हरियाणा के फतेहाबाद जिले को अपना रेलवे स्टेशन नहीं मिलेगा। फतेहाबाद जिला मुख्यालय को रेल नेटवर्क से जोड़ने के लिए किए गए सर्वे को रेल मंत्रालय ने खारिज कर दिया है। सिरसा लोकसभा से कांग्रेस सांसद कुमारी सैलजा ने संसद में फतेहाबाद-अग्रोहा-हिसार को रेल नेटवर्क से जोड़ने का मुद्दा उठाया था। इस पर रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जवाब दिया कि हिसार और सिरसा पहले से ही भट्टू कलां के जरिए भारतीय रेलवे नेटवर्क से पूरी तरह जुड़े हुए हैं। हिसार से फतेहाबाद-अग्रोहा होते हुए सिरसा तक सर्वे किया गया था, लेकिन सर्वे में ट्रैफिक अनुमान कम होने के कारण इस प्रोजेक्ट को आगे नहीं बढ़ाया जा सका। फतेहाबाद मुख्यालय को रेल नेटवर्क से जोड़ने के प्रोजेक्ट को रेल मंत्रालय ने ठंडे बस्ते में डाल दिया है। पूर्व प्रधानमंत्री से लेकर रेल मंत्री तक कर चुके हैं घोषणा फतेहाबाद के निवासी लंबे समय से जिला मुख्यालय को रेल नेटवर्क से जोड़ने की मांग कर रहे हैं। राजनीतिक घोषणाओं में कई बार यहां रेल की सीटी बज चुकी है। वर्ष 2000 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने एमएम कॉलेज में फतेहाबाद को रेलवे लाइन से जोड़ने की घोषणा की थी। इसके बाद पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव और अशोक तंवर ने भी फतेहाबाद को रेलवे लाइन से जोड़ने की घोषणा की, लेकिन उनकी घोषणा अभी तक पूरी नहीं हुई है। नए रेल नेटवर्क के लिए यह मापदंड जरूरी नए रेल नेटवर्क को मंजूरी देने के लिए रेल मंत्रालय की ओर से मापदंड तय किए गए हैं। जब भी देश के किसी भी राज्य के जिलों को रेल नेटवर्क के जरिए एक-दूसरे से जोड़ने की मांग होती है, तो रेल मंत्रालय तय मापदंड के आधार पर सर्वे करता है। रेल परियोजनाओं की लाभप्रदता के साथ-साथ यातायात अनुमान, अंतिम मील कनेक्टिविटी, मिसिंग लिंक और वैकल्पिक मार्गों की जांच की जाती है। इतना ही नहीं, संतृप्त लाइनों के विकास और सामाजिक-आर्थिक महत्व को भी प्राथमिकता दी जाती है। चल रही परियोजनाओं के आधार पर प्रतिस्पर्धा की मांग को भी आधार बनाया गया है। सिरसा से नई दिल्ली तक इंटरसिटी ट्रेन चलाने की मांग अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सिरसा सांसद कुमारी सैलजा ने सिरसा में रेल सुविधाओं को लेकर रेल मंत्री को पत्र लिखा है तथा अनुरोध किया है कि नई दिल्ली से सिरसा तक वाया महम-रोहतक-हांसी-हिसार व सिरसा नई इंटरसिटी ट्रेन चलाई जाए तथा भिवानी व हिसार आने वाली कुछ प्रमुख ट्रेनों को सिरसा तक बढ़ाया जाए। कुमारी सैलजा ने पत्र में लिखा है कि उनके संसदीय क्षेत्र सिरसा के लोगों की मांग है कि कुछ ट्रेनें सिरसा तक चलाई जाएं, जिसे वे उनके संज्ञान में लाना चाहती हैं। उन्होंने पत्र में कहा है कि नई दिल्ली से सिरसा तक वाया महम, रोहतक, हांसी, हिसार व सिरसा नई इंटरसिटी ट्रेन चलाई जाए। हरियाणा के फतेहाबाद जिले को अपना रेलवे स्टेशन नहीं मिलेगा। फतेहाबाद जिला मुख्यालय को रेल नेटवर्क से जोड़ने के लिए किए गए सर्वे को रेल मंत्रालय ने खारिज कर दिया है। सिरसा लोकसभा से कांग्रेस सांसद कुमारी सैलजा ने संसद में फतेहाबाद-अग्रोहा-हिसार को रेल नेटवर्क से जोड़ने का मुद्दा उठाया था। इस पर रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जवाब दिया कि हिसार और सिरसा पहले से ही भट्टू कलां के जरिए भारतीय रेलवे नेटवर्क से पूरी तरह जुड़े हुए हैं। हिसार से फतेहाबाद-अग्रोहा होते हुए सिरसा तक सर्वे किया गया था, लेकिन सर्वे में ट्रैफिक अनुमान कम होने के कारण इस प्रोजेक्ट को आगे नहीं बढ़ाया जा सका। फतेहाबाद मुख्यालय को रेल नेटवर्क से जोड़ने के प्रोजेक्ट को रेल मंत्रालय ने ठंडे बस्ते में डाल दिया है। पूर्व प्रधानमंत्री से लेकर रेल मंत्री तक कर चुके हैं घोषणा फतेहाबाद के निवासी लंबे समय से जिला मुख्यालय को रेल नेटवर्क से जोड़ने की मांग कर रहे हैं। राजनीतिक घोषणाओं में कई बार यहां रेल की सीटी बज चुकी है। वर्ष 2000 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने एमएम कॉलेज में फतेहाबाद को रेलवे लाइन से जोड़ने की घोषणा की थी। इसके बाद पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव और अशोक तंवर ने भी फतेहाबाद को रेलवे लाइन से जोड़ने की घोषणा की, लेकिन उनकी घोषणा अभी तक पूरी नहीं हुई है। नए रेल नेटवर्क के लिए यह मापदंड जरूरी नए रेल नेटवर्क को मंजूरी देने के लिए रेल मंत्रालय की ओर से मापदंड तय किए गए हैं। जब भी देश के किसी भी राज्य के जिलों को रेल नेटवर्क के जरिए एक-दूसरे से जोड़ने की मांग होती है, तो रेल मंत्रालय तय मापदंड के आधार पर सर्वे करता है। रेल परियोजनाओं की लाभप्रदता के साथ-साथ यातायात अनुमान, अंतिम मील कनेक्टिविटी, मिसिंग लिंक और वैकल्पिक मार्गों की जांच की जाती है। इतना ही नहीं, संतृप्त लाइनों के विकास और सामाजिक-आर्थिक महत्व को भी प्राथमिकता दी जाती है। चल रही परियोजनाओं के आधार पर प्रतिस्पर्धा की मांग को भी आधार बनाया गया है। सिरसा से नई दिल्ली तक इंटरसिटी ट्रेन चलाने की मांग अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सिरसा सांसद कुमारी सैलजा ने सिरसा में रेल सुविधाओं को लेकर रेल मंत्री को पत्र लिखा है तथा अनुरोध किया है कि नई दिल्ली से सिरसा तक वाया महम-रोहतक-हांसी-हिसार व सिरसा नई इंटरसिटी ट्रेन चलाई जाए तथा भिवानी व हिसार आने वाली कुछ प्रमुख ट्रेनों को सिरसा तक बढ़ाया जाए। कुमारी सैलजा ने पत्र में लिखा है कि उनके संसदीय क्षेत्र सिरसा के लोगों की मांग है कि कुछ ट्रेनें सिरसा तक चलाई जाएं, जिसे वे उनके संज्ञान में लाना चाहती हैं। उन्होंने पत्र में कहा है कि नई दिल्ली से सिरसा तक वाया महम, रोहतक, हांसी, हिसार व सिरसा नई इंटरसिटी ट्रेन चलाई जाए। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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जींद में किसानों को बारिश का इंतजार:खेतों में खराब होने लगी धान की फसल, पानी नहीं आने से पडने लगी दरार हरियाणा के जींद जिला के उचाना में आसमान पर बादल तो छा रहे है, लेकिन बिना बरसे बादल गुजर जाते है। बादल आसमान पर नजर आने के बाद किसानों को बारिश की उम्मीद होती है, लेकिन बिना बरसे बादल चले जाने से किसानों के चेहरे उतर रहे है। बारिश के बाद नहरी पानी का अभाव भी हो रहा है। कई गांव के किसान नहरी पानी को लेकर रोड तक जाम कर चुके है। बिना पानी के खेतों में दरार नजर आने लगी है। फसल के अनुकूल नहीं रहा मौसम किसानों ने कहा कि इस बार फसल के अनुकूल मौसम नहीं रहा है। पहले उमस होने से धान की प्योद खेतों में खराब हुई, जिससे नुकसान किसानों को हुआ। अब बारिश नहीं होने के बाद नहरी पानी नहीं आने से किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें साथ नजर आने लगी है। किसान जगरूप, सतपाल, दलबीर ने कहा कि इस बार समय पर बारिश नहीं होने से धान की फसल खराब होने लगी है। रूठा हुआ नजर आ रहा मानसून उचाना क्षेत्र से इस बार मानसून रूठा हुआ नजर आ रहा है। नहरी पानी की कमी भी इस बार रही है। खेतों में पानी नहीं आने से दरार तक पड़ने लगी है। कई जगहों पर तो किसानों ने फसल खराब होने से जुताई तक कर दी है। इस बार किसानों को धान की रोपाई पर अधिक खर्च हुआ है। किसानों ने कहा कि सरकार को चाहिए कि उचाना क्षेत्र को सूखा घोषित करते हुए प्रति एकड़ कम से कम 25 हजार रुपए मुआवजा दें।
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नारनौल में सरपंच को पीटा, जातिसूचक गालियां दी:पंचायती जमीन की पैमाइश को लेकर विवाद; पूरे परिवार को मारने की धमकी हरियाणा के नारनौल में पैमाइश का काम करवा रहे गांव के सरपंच को कुछ व्यक्तियों द्वारा धमकी दिए जाने, पंचायती कार्य में बाधा डालने व सरपंच को जाति सूचक शब्द कहे जाने का मामला सामने आया है। सरपंच की शिकायत मिलने के बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। नांगल चौधरी थाना क्षेत्र के गांव बामनवास खेता के सरपंच मोहित कुमार ने पुलिस में दी गई शिकायत में बताया है कि वह गांव बामनवास खेता की फिरनी नंबर 69 की पैमाइश करवा रहा था। वही इसके बाद वह जब 72 नंबर रास्ते की पैमाइश पर आया तो वहां गांव के मनोज ने पैमाइश में बाधा डालकर उसे गाली गलौज की। जब उसने उसको समझाने का प्रयास किया तो उसने पीछे से उसको थप्पड़ मार दिए। सरपंच ने बताया कि इसके बाद मनोज ने उसको जाति सूचक शब्द कहे। जब उसने कहा कि वह गलत बोल रहा है गलत मत बोल वरना कार्रवाई करूंगा। तब उसने धमकी दी कि तुझे वह तेरे पूरे परिवार के सदस्यों को मारूंगा। वहीं सरपंच ने अपनी गवाही में गांव के लोगों का नाम भी दिया है। सरपंच की शिकायत मिलने के बाद पुलिस ने आरोपी मनोज के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
हरियाणा में 3 सीटों पर साइलेंट बागियों का खतरा:BJP-कांग्रेस के 4 नेताओं ने नहीं छोड़ी पार्टी, उम्मीदवारों के समर्थन में भी नहीं
हरियाणा में 3 सीटों पर साइलेंट बागियों का खतरा:BJP-कांग्रेस के 4 नेताओं ने नहीं छोड़ी पार्टी, उम्मीदवारों के समर्थन में भी नहीं हरियाणा में रेवाड़ी जिले की तीनों विधानसभा सीटों पर कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही दलों के प्रत्याशियों को ‘साइलेंट’ बागियों से खतरा है। कोसली में कांग्रेस प्रत्याशी जगदीश यादव और बीजेपी प्रत्याशी अनिल डहीना के अलावा बावल में बीजेपी प्रत्याशी डॉ. कृष्ण कुमार और रेवाड़ी सीट से कैंडिडेट लक्ष्मण सिंह यादव के सामने बागियों से निपटना चुनौती है। कुछ बागी पार्टी छोड़ निर्दलीय मैदान में उतार चुके हैं, लेकिन 4 बड़े चेहरे राव यादवेंद्र, बिक्रम ठेकेदार, रणधीर सिंह कापड़ीवास और डॉ. बनवारी लाल ने ना पार्टी छोड़ी और ना ही प्रत्याशी के समर्थन में दिख रहे हैं। चारों के पास खुद का जनाधार भी है। ऐसे में तीनों सीटों पर भीतरघात की पूरी संभावनाएं दिख रही है। इन्हें मनाने की कोशिशें भी अभी तक नहीं हुई हैं। दरअसल, इस बार बीजेपी और कांग्रेस को इन तीनों ही सीटों पर प्रत्याशियों का चयन करने में काफी मशक्कत करनी पड़ी थी। बीजेपी ने तीनों ही सीटों पर केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की पसंद से उम्मीदवार उतारे हैं। वहीं कांग्रेस ने बावल और कोसली में भूपेंद्र सिंह हुड्डा गुट के नेताओं को तरजीह दी और रेवाड़ी सीट पर कांग्रेस ने सिटिंग MLA चिरंजीव राव को फिर से प्रत्याशी बनाया है। बावल में 52 नेताओं ने टिकट के लिए दावेदारी की थी, लेकिन यहां पार्टी ने डॉ. एमएल रंगा को टिकट दी। हुड्डा गुट से होने के कारण उनका अभी विरोध देखने को नहीं मिला है। इसी तरह चिरंजीव के खिलाफ भी अभी तक किसी तरह का विरोध नहीं हुआ। हालांकि कोसली सीट पर कांग्रेस को बड़े विरोध का सामना करना पड़ सकता है। जगदीश के सामने यादवेंद्र चुनौती
कांग्रेस की तरफ से कोसली में प्रत्याशी बनाए गए जगदीश यादव के सामने दो चुनौतियां हैं। एक हैं यहां से टिकट के दावेदारों में शामिल पूर्व विधायक यादवेंद्र सिंह, जो की पहले ही अपने बागी तेवर अपना चुके हैं। हालांकि निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव में नही उतरे हैं और ना ही उन्होंने अभी तक पार्टी छोड़ी है। वह इशारों-इशारों में कह चुके हैं कि वह जगदीश को नहीं जीतने देंगे। वहीं दूसरी चुनौती हैं टिकट के एक और दावेदार मनोज कोसलिया, जो कि निर्दलीय ही मैदान में उतार चुके हैं। अनिल के सामने खतरा बन सकते हैं बिक्रम ठेकेदार
राव इंद्रजीत सिंह की साफारिश पर बीजेपी ने कोसली सीट पर अनिल डहीना को चुनावी मैदान में उतारा है। अनिल डहीना एक बार जिला पार्षद रह चुके हैं। हालांकि 2 साल पहले हुए जिला पार्षद चुनाव में वो हार गए थे। उनका इस सीट पर खुद का कोई जनाधार नहीं है। उनकी नौका पूरी तरह राव इंद्रजीत सिंह के भरोसे पर है, लेकिन चुनौती पूर्व मंत्री बिक्रम ठेकेदार से भी है। बिक्रम ठेकेदार भी टिकट के दावेदार थे। जब उन्हें टिकट नहीं मिली तो उन्होंने अपने बागी तेवर भी दिखाए। हालांकि वो ना तो निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर मैदान में हैं और ना ही उन्होंने पार्टी से किनारा किया है। ऐसे में अनिल के सामने भी भीतरघात से निपटना दोहरी चुनौती होगी। लक्ष्मण का खेल बिगाड़ सकते हैं कापड़ीवास
रेवाड़ी सीट पर बीजेपी प्रत्याशी लक्ष्मण सिंह यादव के लिए सबसे बड़ा खतरा पूर्व विधायक रणधीर सिंह कापड़ीवास हैं, जिन्होंने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले। टिकट कटने से नाराज होकर दो बड़े चेहरे सतीश यादव आप की टिकट पर और सन्नी यादव निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। लेकिन कापड़ीवास पूरी तरह शांत बैठे हुए हैं। उन्हें पार्टी नेतृत्व की तरफ से मनाने के भी खूब प्रयास किए गए लेकिन वे अभी तक लक्ष्मण सिंह यादव से दूरी बनाए हुए हैं। 2019 के चुनाव में टिकट कटने पर रणधीर सिंह कापड़ीवास ने निर्दलीय चुनाव लड़ा था। जिसमें वो 35 हजार से ज्यादा वोट लेकर तीसरे नंबर पर रहे थे। बीजेपी की हार का कारण भी रणधीर सिंह कापड़ीवास के निर्दलीय चुनाव लड़ने को ही माना गया था। बावल में हैं डॉ. बनवारी साइलेंट
बीजेपी ने बावल सीट पर पूर्व मंत्री और विधायक डॉ. बनवारी लाल की टिकट काटकर हेल्थ डिपार्टमेंट में डायरेक्टर पद से नौकरी छोड़कर राजनीति में आए डॉ. कृष्ण कुमार को टिकट दी है। राव इंद्रजीत सिंह की नाराजगी के चलते डॉ. बनवारी लाल की टिकट काटी गई। ऐसे में डॉ. कृष्ण कुमार की जीत की जिम्मेदारी भी केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के कंधों पर है। डॉ. बनवारी लाल टिकट कटने से नाराज तो है, लेकिन उन्होंने अभी तक अपनी नाराजगी सार्वजनिक तौर पर जाहिर नहीं की है। 8 साल से ज्यादा मंत्री रहने के दौरान डॉ. बनवारी लाल ने इलाके में अपनी खुद की पकड़ मजबूत की है। जबकि डॉ. कृष्ण कुमार अभी नए हैं। डॉ. बनवारी का साइलेंट रहना बगावती संकेत है। ऐसे में इस बगावत से निपटना कृष्ण कुमार के लिए एक चुनौती है। रूठों के मान जाने के चांस कम
तीनों ही सीटों पर अभी रूठों को मनाने की कोई गंभीर कोशिशें नहीं हुई हैं। पूर्व विधायक रणधीर सिंह कापड़ीवास को जरूर सीएम नायब सैनी ने मिलने के लिए बुलाया था। बाकी अन्य रूठे अभी शांत बैठे हुए हैं। उनके मान जाने के चांस भी बहुत कम है। यही वजह है कि बागी संकेत दे चुके नेता अब टिकट कटने का बदला लेने के लिए रूप रेखाएं तैयार कर रहे है। सबसे ज्यादा खतरा कोसली और रेवाड़ी सीट पर नजर आ रहा है। यहां कांग्रेस के लिए भी स्थिति कुछ ठीक नहीं है। कांग्रेस की टिकट के दावेदार रहे नेताओं के भी भीतरघात करने की पूरी संभावनाएं हैं।