बकरा ईद पर पशुओं की कुर्बानी के विरोध में विहिप नेता, कहा- जो हिंदू मांसाहारी नहीं उनकी…

बकरा ईद पर पशुओं की कुर्बानी के विरोध में विहिप नेता, कहा- जो हिंदू मांसाहारी नहीं उनकी…

<p><strong>Bakra Eid 2025:&nbsp; </strong>विश्व हिंदू परिषद ने बकरीद पर होने वाली पशुओं की कुर्बानी को पशु क्रूरता से जोड़ते हुए हुए इसका विरोध शुरू कर दिया है. विश्व हिन्दू परिषद केन्द्रीय कार्यकारिणी के सदस्य डॉ राजकमल गुप्ता का कहना है कि पशुओं की कुर्बानी से सड़कों पर गंदगी फैलती है और नदियों में खून बहता है जिस से पर्यावरण दूषित होता है इसलिए मुसलमान पशुओं की क़ुरबानी न कर सांकेतिक क़ुरबानी करें.</p>
<p>उन्होंने सवाल किया की जब हिन्दू मंदिरों पर होने वाली बलि को पशु क्रूरता बता कर उस पर रोक लगा दी गयी है तो बकरा ईद पर हजारो निरीह पशुओं की कुर्बानी पर भी तो रोक लगनी चाहिए. वीएचपी नेता ने पर्यावरण प्रेमियों की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए कहा कि वे दिवाली पर तो उपदेश देते हैं पर बकरीद पर चुप क्यों हैं? &nbsp;</p>
<p><strong>’जो हिन्दू मांसाहारी नहीं है…'</strong><br />उन्होंने पूछा कि कुरान में कहां बकरे की बलि का हवाला है? वीएचपी नेता ने कहा कि यदि यह सिर्फ प्रतीकात्मक होनी चाहिए इसके लिए आखिर लाखों निरीह जानवरों की जान क्यों ली जाती है और सात्विक समाज के मन मस्तिष्क को खराब क्यों किया जाता है? विहिप नेता ने कहा कि दिवाली, होली आदि हिंदू त्योहारों पर तथाकथित पर्यावरण प्रेमी, बुद्धिजीवी हिंदुओं को सांकेतिक रूप में या इको फ्रेंडली होली दिवाली मनाने का आह्वान करते हैं. किंतु एक ही दिन में करोड़ों निरीह पशुओं की क्रूर हत्या पर ये सभी कथित पर्यावरण विद् चुप्पी क्यों साध लेते हैं? इसके कारण पूरे देश का शाकाहारी और संवेदनशील समाज गुस्से में है. विहिप नेता ने कहा की सात्विक समाज मांसाहारी नहीं है उसे बकरा ईद पर सड़कों पर खून, मांस और पशुओं के अवशेष देख कर बहुत परेशानी होती है इसलिए हमारा यह आवाहन है कि किसी निरीह जानवर की कुर्बानी न की जाये इसे प्रतीकात्मक किया जाये.</p>
<p>उन्होंने कहा की जो हिन्दू मांसाहारी नहीं है इस में उनकी भावनाओं को ध्यान में रखना चाहिए. कुर्बानी की जो वर्तमान व्यवस्था है यह समाप्त होनी चाहिए. उन्होंने कहा की बड़े मंदिरों में होने वाली पशुओं की बली रोक दी गयी है अब वहां सिर्फ पशु के कान में छेद कर सांकेतिक बली दी जाती है तो ऐसे ही सांकेतिक कुर्बानी कर देनी चाहिए. नालियों में खून और सड़कों पर मांस पड़ा होने के कारण हम सड़कों पर नहीं निकल पाते हैं इसलिए हमारी आस्था का भी ध्यान रखा जाना चाहिए, उन्होंने कहा कि पर्यावरण विद सिर्फ हिन्दुओं को अपमानित करने के लिए होली दीवाली पर पर्यावरण की बात तो करते हैं लेकिन बकरा ईद पर वह खामोश क्यूँ रहते हैं. उन्होंने कहा कि विश्व हिन्दू परिषद इस मामले में पूरे तरीके से जागरूकता अभियान चलाएगा और जो गलत काम है उसका हम विरोध करेंगे. न्यायपालिका को भी इसका संज्ञान लेना चाहिए. &nbsp;</p> <p><strong>Bakra Eid 2025:&nbsp; </strong>विश्व हिंदू परिषद ने बकरीद पर होने वाली पशुओं की कुर्बानी को पशु क्रूरता से जोड़ते हुए हुए इसका विरोध शुरू कर दिया है. विश्व हिन्दू परिषद केन्द्रीय कार्यकारिणी के सदस्य डॉ राजकमल गुप्ता का कहना है कि पशुओं की कुर्बानी से सड़कों पर गंदगी फैलती है और नदियों में खून बहता है जिस से पर्यावरण दूषित होता है इसलिए मुसलमान पशुओं की क़ुरबानी न कर सांकेतिक क़ुरबानी करें.</p>
<p>उन्होंने सवाल किया की जब हिन्दू मंदिरों पर होने वाली बलि को पशु क्रूरता बता कर उस पर रोक लगा दी गयी है तो बकरा ईद पर हजारो निरीह पशुओं की कुर्बानी पर भी तो रोक लगनी चाहिए. वीएचपी नेता ने पर्यावरण प्रेमियों की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए कहा कि वे दिवाली पर तो उपदेश देते हैं पर बकरीद पर चुप क्यों हैं? &nbsp;</p>
<p><strong>’जो हिन्दू मांसाहारी नहीं है…'</strong><br />उन्होंने पूछा कि कुरान में कहां बकरे की बलि का हवाला है? वीएचपी नेता ने कहा कि यदि यह सिर्फ प्रतीकात्मक होनी चाहिए इसके लिए आखिर लाखों निरीह जानवरों की जान क्यों ली जाती है और सात्विक समाज के मन मस्तिष्क को खराब क्यों किया जाता है? विहिप नेता ने कहा कि दिवाली, होली आदि हिंदू त्योहारों पर तथाकथित पर्यावरण प्रेमी, बुद्धिजीवी हिंदुओं को सांकेतिक रूप में या इको फ्रेंडली होली दिवाली मनाने का आह्वान करते हैं. किंतु एक ही दिन में करोड़ों निरीह पशुओं की क्रूर हत्या पर ये सभी कथित पर्यावरण विद् चुप्पी क्यों साध लेते हैं? इसके कारण पूरे देश का शाकाहारी और संवेदनशील समाज गुस्से में है. विहिप नेता ने कहा की सात्विक समाज मांसाहारी नहीं है उसे बकरा ईद पर सड़कों पर खून, मांस और पशुओं के अवशेष देख कर बहुत परेशानी होती है इसलिए हमारा यह आवाहन है कि किसी निरीह जानवर की कुर्बानी न की जाये इसे प्रतीकात्मक किया जाये.</p>
<p>उन्होंने कहा की जो हिन्दू मांसाहारी नहीं है इस में उनकी भावनाओं को ध्यान में रखना चाहिए. कुर्बानी की जो वर्तमान व्यवस्था है यह समाप्त होनी चाहिए. उन्होंने कहा की बड़े मंदिरों में होने वाली पशुओं की बली रोक दी गयी है अब वहां सिर्फ पशु के कान में छेद कर सांकेतिक बली दी जाती है तो ऐसे ही सांकेतिक कुर्बानी कर देनी चाहिए. नालियों में खून और सड़कों पर मांस पड़ा होने के कारण हम सड़कों पर नहीं निकल पाते हैं इसलिए हमारी आस्था का भी ध्यान रखा जाना चाहिए, उन्होंने कहा कि पर्यावरण विद सिर्फ हिन्दुओं को अपमानित करने के लिए होली दीवाली पर पर्यावरण की बात तो करते हैं लेकिन बकरा ईद पर वह खामोश क्यूँ रहते हैं. उन्होंने कहा कि विश्व हिन्दू परिषद इस मामले में पूरे तरीके से जागरूकता अभियान चलाएगा और जो गलत काम है उसका हम विरोध करेंगे. न्यायपालिका को भी इसका संज्ञान लेना चाहिए. &nbsp;</p>  उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड UP: अहिल्याबाई होल्कर जयंती कार्यक्रम में CM योगी का बड़ा बयान, ‘देश की सेनाओं ने पाकिस्तान…’