डेंगू के सीजन के बीच फिरोजपुर में एक और जानलेवा बीमारी ने पांव पसार लिए हैं, इस बीमारी का नाम गलघोटू रोग बताया जा रहा है, इस बीमारी से फिरोजपुर में पहली मौत हो गई है, जिसे लेकर सेहत अधिकारियों के हाथ पांव फूल गए हैं, यहां तक की बीमारी की जांच करने के लिए वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन की टीम भी फिरोजपुर पहुंच चुकी है। रोग से मौत होने की पुष्टि सिविल सर्जन फिरोजपुर राजविंदर कौर ने की है। जानकारी मुताबिक जिस तीन साल की बच्ची की मौत हुई है उसके पिता का नाम जगतार सिंह है और वह फिरोजपुर शहर की बस्ती आवा वाली के रहने वाले हैं, बच्ची की मौत 8 अक्टूबर को फरीदकोट में हुई थी, बीमारी ने एक ही दिन के प्रभाव में मौत के मुंह में पहुंचा दिया, बच्ची की मौत के बाद इलाके के लोगों में दहशत का माहौल है। बीमारी की जांच में लगी है 8 टीमें हर परिवार इसी खौफ में जी रहा है, कि कहीं उनके बच्चे भी बीमारी का शिकार ना हो जाए, जिस एरिया में बच्ची की मौत हुई इस एरिया में एक और लड़की भी रोग से संदिग्ध पाई गई, लेकिन उसके सैंपल की रिपोर्ट नेगेटिव आई है, उसकी हालत स्थिर है, यह कहना है विभाग के डॉक्टर युवराज नारंग का। डॉक्टर युवराज का कहना है कि रोग से मारने वाली बच्ची 6 अक्टूबर को बीमार हुई थी, पहले उसे एक आरएमपी डॉक्टर के पास दिखाया गया, दवाई देने के बाद वह ठीक नहीं हुई, बाद में उसे 8 अक्टूबर को शहर के टोकरी बाजार स्थित आहूजा नाम के एक डॉक्टर को दिखाया गया, टेस्ट करवाने के बाद डॉक्टर ने रिपोर्ट्स देखने के तत्काल ही उसे रेफर कर दिया, फरीदकोट मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। डाक्टर नारंग ने बताया कि उनकी तरफ से बीमारी की जांच के लिए सर्वे करवाया जा रहा है, यह सर्वे बस्ती आवा और बस्ती बोरियां वाली में करवाया जा रहा है, इस काम में विभाग की आठ टीमें लगी हुई है जिसमें कुल 24 सदस्य कम कर रहे हैं, साथ ही वह खुद और डॉक्टर ईशा भी टीम के साथ जा रहे हैं। अब तक दोनों बस्तियों के 200 घरों में जांच पड़ताल की जा चुकी है, छुट्टी के दिन भी इलाके में टीम में काम कर रही है, जिस परिवार की बच्ची की मौत हुई है, उसे परिवार के दो और बच्चे हैं, एक बच्चा 7 साल तो दूसरा डेढ़ साल का है, वह स्कूल नहीं जाते। इस परिवार के इलाके में 6 बच्चे हैं जिनके सैंपल लिए जा चुके हैं।उन्होंने यह भी कहा कि इस बीमारी का इलाज केवल पीजीआई में ही है। जानलेवा और खतरनाक है गलघोटू बीमारी डॉक्टर युवराज नारंग का कहना है कि गलघोटू यानी डिप्थीरिया उम्र संक्रामक रोग है, जो 2 से लेकर 10 साल तक के बच्चों को अधिक होता है, हालांकि यह रोग 20 साल तक की आयु के लोगों को भी हो सकता है। यह रोग गले में होता है, इससे टासिल सक्रमित होते हैं, इससे स्वरयंत्र,नाक, आंख व जननेंद्रीय भी प्रभावित हो सकती है। इससे बुखार, अरुचि, सिर व शरीर में दर्द, गले में दर्द की दिक्कत होती है। इसका विशेष हानिकारक प्रभाव हृदय पर पड़ता है। कुछ रोगियों में इनके कारण हृदय विराम से मृत्यु भी हो जाती है। यह है बीमारी के कारण रोग का कारण कोराइन बैक्टेरियम डिप्थीरिया नामक जीवाणु होता है, यह संक्रमण बच्चों में एक दूसरे की पेंसिल, लेखनी आदि वस्तुओं को मुंह में रख लेने से शरीर में प्रवेश कर जाता है। इससे गले में झिल्ली बनने लगती है, यह बैक्टीरिया कफ के माध्यम से एक से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। यह शरीर पर खतरनाक असर डालता है, इससे हृदय की पेशियों में सूजन आ सकती है, स्नायु तंत्र की खराबी भी हो सकती है। डेंगू के सीजन के बीच फिरोजपुर में एक और जानलेवा बीमारी ने पांव पसार लिए हैं, इस बीमारी का नाम गलघोटू रोग बताया जा रहा है, इस बीमारी से फिरोजपुर में पहली मौत हो गई है, जिसे लेकर सेहत अधिकारियों के हाथ पांव फूल गए हैं, यहां तक की बीमारी की जांच करने के लिए वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन की टीम भी फिरोजपुर पहुंच चुकी है। रोग से मौत होने की पुष्टि सिविल सर्जन फिरोजपुर राजविंदर कौर ने की है। जानकारी मुताबिक जिस तीन साल की बच्ची की मौत हुई है उसके पिता का नाम जगतार सिंह है और वह फिरोजपुर शहर की बस्ती आवा वाली के रहने वाले हैं, बच्ची की मौत 8 अक्टूबर को फरीदकोट में हुई थी, बीमारी ने एक ही दिन के प्रभाव में मौत के मुंह में पहुंचा दिया, बच्ची की मौत के बाद इलाके के लोगों में दहशत का माहौल है। बीमारी की जांच में लगी है 8 टीमें हर परिवार इसी खौफ में जी रहा है, कि कहीं उनके बच्चे भी बीमारी का शिकार ना हो जाए, जिस एरिया में बच्ची की मौत हुई इस एरिया में एक और लड़की भी रोग से संदिग्ध पाई गई, लेकिन उसके सैंपल की रिपोर्ट नेगेटिव आई है, उसकी हालत स्थिर है, यह कहना है विभाग के डॉक्टर युवराज नारंग का। डॉक्टर युवराज का कहना है कि रोग से मारने वाली बच्ची 6 अक्टूबर को बीमार हुई थी, पहले उसे एक आरएमपी डॉक्टर के पास दिखाया गया, दवाई देने के बाद वह ठीक नहीं हुई, बाद में उसे 8 अक्टूबर को शहर के टोकरी बाजार स्थित आहूजा नाम के एक डॉक्टर को दिखाया गया, टेस्ट करवाने के बाद डॉक्टर ने रिपोर्ट्स देखने के तत्काल ही उसे रेफर कर दिया, फरीदकोट मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। डाक्टर नारंग ने बताया कि उनकी तरफ से बीमारी की जांच के लिए सर्वे करवाया जा रहा है, यह सर्वे बस्ती आवा और बस्ती बोरियां वाली में करवाया जा रहा है, इस काम में विभाग की आठ टीमें लगी हुई है जिसमें कुल 24 सदस्य कम कर रहे हैं, साथ ही वह खुद और डॉक्टर ईशा भी टीम के साथ जा रहे हैं। अब तक दोनों बस्तियों के 200 घरों में जांच पड़ताल की जा चुकी है, छुट्टी के दिन भी इलाके में टीम में काम कर रही है, जिस परिवार की बच्ची की मौत हुई है, उसे परिवार के दो और बच्चे हैं, एक बच्चा 7 साल तो दूसरा डेढ़ साल का है, वह स्कूल नहीं जाते। इस परिवार के इलाके में 6 बच्चे हैं जिनके सैंपल लिए जा चुके हैं।उन्होंने यह भी कहा कि इस बीमारी का इलाज केवल पीजीआई में ही है। जानलेवा और खतरनाक है गलघोटू बीमारी डॉक्टर युवराज नारंग का कहना है कि गलघोटू यानी डिप्थीरिया उम्र संक्रामक रोग है, जो 2 से लेकर 10 साल तक के बच्चों को अधिक होता है, हालांकि यह रोग 20 साल तक की आयु के लोगों को भी हो सकता है। यह रोग गले में होता है, इससे टासिल सक्रमित होते हैं, इससे स्वरयंत्र,नाक, आंख व जननेंद्रीय भी प्रभावित हो सकती है। इससे बुखार, अरुचि, सिर व शरीर में दर्द, गले में दर्द की दिक्कत होती है। इसका विशेष हानिकारक प्रभाव हृदय पर पड़ता है। कुछ रोगियों में इनके कारण हृदय विराम से मृत्यु भी हो जाती है। यह है बीमारी के कारण रोग का कारण कोराइन बैक्टेरियम डिप्थीरिया नामक जीवाणु होता है, यह संक्रमण बच्चों में एक दूसरे की पेंसिल, लेखनी आदि वस्तुओं को मुंह में रख लेने से शरीर में प्रवेश कर जाता है। इससे गले में झिल्ली बनने लगती है, यह बैक्टीरिया कफ के माध्यम से एक से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। यह शरीर पर खतरनाक असर डालता है, इससे हृदय की पेशियों में सूजन आ सकती है, स्नायु तंत्र की खराबी भी हो सकती है। पंजाब | दैनिक भास्कर
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शिअद नेता NK शर्मा ने पार्टी छोड़ने का किया ऐलान:सुखबीर बादल के पार्टी छोड़ने के बाद लिया फैसला,बोले-किसी पद की इच्छा नहीं पंजाब में शिरोमणि अकाली दल के सीनियर नेता नरिंदर कुमार शर्मा (NK) ने पार्टी छोड़ने का ऐलान कर दिया है। नरिंदर कुमार शर्मा, शिअद नेता सुखबीर बादल के काफी करीबी माने जाते हैं। वह पटियाला से भी शिअद उम्मीदवार रह चुके हैं। शर्मा ने आज वर्किंग कमेटी की मीटिंग से पहले ऐलान किया है कि आज उन्होंने पार्टी के हर पद से इस्तीफा सुखबीर बादल को सौंप दिया है। इस्तीफा देने और पार्टी छोड़ने के कारण यह है कि पार्टी प्रधान सुखबीर सिंह बादल ने पार्टी की प्रधानगी से इस्तीफा दिया है। इसलिए मेरी इस पार्टी में रहने की कोई इच्छा नहीं है। हालांकि NK शर्मा ने यह भी कहा कि यदि सुखबीर सिंह बादल अकाली दल के प्रधान बने रहते हैं तो वह पार्टी में इसी तरह पार्टी वर्कर के रूप में काम करते रहेंगे। 3 महीने पहले सुखबीर बादल को तनखैया करार दिया था आपको बता दें कि श्री अकाल तख्त साहिब से 3 महीने पहले सुखबीर बादल को धार्मिक सजा सुनाई गई थी। श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने सुखबीर को तनखैया करार दिया था। सुखबीर बादल पर उनकी सरकार के वक्त डेरा सच्चा सौदा मुखी राम रहीम को माफी देने के अलावा सुमेध सैनी को DGP नियुक्त करने और श्री गुरू ग्रंथ साहिब की बेअदबी के मामले में कार्रवाई न करने का आरोप लगा था। तनखैया घोषित होने से पहले पहले बनाया था कार्यकारी प्रधान अकाली दल ने पांचों तख्तों की बैठक से एक दिन पहले ही पूर्व सांसद बलविंदर सिंह भूंदड़ को कार्यकारी प्रधान नियुक्त कर दिया था। राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि बगावत झेल रहे अकाली दल ने ये निर्णय संवेदनशीलता को देखते हुए लिया है। कार्यकारी प्रधान नियुक्त किए गए बलविंदर सिंह भूंदड़ बादल परिवार के करीबी हैं। अकाली दल के बागी गुट के माफीनामा के बाद उठा था विवाद अकाली दल का बागी गुट 1 जुलाई को श्री अकाल तख्त साहिब पहुंचा था। इस दौरान जत्थेदार को माफीनामा सौंपा गया था। जिसमें सुखबीर बादल से हुई 4 गलतियों में सहयोग देने पर माफी मांगी गई। जिसके बाद ही सारा विवाद शुरू हो गया। चार गलतियां 1. वापस ली गई थी डेरा सच्चा सौदा के खिलाफ शिकायत 2007 में सलाबतपुरा में सच्चा सौदा डेरा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम ने 10वें गुरू श्री गुरु गोबिंद सिंह जी की परंपरा का अनुकरण करते हुए उन्हीं की तरह कपड़ों को पहनकर अमृत छकाने का स्वांग रचा था। उस वक्त इसके खिलाफ पुलिस केस भी दर्ज किया गया था, लेकिन बाद में अकाली सरकार ने सजा देने की जगह इस मामले को ही वापस ले लिया। 2. डेरा मुखी को सुखबीर बादल ने दिलवाई थी माफी श्री अकाल तख्त साहिब ने कार्रवाई करते हुए डेरा मुखी को सिख पंथ से निष्कासित कर दिया था। सुखबीर सिंह बादल ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए डेरा मुखी को माफी दिलवा दी थी। इसके बाद अकाली दल और शिरोमणि कमेटी के नेतृत्व को सिख पंथ के गुस्से और नाराजगी का सामना करना पड़ा। अंत में श्री अकाल तख्त साहिब ने डेरा मुखी को माफी देने का फैसला वापस लिया। 3. बेअदबी की घटनाओं की सही जांच नहीं हुई 1 जून 2015 को कुछ तत्वों ने बुर्ज जवाहर सिंह वाला (फरीदकोट) के गुरुद्वारा साहिब से श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बीड़ चुराई। फिर 12 अक्टूबर 2015 को बरगाड़ी (फरीदकोट) के गुरुद्वारा साहिब से श्री गुरु ग्रंथ साहिब के 110 अंग चुरा लिए व बाहर फेंक दिए। इससे सिख पंथ में भारी आक्रोश फैल गया। अकाली दल सरकार और तत्कालीन गृह मंत्री सुखबीर सिंह बादल ने इस मामले की समय रहते जांच नहीं की। दोषियों को सजा दिलाने में असफल रहे। इससे पंजाब में हालात बिगड़ गए और कोटकपूरा और बहबल कलां में दुखद घटनाएं हुईं। 4. झूठे केसों में मारे गए सिखों को नहीं दे पाए इंसाफ अकाली दल सरकार ने सुमेध सैनी को पंजाब का DGP नियुक्त किया गया। राज्य में फर्जी पुलिस मुठभेड़ों को अंजाम देकर सिख युवाओं की हत्या करने के लिए उन्हें जाना जाता था। पूर्व DGP इजहार आलम, जिन्होंने आलम सेना का गठन किया, उनकी पत्नी को टिकट दिया और उन्हें मुख्य संसदीय सचिव बनाया। फैसला सुनाते हुए अकाल तख्त जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने कहा था- ”अकाली दल प्रधान और डिप्टी CM रहते हुए सुखबीर बादल ने कुछ ऐसे फैसले लिए, जिससे पंथक स्वरूप के अक्स को नुकसान पहुंचा। सिख पंथ का भारी नुकसान हुआ। 2007 से 2017 वाले सिख कैबिनेट मंत्री भी अपना स्पष्टीकरण दें।”