प्रयागराज में गंगा-यमुना का जलस्तर बढ़ने के साथ लोगों की मुसीबत भी बढ़ती जा रही है। बाढ़ से घिरे झूंसी से सटे 100 गांव टापू जैसे दिखने लगे हैं। इन गांवों के करीब 14 हजार लोग अपने रिश्तेदारों के घरों में शिफ्ट हो चुके हैं। जो लोग बचे हैं, वह छतों पर रहने को मजबूर हैं। लोग नाव से छतों पर राशन जुटा रहे हैं। सिर्फ देहात एरिया ही नहीं, शहर के करीब 25 मोहल्लों में गंगा नदी का पानी दाखिल हो चुका है। प्रयागराज के 5 लाख लोग बाढ़ की जद में हैं। मदद के लिए प्रशासन ने नाव चलाई है। वाराणसी से NDRF मदद के लिए पहुंच चुकी है। लेकिन, लोग राशन, दवाएं जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए परेशान हैं। सड़कें डूबी, आना-जाना मुश्किल हुआ
बाढ़ के हालात को समझने के लिए दैनिक भास्कर झूंसी इलाके के बदरा सुनौती-बहरिया मार्ग तक पहुंचा। हम झूंसी ब्रिज पार करके बदना सुनौती एरिया की तरफ बढ़े। देखा कि करीब 5-6 कार सड़क पर रुकी हुई हैं। आगे नजर गई तो हर तरफ पानी ही पानी था। सड़क पूरी तरह से डूब चुकी थी। लोगों ने हमें वहीं रोक दिया। लोगों ने बताया कि चिंता मत करिए, नाव चल रही है। उससे आगे जा सकते हैं। पहले 3 तस्वीर में बाढ़ के हालात इमरान ने कहा- 50 गांवों का संपर्क टूटा, आस-पास के 30 गांव के लोग भी परेशान
हमारी मुलाकात यहां इमरान से हुई। कितने गांव में कहां लोग फंसे हैं? हमने सवाल पूछा। उन्होंने कहा – गंगा मैया अभी पूरे रूप में नहीं हैं। तब भी करीब 50 गांव के लोगों का संपर्क बाकी एरिया से कट चुका है। गांव टापू बन चुके हैं। जहां पहले गाड़ियां चलती थीं, अब वहां नाव चल रही हैं। इतना ही नहीं, आस-पास के 30 और गांव के लोग परेशान हैं, क्योंकि 2-3 दिन में पानी वहां भी पहुंच जाएगा। जनरल स्टोर चलाने वाले सुमित कहते हैं- पानी बढ़ने के बाद धंधा चौपट है, जो लोग आस-पास रहते थे, वो यहां से जा चुके हैं। जो लोग बचे हैं, वह सामान लेने नहीं आ पा रहे। नाव चला रहे राजन बोले- 45-50 फेरे हो जाते हैं
अभी सुमित से बातचीत चल रही थी कि एक नाव हमारी तरफ आती हुई दिखी। लोगों की परेशानी को और करीब से देखने-समझने के लिए हम नाव में सवार हो गए। नाव चलाने वाले राजन में बताया कि हर दिन करीब 45 से 50 फेरे हो जाते हैं। पैसा नहीं लेते, ये फ्री सेवा है। बाकी जब तक चलाते रहिए, आने-जाने वाले लोग कभी नहीं थमते। इमरान बोले- 3 दिन हुए, लोग घर छोड़ गए
