पंजाब के अमृतसर की नगर निगम में फंड की भारी कमी के चलते शहर के विकास कार्य रुक गए हैं। ठेकेदारों और निर्माण कंपनियों ने अपने सभी प्रोजेक्ट रोक दिए हैं, क्योंकि नगर निगम ने उनका भुगतान नहीं किया है। निगम पर करोड़ों रुपये का बकाया है, लेकिन फंड की अनुपलब्धता के कारण किसी को भी भुगतान नहीं हो पा रहा है। नगर निगम को लंबे समय से पंजाब म्युनिसिपल इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (PMIDC) से कोई राशि नहीं मिली है। निगम द्वारा बीते दो महीनों में दो बार यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट (UC) भेजा गया, इसके बावजूद फंड जारी नहीं किया गया। नगर निगम को जीएसटी से हर महीने लगभग 18 करोड़ रुपये की किस्त मिलती थी, जिससे कर्मचारियों का वेतन और अन्य खर्च पूरे किए जाते थे। लेकिन अब यह रकम भी आनी बंद हो गई है। फरवरी में केवल दर्जा-4 कर्मचारियों को वेतन दिया गया, जबकि दर्जा-3, दर्जा-2 और दर्जा-1 अधिकारियों को फरवरी का वेतन अब तक नहीं मिला है। एमटीपी विभाग की राशि भी अटकी एमटीपी विभाग से आने वाला टैक्स लोकल बॉडी विभाग, चंडीगढ़ में जमा होता है और वहीं से अमृतसर नगर निगम को वापस मिलता है। लेकिन अब यह राशि भी निगम को नहीं दी जा रही, जिससे आर्थिक संकट और गहरा गया है। सीवरेज और वाटर सप्लाई के बिल भी पोर्टल पर अपलोड नहीं नगर निगम द्वारा सीवरेज और वाटर सप्लाई के बिल “एम सेवा पोर्टल” पर अपलोड किए जाते हैं, लेकिन पिछले 11 महीनों से कमर्शियल बिल पोर्टल पर अपलोड नहीं किए गए हैं। यही नहीं, डिफॉल्टर पार्टियों की बकाया राशि भी पोर्टल पर दर्ज नहीं हुई है, जिससे निगम को करोड़ों रुपये का नुकसान हो रहा है। नगर निगम ने इस मुद्दे पर बार-बार पीएमआईडीसी से अनुरोध किया, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं निकला। यदि जल्द ही फंडिंग नहीं मिली तो शहर के विकास कार्य लंबे समय तक ठप रह सकते हैं। पंजाब के अमृतसर की नगर निगम में फंड की भारी कमी के चलते शहर के विकास कार्य रुक गए हैं। ठेकेदारों और निर्माण कंपनियों ने अपने सभी प्रोजेक्ट रोक दिए हैं, क्योंकि नगर निगम ने उनका भुगतान नहीं किया है। निगम पर करोड़ों रुपये का बकाया है, लेकिन फंड की अनुपलब्धता के कारण किसी को भी भुगतान नहीं हो पा रहा है। नगर निगम को लंबे समय से पंजाब म्युनिसिपल इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (PMIDC) से कोई राशि नहीं मिली है। निगम द्वारा बीते दो महीनों में दो बार यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट (UC) भेजा गया, इसके बावजूद फंड जारी नहीं किया गया। नगर निगम को जीएसटी से हर महीने लगभग 18 करोड़ रुपये की किस्त मिलती थी, जिससे कर्मचारियों का वेतन और अन्य खर्च पूरे किए जाते थे। लेकिन अब यह रकम भी आनी बंद हो गई है। फरवरी में केवल दर्जा-4 कर्मचारियों को वेतन दिया गया, जबकि दर्जा-3, दर्जा-2 और दर्जा-1 अधिकारियों को फरवरी का वेतन अब तक नहीं मिला है। एमटीपी विभाग की राशि भी अटकी एमटीपी विभाग से आने वाला टैक्स लोकल बॉडी विभाग, चंडीगढ़ में जमा होता है और वहीं से अमृतसर नगर निगम को वापस मिलता है। लेकिन अब यह राशि भी निगम को नहीं दी जा रही, जिससे आर्थिक संकट और गहरा गया है। सीवरेज और वाटर सप्लाई के बिल भी पोर्टल पर अपलोड नहीं नगर निगम द्वारा सीवरेज और वाटर सप्लाई के बिल “एम सेवा पोर्टल” पर अपलोड किए जाते हैं, लेकिन पिछले 11 महीनों से कमर्शियल बिल पोर्टल पर अपलोड नहीं किए गए हैं। यही नहीं, डिफॉल्टर पार्टियों की बकाया राशि भी पोर्टल पर दर्ज नहीं हुई है, जिससे निगम को करोड़ों रुपये का नुकसान हो रहा है। नगर निगम ने इस मुद्दे पर बार-बार पीएमआईडीसी से अनुरोध किया, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं निकला। यदि जल्द ही फंडिंग नहीं मिली तो शहर के विकास कार्य लंबे समय तक ठप रह सकते हैं। पंजाब | दैनिक भास्कर
