हरियाणा के फरीदाबाद में 8 जुलाई को पुलिस कस्टडी में हुई युवक की मौत के मामले में पुलिस ने सेक्टर- 65 सीआईए टीम और दो नंबर पुलिस चौकी स्टाफ पर केस दर्ज कर लिया है। इससे पहले भीम आर्मी के युवाओं ने सेक्टर 21 पुलिस कमिश्नर कार्यालय के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया। इस दौरान कमिश्नर राकेश कुमार आर्य ने केस दर्ज करने का आश्वासन दिया था। केस दर्ज होने के बाद परिजन अमित का शव लेने को राजी हुए। ये था मामला फरीदाबाद पुलिस की कस्टडी में मरा अमित (27) मूल रूप से पलवल के रैदासका गांव का रहने वाला था। हाल फिलहाल फरीदाबाद में गाजीपुर डबुआ कॉलोनी इलाके में किराए के मकान में रह रहा था। अमित ने अपने दोस्त हरीश से 50 हजार रुपए लेने थे। रुपयों के लेनदेन के चलते दोनों में 5 जुलाई को फरीदाबाद के दा माल की बेसमेंट में झगड़ा हो गया था। इसमें चाकू से हरीश का गला कट गया था और अमित को भी पेट में चाकू लगा था। पुलिस ने बाद में हरीश के भाई मंजीत की शिकायत पर अमित को आरोपी बनाते हुए बीएनएस की धारा 115,118 (1)351 (1) के तहत मुकदमा दर्ज किया था। उसे चाकू की बरामदगी के लिए सेक्टर 65 क्राइम ब्रांच को सौंपा गया था। वहां 8 जुलाई को उसकी संदिग्ध हालात में मौत हो गई। परिजनों ने आरोप लगाए कि पुलिस की पिटाई से अमित की मौत हुई है। वे पुलिस कर्मियों पर केस दर्ज करने की मांग कर रहे थे। बुधवार को मृतक अमित के परिजनों के साथ भीम आर्मी के कार्यकर्ताओं ने फरीदाबाद के सेक्टर 21 पुलिस कमिश्नर कार्यालय के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया। भीम आर्मी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष धर्मवीर परवल, हरियाणा प्रदेश प्रभारी एवं आजाद समाज पार्टी प्रभारी हिमांशु वाल्मीकि ,लीगल सेल राष्ट्रीय अध्यक्ष एडवोकेट एस आर्य और फरीदाबाद के भीम आर्मी के जिला अध्यक्ष सुशील ने सीआईए सेक्टर 65 और दो नंबर चौकी पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि अमित का पैसों के लेनदेन के चलते उसके दोस्त हरीश से झगड़ा हुआ था। इसमें हरीश और अमित को दोनों को चाकू लगे थे। हरीश को पुलिस ने एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया था, जबकि अमित को बीके अस्पताल में इलाज के लाया गया। वहां पर पुलिस ने अमित का सही से इलाज नहीं होने दिया और उसे अपने साथ पूछताछ के लिए ले गई। सीआईए- 65 में पिटाई के चलते ही अमित की मौत हुई है। पुलिस ने लोगों के बढ़ते रोष को देखते हुए बुधवार काे सेक्टर- 65 सीआईए टीम और दो नंबर पुलिस चौकी स्टाफ पर केस दर्ज कर लिया है। एफआईआर दर्ज करने के बाद परिजनों ने अमित के शव को उसके परिजनों ने ले लिया है। थाना आदर्श नगर में मृतक के भाई सुमित की शिकायत पर बीएस की धारा 3 एससी एसटी एक्ट 1989,103(1) 3(5) के तहत एफआईआर दर्ज कर पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। हरियाणा के फरीदाबाद में 8 जुलाई को पुलिस कस्टडी में हुई युवक की मौत के मामले में पुलिस ने सेक्टर- 65 सीआईए टीम और दो नंबर पुलिस चौकी स्टाफ पर केस दर्ज कर लिया है। इससे पहले भीम आर्मी के युवाओं ने सेक्टर 21 पुलिस कमिश्नर कार्यालय के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया। इस दौरान कमिश्नर राकेश कुमार आर्य ने केस दर्ज करने का आश्वासन दिया था। केस दर्ज होने के बाद परिजन अमित का शव लेने को राजी हुए। ये था मामला फरीदाबाद पुलिस की कस्टडी में मरा अमित (27) मूल रूप से पलवल के रैदासका गांव का रहने वाला था। हाल फिलहाल फरीदाबाद में गाजीपुर डबुआ कॉलोनी इलाके में किराए के मकान में रह रहा था। अमित ने अपने दोस्त हरीश से 50 हजार रुपए लेने थे। रुपयों के लेनदेन के