घुटने तक पानी में खड़े इमरान कहते हैं- आगे के सभी गांव डूबे हुए हैं। जिस नाव पर हम चढ़े, उस पर 3 लोग पहले से बैठे थे। 2 साइकिल लदी थीं। इमरान भी नाव पर बैठ गए। यहां हालात कब से खराब हुए हैं? जवाब में इमरान ने कहा- सड़क से लगे 26-27 मकान तो पूरी तरह डूब गए हैं। पहली मंजिल का सामान दूसरी या तीसरी मंजिल पर शिफ्ट करके लोग अपने दोस्त-रिश्तेदारों के घर चले गए हैं। 3 दिन हुए, लोग जा चुके हैं। राम आसरे बोले- अंधेरा होई तो दिक्कत बढ़ जाई
हमने नाव पर बैठे लोगों से पूछा- ये नाव प्रशासन ने खुद चलवाई है या इसके लिए प्रयास करना पड़ा? जवाब मिला कि इमरजेंसी के कामों के लिए प्रशासन ने नाव भेजी है। अब हमने नाव पर बैठे राम आसरे यादव से पूछा- कैसी चल रही है जिंदगी? उन्होंने कहा- भइया तहसील में अर्जेंट काम था, लेकिन बाढ़ की वजह से जल्दी लौट आए। काम नहीं हुआ। डर लग रहा कि अंधेरा होई जाए तो दिक्कत बा। अब हम बाढ़ के पानी से होते हुए उस जगह पहुंचे, जहां थोड़ी ऊंचाई थी और लोग नाव का इंतजार कर रहे थे। कुछ लोग आस-पास से सिर्फ ये देखने आए थे कि बाढ़ का पानी कहां तक पहुंचा हैं। हमारे गांव तक आया तो क्या हालात बनेंगे? कुछ बच्चे थे, जो बेफिक्र होकर पानी में खेल रहे थे। अंजनी बोले- यहां लूट, चोरी का खतरा बढ़ा
यहां गांव के रहने वाले अंजनी कहते हैं – रात में लूट और चोरी का खतरा बढ़ गया है। बाढ़ नहीं आई थी तो पुलिस गश्त करने आती रहती थी। थोड़ा डर कम था, लेकिन अब तो जहां तक देखिए, मकान खाली पड़े हैं। जो लोग बचे हैं, वह रात को बारी-बारी जागकर पहरा देते हैं। बड़ा सवाल: क्यों जलस्तर बढ़ रहा?
दरअसल, मध्य प्रदेश, राजस्थान और बुंदेलखंड में अच्छी बारिश होने से केन, बेतवा और चंबल समेत आधा दर्जन से ज्यादा छोटी नदियों का पानी यमुना में आ गया। इसके अलावा माताटीला, बरियारपुर बांध से भी पानी छोड़ दिया गया। बांधों, बैराजों और नदियों से लगभग 8 लाख क्यूसेक पानी मंगलवार और बुधवार को यहां पहुंचने से शहरी इलाके के करीब 25 मोहल्लों में पानी पहुंच गया है। साथ ही, 100 गांव के लोग प्रभावित हो चुके हैं। आने वाले दिनों में हालात और बिगड़ने हैं। मंगलवार रात कुछ घंटों में रामघाट, काली घाट, ककरहा घाट, बरगद घाट डूब गए। बुधवार दोपहर बाद बघाड़ा, सलोरी, मऊ कछार, गंगानगर व नेवादा में नदी किनारे की गलियों में पानी घुस गया। कई मकान भी बाढ़ की जद में आ गए। दारागंज में नागवासुकि मंदिर के नीचे की सड़क, बघाड़ा, चिल्ला, झूंसी, नैनी क्षेत्र और दरियाबाद, सदियापुर की कई सड़कें डूब गईं। अब प्रशासन की तैयारियां जान लीजिए
सभी 88 बाढ़ चौकियों को एक्टिव किया गया है। 90 बाढ़ राहत शिविर बनाए गए हैं। वाराणसी स्थित 11वीं वाहिनी NDRF की 35 सदस्यीय एक टीम बुला ली गई। टीम कमांडर इंद्रदेव पहुंचे हैं। NDRF टीम के पास 6 मोटर बोट हैं। एक SDRF की टीम भी लगा दी गई है। PAC की 2 बाढ़ कंपनी और जल पुलिस की तैनाती की गई है। प्रशासन की पहल राशन किट 3091 रुपए में मिलेगी
बाढ़ प्रभावित लोगों को इस बार 3,091 रुपए का राशन किट दिया जाएगा। इस किट में 10 किलो आटा, 10 किलो चावल, 2 किलो अरहर दाल, 200 ग्राम हल्दी पाउडर, 100 मिर्च पाउडर, 200 ग्राम सब्जी मसाला, एक लीटर सरसो का तेल, एक किलो नमक, 10 किलो आलू, पांच किलो लाई, दो किलो भुना चना, एक किलो गुड़, 10 पैकेट बिस्कुट, एक पैकेट माचिस, एक पैकेट मोमबत्ती, दो नहाने का साबुन, जरीकेन, तिरपाल शामिल हैं। राहत शिविरों में भोजन का पैकेट अलग से दिया जा रहा है। अब स्लाइड में गंगा-यमुना का जलस्तर समझिए… अब प्रयागराज में बाढ़ का 1200 फीट ऊंचाई से ड्रोन का VIDEO देखिए… चारों तरफ सिर्फ पानी, घर, दुकान-सड़कें डूबीं; छतों पर गुजर रही रात प्रयागराज में गंगा-यमुना उफान पर हैं। घर, दुकान, सड़कें, पार्क सब डूबे हैं। शहर में चारों तरफ पानी-पानी है। हजारों लोग घर छोड़कर दूसरी जगह शिफ्ट हो गए। बाकी, छतों पर शरण लिए हैं। संगम से एक किलोमीटर दूर लेटे हनुमान मंदिर तक पानी पहुंच गया। दैनिक भास्कर ने ड्रोन से शहर का वीडियो बनवाया। 1200 फीट ऊंचाई से ड्रोन की नजरों से भीषण बाढ़ का VIDEO देखने के लिए यहां क्लिक करें… प्रयागराज में गंगा-यमुना का जलस्तर बढ़ने के साथ लोगों की मुसीबत भी बढ़ती जा रही है। बाढ़ से घिरे झूंसी से सटे 100 गांव टापू जैसे दिखने लगे हैं। इन गांवों के करीब 14 हजार लोग अपने रिश्तेदारों के घरों में शिफ्ट हो चुके हैं। जो लोग बचे हैं, वह छतों पर रहने को मजबूर हैं। लोग नाव से छतों पर राशन जुटा रहे हैं। सिर्फ देहात एरिया ही नहीं, शहर के करीब 25 मोहल्लों में गंगा नदी का पानी दाखिल हो चुका है। प्रयागराज के 5 लाख लोग बाढ़ की जद में हैं। मदद के लिए प्रशासन ने नाव चलाई है। वाराणसी से NDRF मदद के लिए पहुंच चुकी है। लेकिन, लोग राशन, दवाएं जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए परेशान हैं। सड़कें डूबी, आना-जाना मुश्किल हुआ
बाढ़ के हालात को समझने के लिए दैनिक भास्कर झूंसी इलाके के बदरा सुनौती-बहरिया मार्ग तक पहुंचा। हम झूंसी ब्रिज पार करके बदना सुनौती एरिया की तरफ बढ़े। देखा कि करीब 5-6 कार सड़क पर रुकी हुई हैं। आगे नजर गई तो हर तरफ पानी ही पानी था। सड़क पूरी तरह से डूब चुकी थी। लोगों ने हमें वहीं रोक दिया। लोगों ने बताया कि चिंता मत करिए, नाव चल रही है। उससे आगे जा सकते हैं। पहले 3 तस्वीर में बाढ़ के हालात इमरान ने कहा- 50 गांवों का संपर्क टूटा, आस-पास के 30 गांव के लोग भी परेशान
हमारी मुलाकात यहां इमरान से हुई। कितने गांव में कहां लोग फंसे हैं? हमने सवाल पूछा। उन्होंने कहा – गंगा मैया अभी पूरे रूप में नहीं हैं। तब भी करीब 50 गांव के लोगों का संपर्क बाकी एरिया से कट चुका है। गांव टापू बन चुके हैं। जहां पहले गाड़ियां चलती थीं, अब वहां नाव चल रही हैं। इतना ही नहीं, आस-पास के 30 और गांव के लोग परेशान हैं, क्योंकि 2-3 दिन में पानी वहां भी पहुंच जाएगा। जनरल स्टोर चलाने वाले सुमित कहते हैं- पानी बढ़ने के बाद धंधा चौपट है, जो लोग आस-पास रहते थे, वो यहां से जा चुके हैं। जो लोग बचे हैं, वह सामान लेने नहीं आ पा रहे। नाव चला रहे राजन बोले- 45-50 फेरे हो जाते हैं
अभी सुमित से बातचीत चल रही थी कि एक नाव हमारी तरफ आती हुई दिखी। लोगों की परेशानी को और करीब से देखने-समझने के लिए हम नाव में सवार हो गए। नाव चलाने वाले राजन में बताया कि हर दिन करीब 45 से 50 फेरे हो जाते हैं। पैसा नहीं लेते, ये फ्री सेवा है। बाकी जब तक चलाते रहिए, आने-जाने वाले लोग कभी नहीं थमते। इमरान बोले- 3 दिन हुए, लोग घर छोड़ गए
घुटने तक पानी में खड़े इमरान कहते हैं- आगे के सभी गांव डूबे हुए हैं। जिस नाव पर हम चढ़े, उस पर 3 लोग पहले से बैठे थे। 2 साइकिल लदी थीं। इमरान भी नाव पर बैठ गए। यहां हालात कब से खराब हुए हैं? जवाब में इमरान ने कहा- सड़क से लगे 26-27 मकान तो पूरी तरह डूब गए हैं। पहली मंजिल का सामान दूसरी या तीसरी मंजिल पर शिफ्ट करके लोग अपने दोस्त-रिश्तेदारों के घर चले गए हैं। 3 दिन हुए, लोग जा चुके हैं। राम आसरे बोले- अंधेरा होई तो दिक्कत बढ़ जाई
हमने नाव पर बैठे लोगों से पूछा- ये नाव प्रशासन ने खुद चलवाई है या इसके लिए प्रयास करना पड़ा? जवाब मिला कि इमरजेंसी के कामों के लिए प्रशासन ने नाव भेजी है। अब हमने नाव पर बैठे राम आसरे यादव से पूछा- कैसी चल रही है जिंदगी? उन्होंने कहा- भइया तहसील में अर्जेंट काम था, लेकिन बाढ़ की वजह से जल्दी लौट आए। काम नहीं हुआ। डर लग रहा कि अंधेरा होई जाए तो दिक्कत बा। अब हम बाढ़ के पानी से होते हुए उस जगह पहुंचे, जहां थोड़ी ऊंचाई थी और लोग नाव का इंतजार कर रहे थे। कुछ लोग आस-पास से सिर्फ ये देखने आए थे कि बाढ़ का पानी कहां तक पहुंचा हैं। हमारे गांव तक आया तो क्या हालात बनेंगे? कुछ बच्चे थे, जो बेफिक्र होकर पानी में खेल रहे थे। अंजनी बोले- यहां लूट, चोरी का खतरा बढ़ा
यहां गांव के रहने वाले अंजनी कहते हैं – रात में लूट और चोरी का खतरा बढ़ गया है। बाढ़ नहीं आई थी तो पुलिस गश्त करने आती रहती थी। थोड़ा डर कम था, लेकिन अब तो जहां तक देखिए, मकान खाली पड़े हैं। जो लोग बचे हैं, वह रात को बारी-बारी जागकर पहरा देते हैं। बड़ा सवाल: क्यों जलस्तर बढ़ रहा?
दरअसल, मध्य प्रदेश, राजस्थान और बुंदेलखंड में अच्छी बारिश होने से केन, बेतवा और चंबल समेत आधा दर्जन से ज्यादा छोटी नदियों का पानी यमुना में आ गया। इसके अलावा माताटीला, बरियारपुर बांध से भी पानी छोड़ दिया गया। बांधों, बैराजों और नदियों से लगभग 8 लाख क्यूसेक पानी मंगलवार और बुधवार को यहां पहुंचने से शहरी इलाके के करीब 25 मोहल्लों में पानी पहुंच गया है। साथ ही, 100 गांव के लोग प्रभावित हो चुके हैं। आने वाले दिनों में हालात और बिगड़ने हैं। मंगलवार रात कुछ घंटों में रामघाट, काली घाट, ककरहा घाट, बरगद घाट डूब गए। बुधवार दोपहर बाद बघाड़ा, सलोरी, मऊ कछार, गंगानगर व नेवादा में नदी किनारे की गलियों में पानी घुस गया। कई मकान भी बाढ़ की जद में आ गए। दारागंज में नागवासुकि मंदिर के नीचे की सड़क, बघाड़ा, चिल्ला, झूंसी, नैनी क्षेत्र और दरियाबाद, सदियापुर की कई सड़कें डूब गईं। अब प्रशासन की तैयारियां जान लीजिए
सभी 88 बाढ़ चौकियों को एक्टिव किया गया है। 90 बाढ़ राहत शिविर बनाए गए हैं। वाराणसी स्थित 11वीं वाहिनी NDRF की 35 सदस्यीय एक टीम बुला ली गई। टीम कमांडर इंद्रदेव पहुंचे हैं। NDRF टीम के पास 6 मोटर बोट हैं। एक SDRF की टीम भी लगा दी गई है। PAC की 2 बाढ़ कंपनी और जल पुलिस की तैनाती की गई है। प्रशासन की पहल राशन किट 3091 रुपए में मिलेगी
बाढ़ प्रभावित लोगों को इस बार 3,091 रुपए का राशन किट दिया जाएगा। इस किट में 10 किलो आटा, 10 किलो चावल, 2 किलो अरहर दाल, 200 ग्राम हल्दी पाउडर, 100 मिर्च पाउडर, 200 ग्राम सब्जी मसाला, एक लीटर सरसो का तेल, एक किलो नमक, 10 किलो आलू, पांच किलो लाई, दो किलो भुना चना, एक किलो गुड़, 10 पैकेट बिस्कुट, एक पैकेट माचिस, एक पैकेट मोमबत्ती, दो नहाने का साबुन, जरीकेन, तिरपाल शामिल हैं। राहत शिविरों में भोजन का पैकेट अलग से दिया जा रहा है। अब स्लाइड में गंगा-यमुना का जलस्तर समझिए… अब प्रयागराज में बाढ़ का 1200 फीट ऊंचाई से ड्रोन का VIDEO देखिए… चारों तरफ सिर्फ पानी, घर, दुकान-सड़कें डूबीं; छतों पर गुजर रही रात प्रयागराज में गंगा-यमुना उफान पर हैं। घर, दुकान, सड़कें, पार्क सब डूबे हैं। शहर में चारों तरफ पानी-पानी है। हजारों लोग घर छोड़कर दूसरी जगह शिफ्ट हो गए। बाकी, छतों पर शरण लिए हैं। संगम से एक किलोमीटर दूर लेटे हनुमान मंदिर तक पानी पहुंच गया। दैनिक भास्कर ने ड्रोन से शहर का वीडियो बनवाया। 1200 फीट ऊंचाई से ड्रोन की नजरों से भीषण बाढ़ का VIDEO देखने के लिए यहां क्लिक करें… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर