पीलीभीत में घर में 5 मजार बनवाने की कहानी:युवक बोला- हम हिंदू, मजार के नीचे कब्र नहीं; बहन की मौत के बाद बनवाया

पीलीभीत में घर में 5 मजार बनवाने की कहानी:युवक बोला- हम हिंदू, मजार के नीचे कब्र नहीं; बहन की मौत के बाद बनवाया

मेरी एक 17 साल की बहन थी। वो हमेशा बीमार रहती थी। उसके साथ अजीब-गरीब चीजें होती थीं। चलते-चलते गिर जाती थी। अचानक चिल्लाने लगती थी। उसको लगता था कोई उसका गला दबा रहा है। कई जगह इलाज के बाद आराम नहीं मिला तो उसे लेकर किछौछा शरीफ गया। वहां थोड़ा फायदा हुआ लेकिन कुछ समय बाद बहन की मौत हो गई। फिर जो चीजें बहन के साथ होती थीं, वो हम लोगों के साथ होने लगी। इससे बचने के लिए हमने घर पर किछौछा शरीफ की 5 मजारें बनवाई थीं। लेकिन उनको तुड़वा दिया गया। परिवार की सुरक्षा के लिए मैंने ऐसा किया था। मैं हिंदू हूं और हिंदू ही रहूंगा। मैंने घर में मजार बनवाई थी लेकिन मुस्लिम नहीं बना। मैं लक्ष्मी जी की ही पूजा करता हूं। ये कहना है पीलीभीत के धीरज (35) का। जिसने 15 साल पहले बहन सीता की मौत के बाद 15 हजार खर्च करके घर में 5 मजारें बनवाई थीं। जिसे 2 मई को हिंदू संगठनों के विरोध के बाद तोड़ दिया गया। दैनिक भास्कर की टीम जिला मुख्यालय से 50 किलोमीटर दूर करेली थाना क्षेत्र के बमरौली गांव पहुंची। मजार को लेकर धीरज से बात की। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… गांव में सिर्फ एक परिवार मुस्लिम
टीम से ग्रामीणों ने बताया कि गांव में एक मुस्लिम परिवार को छोड़कर सभी परिवार हिंदू हैं। मुस्लिम परिवार ईंट-भट्ठे पर काम करता है। गांव के लोगों ने इस पूरे मामले को काला जादू से जुड़ा बताया। उनका कहना है कि धीरज की बहन पर काला जादू हुआ था। इसी वजह से ये लोग परेशान रहते थे। घर में मजार बनाने का हम लोगों ने विरोध किया था, लेकिन तब उसने हमारी नहीं सुनी थी। आंगन के पास बने कमरे में बनवाई थी मजारें
गांव वालों से बात करके हम लोग धीरज के घर पहुंचे। धीरज के घर में एक आंगन है। आंगन के एक ओर कमरे बने हुए हैं। दूसरी ओर थोड़ी दूरी पर एक कमरा बना हुआ है। उस कमरे के अंदर और बाहर हरे रंग का पेंट लगा था। उसी कमरे के अंदर धीरज ने 5 मजारें बनवाई थीं। ये एरिया घर के अन्य कमरों से अलग था। घर के अंदर एक कमरे में मंदिर भी बना हुआ है। परिवार के सभी लोग वहां पर पूजा करते हैं। घर में धीरज का पूरा परिवार मौजूद था। अब मजार की कहानी धीरज की जुबानी… धीरज ने बताया- हम लोग 5 भाई और 1 बहन थे। बहन को हम सारे भाई बहुत मानते थे। वो सबसे छोटी थी। पढ़ाई लिखाई में अच्छी थी। सबके साथ मिलकर रहती थी। सब कुछ बढ़िया चल रहा था। एकदम से बहन के साथ दिक्कतें शुरू हो गई। वो कभी तेज-तेज चिल्लाने लगती, कभी हंसने लगती। हम लोगों को उल्टा-सीधा