चलते दोनों में 5 जुलाई को फरीदाबाद के दा माल की बेसमेंट में झगड़ा हो गया था। इसमें चाकू से हरीश का गला कट गया था और अमित को भी पेट में चाकू लगा था। पुलिस ने बाद में हरीश के भाई मंजीत की शिकायत पर अमित को आरोपी बनाते हुए बीएनएस की धारा 115,118 (1)351 (1) के तहत मुकदमा दर्ज किया था। उसे चाकू की बरामदगी के लिए सेक्टर 65 क्राइम ब्रांच को सौंपा गया था। वहां 8 जुलाई को उसकी संदिग्ध हालात में मौत हो गई। परिजनों ने आरोप लगाए कि पुलिस की पिटाई से अमित की मौत हुई है। वे पुलिस कर्मियों पर केस दर्ज करने की मांग कर रहे थे। बुधवार को मृतक अमित के परिजनों के साथ भीम आर्मी के कार्यकर्ताओं ने फरीदाबाद के सेक्टर 21 पुलिस कमिश्नर कार्यालय के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया। भीम आर्मी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष धर्मवीर परवल, हरियाणा प्रदेश प्रभारी एवं आजाद समाज पार्टी प्रभारी हिमांशु वाल्मीकि ,लीगल सेल राष्ट्रीय अध्यक्ष एडवोकेट एस आर्य और फरीदाबाद के भीम आर्मी के जिला अध्यक्ष सुशील ने सीआईए सेक्टर 65 और दो नंबर चौकी पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि अमित का पैसों के लेनदेन के चलते उसके दोस्त हरीश से झगड़ा हुआ था। इसमें हरीश और अमित को दोनों को चाकू लगे थे। हरीश को पुलिस ने एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया था, जबकि अमित को बीके अस्पताल में इलाज के लाया गया। वहां पर पुलिस ने अमित का सही से इलाज नहीं होने दिया और उसे अपने साथ पूछताछ के लिए ले गई। सीआईए- 65 में पिटाई के चलते ही अमित की मौत हुई है। पुलिस ने लोगों के बढ़ते रोष को देखते हुए बुधवार काे सेक्टर- 65 सीआईए टीम और दो नंबर पुलिस चौकी स्टाफ पर केस दर्ज कर लिया है। एफआईआर दर्ज करने के बाद परिजनों ने अमित के शव को उसके परिजनों ने ले लिया है। थाना आदर्श नगर में मृतक के भाई सुमित की शिकायत पर बीएस की धारा 3 एससी एसटी एक्ट 1989,103(1) 3(5) के तहत एफआईआर दर्ज कर पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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पानीपत में महिला ने सरकार को लगाया आर्थिक चूना:दूसरी शादी के बाद भी ले रही विधवा पेंशन, पति ने दर्ज कराया केस हरियाणा के पानीपत शहर में रहने वाली एक महिला का बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। महिला ने बड़ी चालाकी से सरकार को आर्थिक चूना लगाया है। दरअसल, महिला के पहले पति की मौत के बाद उसने दूसरी शादी कर ली थी। इसके बाद भी वह फर्जी दस्तावेजों के आधार पर विधवा पेंशन ले रही है। साथ ही अपने बेटे का असहाय भत्ता भी ले रही है। दूसरे पति ने इसकी शिकायत पुलिस को दी है। दूसरी शिकायत पर पुलिस ने आरोपी महिला के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया है। दूसरे पति के खिलाफ भी रची साजिश पुलिस को दी गई शिकायत में राजबीर ने बताया कि वह जींद जिले के सफीदों के वार्ड 1 स्थित राजीव कॉलोनी का रहने वाला है। उसकी पत्नी का नाम रीना है। जिसकी उसकी दूसरी शादी थी। पहली शादी घरौंडा निवासी राकेश के साथ हुई थी। रीना का एक बेटा कार्तिक भी है। राकेश की मौत के बाद रीना ने 29 मई 2016 को दूसरी शादी कर ली। दूसरी शादी के बाद से ही रीना का व्यवहार ठीक नहीं था। वह अक्सर उसे पैसों के लिए परेशान करता था। कई बार उसने उसे पीटा और जान से मरवाने की धमकी भी दी। पिछले महीने रीना ने उसका घर छोड़ दिया और अब पानीपत के भूल भुलैया चौक पर रहती है। 2020 से फर्जी तरीके से ले रही पेंशन राजबीर ने बताया कि जांच में पता चला कि रीना एक शातिर महिला है। उसने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर विधवा पेंशन बनवा ली है। वह अपने बेटे के नाम पर सरकारी असहाय भत्ता भी ले रही है। जबकि अब न तो वह विधवा है और न ही उसका बेटा असहाय है। लेकिन वह फर्जी दस्तावेजों के आधार पर 2020 से लगातार विधवा पेंशन ले रही है। इसके साथ ही वह अपने बेटे के नाम पर भी भत्ता ले रही है। जब रीना को पता चला कि राजबीर को उसकी धोखाधड़ी के बारे में पता चल गया है तो उसने उसे धमकी दी कि अगर उसने किसी को कुछ बताया तो वह उसके खिलाफ झूठे केस दर्ज करा देगी। राजबीर ने इस संबंध में 10 जनवरी को तहसील कैंप थाने में शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन पुलिस ने उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की।
हरियाणा में आचार संहिता लागू:क्या नई स्कीमें शुरू हो सकेंगी, सरकारी भर्तियों का क्या होगा, ऐसे 11 महत्वपूर्ण सवालों के जवाब पढ़िए
हरियाणा में आचार संहिता लागू:क्या नई स्कीमें शुरू हो सकेंगी, सरकारी भर्तियों का क्या होगा, ऐसे 11 महत्वपूर्ण सवालों के जवाब पढ़िए हरियाणा विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है। इसी के साथ इन राज्यों में आदर्श आचार संहिता भी लागू हो गई। इस दौरान ज्यादातर सरकारी कामों पर अस्थाई रोक लगी रहेगी। ये वो काम होते हैं, जिनसे सरकार को फायदा होने का अंदेशा होता है। हरियाणा में राजनीतिक दलों को चुनाव प्रचार के लिए इस चुनाव में 17 अगस्त से 29 सितंबर तक कुल 44 दिन मिलेंगे। 2019 में 21 सितंबर को आचार संहिता लागू हुई थी। पिछली बार 2019 में 21 अक्टूबर को वोटिंग हुई थी। इस हिसाब से 2019 में उम्मीदवारों को प्रचार के लिए एक महीना मिला था, लेकिन इस बार अगस्त में आचार संहिता लगी है और अक्टूबर में वोटिंग होने के कारण डेढ़ महीने का समय मिल रहा है। ऐसे में आम लोगों के मन में कई तरह के सवाल हैं। मसलन- हरियाणा में सरकारी भर्तियां क्या होती रहेंगी, अगर कोई सड़क आधी बनी है तो क्या काम रुक जाएगा, क्या ड्राइविंग लाइसेंस और पासपोर्ट जैसे डॉक्यूमेंट बनने भी बंद हो जाएंगे?। सबसे पहले हरियाणा विधानसभा चुनाव का शेड्यूल जानिए… आचार संहिता से जुड़े 11 सवाल और उनके जवाब… सवाल 1 : आज से राज्य में लागू हुई आदर्श आचार संहिता होती क्या है?
जवाब : स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग ने कुछ नियम बनाए हैं, जिसे आचार संहिता कहते हैं। चुनाव के समय राजनीतिक दलों और सभी प्रत्याशियों को इसका पालन करना होता है। आचार संहिता के तहत बताया जाता है कि राजनीतिक दलों और कैंडिडेट को चुनाव के दौरान क्या करना है और क्या नहीं करना है। आचार संहिता की सबसे खास बात ये है कि ये नियम किसी कानून के जरिए नहीं बल्कि राजनीतिक पार्टियों की आपसी सहमति से बनाए गए हैं। आदर्श आचार संहिता की वजह से चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों, प्रत्याशियों और सत्ताधारी दलों के कामकाज और उनके व्यवहार पर नजर रखना संभव होता है। सवाल 2: विधानसभा चुनाव में आचार संहिता कब से कब तक लागू रहेगी?
जवाब : चुनाव के कार्यक्रमों की घोषणा के साथ ही आचार संहिता लागू हो जाती है। ये आचार संहिता इलेक्शन की पूरी प्रक्रिया खत्म होने तक जारी रहती है। विधानसभा चुनाव की तारीख का ऐलान 16 अगस्त को किया गया। इस दिन से आचार संहिता लागू हो गई। चुनाव प्रक्रिया पूरी होते ही आचार संहिता खत्म हो जाती है। सवाल 3: आचार संहिता के दौरान कौन से काम रुक जाते हैं और कौन से चालू रहते हैं?
जवाब : आदर्श आचार संहिता की वजह से इन कामों पर रोक लग जाती है… सवाल 4: हरियाणा में 50 हजार से ज्यादा सरकारी पदों पर जारी भर्तियों और अन्य स्कीम और कामों का क्या होगा, जिसकी घोषणा सरकार कर चुकी है?
