पीएम मोदी ने तीसरी बार शपथ ली तो आगरा के सांसद प्रो. एसपी सिंह बघेल ने दूसरी बार केंद्रीय राज्यमंत्री के रूप में शपथ ली है। एसपी सिंह बघेल की राजनीति का सफर बड़ा रोचक और दिलचस्प है। यूपी पुलिस के एक दरोगा के रूप में तैनात एसपी सिंह को राजनीति के मैदान में दिवंगत नेता मुलायम सिंह ने उतारा था। इसके बाद तो प्रो. बघेल ने मुड़कर नहीं देखा। सपा, बसपा से होते हुए वो भाजपा में आए। यहां से विधायक बने। योगी सरकार में मंत्री के रहते हुए आगरा से सांसद चुने गए और पहली बार मोदी सरकार में केंद्रीय राज्यमंत्री बने। दोबारा टिकट मिला और बडे़ अंतर से चुनाव जीतकर फिर मंत्री बने हैं। कामयाबी के साथ उनके साथ विवाद भी जुडे़ रहे हैं। हर चुनाव में उनकी जाति को लेकर विवाद सामने आता है। आइये आपके बताते हैं एसपी सिंह बघेल की पूरी कहानी। यूपी के औरेया के मूल निवासी
आगरा के सांसद प्रो. एसपी सिंह बघेल का पूरा नाम सत्यपाल सिंह बघेल है। वो मूलरूप से उत्तर प्रदेश के औरैया जिले के भटपुरा के रहने वाले हैं। इनके पिता रामभरोसे सिंह मध्य प्रदेश पुलिस विभाग में तैनात थे। पिता रामभरोसे खरगौन से रिटायर हुए, इसलिए प्रारंभिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा मध्यप्रदेश में ही हुई। पढ़ाई के बाद प्रो. एसपी सिंह उत्तर प्रदेश पुलिस में सब इंस्पेक्टर के रूप में भर्ती हुए। एसपी सिंह बघेल को भर्ती होने के बाद पहली अहम जिम्मेदारी तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी का सुरक्षागार्ड बनने की मिली थी। मुलायम के संपर्क में आकर चमकी किस्मत
1989 में मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद प्रो. बघेल मुलायम सिंह यादव के सुरक्षा में शामिल किए गए। बस यहीं से प्रो. बघेल की किस्मत ने पलटा मारा। अपनी निडरता, मेहनत और ईमानदारी के बल पर वो मुलायम सिंह के चेहते बन गए। पहली बार 1998 में मुलायम सिंह यादव ने उनको जलेसर सीट से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर उतारा। पहली बार में ही प्रो. बघेल चुनाव जीत गए। इसके बाद वो फिर से 1999 और 2004 में सपा की टिकट पर चुनाव जीते। सपा से सांसद रहने के बाद पार्टी में उनका मतभेद हो गया। 2010 में उन्होंने सपा को छोड़कर बसपा का दामन थाम लिया। बसपा ने उन्हें राज्यसभा में भेजा। साथ ही राष्ट्रीय महासचिव की जिम्मेदारी भी दी। बसपा ने उन्हें 2014 में फिरोजाबाद लोकसभा से सपा के राष्ट्रीय महासचिव प्रो. रामगोपाल यादव के पुत्र अक्षय यादव के सामने चुनाव लड़ाया, हालांकि वह यह चुनाव हार गए। इसके बाद बसपा के सत्ता से दूर होने के बाद एसपी सिंह बघेल ने राजनीतिक माहौल को समझते हुए राज्यसभा से इस्तीफा देकर भाजपा की सदस्यता ली। भाजपा में शामिल होने के बाद भाजपा पिछड़ा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए गए। योगी सरकार में मंत्री रहे
भाजपा में 2017 विधानसभा चुनाव में टूंडला सुरक्षित सीट से मैदान में उतारा गया। यहां से चुनाव जीतकर भाजपा विधायक बने। इसके बाद उन्हें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की टीम में कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिला। जानकार कहते हैं कि इसके बाद भाजपा में उनका कद बढ़ता गया। उन्हें अमित शाह से मजबूत रिश्तों का लाभ भी मिला। कैबिनेट मंत्री रहते हुए 2019 में पीएम मोदी के दूसरी बार चुनाव में जाने से पहले उन्हें आगरा की सुरक्षित सीट पर सीटिंग सांसद रामशंकर कठेरिया की जगह पर टिकट दी गई। 2019 में प्रो. बघेल ने बड़ी जीत दर्ज की। रामशंकर कठेरिया पर भारी पड़े एसपी सिंह बघेल
पीएम मोदी के पहले टर्म में आगरा के सांसद रामशंकर कठेरिया को मंत्रिमंडल में जगह मिली थी। दूसरी बार में रामशंकर कठेरिया इटावा से जीतकर संसद पहुंचे थे। ऐसे में दूसरी बार पीएम मोदी के मंत्रिमंडल में रामशंकर कठेरिया और प्रो. एसपी सिंह बघेल का नाम चर्चा में था। कठेरिया का पलड़ा भारी माना जा रहा था, लेकिन बाजी मारी आगरा सांसद एसपी सिंह बघेल ने मारी। उन्हें केंद्रीय विधि एवं कानून राज्यमंत्री बनाया गया। दरोगा थे तब मेरठ की टीचर से की लव मैरिज
प्रो. एसपी सिंह बघेल ने बताया कि बात 1985 की है। उन दिनों मैं यूपी पुलिस में सब इंस्पेक्टर था। मेरी पोस्टिंग मेरठ शहर की सरधना तहसील में थी। मेरी वर्किंग ऐसी थी कि मुझे क्षेत्र के ज्यादातर लोग जानते थे। तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी का महावीर जयंती पर मेरठ में कार्यक्रम था। उस कार्यक्रम में जैन कॉलेज मेरठ के स्कूली बच्चे भी आए थे। उनके साथ एक शिक्षिका भी थीं, उनका नाम मधु पुरी था। हालांकि तब उनका नाम नहीं पता था। पहली बार उन्हें देखा तो उनकी सादगी बहुत पसंद आई। हमने बात नहीं कि लेकिन नजरों ने सब कुछ बयां कर दिया था। बस यहीं से प्रेम कहानी की शुरुआत हुई। आंखों ही आंखों में इकरार होने के बाद धीरे-धीरे मिलना जुलना शुरू हुआ। छह माह बाद ही तय कर लिया कि शादी करेंगे। मगर, मन में एक बात चल रही थी कि जाति को लेकर घरवालों आपत्ति कर सकते हैं, लेकिन मैंने तय कर लिया था। पुलिस में था तो काफी रिश्ते भी आते थे। घर वाले जब शादी के लिए बोलते थे तो टाल देता था। ऐसे करते हुए लंबा समय निकाल दिया। कई रिश्तों के मना करने पर जब घरवालों ने कारण पूछा तो साफ-साफ बता दिया कि मैं किसी से प्यार करता हूं। लड़की मेरठ की है, पंजाबी परिवार से है और उससे ही शादी करेंगे। इसके बाद पिताजी थोड़ा नाराज हुए, लेकिन बाद में सभी तैयार हो गए। वहीं, पत्नी के परिवार में किसी को कोई परेशानी नहीं थी। आज मंत्री बनाए गए एसपी सिंह बघेल और मधु बघेल के एक बेटा और एक बेटी है। दोनों डॉक्टर हैं। जाति को लेकर रहा है विवाद
प्रो. बघेल के साथ एक विवाद जुड़ा है। ये विवाद उनकी जाति को लेकर है। जब भी चुनाव होते हैं, उनकी जाति को लेकर विवाद सामने आता है। इस बार भी चुनाव में उनकी जाति को लेकर शिकायत की गई । उनके जाति प्रमाण पत्र को फर्जी बताते हुए डॉ. आंबेडकर सेवा ट्रस्ट के अनिल सोनी ने मंडलायुक्त से शिकायत की थी। सोनी ने मंडलायुक्त से स्क्रूटनी कमेटी बनाए जाने की मांग की । सोनी का कहना है कि एसपी सिंह बघेल ने तीन बार अपनी जातियां बदली हैं। पढ़ाई के दौरान वे ठाकुर जाति के थे। नौकरी पिछड़ी जाति से पाई। अब चुनाव अनुसूचित जाति से लड़ रहे हैं। ये शिकयत पहली बार नहीं हुई। इससे पहले जब वो मैनपुरी के करहल से अखिलेश यादव के सामने विधानसभा चुनाव लडे़ थे, तब भी आगरा के अधिवक्ता ने शिकायत की थी। पीएम मोदी ने तीसरी बार शपथ ली तो आगरा के सांसद प्रो. एसपी सिंह बघेल ने दूसरी बार केंद्रीय राज्यमंत्री के रूप में शपथ ली है। एसपी सिंह बघेल की राजनीति का सफर बड़ा रोचक और दिलचस्प है। यूपी पुलिस के एक दरोगा के रूप में तैनात एसपी सिंह को राजनीति के मैदान में दिवंगत नेता मुलायम सिंह ने उतारा था। इसके बाद तो प्रो. बघेल ने मुड़कर नहीं देखा। सपा, बसपा से होते हुए वो भाजपा में आए। यहां से विधायक बने। योगी सरकार में मंत्री के रहते हुए आगरा से सांसद चुने गए और पहली बार मोदी सरकार में केंद्रीय राज्यमंत्री बने। दोबारा टिकट मिला और बडे़ अंतर से चुनाव जीतकर फिर मंत्री बने हैं। कामयाबी के साथ उनके साथ विवाद भी जुडे़ रहे हैं। हर चुनाव में उनकी जाति को लेकर विवाद सामने आता है। आइये आपके बताते हैं एसपी सिंह बघेल की पूरी कहानी। यूपी के औरेया के मूल निवासी
आगरा के सांसद प्रो. एसपी सिंह बघेल का पूरा नाम सत्यपाल सिंह बघेल है। वो मूलरूप से उत्तर प्रदेश के औरैया जिले के भटपुरा के रहने वाले हैं। इनके पिता रामभरोसे सिंह मध्य प्रदेश पुलिस विभाग में तैनात थे। पिता रामभरोसे खरगौन से रिटायर हुए, इसलिए प्रारंभिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा मध्यप्रदेश में ही हुई। पढ़ाई के बाद प्रो. एसपी सिंह उत्तर प्रदेश पुलिस में सब इंस्पेक्टर के रूप में भर्ती हुए। एसपी सिंह बघेल को भर्ती होने के बाद पहली अहम जिम्मेदारी तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी का सुरक्षागार्ड बनने की मिली थी। मुलायम के संपर्क में आकर चमकी किस्मत
1989 में मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद प्रो. बघेल मुलायम सिंह यादव के सुरक्षा में शामिल किए गए। बस यहीं से प्रो. बघेल की किस्मत ने पलटा मारा। अपनी निडरता, मेहनत और ईमानदारी के बल पर वो मुलायम सिंह के चेहते बन गए। पहली बार 1998 में मुलायम सिंह यादव ने उनको जलेसर सीट से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर उतारा। पहली बार में ही प्रो. बघेल चुनाव जीत गए। इसके बाद वो फिर से 1999 और 2004 में सपा की टिकट पर चुनाव जीते। सपा से सांसद रहने के बाद पार्टी में उनका मतभेद हो गया। 2010 में उन्होंने सपा को छोड़कर बसपा का दामन थाम लिया। बसपा ने उन्हें राज्यसभा में भेजा। साथ ही राष्ट्रीय महासचिव की जिम्मेदारी भी दी। बसपा ने उन्हें 2014 में फिरोजाबाद लोकसभा से सपा के राष्ट्रीय महासचिव प्रो. रामगोपाल यादव के पुत्र अक्षय यादव के सामने चुनाव लड़ाया, हालांकि वह यह चुनाव हार गए। इसके बाद बसपा के सत्ता से दूर होने के बाद एसपी सिंह बघेल ने राजनीतिक माहौल को समझते हुए राज्यसभा से इस्तीफा देकर भाजपा की सदस्यता ली। भाजपा में शामिल होने के बाद भाजपा पिछड़ा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए गए। योगी सरकार में मंत्री रहे
भाजपा में 2017 विधानसभा चुनाव में टूंडला सुरक्षित सीट से मैदान में उतारा गया। यहां से चुनाव जीतकर भाजपा विधायक बने। इसके बाद उन्हें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की टीम में कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिला। जानकार कहते हैं कि इसके बाद भाजपा में उनका कद बढ़ता गया। उन्हें अमित शाह से मजबूत रिश्तों का लाभ भी मिला। कैबिनेट मंत्री रहते हुए 2019 में पीएम मोदी के दूसरी बार चुनाव में जाने से पहले उन्हें आगरा की सुरक्षित सीट पर सीटिंग सांसद रामशंकर कठेरिया की जगह पर टिकट दी गई। 2019 में प्रो. बघेल ने बड़ी जीत दर्ज की। रामशंकर कठेरिया पर भारी पड़े एसपी सिंह बघेल
पीएम मोदी के पहले टर्म में आगरा के सांसद रामशंकर कठेरिया को मंत्रिमंडल में जगह मिली थी। दूसरी बार में रामशंकर कठेरिया इटावा से जीतकर संसद पहुंचे थे। ऐसे में दूसरी बार पीएम मोदी के मंत्रिमंडल में रामशंकर कठेरिया और प्रो. एसपी सिंह बघेल का नाम चर्चा में था। कठेरिया का पलड़ा भारी माना जा रहा था, लेकिन बाजी मारी आगरा सांसद एसपी सिंह बघेल ने मारी। उन्हें केंद्रीय विधि एवं कानून राज्यमंत्री बनाया गया। दरोगा थे तब मेरठ की टीचर से की लव मैरिज
प्रो. एसपी सिंह बघेल ने बताया कि बात 1985 की है। उन दिनों मैं यूपी पुलिस में सब इंस्पेक्टर था। मेरी पोस्टिंग मेरठ शहर की सरधना तहसील में थी। मेरी वर्किंग ऐसी थी कि मुझे क्षेत्र के ज्यादातर लोग जानते थे। तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी का महावीर जयंती पर मेरठ में कार्यक्रम था। उस कार्यक्रम में जैन कॉलेज मेरठ के स्कूली बच्चे भी आए थे। उनके साथ एक शिक्षिका भी थीं, उनका नाम मधु पुरी था। हालांकि तब उनका नाम नहीं पता था। पहली बार उन्हें देखा तो उनकी सादगी बहुत पसंद आई। हमने बात नहीं कि लेकिन नजरों ने सब कुछ बयां कर दिया था। बस यहीं से प्रेम कहानी की शुरुआत हुई। आंखों ही आंखों में इकरार होने के बाद धीरे-धीरे मिलना जुलना शुरू हुआ। छह माह बाद ही तय कर लिया कि शादी करेंगे। मगर, मन में एक बात चल रही थी कि जाति को लेकर घरवालों आपत्ति कर सकते हैं, लेकिन मैंने तय कर लिया था। पुलिस में था तो काफी रिश्ते भी आते थे। घर वाले जब शादी के लिए बोलते थे तो टाल देता था। ऐसे करते हुए लंबा समय निकाल दिया। कई रिश्तों के मना करने पर जब घरवालों ने कारण पूछा तो साफ-साफ बता दिया कि मैं किसी से प्यार करता हूं। लड़की मेरठ की है, पंजाबी परिवार से है और उससे ही शादी करेंगे। इसके बाद पिताजी थोड़ा नाराज हुए, लेकिन बाद में सभी तैयार हो गए। वहीं, पत्नी के परिवार में किसी को कोई परेशानी नहीं थी। आज मंत्री बनाए गए एसपी सिंह बघेल और मधु बघेल के एक बेटा और एक बेटी है। दोनों डॉक्टर हैं। जाति को लेकर रहा है विवाद
प्रो. बघेल के साथ एक विवाद जुड़ा है। ये विवाद उनकी जाति को लेकर है। जब भी चुनाव होते हैं, उनकी जाति को लेकर विवाद सामने आता है। इस बार भी चुनाव में उनकी जाति को लेकर शिकायत की गई । उनके जाति प्रमाण पत्र को फर्जी बताते हुए डॉ. आंबेडकर सेवा ट्रस्ट के अनिल सोनी ने मंडलायुक्त से शिकायत की थी। सोनी ने मंडलायुक्त से स्क्रूटनी कमेटी बनाए जाने की मांग की । सोनी का कहना है कि एसपी सिंह बघेल ने तीन बार अपनी जातियां बदली हैं। पढ़ाई के दौरान वे ठाकुर जाति के थे। नौकरी पिछड़ी जाति से पाई। अब चुनाव अनुसूचित जाति से लड़ रहे हैं। ये शिकयत पहली बार नहीं हुई। इससे पहले जब वो मैनपुरी के करहल से अखिलेश यादव के सामने विधानसभा चुनाव लडे़ थे, तब भी आगरा के अधिवक्ता ने शिकायत की थी। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर