ी भी जलकर राख हो गई है। अमित ने बताया यहां पहले एक गाड़ी में आग लगी थी। उसके बाद अन्य गाड़ियों ने आग पकड़ी अधिकारी चाहते तो आग बुझाई जा सकती थी पर ऐसा नहीं हुआ। 198 गाड़ियां जल गईं। स्टेशन पर लगी आग तो क्या होगा
चंद्रेश्वर प्रसाद लोको पायलट की स्कूटी यहां रखी थी। उन्होंने बताया की स्कूटी गलकर खत्म हो चुकी है। यहां अग्निशमन की कोई व्यवस्था नहीं थी। इसकी वजह से यहां आग लगी तो उसे फौरन नहीं बुझाया जा सके। रेलवे को देखना होगा वरना कल को स्टेशन पर आग लगेगी तो कैसे उसे रोका जाएगा। NRMU ने मांगा रेलवे से मुआवजा
खबर मिलते ही सुबह NRMU (नेशनल रेलवे मजदूर यूनियन) के पदाधिकारी भी मौके पर पहुंचे। एम्प्लाई ने यहां प्रदर्शन किया और मुआवजे की मांग की। पदाधिकारियों ने कहा कि यह अग्निकांड रेलवे की पार्किंग में हुई है इसलिए इसका मुआवजा रेलवे दे। वहीं उन्होंने इस लापरवाही बताया और जांच की बात कही। अब हम जानेंगे अधिकारियों ने आग पर क्या जानकारी दी ? और रेलवे ने किसे निलंबित किया ? रात साढ़े दस बजे भी लगी थी एक बाइक में आग
जीआरपी एसपी अभिषेक यादव ने बताया – ‘शुक्रवार की रात साढ़े दस बजे के आस-पास एक बाइक में शार्ट सर्किट से आग लगी थी। जिसे तत्परता दिखाते हुए बुझा लिया गया था। मौके पर जीआरपी, आरपीएफ के अलावा स्टेशन अधीक्षक भी पहुंचे थे। इस दौरान टेक्नीशियन भी बुलाये गए और उन्होंने तार को काटकर अलग कर दिया। आग पर काबू पाने के बाद सभी अधिकारी सुरक्षा जांच के बाद वापस चले गए। खुला हुआ तार छोड़ने से हुआ अग्निकांड
जीआरपी के एक अधिकारी ने नाम न छपने की शर्त पर बताया- इस दौरान टेक्नीशियन की लापरवाही से तार खुले छोड़ दिए गए और उन्हें पैक नहीं किया गया। जिसमें रात 1 बजे के आस-पास शार्ट सर्किट हुआ और फिर से आग लग गई जिसे रोका नहीं जा सका और पूरी पार्किंग उसकी चपेट में आ गयी। 200 गाड़ियां बनी आग का गोला
एसपी जीआरपी ने बताया- इस अग्निकांड में करीब 200 बाइक जल गई हैं। जो एकदम खत्म हो गई हैं। प्रकरण की जांच की जा रही है। इसके अलावा सिगरा थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया है। हम रिपोर्ट के आधार पर कर रहे हैं कार्रवाई
इस संबंध में स्टेशन डायरेक्टर अर्पित गुप्ता ने बताया -हमारे पास जो रिपोर्ट आयी है। उससे हमने दो टेक्नीशियन और पार्किंग एम्प्लाइ को निलंबित कर दिया है। जांच कमेटी बना दी है जो जांच कर रही है। इसकी रिपोर्ट हमने सिगरा थाने में दर्ज करवाते हुए डायरी इंट्री करवा दी है। इस संबंध में निर्णय मंडल मुख्यालय ही ले पायेगा। आज जीएम साहब का विजिट है। ऐसे में उनसे बात नहीं हो पाई है। शाम में मै बता करूंगा। इसके अलावा रेलवे हमेशा अपने इम्प्लाई के साथ खड़ा है। अब जानिए रेलवे की तरफ से क्या है आग बुझाने की व्यवस्था और पार्किंग से कितनी दूर पर था अग्निशमन का नोजल ? क्या उसने काम किया ? वाराणसी के कैंट रेलवे स्टेशन पर रोजाना 80 हजार यात्री आते और जाते हैं। प्लेटफार्म नंबर एक पर हर समय 2 हजार लोगों की भीड़ होती है। इसके अलावा सर्कुलेटिंग एरिया में 5 हजार मौजूद रहते हैं। ऐसे में यहां आग बुझाने के इंतजाम क्या है। इसे भी हमने देखा। पार्किंग से 5 कदम पर है फायर नोजल, जिसने नहीं किया काम
पार्किंग से चंद कदम दूर ही रेलवे स्टेशन का फायर सिस्टम का नोजल है। आग लगने के बाद सबसे पहले इस नोजल को खोलने की कोशिश की गई। पर आरपीएफ के एक अधिकारी ने नाम न छपने की शर्त पर बताया- जब आग की सूचना पर हम मौके पर पहुंचे, तो रेलवे की बिल्डिंग में लगे आग बुझाने के नोजल को खोलने की कोशिश की पर पहले तो वह नहीं खुला लेकिन खुला तो उसमें से एक भी बूंद पानी नहीं गिरा। यदि फायर टेंडर मौके पर नहीं आये होते तो काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता। ’28 तारीख को दोपहर 3 बजे हरिहर एक्सप्रेस ट्रेन कैंट स्टेशन (वाराणसी) से लेकर गया था। उसके पहले अपनी ग्लैमर बाइक पार्किंग में खड़ी की थी। उसी दिन रात में लखनऊ से डाउन में 12332 हिमगिरी एक्सप्रेस ट्रेन लेकर मुगलसराय स्टेशन पहुंचा था। वहां से वाराणसी आया अपनी बाइक लेने तो देखा पार्किंग में बाइक धू-धू कर जल रही थी। मेरी हिम्मत नहीं हुई कि अंदर जा पाता और अपनी बाइक को निकाल पाता।’ ये कहना है वाराणसी के राजीव रंजन का जो रेलवे में टीटी के पद पर कार्यरत हैं। उन्होंने कहा मेरी गाड़ी का कागज भी उसी में था। चेचिस नंबर भी नहीं निकल सकता। कैसे क्लेम होगा पता नहीं। इसी तरह कई अन्य एम्प्लाई भी अपनी गाड़ियों के चेचिस नंबर की तलाश में लगे हुए थे। वाराणसी के कैंट स्टेशन के जीआरपी थाने की दीवार से 5 कदम की दूरी पर बने रेलवे एम्प्लाई पार्किंग में शुक्रवार-शनिवार की रात डेढ़ बजे शार्ट सर्किट से आग लगी और धू-धू कर 198 बाइक जल उठी। इन गाड़ियों में भरा 2 हजार लीटर पेट्रोल जब धमाके के साथ जलना शुरू हुआ तो लोगों में हड़कंप मच गया। 3 बजे के बाद आग पर 6 दमकल ने काबू पाया। मौके पाए सीओ जीआरपी पहुंचे और दोपहर बाद प्रयागराज से एसपी जीआरपी भी पहुंचे और जांच की। वहीं रेलवे ने इस मामले में दो टेक्नीशियन और मौके मौजूद पर ड्यूटी कर्मचारी को निलंबित कर जांच कमेटी बना दी है। वहीं आरपीएफ ने सिगरा थाने में मुकदमा दर्ज करवा दिया। साल 2006 में आतंकी धमाके का दंश झेल चुके वाराणसी कैंट स्टेशन पर लगी आग के बाद एक बार फिर सुरक्षा को लेकर सवाल उठने लगे हैं। ऐसे में दैनिक भास्कर ने पार्किंग एरिया, बाइक के मालिक और अधिकारियों से बात कर इस घटना के बारे में जानने की कोशिश की इस दौरान हमें कई वीडियो भी मिले । पेश है खास रिपोर्ट… सबसे पहले हम जानेंगे रेलवे के कर्मचारियों से की उन्होंने गाड़ी कब पार्क की थी और किस कारण यहां गाड़ियां जली… कर्मचारी यहां बनाते थे खाना और चाय
लोको पायलट आरपी गुप्ता ने बताया- हम रोजाना यहां गाड़ी खड़ी करते हैं। हम शाम 4 बजे ड्यूटी पर गए थे। आज सुबह 5 बजे आये तो देखा कि हमारे वॉट्सऐप पर मैसेज था की बाइक जल गई। हम यहां पहुंचे तो देखा बाइक जलकर राख हो चुकी है। आरपी गुप्ता ने आरोप लगाया कि यहां जो कर्मचारी थे वो बैठकर खाना बनाते थे सामने प्लेट और जली हुई कप और गिलास पड़ा हुआ है। उन्होंने आरोप लगाया कि शार्ट सर्किट से इतनी भयानक आग कैसे लगी। पहले एक बाइक में लगी थी आग, लापरवाही बच सकती थी और बाइक
एएनपी अमित कुमार सिंह ने बताया – हमने 29 तारीख को 1 बजकर 45 मिनट पर दोपहर में गाड़ी पार्क की थी और ट्रेन संख्या 4213 लेकर गए थे। आज दोपहर 2 बजकर 30 मिनट पर 4214 लेकर आये हैं। हमारी गाड़ी भी जलकर राख हो गई है। अमित ने बताया यहां पहले एक गाड़ी में आग लगी थी। उसके बाद अन्य गाड़ियों ने आग पकड़ी अधिकारी चाहते तो आग बुझाई जा सकती थी पर ऐसा नहीं हुआ। 198 गाड़ियां जल गईं। स्टेशन पर लगी आग तो क्या होगा
चंद्रेश्वर प्रसाद लोको पायलट की स्कूटी यहां रखी थी। उन्होंने बताया की स्कूटी गलकर खत्म हो चुकी है। यहां अग्निशमन की कोई व्यवस्था नहीं थी। इसकी वजह से यहां आग लगी तो उसे फौरन नहीं बुझाया जा सके। रेलवे को देखना होगा वरना कल को स्टेशन पर आग लगेगी तो कैसे उसे रोका जाएगा। NRMU ने मांगा रेलवे से मुआवजा
खबर मिलते ही सुबह NRMU (नेशनल रेलवे मजदूर यूनियन) के पदाधिकारी भी मौके पर पहुंचे। एम्प्लाई ने यहां प्रदर्शन किया और मुआवजे की मांग की। पदाधिकारियों ने कहा कि यह अग्निकांड रेलवे की पार्किंग में हुई है इसलिए इसका मुआवजा रेलवे दे। वहीं उन्होंने इस लापरवाही बताया और जांच की बात कही। अब हम जानेंगे अधिकारियों ने आग पर क्या जानकारी दी ? और रेलवे ने किसे निलंबित किया ? रात साढ़े दस बजे भी लगी थी एक बाइक में आग
जीआरपी एसपी अभिषेक यादव ने बताया – ‘शुक्रवार की रात साढ़े दस बजे के आस-पास एक बाइक में शार्ट सर्किट से आग लगी थी। जिसे तत्परता दिखाते हुए बुझा लिया गया था। मौके पर जीआरपी, आरपीएफ के अलावा स्टेशन अधीक्षक भी पहुंचे थे। इस दौरान टेक्नीशियन भी बुलाये गए और उन्होंने तार को काटकर अलग कर दिया। आग पर काबू पाने के बाद सभी अधिकारी सुरक्षा जांच के बाद वापस चले गए। खुला हुआ तार छोड़ने से हुआ अग्निकांड
जीआरपी के एक अधिकारी ने नाम न छपने की शर्त पर बताया- इस दौरान टेक्नीशियन की लापरवाही से तार खुले छोड़ दिए गए और उन्हें पैक नहीं किया गया। जिसमें रात 1 बजे के आस-पास शार्ट सर्किट हुआ और फिर से आग लग गई जिसे रोका नहीं जा सका और पूरी पार्किंग उसकी चपेट में आ गयी। 200 गाड़ियां बनी आग का गोला
एसपी जीआरपी ने बताया- इस अग्निकांड में करीब 200 बाइक जल गई हैं। जो एकदम खत्म हो गई हैं। प्रकरण की जांच की जा रही है। इसके अलावा सिगरा थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया है। हम रिपोर्ट के आधार पर कर रहे हैं कार्रवाई
इस संबंध में स्टेशन डायरेक्टर अर्पित गुप्ता ने बताया -हमारे पास जो रिपोर्ट आयी है। उससे हमने दो टेक्नीशियन और पार्किंग एम्प्लाइ को निलंबित कर दिया है। जांच कमेटी बना दी है जो जांच कर रही है। इसकी रिपोर्ट हमने सिगरा थाने में दर्ज करवाते हुए डायरी इंट्री करवा दी है। इस संबंध में निर्णय मंडल मुख्यालय ही ले पायेगा। आज जीएम साहब का विजिट है। ऐसे में उनसे बात नहीं हो पाई है। शाम में मै बता करूंगा। इसके अलावा रेलवे हमेशा अपने इम्प्लाई के साथ खड़ा है। अब जानिए रेलवे की तरफ से क्या है आग बुझाने की व्यवस्था और पार्किंग से कितनी दूर पर था अग्निशमन का नोजल ? क्या उसने काम किया ? वाराणसी के कैंट रेलवे स्टेशन पर रोजाना 80 हजार यात्री आते और जाते हैं। प्लेटफार्म नंबर एक पर हर समय 2 हजार लोगों की भीड़ होती है। इसके अलावा सर्कुलेटिंग एरिया में 5 हजार मौजूद रहते हैं। ऐसे में यहां आग बुझाने के इंतजाम क्या है। इसे भी हमने देखा। पार्किंग से 5 कदम पर है फायर नोजल, जिसने नहीं किया काम
पार्किंग से चंद कदम दूर ही रेलवे स्टेशन का फायर सिस्टम का नोजल है। आग लगने के बाद सबसे पहले इस नोजल को खोलने की कोशिश की गई। पर आरपीएफ के एक अधिकारी ने नाम न छपने की शर्त पर बताया- जब आग की सूचना पर हम मौके पर पहुंचे, तो रेलवे की बिल्डिंग में लगे आग बुझाने के नोजल को खोलने की कोशिश की पर पहले तो वह नहीं खुला लेकिन खुला तो उसमें से एक भी बूंद पानी नहीं गिरा। यदि फायर टेंडर मौके पर नहीं आये होते तो काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर