सहारनपुर के जिला महिला अस्पताल में डॉक्टरों ने सर्जरी के बाद महिला के पेट में टॉवल छोड़ने के मामले में सीएमओ ने चार डॉक्टरों की टीम बनाई है। पूरे मामले की जांच करेगी और एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट पेश करेगी। दोषी पाए जाने पर आरोपी डॉक्टर पर कार्रवाई की जाएगी। वहीं शासन ने भी मामले का संज्ञान लिया है। जिसके बाद ये कार्रवाई की गई है। शासन ने लिया संज्ञान सरकारी अस्पताल में इस प्रकार की लापरवाही पर शासन ने भी सख्ती दिखाते हुए सीएमओ को जांच कर रिपोर्ट मांगी है। स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक ने सीएमओ डॉ.प्रवीण कुमार पूरे मामले की रिपोर्ट तैयार कर भेजने के निर्देश दिए है। जिसके बाद सीएमओ ने चार सदस्यीय टीम बनाई है। इस टीम में एसीएमओ डॉ.राकेश चंद्रा, महिला डॉक्टर, रेडियोलॉजिस्ट और सर्जन शामिल है। टीम से रिपोर्ट जल्द मांगी है। पढ़िए…पूरा मामला सहारनपुर में सढौली पिलखनी के रहने वाले सूरज की पत्नी करिश्मा प्रेग्नेट थीं। 25 नवंबर को उसके पेट में दर्द हुआ। ससुराल वाले उसे जिला महिला अस्पताल लेकर पहुंच गए। करिश्मा ने सर्जरी के बाद एक बेटी को जन्म दिया। लेकिन, डॉक्टरों की लापरवाही ऐसी रही कि प्रसूता के पेट में टॉवल ही छोड़ दिया। कुछ दिन सब सामान्य रहा, लेकिन पिछले दो दिनों से दर्द तेज होने लगी। अस्पताल में लगाया इंजेक्शन तो फूल गया पेट पैदा हुई बेटी को लेकर बैठे परिवार के लोग। पीड़िता ने बताया कि जब उसके ससुराल वाले उसे लेकर महिला अस्पताल पहुंचे। पेट में दर्द होने की बात बताई। इसके बाद डॉक्टरों ने उसे एक इंजेक्शन लगा दिया। महिला ने बताया कि इंजेक्शन लगाते ही उसका पेट फूलने लगा। दर्द और बढ़ गया। इसके बाद डॉक्टरों ने बिना कुछ बताए ही प्रसूता को मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर कर दिया। बराड़ा में लग रहा था ज्यादा पैसा जिला महिला अस्पताल की फोटो। महिला ने बताया कि उसके मायके वाले भी जिला महिला अस्पताल में आ गए। जहां पर उसके भाई ने बराड़ा ले जाने की बात कही, लेकिन महिला को अपने घर की स्थिति का पता था। उसने मना कर दिया। लेकिन, मायके पक्ष के लोग उसे जबरन बराड़ा मेडिकल कॉलेज ले गए। जहां पर सारी जांच में करीब 7 हजार रुपए खर्च हो गए। वहां पर करीब 70 हजार रुपए खर्च बताया गया। महिला ने वहां पर ऑपरेशन कराने से मना कर दिया। महिला अपने ससुरालियों के साथ सहारनपुर के मेडिकल कॉलेज आ गई। प्राइवेट हॉस्पिटल में कराया ऑपरेशनमेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने महिला की हालत देखकर हॉयर सेंटर के लिए रेफर कर दिया था। लेकिन, फिर प्रसूता का पति परिजनों और मायके पक्ष के दबाव में दिल्ली रोड के एक प्राइवेट अस्पताल में लेकर पहुंचा। जहां पर महिला का फिर से ऑपरेशन कराया गया और पेट से टॉवल निकाला गया। महिला के पेट में टॉवल होने के कारण पश पड़ गई थी। इस कारण महिला की आंत फट गई है। लेकिन, गरीब होने की वजह से उनके पास पैसे नहीं थे। हॉस्पिटल ने भी उन्हें बंधक बना लिया। हालांकि CMO के हस्तक्षेप के बाद महिला को हॉयर सेंटर चंडीगढ़ भेज दिया गया है। जहां पर उसका इलाज हो रहा है। महिला के पेट में टॉवल के मामले में चार डॉक्टरों की टीम बनाई है। जल्द ही टीम से जांच कर रिपोर्ट मांगी है। रिपोर्ट के आधार पर आरोपी डॉक्टर पर कार्रवाई की जाएगी। – डॉ. प्रवीण कुमार, CMO सहारनपुर के जिला महिला अस्पताल में डॉक्टरों ने सर्जरी के बाद महिला के पेट में टॉवल छोड़ने के मामले में सीएमओ ने चार डॉक्टरों की टीम बनाई है। पूरे मामले की जांच करेगी और एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट पेश करेगी। दोषी पाए जाने पर आरोपी डॉक्टर पर कार्रवाई की जाएगी। वहीं शासन ने भी मामले का संज्ञान लिया है। जिसके बाद ये कार्रवाई की गई है। शासन ने लिया संज्ञान सरकारी अस्पताल में इस प्रकार की लापरवाही पर शासन ने भी सख्ती दिखाते हुए सीएमओ को जांच कर रिपोर्ट मांगी है। स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक ने सीएमओ डॉ.प्रवीण कुमार पूरे मामले की रिपोर्ट तैयार कर भेजने के निर्देश दिए है। जिसके बाद सीएमओ ने चार सदस्यीय टीम बनाई है। इस टीम में एसीएमओ डॉ.राकेश चंद्रा, महिला डॉक्टर, रेडियोलॉजिस्ट और सर्जन शामिल है। टीम से रिपोर्ट जल्द मांगी है। पढ़िए…पूरा मामला सहारनपुर में सढौली पिलखनी के रहने वाले सूरज की पत्नी करिश्मा प्रेग्नेट थीं। 25 नवंबर को उसके पेट में दर्द हुआ। ससुराल वाले उसे जिला महिला अस्पताल लेकर पहुंच गए। करिश्मा ने सर्जरी के बाद एक बेटी को जन्म दिया। लेकिन, डॉक्टरों की लापरवाही ऐसी रही कि प्रसूता के पेट में टॉवल ही छोड़ दिया। कुछ दिन सब सामान्य रहा, लेकिन पिछले दो दिनों से दर्द तेज होने लगी। अस्पताल में लगाया इंजेक्शन तो फूल गया पेट पैदा हुई बेटी को लेकर बैठे परिवार के लोग। पीड़िता ने बताया कि जब उसके ससुराल वाले उसे लेकर महिला अस्पताल पहुंचे। पेट में दर्द होने की बात बताई। इसके बाद डॉक्टरों ने उसे एक इंजेक्शन लगा दिया। महिला ने बताया कि इंजेक्शन लगाते ही उसका पेट फूलने लगा। दर्द और बढ़ गया। इसके बाद डॉक्टरों ने बिना कुछ बताए ही प्रसूता को मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर कर दिया। बराड़ा में लग रहा था ज्यादा पैसा जिला महिला अस्पताल की फोटो। महिला ने बताया कि उसके मायके वाले भी जिला महिला अस्पताल में आ गए। जहां पर उसके भाई ने बराड़ा ले जाने की बात कही, लेकिन महिला को अपने घर की स्थिति का पता था। उसने मना कर दिया। लेकिन, मायके पक्ष के लोग उसे जबरन बराड़ा मेडिकल कॉलेज ले गए। जहां पर सारी जांच में करीब 7 हजार रुपए खर्च हो गए। वहां पर करीब 70 हजार रुपए खर्च बताया गया। महिला ने वहां पर ऑपरेशन कराने से मना कर दिया। महिला अपने ससुरालियों के साथ सहारनपुर के मेडिकल कॉलेज आ गई। प्राइवेट हॉस्पिटल में कराया ऑपरेशनमेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने महिला की हालत देखकर हॉयर सेंटर के लिए रेफर कर दिया था। लेकिन, फिर प्रसूता का पति परिजनों और मायके पक्ष के दबाव में दिल्ली रोड के एक प्राइवेट अस्पताल में लेकर पहुंचा। जहां पर महिला का फिर से ऑपरेशन कराया गया और पेट से टॉवल निकाला गया। महिला के पेट में टॉवल होने के कारण पश पड़ गई थी। इस कारण महिला की आंत फट गई है। लेकिन, गरीब होने की वजह से उनके पास पैसे नहीं थे। हॉस्पिटल ने भी उन्हें बंधक बना लिया। हालांकि CMO के हस्तक्षेप के बाद महिला को हॉयर सेंटर चंडीगढ़ भेज दिया गया है। जहां पर उसका इलाज हो रहा है। महिला के पेट में टॉवल के मामले में चार डॉक्टरों की टीम बनाई है। जल्द ही टीम से जांच कर रिपोर्ट मांगी है। रिपोर्ट के आधार पर आरोपी डॉक्टर पर कार्रवाई की जाएगी। – डॉ. प्रवीण कुमार, CMO उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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