बोलती। चलते-चलते दूर जाकर गिरती। कहती कोई मेरा बहुत तेज गला दबा रहा है, मैं मर जाऊंगी। ये सब उसके साथ रोज होता था। हम लोग बहुत परेशान थे। उसको बरेली के अस्पतालों से लेकर कई अस्पतालों में दिखाया। मंदिर में जाकर माथा टेका लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। फिर मेरे घर के बुजुर्गों ने बताया कि हमारा परिवार हमेशा से पीलीभीत से 500 किलोमीटर दूर किछौछा शरीफ की दरगाह जाता रहा है। लेकिन अब वहां कोई नहीं जाता। एक बार तुम लोग इसको लेकर वहां जाओ, हो सकता है कुछ फायदा हो जाए। बड़ों की बात मानकर हम लोग किछौछा शरीफ चले गए। वहां जाकर बहन के ऊपर से उतारा करवाया। कुछ दिनों बाद बहन की हालत सुधरने लगी। हम लोग भी खुश थे। अचानक से चारपाई खिसक जाती, अजीब आवाजें सुनाई देती
धीरज ने कहा- किछौछा शरीफ से लौटने के करीब 1 महीने बाद बहन फिर से बीमार पड़ गई। उसको चक्कर आने लगे। हम लोग उसको लेकर किछौछा शरीफ जाने लगे लेकिन रास्ते में ही उसकी मौत हो गई। हम लोग उसके शव को लेकर घर आ गए और अंतिम संस्कार कर दिया। कुछ दिनों के लिए सब शांत रहा, लेकिन फिर जो बहन के साथ होता था वो हमारे साथ होने लगा। मजार के नीचे किसी की कब्र नहीं
हमारे सामने से खाने की थाली एक दम से गायब हो जाती। चारपाई खिसक जाती, अजीब आवाजें सुनाई देती। हम लोग फिर किछौछा शरीफ गए। वहां से आने के बाद ये सब बंद हुआ, लेकिन फिर कुछ दिनों बाद शुरू हो गया। ऐसा बार-बार हो रहा था। हमारे लिए आए दिन किछौछा शरीफ जाना मुश्किल था। इसलिए उनके नाम की मजारें घर पर बनवा ली। ऐसा नहीं है कि मजार के नीचे किसी की कब्र है। मजार बनवाने के बाद वो चीजें घर से खत्म हो गई थीं। हम लोग भी सुकून से रह रहे थे। मैं रोज मजार पर फूल चढ़ाता और धूपबत्ती जलाता। घर में बने मंदिर में भी मैं रोज पूजा करता था। लेकिन अब ये मजारें टूट गई हैं। उम्मीद करते हैं, हमारे घर में फिर से कोई दिक्कत न हो। मेरे ऊपर किसी ने कोई दबाव नहीं बनाया है और न मैंने अपना धर्म बदला है। मैं हिंदू हूं और हमेशा रहूंगा। ये मजार बस घर की सुरक्षा के लिए बनवाई थी। धीरज गांव के बाहर चाट का ठेला लगाता है। वो अपने 4 भाई और उनके परिवार के साथ एक ही घर में रहता है। धीरज के घर में कुल 11 लोग रहते हैं। धीरज के सभी भाई ठेला लगाने का ही काम करते हैं। परिवार के सभी सदस्य हिंदुओं की तरह ही रहते हैं। ——————————- यह खबर भी पढ़ें- पहलगाम पर विवादित पोस्ट शेयर की, महिला टीचर सस्पेंड:जेबा अफरोज के खिलाफ जांच के आदेश, सोनभद्र में तैनात हैं सोनभद्र में सरकारी महिला टीचर को पहलगाम आतंकी हमले से जुड़ी विवादित पोस्ट शेयर करने पर सस्पेंड कर दिया गया। टीचर का नाम जेबा अफरोज है। वह चोपन के मालोघाट स्थित प्राइमरी स्कूल में तैनात थीं। बीएसए मुकुल आनंद