जवाब : हरियाणा के सीएम नायब सिंह सैनी ने 50 हजार भर्तियों का वादा किया है। इनमें से 34 हजार पदों पर भर्ती हो गई है। बाकी पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया जारी है। जो भर्ती प्रक्रिया चल रही है, उस पर कोई रोक नहीं लगेगी, लेकिन मुख्यमंत्री या कोई मंत्री नियुक्ति पत्र अपने हाथों से नहीं दे पाएंगे। आचार संहिता लागू होने के बाद नई भर्तियों निकलती है तो यह चुनाव आयोग को देखना पड़ेगा कि भर्ती अभी क्यों निकाली जा रही है। इस भर्ती के देरी से निकलने की क्या वजहें हैं। अगर इसका उचित जवाब नहीं मिलता है तो यह माना जाएगा कि जान बूझकर देरी की गई है। सवाल 5: आचार संहिता लागू होने के बाद ड्राइविंग लाइसेंस, आवासीय और कास्ट सर्टिफिकेट बनाना संभव है या नहीं?
जवाब : हरियाणा के मुख्य चुनाव अधिकारी पंकज अग्रवाल का कहना है कि चुनाव आचार संहिता के नाम पर जरूरी काम नहीं रोके जा सकते हैं। पहले चल रहे विकास कार्यों को भी बंद नहीं किया जा सकता है। राशन कार्ड में संशोधन, ड्राइविंग लाइसेंस आदि बनाए जाते रहेंगे। जाति प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र बनाने और जमीनों की रजिस्ट्री जैसे काम करने पर कोई रोक नहीं लगती है। सवाल 6: आचार संहिता लागू होने के बाद सड़क बनाने या ठीक करवाने की इजाजत होती है या नहीं?
जवाब : चुनाव आयोग के मुताबिक विधायक, मंत्री या कैंडिडेट आचार संहिता लागू होने के बाद कोई आर्थिक सहायता या उससे संबंधित कोई वादा नहीं कर सकते हैं। इसके अलावा आचार संहिता लागू होने के बाद किसी परियोजना अथवा योजना का शिलान्यास नहीं किया जा सकता है। सड़क बनवाने, पीने के पानी को लेकर काम शुरू करवाना तो दूर, वादा तक नहीं कर सकते हैं। जो काम पहले से चल रहा है वो आचार संहिता की वजह से बाधित नहीं होगा। सवाल 7: आचार संहिता लागू होने के बाद अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग कैसे होती है?
जवाब : आचार संहिता लागू होने के बाद किसी भी सरकारी अधिकारी, कर्मचारी की ट्रांसफर पोस्टिंग सरकार नहीं कर सकती है। ट्रांसफर कराना बेहद जरूरी हो गया हो तब भी सरकार बिना चुनाव आयोग की सहमति के ये फैसला नहीं ले सकती है। इस दौरान राज्य के मुख्य चुनाव आयुक्त जरूरत के हिसाब से अधिकारियों की ट्रांसफर पोस्टिंग कर सकते हैं। सवाल 9: क्या आचार संहिता लागू होने पर कोई मंत्री सरकारी खर्चे पर इलेक्शन रैली कर सकते हैं?
जवाबः आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद सरकारी खर्च पर मंत्री इलेक्शन रैली नहीं कर सकते हैं। इस दौरान मंत्री सरकारी वाहनों का इस्तेमाल भी सिर्फ अपने निवास से ऑफिस तक जाने के लिए कर सकते हैं। चुनावी रैलियों और यात्राओं के लिए इनका इस्तेमाल नहीं हो सकता। सवाल 10: क्या आचार संहिता के दौरान मंत्री अपने आधिकारिक दौरे के समय चुनाव प्रचार कर सकते हैं?
जवाब : नहीं। आचार संहिता लागू होने के बाद मंत्री अपने आधिकारिक दौरे के समय चुनाव प्रचार नहीं कर सकते हैं। यहां तक की चुनाव प्रचार के लिए सरकारी गाड़ियों, विमानों या किसी दूसरे सुविधाओं का भी इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। सवाल 11 : क्या शराब के ठेकों, तेंदू की पत्तियों के टेंडर की नीलामी की जा सकती है?
जवाब : नहीं। इस तरह के किसी टेंडर की नीलामी नहीं की जा सकती है। सरकार जरूरी होने पर आचार संहिता से पहले ही कोई तत्कालिक व्यवस्था कर सकती है। इसके अलावा नगर निगम, नगर पंचायत, नगर क्षेत्र समिति राजस्व संग्रहण का काम जारी रख सकती है।