फरीदाबाद पुलिस ने एक हत्याकांड का खुलासा करते हुए मृतक के दोस्त को गिरफ्तार किया है। मामला आदर्श नगर क्षेत्र का है, जहां 16 दिसंबर को लापता हुए दीपक की लाश 8 जनवरी को आशियाना फ्लैट की झाड़ियों से बरामद हुई थी। हत्यारोपी को मृतक के अपनी पत्नी के साथ अवैध संबंध होने का शक था। इसी शक के चलते आरोपी ने हत्या की योजना बनाई। पुलिस आयुक्त सतेंद्र कुमार गुप्ता के निर्देश पर गठित विशेष टीम ने जांच के दौरान मृतक के दोस्त करण को आशियाना फ्लैट सेक्टर-62 से गिरफ्तार किया। यह मामला तब और गंभीर हो गया था जब शिकायतकर्ता दिलीप ने इलाके के 14 मुस्लिम लोगों पर हत्या का आरोप लगाया था। सहायक पुलिस आयुक्त अपराध अमन यादव ने बताया कि मृतक दीपक का भाई दिलीप, मूल रूप से बिहार के सिवान जिले का रहने वाला है, ने 17 दिसंबर को अपने भाई की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। उन्होंने बताया कि दीपक 16 दिसंबर को घर से बाहर जाने की बात कहकर निकला था और फिर वापस नहीं लौटा। अपराध शाखा DLF के उप निरीक्षक रमेश के नेतृत्व में गठित टीम ने इस मामले का खुलासा किया। पुलिस अब आरोपी करण से पूछताछ कर हत्या के कारणों का पता लगा रही है। इस मामले में पुलिस की कार्रवाई से सांप्रदायिक तनाव की आशंका भी टल गई है। मृतक दीपक व आरोपी करण आपस मे दोस्त थे, आरोपी करण की दो पत्नियां है। मृतक दीपक का, आरोपी की पहली पत्नी के साथ अवैध संबंध होने का शक था, जिस कारण आरोपी व मृतक की एक बार पहले भी आपस मे कहासुनी हो चुकी थी। आरोपी करण ने मृतक दीपक को शराब पिलाकर नशे में मारने का प्लान करके सिर में चोट मारकर, मफलर से गला दबाकर हत्या करके दीपक की नाश को झाड़ियों मे डाल दिया। आरोपी को मामले में पूछताछ के लिए पुलिस रिमांड पर लिया जाएगा। फरीदाबाद पुलिस ने एक हत्याकांड का खुलासा करते हुए मृतक के दोस्त को गिरफ्तार किया है। मामला आदर्श नगर क्षेत्र का है, जहां 16 दिसंबर को लापता हुए दीपक की लाश 8 जनवरी को आशियाना फ्लैट की झाड़ियों से बरामद हुई थी। हत्यारोपी को मृतक के अपनी पत्नी के साथ अवैध संबंध होने का शक था। इसी शक के चलते आरोपी ने हत्या की योजना बनाई। पुलिस आयुक्त सतेंद्र कुमार गुप्ता के निर्देश पर गठित विशेष टीम ने जांच के दौरान मृतक के दोस्त करण को आशियाना फ्लैट सेक्टर-62 से गिरफ्तार किया। यह मामला तब और गंभीर हो गया था जब शिकायतकर्ता दिलीप ने इलाके के 14 मुस्लिम लोगों पर हत्या का आरोप लगाया था। सहायक पुलिस आयुक्त अपराध अमन यादव ने बताया कि मृतक दीपक का भाई दिलीप, मूल रूप से बिहार के सिवान जिले का रहने वाला है, ने 17 दिसंबर को अपने भाई की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। उन्होंने बताया कि दीपक 16 दिसंबर को घर से बाहर जाने की बात कहकर निकला था और फिर वापस नहीं लौटा। अपराध शाखा DLF के उप निरीक्षक रमेश के नेतृत्व में गठित टीम ने इस मामले का खुलासा किया। पुलिस अब आरोपी करण से पूछताछ कर हत्या के कारणों का पता लगा रही है। इस मामले में पुलिस की कार्रवाई से सांप्रदायिक तनाव की आशंका भी टल गई है। मृतक दीपक व आरोपी करण आपस मे दोस्त थे, आरोपी करण की दो पत्नियां है। मृतक दीपक का, आरोपी की पहली पत्नी के साथ अवैध संबंध होने का शक था, जिस कारण आरोपी व मृतक की एक बार पहले भी आपस मे कहासुनी हो चुकी थी। आरोपी करण ने मृतक दीपक को शराब पिलाकर नशे में मारने का प्लान करके सिर में चोट मारकर, मफलर से गला दबाकर हत्या करके दीपक की नाश को झाड़ियों मे डाल दिया। आरोपी को मामले में पूछताछ के लिए पुलिस रिमांड पर लिया जाएगा। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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असंध अयोग्य चेयरमैन मामले में SC में सुनवाई:कोर्ट ने हरियाणा सरकार से मांगा जवाब; कटारिया ने HC के फैसले को दी थी चुनौती
असंध अयोग्य चेयरमैन मामले में SC में सुनवाई:कोर्ट ने हरियाणा सरकार से मांगा जवाब; कटारिया ने HC के फैसले को दी थी चुनौती करनाल में असंध नगरपालिका के अयोग्य घोषित चेयरमैन सतीश कटारिया ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। जिस पर 16 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार, स्टेट इलैक्शन कमीशन, डिप्टी कमिश्नर करनाल, नगरपालिका असंध, नायब तहसीलदार कम सहायक रिटर्निग ऑफिसर से जवाब मांगने नोटिस जारी करने के आदेश दिए हैं। जिसके लिए 6 सप्ताह का समय दिया गया है। सतीश कटारिया ने कहा कि उनकी मार्कशीट फर्जी नहीं है, इलैक्शन कमीशन उनके शिक्षा बोर्ड को मान्यता प्राप्त नहीं मान रहा है। सतीश कटारिया ने कहा कि मुझे इलैक्शन कमीशन ने अयोग्य घोषित किया है, जबकि इलैक्शन कमीशन के पास अयोग्य घोषित करने की पावर नहीं है। हाईकोर्ट में पुनर्विचार याचिका डालकर समय मांगा गया था कि जब तक सुप्रीम कोर्ट में याचिका स्वीकार नहीं हो जाती तब तक समय दिया जाए, लेकिन समय नहीं मिला। जिसके बाद वे सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। वहीं शिकायतकर्ता एडवोकेट सोनिया बोहत ने कहा कि सतीश कटारिया ने न केवल असंध नगरपालिका, बल्कि जनता के साथ भी बड़ा धोखा किया। स्टेट इलैक्शन कमीशन की जांच को भी हाईकोर्ट में गलत ठहराने का प्रयास किया है। कटारिया इलेक्शन कमीशन को ही चैलेंज कर रहा है कि वह उसे टर्मिनेट नहीं कर सकता, यह व्यक्ति प्रशासन को ही नहीं कोर्ट को भी गुमराह करने का काम कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा मामला, सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बेला एम त्रिवेदी व जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की डबल बेंच कोर्ट में सुनवाई हुई। शिकायतकर्ता एडवोकेट सोनिया बोहत की ओर से एडवोकेट सनाया कौशल ने पैरवी की। वहीं सतीश कटारिया की तरफ से सीनियर एडवोकेट राजीव भल्ला पैरवी के लिए खड़े थे। याचिकाकर्ता सतीश कटारिया ने बताया है कि अदालत द्वारा प्रतिवादियों को नोटिस जारी करने के आदेश हुए, जिसके लिए 6 सप्ताह का समय दिया गया है और मुझे पूरा विश्वास है कि सुप्रीम कोर्ट से मुझे न्याय मिलेगा। जानिए क्या है पूरा मामला 2022 में हुए असंध नगरपालिका चुनाव में कटारिया ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा था। कटारिया ने 4408 वोटों के साथ जीत दर्ज की और चेयरमैन बने। उन्होंने बीजेपी के प्रत्याशी कमलजीत लाडी को 553 वोटों से हराया था। बाद में कटारिया बीजेपी में शामिल हो गए थे। असंध में आम आदमी पार्टी की टिकट पर नगरपालिका चेयरमैन का चुनाव लड़ रही एडवोकेट सोनिया बोहत ने सतीश कटारिया पर 10वीं कक्षा की फर्जी मार्कशीट का इस्तेमाल करने के आरोप लगाए थे। फर्जी मार्कशीट का खुलासा आरटीआई द्वारा हुआ था। एडवोकेट सोनिया बोहत ने कहा कि चुनाव के दौरान ही मार्कशीट पर संदेह हुआ था। यह यूपी बोर्ड की थी, लेकिन उसमें कई त्रुटियां थीं। उन्होंने आरटीआई से सच्चाई सामने लाई। हाईकोर्ट में पहुंचा मामला, चेयरमैन अयोग्य घोषित मामले को लेकर सोनिया बोहत ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सोनिया ने बताया कि हाईकोर्ट के आदेश पर स्टेट इलैक्शन कमीशन ने जांच की, जिसके बाद 10 अप्रैल 2023 को सतीश कटारिया को चेयरमैन पद से अयोग्य घोषित कर दिया गया था। एडवोकेट सोनिया बोहत ने बताया कि बीती चार नवंबर को हाईकोर्ट में फाइनल आर्ग्यूमेंट हुई थी। जिसके बाद 20 नवंबर को कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया। हाईकोर्ट की डबल बेंच ने इलैक्शन कमीशन की जांच का सही ठहराया था। इसके बाद कटारिया ने 26 नवंबर को उसी बेंच के समक्ष पुनर्विचार याचिका लगाई। 27 नवंबर को कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। इस पर सतीश कटारिया का कहना है कि मैने हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट में याचिका डालने तक के लिए समय मांगा था, लेकिन वह समय नहीं मिला। अब आगे क्या होगा नगरपालिका के सचिव प्रदीप खरब के मुताबिक, चेयरमैन पद को लेकर दोबारा इलैक्शन होता है। जिसके लिए छह माह का समय होता है। ऐसे में डायरेक्टर ऑफिस से डायरेक्शन आएगी, उसी के अनुरूप आगामी प्रक्रिया होगी। एडीसी के मार्फत डीएमसी को गाइडलाइंस जाएगी और वहां से डायरेक्शन नगरपालिका असंध को पहुंचेगी।
महेंद्रगढ़ में नहर मे तैरता मिला व्यक्ति का शव:किनारे पर खड़ी मिली बाइक; मृतक की नहीं हुई शिनाख्त, अस्पताल पहुंचाई डेडबॉडी
महेंद्रगढ़ में नहर मे तैरता मिला व्यक्ति का शव:किनारे पर खड़ी मिली बाइक; मृतक की नहीं हुई शिनाख्त, अस्पताल पहुंचाई डेडबॉडी हरियाणा के महेंद्रगढ़ के गांव सुरजनवास के नजदीक से गुजर रही जवाहरलाल नहर में एक व्यक्ति की शव तैरता हुआ मिला। पंप हाउस नंबर NB-2 से थोड़ी आगे नहर में तैर रही इस डेड बॉडी को पुलिस ने पानी से बाहर निकलवाया। मृतक की अभी पहचान नहीं हुई है। पुलिस ने डेड बॉडी की पहचान के लिए नागरिक अस्पताल में रखवा दिया। नहर के पास से एक मोटरसाइकिल भी बरामद हुई। पुलिस कार्रवाई में जुटी है। जानकारी अनुसार नहर में मंगलवार से पानी आना बंद हुआ था। यह नहर पक्की की हुई है। इसलिए डेड बॉडी नीचे से जल्दी ऊपर आ गई। यह घटना कब की है, अभी इसके बारे में कोई पुख्ता प्रमाण नहीं मिले हैं। परिजनों के मिलने पर पता चलेगा। गांव सुरजन वास के नजदीक से गुजर रही जवाहरलाल नहर के पंप हाउस नंबर NB-2 में गुरुवार सुबह एक डेड बॉडी नहर में तैरती हुई दिखाई दी। पंप हाउस पर काम करने वाला एक कर्मचारी संदीप जब अपने घर से ड्यूटी पर आ रहा था। तब उसने देखा कि पंप हाउस से थोड़ी आगे नहर में एक डेड बॉडी तैर रही थी और एक बाइक नहर के नजदीक खड़ी हुई थी। तब उसने तुरंत इसकी सूचना डायल 112 पर पुलिस को दी। पुलिस की गाड़ी व सदर थाना प्रभारी धर्मवीर मौके पर पहुंचे। 112 नंबर गाड़ी पर तैनात कर्मचारी युद्धवीर ने नहर में उतर कर डेड बॉडी को पानी से बाहर निकाला। पुलिस उसको लेकर नागरिक अस्पताल में शिनाख्त के लिए रखवा दिया। सदर थाना प्रभारी धर्मवीर सिंह ने बताया कि उन्हें सूचना मिली कि सुरजन वास की नहर में एक डेड बॉडी पानी में तैर रही है वे तुरंत मौके पर पहुंचे और डेड बॉडी को पानी से बाहर निकलवाया अभी उसकी पहचान नहीं हुई है। युवक की उम्र लगभग 30-32 वर्ष बताई गई है उसने कपड़े पहने हुए थे, पैरों में चप्पल, जेब में मोबाइल फोन व एक मोटरसाइकिल बरामद हुआ है जो नहर के पास खड़ी हुई थी। डेड बॉडी को नागरिक अस्पताल में पहचान के लिए रखवा दिया गया है।
हरियाणा के शहीद मेजर की मां बोली-बहू ने तेवर बदले:कहा- सारा फंड लेकर मायके गई; घर ताला लगाया, सरकार उसे नौकरी न दे
हरियाणा के शहीद मेजर की मां बोली-बहू ने तेवर बदले:कहा- सारा फंड लेकर मायके गई; घर ताला लगाया, सरकार उसे नौकरी न दे हरियाणा के पानीपत के शहीद मेजर आशीष धौंचक की शहादत को 1 साल भी पूरा नहीं हुआ है, लेकिन उनके मां-बाप अब इधर-उधर भटकने को मजबूर हो गए हैं। सरकार की ओर से तमाम घोषणाएं की गई। शहादत फंड भी मिला, इसके बाद भी मां-बाप का बुढ़ापा अंधकार में है। क्योंकि इकलौते बेटे की शहादत के बाद मां-बाप की आस उनकी बहू और पोती है, जोकि अब उनसे दूर चली गई। परिवार का आरोप है कि बहू सरकार से मिलने वाली राशि, घर-मकान समेत अन्य लाभ अपने नाम करवा कर मायके चली गई। कई माह बीत जाने के बाद वह वापस नहीं लौटी। यहां तक कि उसने और उसके परिवार वालों ने बातचीत तक करनी बंद कर दी। जिसके बाद मां-बाप ने हरियाणा पंचायत मंत्री एवं पानीपत ग्रामीण विधानसभा से विधायक महीपाल ढांडा के जरिए सीएम नायब सिंह सैनी से गुहार लगाई है। जिसमें उन्होंने सरकारी नौकरी उनकी बहू को न दिए जाने समेत अन्य मांग रखी है। सीएम ने उचित फैसला लिए जाने का आश्वासन दिया है। आखिरी चेक पर साइन करवा कर चली गई बहू
दैनिक भास्कर से विशेष बातचीत में शहीद की मां कमला ने बताया कि 13 सितंबर 2023 को उनका इकलौता बेटा मेजर आशीष धौंचक (36) जम्मू कश्मीर के अनंतनाग में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हो गया था। बेटे की शहादत के बाद से बहू ज्योति ने अपने तेवर बदल लिए थे। जब तक सरकार की ओर से निर्धारित पूरी राशि नहीं मिली वह बहुत प्यार से बात करती थी। आखिर चेक आने पर उसने घर से जाने का प्लान बना लिया था। शहादत के कुछ समय बाद ही उसने जींद स्थित अपने मायका में 7 दिन जाने की बात कही थी। इसके बाद वह अपनी ढाई साल की बेटी वामिनी को लेकर घर से चली गई और वापस नहीं लौटी। 30 तोला सोना भी ले गई ज्योति
ज्योति से जब भी बात करते हैं, वह कभी भी वापस न आने की बात कहती है। उसके मां-बाप से बात की तो उन्होंने भी बात करने से मना कर दिया। इतना ही नहीं पंचायती, सामाजिक तौर पर भी उन्होंने किसी भी तरह की बात करने से मना कर दिया। मां ने कहा कि ज्योति जाते समय घर से 30 तोला सोना भी ले गई है। इसके अलावा फरीदपुर टीडीआई में नवनिर्मित मकान, जोकि आधा आशीष के नाम था वह भी अपने नाम करवा गई। जाते हुए उसने घर के ऊपर वाले हिस्से में ताला लगा दिया था। उन्होंने कहा कि वह सरकार से मांग करती हैं कि उनकी बहू ज्योति को सरकारी नौकरी देने का जो प्रस्ताव मंजूर हुआ था, वह नामंजूर किया जाए। क्योंकि ज्योति उनके साथ नहीं रहती है। वह इस नौकरी को अपनी बेटी को दिलवाना चाहती है। क्योंकि बेटी ही उनकी सेवा कर रही है। ये बात पॉलिसी में भी लिखा है कि जिसे नौकरी दी जाएगी, अगर वह मां-बाप की केयर नहीं करेगा/करेगी, तो उसकी नौकरी को मां-बाप के कहने पर नामंजूर किया जाएगा। इसके अलावा मां ने यह भी कहा कि भारतीय सेना की ओर से भी उन्हें कोई मदद नहीं मिली है। वह अपने कैंटीन कार्ड बनवाने के लिए भी जद्दोजहद कर रही हैं। सेना से कई बार संपर्क किया। सेना की ओर से उन्हें मेडिकल सुविधा भी नहीं दी गई। पंचायत मंत्री ने CM के सामने उठाया मामला
इस मामले को पंचायत मंत्री महीपाल ढांडा ने मुख्यमंत्री नायब सैनी के सामने रखा। उन्होंने कहा कि कि हमारे बिंझौल गांव का रहने वाला शहीद मेजर धौंचक का परिवार भटक गया है। उसकी पत्नी ज्योति ने तेहरवीं रस्म भी नहीं होने दी थी और वह चली गई। वह अपना तमाम हिस्सा ले गई। घर पर भी आकर वह ताला लगा गई। उसकी नौकरी का हरियाणा सरकार ने प्रस्ताव मंजूर कर लिया है, लेकिन अब जब वह यहां है नहीं तो उसकी जगह पर आशीष की बहन को नौकरी दी जाए। शहीद के नाम पर एक पार्क, स्टैच्यू और सरकारी भवन का नाम दिया जाने की भी घोषणा की थी। हमारी मांग है कि पानीपत के बस स्टैंड का नामकरण शहीद मेजर आशीष धौंचक के नाम पर हो। जिस परिवार का बेटा शहीद हुआ था, उसके मां-बाप दर-दर भटकने को मजबूर हैं, उनके साथ न्याय किया जाए। 3 बहनों के इकलौते भाई थे मेजर, चचेरा भाई भी मेजर
मेजर आशीष 3 बहनों के इकलौते भाई थे। उनकी तीनों बहनें अंजू, सुमन और ममता शादीशुदा हैं। उनकी मां कमला गृहिणी और पिता लालचंद NFL से सेवामुक्त हुए हैं। उनके चाचा का बेटा विकास भी भारतीय सेना में मेजर हैं। लेफ्टिनेंट भर्ती हुए थे, प्रमोट होकर मेजर बने
आशीष ने केंद्रीय विद्यालय में पढ़ाई की थी। 12वीं के बाद उन्होंने बरवाला के कॉलेज से बीटेक इलेक्ट्रॉनिक की। इसके बाद वह एमटेक कर रहे थे। इसका एक साल पूरा हुआ था कि 25 साल की उम्र में 2012 में भारतीय सेना में बतौर लेफ्टिनेंट भर्ती हुए थे। इसके बाद वह बठिंडा, बारामूला और मेरठ में तैनात रहे। 2018 में प्रमोट होकर मेजर बन गए। ढाई साल पहले उन्हें मेरठ से राजौरी में पोस्टिंग मिली। जिसके बाद वह परिवार को साथ नहीं ले गए। उन्होंने पानीपत के सेक्टर 7 में मकान लिया और उन्हें यहां छोड़ दिया। सरकार ने ये किया था ऐलान
पूर्व सीएम मनोहर लाल ने शहीद मेजर आशीष धौंचक के नाम पर टीडीआई में पार्क और पैतृक गांव बिंझौल में स्वागत द्वार बनाने की बात कही थी। साथ ही शहीद परिवार को सरकार की तरफ से 50 लाख रुपए नकद और पत्नी ज्योति को योग्यता अनुसार सरकारी नौकरी दिए जाने का ऐलान किया था। ये खबर भी पढ़ें… शहीद मेजर आशीष का सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार:मेजर भाई ने मुखाग्नि दी; अंतिम यात्रा में हाथ जोड़े रहीं मां, बहन करती रही सैल्यूट कश्मीर के अनंतनाग में 13 सितंबर को आतंकियों से मुठभेड़ में शहीद मेजर आशीष धौंचक (36) का अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव बिंझौल में हुआ। उन्हें चचेरे भाई मेजर विकास ने मुखाग्नि दी। इससे पहले सिख रेजीमेंट के जवानों ने उन्हें गन सैल्यूट दिया। शहीद मेजर की अंतिम यात्रा पानीपत TDI सिटी से 14 किमी दूर उनके गांव बिंझौल पहुंची। यात्रा के साथ एक किलोमीटर लंबे काफिले में करीब 10 हजार लोग शामिल हुए। सड़क के दोनों तरफ खड़े लोगों ने आशीष की पार्थिव देह पर फूल बरसाकर उन्हें विदा किया। (पूरी खबर पढ़ें)