पांडेय ने टीचर के खिलाफ बीईओ को 15 दिन में जांच के आदेश दिए हैं। यहां पढ़ें पूरी खबर मेरी एक 17 साल की बहन थी। वो हमेशा बीमार रहती थी। उसके साथ अजीब-गरीब चीजें होती थीं। चलते-चलते गिर जाती थी। अचानक चिल्लाने लगती थी। उसको लगता था कोई उसका गला दबा रहा है। कई जगह इलाज के बाद आराम नहीं मिला तो उसे लेकर किछौछा शरीफ गया। वहां थोड़ा फायदा हुआ लेकिन कुछ समय बाद बहन की मौत हो गई। फिर जो चीजें बहन के साथ होती थीं, वो हम लोगों के साथ होने लगी। इससे बचने के लिए हमने घर पर किछौछा शरीफ की 5 मजारें बनवाई थीं। लेकिन उनको तुड़वा दिया गया। परिवार की सुरक्षा के लिए मैंने ऐसा किया था। मैं हिंदू हूं और हिंदू ही रहूंगा। मैंने घर में मजार बनवाई थी लेकिन मुस्लिम नहीं बना। मैं लक्ष्मी जी की ही पूजा करता हूं। ये कहना है पीलीभीत के धीरज (35) का। जिसने 15 साल पहले बहन सीता की मौत के बाद 15 हजार खर्च करके घर में 5 मजारें बनवाई थीं। जिसे 2 मई को हिंदू संगठनों के विरोध के बाद तोड़ दिया गया। दैनिक भास्कर की टीम जिला मुख्यालय से 50 किलोमीटर दूर करेली थाना क्षेत्र के बमरौली गांव पहुंची। मजार को लेकर धीरज से बात की। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… गांव में सिर्फ एक परिवार मुस्लिम
टीम से ग्रामीणों ने बताया कि गांव में एक मुस्लिम परिवार को छोड़कर सभी परिवार हिंदू हैं। मुस्लिम परिवार ईंट-भट्ठे पर काम करता है। गांव के लोगों ने इस पूरे मामले को काला जादू से जुड़ा बताया। उनका कहना है कि धीरज की बहन पर काला जादू हुआ था। इसी वजह से ये लोग परेशान रहते थे। घर में मजार बनाने का हम लोगों ने विरोध किया था, लेकिन तब उसने हमारी नहीं सुनी थी। आंगन के पास बने कमरे में बनवाई थी मजारें
गांव वालों से बात करके हम लोग धीरज के घर पहुंचे। धीरज के घर में एक आंगन है। आंगन के एक ओर कमरे बने हुए हैं। दूसरी ओर थोड़ी दूरी पर एक कमरा बना हुआ है। उस कमरे के अंदर और बाहर हरे रंग का पेंट लगा था। उसी कमरे के अंदर धीरज ने 5 मजारें बनवाई थीं। ये एरिया घर के अन्य कमरों से अलग था। घर के अंदर एक कमरे में मंदिर भी बना हुआ है। परिवार के सभी लोग वहां पर पूजा करते हैं। घर में धीरज का पूरा परिवार मौजूद था। अब मजार की कहानी धीरज की जुबानी… धीरज ने बताया- हम लोग 5 भाई और 1 बहन थे। बहन को हम सारे भाई बहुत मानते थे। वो सबसे छोटी थी। पढ़ाई लिखाई में अच्छी थी। सबके साथ मिलकर रहती थी। सब कुछ बढ़िया चल रहा था। एकदम से बहन के साथ दिक्कतें शुरू हो गई। वो कभी तेज-तेज चिल्लाने लगती, कभी हंसने लगती। हम लोगों को उल्टा-सीधा बोलती। चलते-चलते दूर जाकर गिरती। कहती कोई मेरा बहुत तेज गला दबा रहा है, मैं मर जाऊंगी। ये सब उसके साथ रोज होता था। हम लोग बहुत परेशान थे। उसको बरेली के अस्पतालों से लेकर कई अस्पतालों में दिखाया। मंदिर में जाकर माथा टेका लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। फिर मेरे घर के बुजुर्गों ने बताया कि हमारा परिवार हमेशा से पीलीभीत से 500 किलोमीटर दूर किछौछा शरीफ की दरगाह जाता रहा है। लेकिन अब वहां कोई नहीं जाता। एक बार तुम लोग इसको लेकर वहां जाओ, हो सकता है कुछ फायदा हो जाए। बड़ों की बात मानकर हम लोग किछौछा शरीफ चले गए। वहां जाकर बहन के ऊपर से उतारा करवाया। कुछ दिनों बाद बहन की हालत सुधरने लगी। हम लोग भी खुश थे। अचानक से चारपाई खिसक जाती, अजीब आवाजें सुनाई देती
धीरज ने कहा- किछौछा शरीफ से लौटने के करीब 1 महीने बाद बहन फिर से बीमार पड़ गई। उसको चक्कर आने लगे। हम लोग उसको लेकर किछौछा शरीफ जाने लगे लेकिन रास्ते में ही उसकी मौत हो गई। हम लोग उसके शव को लेकर घर आ गए और अंतिम संस्कार कर दिया। कुछ दिनों के लिए सब शांत रहा, लेकिन फिर जो बहन के साथ होता था वो हमारे साथ होने लगा। मजार के नीचे किसी की कब्र नहीं
हमारे सामने से खाने की थाली एक दम से गायब हो जाती। चारपाई खिसक जाती, अजीब आवाजें सुनाई देती। हम लोग फिर किछौछा शरीफ गए। वहां से आने के बाद ये सब बंद हुआ, लेकिन फिर कुछ दिनों बाद शुरू हो गया। ऐसा बार-बार हो रहा था। हमारे लिए आए दिन किछौछा शरीफ जाना मुश्किल था। इसलिए उनके नाम की मजारें घर पर बनवा ली। ऐसा नहीं है कि मजार के नीचे किसी की कब्र है। मजार बनवाने के बाद वो चीजें घर से खत्म हो गई थीं। हम लोग भी सुकून से रह रहे थे। मैं रोज मजार पर फूल चढ़ाता और धूपबत्ती जलाता। घर में बने मंदिर में भी मैं रोज पूजा करता था। लेकिन अब ये मजारें टूट गई हैं। उम्मीद करते हैं, हमारे घर में फिर से कोई दिक्कत न हो। मेरे ऊपर किसी ने कोई दबाव नहीं बनाया है और न मैंने अपना धर्म बदला है। मैं हिंदू हूं और हमेशा रहूंगा। ये मजार बस घर की सुरक्षा के लिए बनवाई थी। धीरज गांव के बाहर चाट का ठेला लगाता है। वो अपने 4 भाई और उनके परिवार के साथ एक ही घर में रहता है। धीरज के घर में कुल 11 लोग रहते हैं। धीरज के सभी भाई ठेला लगाने का ही काम करते हैं। परिवार के सभी सदस्य हिंदुओं की तरह ही रहते हैं। ——————————- यह खबर भी पढ़ें- पहलगाम पर विवादित पोस्ट शेयर की, महिला टीचर सस्पेंड:जेबा अफरोज के खिलाफ जांच के आदेश, सोनभद्र में तैनात हैं सोनभद्र में सरकारी महिला टीचर को पहलगाम आतंकी हमले से जुड़ी विवादित पोस्ट शेयर करने पर सस्पेंड कर दिया गया। टीचर का नाम जेबा अफरोज है। वह चोपन के मालोघाट स्थित प्राइमरी स्कूल में तैनात थीं। बीएसए मुकुल आनंद पांडेय ने टीचर के खिलाफ बीईओ को 15 दिन में जांच के आदेश दिए हैं। यहां पढ़ें पूरी खबर   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर